दूध में एंटीबायोटिक्स (प्रतिजैविक पदार्थ) : रासायनिक अवशेषों और उनकी सार्वजनिक स्वास्थ्य का संबंध

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दूध में एंटीबायोटिक्स (प्रतिजैविक पदार्थ) : रासायनिक अवशेषों और उनकी सार्वजनिक स्वास्थ्य का संबंध

डॉ. जीतेन्द्र एम. भुतेड़िया1,  डॉ. परवेज जे. चावड़ा2,  डॉ. योगेन्द्र एच. गढ़वी31, 2 – पशुचिकित्सा अधिकारी, पशुपालन विभाग- गुजरात 3- सहायक, प्राध्यापक- पोलीटेकनिक, खड़सली- सावरकुंडला- कामधेनु विश्वविद्यालय, गुजरात          

दूध उत्पादन पर्यावरण से अविभेद्य जुड़ा हुआ है। पशु उनके उत्पादन चक्र के दौरान एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक) दवाओं और रासायनिक पदार्थों के संपर्क में आते है। एंटीबायोटिक और रसायनों रोगों के इलाज के उद्देश्य से या, कीड़े, कवक और मूषक के नियंत्रण के लिए, सक्षम कृषि उत्पादकता के लिए इस्तेमाल किये जाते है। ये एंटीबायोटिक दवाओं और रसायनों वायु प्रदुषण, चारा, मिट्टी और पानी से जुड़े पर्यावरण के प्रदूषक हैं। उनका अनियंत्रित और अविचारपूर्ण उपयोग की वजह से दूध में अवशेष आने के प्रभावसे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा हैं। एंटीबायोटिक दवाए (प्रतिजैविक पदार्थ) कृमिनाशक दवाए, कवकनाशी, विसंक्रामकर सायनों, नाइट्राईट, माइकोटोक्षिन्स और भारी धातुओं का दूध में याडेयरी उत्पादों में क़ायम रहना अवशेषों के रूप में माना जाता है। एंटीबायोटिक के अवशेष दवाओं की छोटी मात्रा या उनके सक्रिय चयापचयों है।        एंटीबायोटिक दवाओं का मुख्य उपयोग संक्रामक रोग का इलाज और थन के इलाज तथा संक्रमण को रोकने के लिए और विकास के प्रमोटर के रूप में पशुधन उद्योग में किया जाता है। अनधिकृत एंटीबायोटिक का उपयोग इन पदार्थों के अवशेषों दूध और ऊतकों (मांस-तंतु) में हो सकता है। दूध और दूध उत्पादोंमें एंटीबायोटिक दवाओंका एक दिया अवशेषों के स्तर के पार मानव उपभोग के लिए अयोग्य माना जाता है।

मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और खाद्य कृषि संगठन (एफएओ) ने स्वीकार्य दैनिक सेवन और भोजन में अधिकतम अवशेषों सीमा के लिए मानक निर्धारित किया है।

एंटीबायोटिक अवशेषों और अन्य रासायनिक अवशेषोंके लिए कई देशों में डेयरी उद्योग पर नियामक सीमा अधिरोपित किया गया है। जबकि भारत में खास तौर पर पशुओं में इलाज और विकास के प्रवर्तक के रूप में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोगके लिए कोई नियम नहीं है।

दूध में रासायनिक प्रदूषक के स्त्रोत

दूध और डेयरी उत्पादों के अधिकांश रासायनिक प्रदूषक एंटीबायोटिक दवाओं, कृमिनाशक दवाए, पिडकनासी (पेस्टिसाइड्स), विसंक्रामक रसायनों, नाइट्राईट, माइकोटोक्षिन्स और भारी धातुओं है।

