अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिये-भाग 2
डॉ संजीव कुमार वर्मा
प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ
बछिया के जन्म से लेकर तीन महीने की उम्र तक का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। बच्चा मां के पेट से बाहर निकल कर नए वातावरण में आता है तो उसे भांति भांति के तनावों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में पोषण और प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
पैदा होने के तुरंत बाद उसे माँ का दूध जिसे खीस भी कहते हैं, पिलाया जाना बहुत आवश्यक होता है। जन्म के पहले चार घन्टे के दौरान पिलाया गया खीस नवजात बछिया को बीमारियों से लड़ने की विशेष शक्ति प्रदान करता है। इसलिए इसे अमृत तुल्य कहा गया है।
खीस में ऐसा क्या है जो इसे अमृत तुल्य बनाता है?
खीस में एक विशेष प्रकार की प्रोटीन होती है जिसे इम्युनोग्लोबुलिन्स कहते हैं। इम्युनोग्लोबुलिन्स भी तीन तरह के होते हैं। ये वह सिपाही हैं जो बछिया के ऊपर किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया या वायरस के अटैक के समय लड़ते हैं और बछिया की उन तमाम बीमारियों से रक्षा करते हैं।
खीस में 70 से 80 प्रतिशत इम्युनोग्लोबुलिन ‘जी’ होती हैं जो शरीर में प्रवेश करने वाले किसी भी रोगकारक को नष्ट कर देती हैं।
खीस में 10 से 15 प्रतिशत तक इम्युनोग्लोबुलिन ‘एम’ होती हैं। यह सैप्टिक फैलाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करती है।
खीस में 15 प्रतिशत तक इम्युनोग्लोबुलिन ‘ए’ होती है जो बछिया के आंतों में चढ़े सुरक्षा कवच ‘म्यूकोसा’ को बचाती हैं और किसी भी रोगकारक के सामने ढाल बनकर खड़ी हो जाती है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जन्म के पहले चार घण्टों में इन इम्युनोग्लोबुलिन्स का बछिया की आंतों में अवशोषण सबसे ज्यादा होता है। जैसे जैसे समय बीतता जाता है आंतों की इनको अवशोषित करने की क्षमता घटती जाती है।
इसलिए यह देखा गया है कि जिन बछियों को जन्म के पहले चार घण्टों के अंदर खीस नहीं मिलता है उनके अंदर रोग ज्यादा लगते हैं और उन बछियों में मृत्युदर भी अपेक्षाकृत अधिक होती है।
खीस में इन इम्युनोग्लोबुलिन्स के अलावा प्रोटीन, विभिन्न विटामिन्स, मिनरल्स, ऊर्जा प्रदान करने वाले लैक्टोज और फैट होते हैं। इसके अतिरिक्त खीस में कुछ मात्रा में इन्सुलिन हॉर्मोन और अन्य ग्रोथ फैक्टर (आईजीएफ-1) होते हैं जो बछिया को ऊर्जा प्रदान करते हैं और उसकी बढ़वार में सहायक होते हैं।
बछिया के जन्म से लेकर अगले 24 घन्टे के दौरान गाय से निकलने वाले दूध को खीस कहते हैं और 24 से 72 घण्टों के बीच निकलने वाले दूध को ट्रांजिशन मिल्क कहते हैं। खीस और ट्रांजिशन मिल्क का संगठन सामान्य दूध से अलग होता है। बहत्तर घण्टों के बाद निकलने वाले दूध का संगठन बदल जाता है और इसे सामान्य दूध कहते हैं। इस सामान्य दूध को ही बिक्री किया जाता है।
कल बात करेंगे कि खीस की और क्या विशेषताएं होती हैं और नवजात बछिया को कितना खीस पिलाना चाहिए?
क्रमश: