पशु चिकित्सा में एंटीबायोटिक प्रतिरोध: एक गंभीर चुनौती

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पशु चिकित्सा में एंटीबायोटिक प्रतिरोध: एक गंभीर चुनौती

Dr. Vijay and Dr. Deepak

  1. PhD, Department of Veterinary Microbiology, LUVAS, Hisar
  2. MVSC, Department of Animal Genetics and Breeding. LUVAS, Hisar

एंटीबायोटिक प्रतिरोध आज के समय में चिकित्सा जगत के सामने एक बढ़ती हुई चुनौती है, और यह केवल मानव चिकित्सा तक सीमित नहीं है। पशु चिकित्सा में भी एंटीबायोटिक प्रतिरोध की समस्या तेजी से उभर रही है। इस लेख में हम पशु चिकित्सा में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारणों, प्रभावों और इससे निपटने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

एंटीबायोटिक प्रतिरोध क्या है?: एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है जब बैक्टीरिया उन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं जो पहले उन्हें मारने में सक्षम थे। इसका परिणाम यह होता है कि संक्रमणों का इलाज करना कठिन और कभीकभी असंभव हो जाता है। यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई तो एंटीबायोटिक दवाओं के बिना हमारा भविष्य खतरे में पड़ जाएगा, इसके अभाव में बैक्टीरिया का पूरी तरह से उपचार संभव नहीं होगा और वे अधिक प्रतिरोधी बन जाएंगे तथा आम संक्रमण मामूली समस्याएँ भी खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।

पशु चिकित्सा में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण: पशु चिकित्सा में एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कई कारण हैं:

  1. अत्यधिक और अनुचित उपयोग: पशुओं में बीमारियों के इलाज और विकास को बढ़ावा देने के लिए अक्सर एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक और अनुचित उपयोग किया जाता है।
  2. गलत खुराक और उपचार की अवधि: अनुचित खुराक या उपचार की अवधि का सही से पालन करना भी प्रतिरोध को बढ़ावा देता है।
  3. खाद्य श्रृंखला के माध्यम से प्रसार: पशुओं के मांस और दूध के माध्यम से एंटीबायोटिकप्रतिरोधी बैक्टीरिया मानव खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं।
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प्रतिरोध के प्रभाव

एंटीबायोटिक प्रतिरोध के प्रभाव गंभीर हो सकते हैं:

  1. इलाज में कठिनाई: प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण संक्रमणों का इलाज कठिन हो जाता है।
  2. बढ़ती मृत्यु दर: प्रतिरोधी संक्रमणों के कारण पशुओं की मृत्यु दर बढ़ सकती है।
  3. आर्थिक नुकसान: पशुओं की बढ़ती मृत्यु दर और इलाज की बढ़ती लागत के कारण पशुपालकों को आर्थिक नुकसान होता है।
  4. नई एंटीबायोटिक दवाओं को अपर्याप्त प्रोत्साहन: मुख्य रूप से इन दवाओं के विकास और उत्पादन को अपर्याप्त प्रोत्साहन के कारण विगत तीन दशकों में एंटीबायोटिक दवाओं का कोई भी नया विकल्प बाज़ार में उपलब्ध नहीं हो पाया है।

निपटने के उपाय: एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  1. सटीक निदान: पशुओं में बीमारी का सटीक निदान सुनिश्चित करना और केवल आवश्यक होने पर ही एंटीबायोटिक्स का उपयोग करना।
  2. खुराक का सही प्रबंधन: एंटीबायोटिक्स की सही खुराक और उपचार की अवधि का सख्ती से पालन करना।
  3. वैकल्पिक उपचार: जहां संभव हो, एंटीबायोटिक्स के वैकल्पिक उपचारों का प्रयोग करना।
  4. जागरूकता और शिक्षा: पशुपालकों और पशु चिकित्सकों को एंटीबायोटिक प्रतिरोध के बारे में शिक्षित करना। हाल ही में पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने विश्व रोगाणुरोधी जागरूकता सप्ताह के दौरान एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस सप्ताह का मुख्य उद्देश्यजागरूकता फैलाओ, प्रतिरोध रोकोथा, जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन और विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन ने सहयोग लिया था। और अभी हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय कलर अभियान के माध्यम से AMR के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ‘गो ब्लू’ शुरू किया गया है जिसका मकसद लोगों को AMR की गंभीरता से अवगत कराना और इसके प्रति सजग करना है।
  5. निगरानी और रिपोर्टिंग: प्रतिरोधी संक्रमणों की निगरानी और उनकी रिपोर्टिंग करना।
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निष्कर्ष: पशु चिकित्सा में एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक गंभीर समस्या है जिसका समाधान करने की आवश्यकता है। सही निदान, उपचार, और प्रबंधन के माध्यम से इस समस्या को कम किया जा सकता है। पशुपालकों, पशु चिकित्सकों, और सरकारी नीति निर्माताओं को मिलकर इस दिशा में काम करने की जरूरत है ताकि पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सके और मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों को रोका जा सके।

 

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