  • पशु चिकित्सा दवाओं

डेयरी पशुओं में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जानेवाले सूक्ष्मजीवनिवारकको पांच प्रमुख वर्गों में समूह कर सकते हैं। इनमें बीटा लाक्टाम्स (उदाहरण के लिए पेनिसिलिन और सीफैलोस्पोरीन) टेट्रासाइक्लिन (जैसे ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन, टेट्रासाइक्लिन और क्लोरटेट्रासाइक्लीन), अमीनो ग्लाइकोसाइड (उदाहरण के लिएस्ट्रेप्टोमाइसिन, नियोमाइसिनऔर जेन्टामाईसिन), मॅक्रोलाइड्स (उदाहरण के लिएइरिथ्रोमाइसिन) और सल्फोनामाइड्स (उदाहरण के लिए सल्फामेटाज़ाइन) शामिल हैं।        कृमिनाशक दवाए, ऑक्सीक्लोसानाइड, क्लोज़ान्टाल रीफ़ोकशानाइड आल्बेंडेज़ोल और आइवरमेकटिन जो परजीवियों जैसे कि फ्लुक (चपटेकृमि), सेस्टोड (फीता कृमि), निमेटोड (सूत्रकृमि) और बाह्य परजीवी को दूर करनेके लिए उपयोग की जाति है. जो पशु उत्पादन प्रणालियों में महत्वपूर्ण हैं।        जानवरों को ये दवाएँ कई मार्गों से जैसे कि नसों के रूप में, अंत:पेशीय (इंट्रामस्क्युलर) इंजेक्शन रूप में, मुख द्वारा भोजन और पानी में, स्थानीय त्वचा पर और स्तन तथा गर्भाशय के अंदरदी जाति हैं। ये सभी मार्गसे  दवाओं के अवशेष दूध और डेयरी उत्पादों में प्रतीत होसकते है। दुग्दपान कराने वाली गाय में उपचार के कुछ दिनों के बाद आमतौर पर औसती दवाओं का स्तर दूध में पता चलता है। इसलिये दूध में कुछ दवाओं के लिए अधिकतम अवशेष सीमाएं मानकीकृत किया गया है।2)  कीटनाशकों और परोपजीवी        क्लोरीन युक्त कीटनाशक (डीडीटी, बीएचसी, लिंडेन, डेल्डरिन, ओरगानोफ़ॉसफटे कीटनाशकों (पराथिओन, मेलाथियान) और कार्बमेटजब गाय दूषित चारा सेवन करती है तब दूध और डेयरी उत्पादों में प्रवेश कर सकते हैं।

  • माइकोटॉक्सिन्स
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कुछ कवक उचित तापमान और नमी की स्थिति में जैसे कि जब चारा नम काटा गयाहो, पर्याप्त रूप से सूखा नहीं किया हो, या अनुचित तरीके से संग्रहीत किया हो तब विभिन्न विषाक्त चयापचयों का उत्पादन करते है जिसको माइकोटॉक्सिन्सके रूप में कहा जाता है। ये चयापचयों मानव और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते है। अफ्लोटॉक्सिन्सबी 1 युक्त चारा पशु को खिलाने से अफ्लोटॉक्सिन्सएम 1 (एएफएम1) में परिवर्तित हो जाता है, और यह दूध में निकालता है. गर्मी उपचार जैसे कि पास्‍तुरीकरण से (एएफएम1) की निर्माण की कमी में कोई प्रभाव नहीं पड़ता. एएफएम1 विभिन्न स्तरों के साथ दूषित दूध से बने डेयरी उत्पादों में उपलब्ध हो सकता है।

  • नाइट्रेट और भारी धातुओं

नाइट्रेट और नाइट्राइट रसायन उर्वरक, मूषक को मारने के लिए और खाद्य संरक्षक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, और भारी धातुओं मुख्य रूप से लेड (पीबी) और कैडमियम (सीडी) दूधमें प्रवेश कर सकते हैं और उन दूषित दूध और डेयरी उत्पादों उपभुक्त लोगों के स्वस्थ केलिए हानिकारक हैं।   पशु में विषैले घटक        जानवर में विषैले घटक कई तरह के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं। जैसाके मुख से (उदाहरण के लिए माइकोटॉक्सिन्स, कीटनाशक), त्वचीय (उदाहरण के लिए बाहरी के परजीवी को मारने वाले घटक), आंत्रेतर (उदाहरण के लिए एंटीबायोटिक उपचार), और साँस के द्वारा (शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं से पहले एनेस्थीसिया/ निश्चेतना) द्वारा. संभावित विषालु पदार्थों से दूषित दूध और दूध उत्पाद केसेवन के कारण मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम हैं।        पशु के शरीर में रसायन कई चरणों से निकलते हैं, जैसा के अवशोषण, वितरण, चयापचय और उत्सर्जन, अवशोषण और वितरण विषाक्त घटक के अवशोषण प्रशासन के मार्ग पर निर्भर है। अवशोषण के बाद, विषैले घटक रक्त प्रवाह से पूरे शरीर भर में वितरित होते हैं और अपने मेद घुलनशीलताकी वजह से मेद ऊतकों में संग्रहीत होते हैं।

