अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिये – भाग 7
आपकी औसर अब दो साल की हो चुकी है। उसका वजन 260 किलोग्राम हो चुका है और उसके जननांग भी पूर्ण विकसित हो चुके हैं। वह प्रथम हीट के लक्षण भी दिखा रही है मगर आपको यह हीट छोड़ देनी है।
गाय का ऋतुचक्र सामान्यतः 21 दिन का होता है मगर इसकी रेंज 18 से 24 दिन होती है। नियत समय पर गाय फिर से हीट में आती है तो आपको दूसरी हीट भी छोड़ देनी है और तीसरी हीट का इंतजार करना है।
इस दौरान उसे 16 किलोग्राम हरा चारा, 1 किलोग्राम भूसा और ढाई किलोग्राम रातिब मिश्रण देते रहना है। मगर अब रातिब मिश्रण में क्रूड प्रोटीन की मात्रा 16 प्रतिशत भी पर्याप्त होगी।
ऐसा मान लीजिये कि दो साल पौने तीन महीने की उम्र होने पर उसने तीसरी हीट के लक्षण दिखाए तो अब उसे गाभिन कराने का सही समय आ गया है।
किसी अच्छे कृत्रिम गर्भाधान कर्ता की मदद से उसे अच्छी पेडिग्री वाले साँड़ के वीर्य से ही गाभिन करवाना है। कृत्रिम गर्भाधान होने के बाद औसर को किसी भी तरह के स्ट्रेस में नहीं आने देना है।
अब उसके अंदर दो चीजें एक साथ चलेंगी। एक तो उसकी खुद की वृद्धि हो रही होगी। दूसरे उसके अंदर एक नया जीवन भी पनपने लगेगा। गर्भाधान के प्रथम 6 माह तक किसी अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता नहीं है।
अब औसर की उम्र 33 महीने है और इस दौरान उसका वजन बढ़कर 350 किलोग्राम हो चुका है। अब उसे कुछ अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता है गर्भ की उचित बढ़वार के लिए।
34 वें महीने (गर्भकाल के सातवें महीने) में उसे 16 किलोग्राम हरा चारा, 1 किलोग्राम भूसा और 3 किलोग्राम 16 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला रातिब मिश्रण प्रतिदिन देंगे।
35 वें महीने (गर्भकाल के आठवें महीने) में उसे 16 किलोग्राम हरा चारा, 1 किलोग्राम भूसा और साढ़े तीन किलोग्राम 16 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला रातिब मिश्रण प्रतिदिन देंगे।
36 वें महीने (गर्भकाल के नौवे महीने) में उसे 16 किलोग्राम हरा चारा, 1 किलोग्राम भूसा और चार किलोग्राम 16 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला रातिब मिश्रण प्रतिदिन देंगे।
16 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन वाला 100 किलोग्राम रातिब मिश्रण बनाने के लिए मक्का 40 किलोग्राम, गेहूँ का चोकर 40 किलोग्राम, सरसों की खली 17 किलोग्राम, अच्छी गुणवत्ता का विटामिन मिनरल मिक्सचर 2 किलोग्राम और साधारण नमक 1 किलोग्राम को भली भांति मिलाने की आवश्यकता होगी।
छत्तीस महीने पूरे होते होते आपकी गाय लगभग 4 कुंतल की हो चुकी होगी और अब एक नए जीवन को जन्म देगी। चूंकि इसकी खिलाई पिलाई संतोषजनक हुई है इसलिए यह जो बच्चा देगी उसका वजन भी 25 से 30 किलोग्राम के बीच होना चाहिए। आपके घर में बछिया और बछड़ा आने की सम्भावनाएं आधी आधी हैं। अगर बछिया आई तो आपके चेहरे पर मुस्कान आना भी निश्चित है और अगर बछड़ा आया तो भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है। यही बछड़ा बड़ा होकर गोवंश को आगे बढ़ाएगा। वीर्यदान करने के लिए विकी डोनर भी तो चाहिए कि नहीं!!! अगर बछड़ा हुआ तो उस बछड़े का भी उतना ही ध्यान रखना है जितना बछिया का रखते होंगे। अगर सभी बछड़े मर गए या यूँ कहिए कि मार दिए गए तो विकी डोनर कौन बनेगा? जब विकी डोनर समाप्त हो जाएंगे तो क्या वीर्य के लिए विदेशों पर निर्भर रहोगे? नहीं। हमें स्वयं ही सक्षम बनना होगा।
आज के लिए बस इतना ही। कल बात करेंगे दुधारू गाय के पोषण की।
क्रमशः
डॉ संजीव कुमार वर्मा
प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)
केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