रोगाणुरोधी प्रतिरोध: वन हेल्थ सिद्धांत (One health approach)

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रोगाणुरोधी प्रतिरोध: वन हेल्थ सिद्धांत (One health approach)

डॉ. गायत्री देवांगन, डॉ. स्वाति कोली, श्वेता राजोरिया, डॉ. नीतू राजपूत, कविता रावत एवं ज्योत्सना शक्करपुड़े
पशु भैषज एवं विष विज्ञान विभाग , पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन,  महाविद्यालय महू,

 

                 रोगाणुरोधी प्रतिरोध तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और परजीवी समय के साथ रूप बदलते हैं और उन पर दवाओं का असर होना बन्द हो जाता है, जिससे संक्रमण का इलाज करना कठिन हो जाता है एवं बीमारी फैलने, गम्भीर रोग व मृत्यु का ख़तरा बढ़ जाता है. मुख्य संक्रामक रोगों के रोगजनकों में रोगाणुरोधी प्रतिरोधकता  वैश्विक एवं राष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बन गयी है। कारबपेनेंस जैसे नए और अधिक शक्तिशाली रोगाणुरोधी एजेंट उभर आये है । बहु-प्रतिरोधी बैक्टीरिया तेजी से फैलने और इन जीवों के कारण उत्पन्न संक्रमणों का उपचार करने के लिए नए रोगाणुरोधी की कमी, सार्वजनिक और पशु स्वास्थ्य के लिए तेजी से बढ़ते खतरे को जन्म दे रही है तथा अप्रत्याशित रोग को वास्तविकता बनने से रोकने के लिए इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा

वन हेल्थ का सिद्धांत : वन हेल्थ का सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (World Organisation for Animal Health) की पहल है । इसका उद्देश्य मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, मिट्टी, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र जैसे विभिन्न विषयों के ज्ञान को कई स्तरों पर साझा करने के लिये प्रोत्साहित करना है, जो सभी प्रजातियों के स्वास्थ्य में सुधार, रक्षा और बचाव के लिये ज़रूरी है ।

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रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण:

  • एंटीबायोटिक का दुरुपयोग एवं अत्यधिक उपयोग ।
  • उपचार, रोकथाम और विकास प्रवर्तक के रूप में एंटीबायोटिक दवाओं का पशुधन और मछली पालन में अत्यधिक उपयोग
  • स्वसीमित संक्रमणों के लिए एंटीबायोटिक का उपयोग
  • उचित अवधि के लिए और उचित खुराक में दवा नहीं लेना :

लोग एंटीबायोटिक कोर्स पूरा करने में विफल रहते हैं। बेहतर महसूस होने पर वे एक या दो दिनों में एंटीबायोटिक लेना बंद कर देते हैं। भीतर, केवल कुछ बैक्टीरिया मर जाते हैं। यही कारण है कि रोगी बेहतर महसूस करता है। रोगी के शरीर में अधिक बैक्टीरिया होते हैं, सभी जीवाणुओं को बाहर निकालने के लिए एंटीबायोटिक कोर्स पूरा होना जरूरी है, यदि कोर्स बंद कर दिया जाता है तो, तो धीमी गति से मरने वाले जीवाणु दो दिनों के बाद जीवित हो जाते हैं और वे उन एंटीबायोटिक का प्रतिरोध हासिल करते हुए वापस आते हैं जिन्होंने उसे मारने की कोशिश की थी

  • मनुष्यों और पशुओं दोनों के लिए स्वच्छ जल और स्वच्छता का अभाव
  • पशु फार्म में स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं एवं बीमारी की रोकथाम और नियंत्रण में कमी
  • अच्छी गुणवत्ता के सस्ती दवाओं के उपयोग में कमी
  • एंटीबायोटिक प्रतिरोध के संबंध में जागरूकता और ज्ञान का अभाव

रोगाणुरोधी प्रतिरोध के प्रभाव को कम करने और प्रसार को सीमित करने के लिए व्यक्तिगत या स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में निम्नलिखित जिम्मेदारी होनी चाहिए:-

  1. व्यक्तिगत रूप में:
  • प्रमाणित स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा निर्धारित किए जाने पर ही एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करें
  • यदि आपका स्वास्थ्य कार्यकर्ता कहता है कि आपको या आपके पशु को एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता नहीं है, तो कभी भी एंटीबायोटिक्स की मांग न करें ।
  • एंटीबायोटिक का उपयोग करते समय हमेशा अपने स्वास्थ्य कार्यकर्ता की सलाह का पालन करें
  • बचे हुए एंटीबायोटिक दवाओं को कभी साझा या उपयोग न करें
  • नियमित रूप से हाथ धोकर, स्वच्छता से भोजन तैयार करके, बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क से बचकर और टीकाकरण से संक्रमणों को रोकें
  1. स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में :
  • वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार, केवल जरूरत पड़ने पर ही एंटीबायोटिक्स लिखें और वितरित करें ।
  • रोगी से बात करें कि एंटीबायोटिक दवाओं को सही तरीके से कैसे लिया जाए, एंटीबायोटिक प्रतिरोध और दुरुपयोग के खतरे के बारे में बताएं
  • संक्रमण को रोकने के बारे में अपने रोगियों से बात करें (उदाहरण के लिए, टीकाकरण, हाथ धोना और छींक आने पर नाक और मुंह ढकना)
  • निगरानी टीमों (Surveillance team) को एंटीबायोटिकप्रतिरोधी संक्रमणों की रिपोर्ट करें ।
  1. पशु चिकित्सक के रूप में
  • केवल पशु चिकित्सक के द्वारा निर्धारित किए जाने पर ही जानवरों को एंटीबायोटिक्स दें ।
  • पशु के विकास को बढ़ावा देने या स्वस्थ पशुओं में बीमारियों को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग न करें
  • एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता को कम करने के लिए पशुओं का टीकाकरण करें
  • पशु और पौधों के स्रोतों से खाद्य पदार्थों के उत्पादन और प्रसंस्करण के सभी चरणों में स्वच्छता बनाए रखें
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