चयापचय और उत्सर्जन

विषाक्त घटक का चयापचय यकृतमें होता हैं और उन्हें कम विषाक्त और पानी में घुलनशील बनाने के बाद शरीर से उत्सर्जित किया जाता हैं। शरीर से विभिन्न मार्गों से विषैले पदार्थका त्याग किया जाता हैं। गुर्दे रसायन का स्राव के लिए सबसे महत्वपूर्ण अंग है क्योंकि यह मुख्य उत्सर्जन मार्ग है. अन्य महत्वपूर्ण उत्सर्जन मार्ग मल और दूध है। दूधकी रासायनिक संरचना मेदरासायनिक पायसकाजलीय प्रोटीन समाधान है जिसके कारण दूध एक महत्वपूर्ण उत्सर्जन मार्ग है।

जानवर को दवा देना के बाद बिक्री के योग्य उत्पाद (मांस, दूध, अंडे आदि) में दवा के अवशेष एक निर्धारित अधिकतम अवशेषों सीमा (MRL) से नीचे जाने के लिए जो समय की आवश्यकता है, वह दवा का वापसी समय परिभाषित करता हैं।

एंटीबायोटिक दवाओं और दूध में रासायनिक अवशेषों का पता लगाने के तरीके

दूध में दवा के अवशेषों का उचित संकेंद्रण का स्तर अस्पष्टता के बिना विश्वासपूर्वक पता लगाने के लिए,  पुष्टि करने के लिए और परिणाम निर्धारित करने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीके उपलब्ध हैं। इन विधियोंको जैवपरीक्षण  (बायोअसेय) , सूक्ष्म जीव विज्ञान जॉँच, इम्यूनोऐसेय जॉँच और भौतिक, रासायनिक तकनीकमें विभाजित किया गया है।

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सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं

पशु रोगों के उपचार और नियंत्रणमें वर्तमानमें इस्तेमालकी जानेवाली अधिकांश एंटीबायोटिक उच्च मात्रामें भी अपेक्षाकृत विषालु नहीं है। लेकिन कुछ एंटीबायोटिक दवाओंका दूधमें पर्याप्त उच्च सांद्रता (मात्रा) सार्वजनिक लोकस्वास्थ्यके लिए महत्वपूर्ण खतरा है।        दूध में रासायनिक प्रदूषककी उपस्थिति उपभोक्ताओंके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। और यहसार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय की बात है क्योंकि दूध और डेयरी उत्पादों का व्यापक रूप से दुनिया भर में मनुष्यों द्वारा उपभोग किया जाता है।        सार्वजनिक स्वास्थ्य के खतरोंके मुद्दोंको ध्यान में रखते हुए, एक दिया अवशेषों के स्तर के पार एंटीबायोटिक दवाओं और अन्य रसायनोंके साथ दूषित दूध और दूधउत्पादों, मानव उपभोग के लिए अयोग्य माना जाता है।        रासायनिक प्रदूषककी उपस्थिति मनुष्य स्वास्थ्य के लिए औषधीय, विषाक्तता, सूक्ष्मजीवविज्ञान और प्रतिरक्षात्मकके दृष्टिकोणसे जोखिम कारक है।        यह चिंता का विषय मुख्य रूप से एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग इलाज के रूप में और खाने मेंएडिटिव के रूप से है। पशुधन उत्पादन में सूक्ष्मजीवनिवारक का अति प्रयोग मानव और जानवरों में विषाक्तता का कारण है, वे कुछ अवरोधों पैदा कर सकते है जैसे कि अस्थि मज्जा का अविकास (उदाहरण क्लोरमफेनीकोल), और कैसरजन (उदाहरण ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन और फुराजोलिडोन), पेनिसिलिन कम विषाक्तता है, लेकिन उनके सबसे आम प्रतिकूल प्रभाव अतिसंवेदनशीलता प्रतिक्रिया है। निट्रोफुरान्स नाइट्राइट के साथ प्रतिक्रिया कर केनाइट्रोसामीनका उत्पादन करता हैं जो कैसरजन हैं। बेन्जिमीडाजोल्सया उनके चयापचयों भ्रूण विषाक्तता और अपरूपजनन (विकृति – कारक)का कारण बनता है। टेट्रासाइक्लिन बैक्टीरियल प्रतिरोध उत्पन्न कर सकते हैं।        जानवरों के भीतर प्रतिरोधी बैक्टीरिया का उद्भव तथा एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीनों (आर-कारक) का गैर रोगजनक बैक्टीरिया से अन्य जीवाणुओं या मानव रोगजनकोंके प्रतिस्थानांतरण की वजह से व्यापक प्रतिरोध उद्भव होता है।        स्वास्थ्य के खतरों के अलावा दूध में रोगाणुरोधी अवशेषों प्रवर्तकजीवाणुओं की वृद्धिकी गतिविधि के साथ हस्तक्षेप करने के लिए जिम्मेदार हैं। और इसलिए दूध उत्पादों के निर्माण की प्रक्रिया को बाधितकरते है।        कीटनाशकोंका तीव्र और दुर्भावनापूर्ण उपयोग मौतका कारण बन सकता है। जबकि स्थायी छली सेवन कैंसर के खतरे को बढ़ाता है और शरीर की प्रजनन, प्रतिरक्षा, अंत: स्रावी और तंत्रिका तंत्रको विच्छेद करते है।

माइकोटॉक्सिन्सभी दूध और डेयरी उत्पादों में होते है और वे मनुष्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या पैदा कर सकते हैं। दूध में अफ्लोटॉक्सिन्सएम 1 अफ्लोटॉक्सिन्सबी 1 का कैसरजन मेटाबोलाइट है। दूध और डेयरी उत्पादों में अफ्लोटॉक्सिन्सएम 1 लीवर कैंसर के खतरे को बढ़ाता है।

नाइट्रेट या नाइट्राइट का उच्च स्तर के संपर्क से वयस्कों में कैंसर की वृद्धि और बच्चों में संभव ब्रेन ट्यूमर, ल्यूकेमिया, नाक-गलकोषट्यूमर और “ब्लू बेबी सिंड्रोम” (मेथेमोग्लोबिनेमिया) की व्यापकता के साथ संबद्ध किया गया है। भारी धातुओं से स्वास्थ्य निहितार्थ में मस्तिष्क, गुर्दे की क्षति, हृदय रोग, विकास निषेध, हीमोग्लोबिन संश्लेषण में अवरोध और कुछ अवशेषों प्रकृति में कैसरजन शामिल है।

अधिनियम और जोखिम मूल्यांकन

खाद्य पदार्थों में अवैध अवशेषों का अधिनियम एफएसआईएस (खाद्य सुरक्षा एवं निरीक्षण सेवाएं), एफडीए (खाद्य तथा औषधप्रबंधन) और ईपीए (पर्यावरण संरक्षण एजेंसी) का एक सहकारी प्रयास है।        भारत में दूध और दूध उत्पादों और उनके निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करने सहित भोजनकी सामग्री केलिए वैज्ञानिक मानकों की स्थापना के लिए और मानव उपभोग के लिए खाद्य सुरक्षा तथा सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण इंडिया (एफएसएसएआई) स्वास्थ्य मंत्रालय एवं परिवार कल्याण के अधीन खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के द्वारा निर्दिष्ट नियमों के तहत मुख्य नियोग है।        दूध में पशु चिकित्सा अवशेषों से संबंधित जोखिम से बचने के लिए कई देशों में प्रत्येक एंटीबायोटिक दवाओं और रासायनिक एजेंट के लिए अधिकतम अवशेषों सीमा (MRLs) स्थापित किया गया है।        पशु चिकित्सा थेरेपी (आमतौर पर 72-96 घंटे) के बाद कोई अवशेषों जारी ना हो वह सुनिश्चित करने के लिए दूध बिक्री को एक विशिष्ट अवधि के लिए रोक लगाई जाति है। भारतीय नियमों के अनुसार कुछ आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाली एंटीबायोटिक दवाओं और रासायनिक अवशेषों के लिए MRLs (अधिकतम अवशेष स्तर).

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क्र.सं. औषध / रसायन सांद्रता(माइक्रोग्राम /किलोग्राम)
1. बेन्जिलपेनिसिलीन 4
2. ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन 100-200
3. टेट्रासाइक्लिन 100
4. लिन्कोमाईसिन 150
5. ट्राइमेथोप्रिम 50
6. सीफ्टीओफर 100
7. स्ट्रेप्टोमाईसिन; 200-1000
8. सल्फोनामाइड्स; 100
9. आमोक्शिसिल्लिं 4
10. नियोमाइसिन 1500
11. आक्सफेन्डाजोल; 10
12. डाईमीनाज़ीन; 150
13. फेनबेन्डाजोल; 100
14. आइवर्मेक्टिन 10
15. इमिदोकारब 50
16. साईपर्मेथ्रिन 100
17. अफलटोक्षिन M 1 0.5
18. डीडीटी 1.5 (मेदआधार पर)
19. एल्ड्रिन- डाईएल्ड्रिन 0.0074-0.0271 (मेदआधार पर)
20. एच०सी०एच० हेक्साक्लोरोसाइक्लोहेक्सेन 0.094 (मेदआधार पर)

प्रक्रिया के साथ जुड़े खतरों की पहचान करने के लिए और उत्पादन की प्रक्रिया में स्वीकार्य सीमा निर्धारित करने के लिए गुणवत्ता प्रबंधन कार्यक्रम एचएसीसीपी है। 

भारतीय परिदृश्य में एंटीबायोटिक दवाओं और रासायनिक अवशेषों की रोक थाम के लिए संभव रणनीतियों

दूध और डेयरी उत्पादों में रासायनिक प्रदूषक पर्यावरण प्रदूषण, अविवेकी पशु चिकित्सा सेवा, एंटीबायोटिक दवाओं का दुरुपयोग, कीटनाशक और जैविक विषाक्त पदार्थोंका अनियंत्रित उपयोग और जानवरों द्वारा जैविक विषाक्त पदार्थों का अंतर्ग्रहण से आते हैं। दूध और डेयरी उत्पादों से रासायनिक प्रदूषक को पूरी तरह से रोका या हटाया नहीं जा सकता हैं। हालांकि खाद्य सुरक्षा और नियामक कानूनों के कार्यान्वयन से दूध और डेयरी उत्पादों में रासायनिक अवशेषों को कम कर सकते हैं।दूध में अवशेषों को रोकने के लिए संभव रणनीतियों है: –

1)पशु फार्म में अच्छे स्वास्थ्य और प्रबंधन के तरीकों से पशुधन के बीच बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता हैं, जो जीवाणुरोधी उपयोग की आवश्यकता को कम कर सकता है।

2)  एंटीबायोटिक विकास प्रमोटर के विकल्प जैसे प्रोबायोटिक सूक्ष्मजीवों, प्रतिरक्षा अधिमिश्रक, कार्बनिक अम्ल और अन्य चारा की खुराकका उपयोग करना चाहिए।

3)  पशु चिकित्सा क्षेत्र में पशु चिकित्सक की पर्ची के बिना एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग से बचें।

4)  जानवरों की दवा वापसी की अवधि पर डेयरी मालिकों को शिक्षित करे।

5)  दूध में रोगाणुरोधी अवशेषों का पता लगाने के लिए तेजी से परीक्षण करनेवाले जांच का विकास और पुष्टिकरण।

6)  पशुओं में जीवाणुरोधी के उपयोग की निगरानी के लिए उपयोग नीति की स्थापन।

7)  मानव और पर्यावरण के लिए जीवाणुरोधी दवा अवशेषों की जोखिम मूल्यांकन के लिए पशु चिकित्सा औषधि के लिए फामार्कोविजिलेंस कार्यक्रम विकसित किया जाना चाहिए।

8)  पशुधन क्षेत्र में अनावश्यक रसायनों के प्रयोग से बचने के लिए सख्त राष्ट्रीय कानून पारित करने चाहिए।

9)  एंटीबायोटिक, कीटनाशकोंआदि रसायन के उपयोग पर मानकों को स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय रासायनिक अवशेषों के नियंत्रण और निगरानी कार्यक्रम डिजाइन किया जाना चाहिए।

10) दूध और डेयरी उत्पादों में रासायनिक प्रदूषकको कम करने के लिए किसानों और कर्मचारी वर्ग को अच्छा विनिर्माण प्रथाओं और निगरानी के बारे में प्रशिक्षण उपयोगी हो सकता है।

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