“औषधीय पौधे” घाव के लिए वरदान

0
186

 “औषधीय पौधे” घाव के लिए वरदान

डॉ धर्मेन्द्र कुमार, प्रियंका श्रीवास्तव  

कॉलेज ऑफ वेटेरिनरी साइंस एंड एनिमल हसबेंडरी,  रीवा (म.प्र.)

इस अंधाधुन्द आबादी के साथ बढती हुई अट्टालिकाओ के कारण हरियाली इस तरह से लुप्त हो गयी है, जैसे कि मृत प्राय नदी | मृत होती नदियों के जड़ में अगर हम जाएँ तो हम पायेंगे की ये पेड़ों के अंधाधुन्द कटाई ओर प्रगति के लिए मनुष्यों के अँधी – दौड़ के कारण  हुआ  है | संतुलित पर्यावरण जीवन की जननी कहलाती है | अगर हम अपने वादिक परम्परा के ओर निहारें तो हम पायेंगे की प्रकृति हमें स्वस्थ रखती है ओर किसी भी कारण अगर हम अस्वस्थ हो जाये तो इस प्रकृति में असंख्य ऐसी वस्तुऐ है जो हमें पुनः स्वस्थ कर देंगी | पौधे प्रकृति का एक अभिन्न अंग है ओर ये अपने में असंख्य खूबियाँ समाए हुए है ओर प्रकृति हम मनुष्यों से सिर्फ इतना चाहती है की हम इन्हें संजो कर रखे | कालांतर में अगर हम देखे तो हम पायेंगे कि हमारे पूर्वज इन पौधों को सहेज कर रखते थे एवं इनके सभी गुणों का वे अपने जीवन के हर कदम में उपयोग करते थे | ये पौधे औषधियों का एक खजाना है ओर हमारे पूर्वजों को ये भली भांति पता था | हालाँकि प्रगति के लालसा में हमने इन सभी गुणों को छोड़ आधुनिक चिकित्सा पद्धति को अपना लिया, ओर हमारी विरासत को लगभग भुला दिया हैं | आज भी ये ज्ञान चंद जनजातियों या कबीलों के पास संगृहीत है | आज घाव के लिए हम मलहम एवं एंटीबायोटिक्स का धड़ल्ले से उपयोग करते हैं ओर अपनी प्राचीन पद्धतियों को भुला देते हैं | आज हम कुछ पौधों के बारे में बात करेंगे जो घाव के उपचार हेतु रामवाण हैं,

औषधीय पौधे

  1. कुकरोंधा–  कुकरोंधा का वानस्पतिक नाम ब्लूमिया लैसरा  है | यह देश के सभी प्रान्त में बहुतायत में मिलता है | यह छोटा सा पौधा होता है एवं इनके पत्ते चौड़ाई लिए हुए होता है | इस पौधे में कपूर जैसी गंध आती है | यह बुखार , बवासीर  एवं घाव भरने में प्रयोग में आता है | चोट लगने पर अगर इसके पत्तों को पीसकर लगाया जाए तो यह बहुत ही लाभकारी होती है | डॉ कुमार ने इसपर शोध किया एवं पाया की पुराना से पुराना घाव को जड़ से मिटाने में यह प्रयुक्त होता है |
  2. गेंदा-  गेंदा देश के हर कोने में बहुतायत में मिलता है | अंग्रेजी में इसको मेरी गोल्ड  या कैलेंडुला ओफ्फिसिनालिस भी कहते हैं | इनमें पीले रंग का फूल होता है | इनकी पत्तियां छोटी- छोटी हरे रंग की होती है | यह जितना ही सुन्दर होता है उतना ही औषधिय गुण लिए हुए होता है | इसका रस कान के दर्द में बहुत ही फायदेमंद होता है | मोच आने पर या घाव लगने पर इनके पत्तियों के पीस कर लगाने से ये इनको ठीक कर देता है | इनके पत्तों का रस घाव में नए रक्त धमनियों को बनाने में काम आता है |
  3. एलोवेरा (घृत कुमारी) – घृत कुमारी भारत के हर प्रान्त ओर नगर में बहुतायत में पाई जाने वाली एक बहुमुल्य औषधी है | इसको ग्वार पाठा, घीग्वार या घीक्वार भी कहते हैं| एलोवेरा का पौधा छोटा होता है | इसका पत्ता मोटा ओर गुदादार और आगे से नुकीला होता है | इसमें फूल के दंड निकलते हैं जो की पत्तो के बीच में होता है ओर इसमें लाल एवं पीले रंग के फूल निकलते हैं | इसका उपयोग कान के दर्द, आँख के विकार, सर दर्द, सर्दी जुकाम, तिल्ली की बिमारी, पेट की बिमारी, पाइल्स, पीलिया, मूत्र रोग इत्यादि में की जाती है | घाव में ये अत्यंत ही फायदेमंद है | इसके पत्तों को बीच से चीरकर गुदा  निकाल कर अगर घाव पर लगाया जाए तो १०-१५  दिन के अन्दर बड़े बड़े  घाव सुख जाते हैं |अगर कहीं गाँठ  है तो हरड के पत्तो के साथ बांध कर लगाने से ये गाँठ से छुटकारा देता है |
  4. घमरा– घमरा एक खरपतवार है | ये भारत के हर भाग में घर के अगल बगल में बहुतायत में पायी जाती है | यह एक औषधिय पौधा है और गुण से भरपूर है | इसको भृंगराज भी कहते हैं | यह एक झाडनुमा छोटा सफ़ेद फूलों वाला सड़क के किनारे बहुतायत में मिलने वाला पौधा है | इसका उपयोग आयुर्वेद में बालों के समस्याओं को ठीक करने में आता है | इसके पत्तों को पीसकर लगाने से  रक्त प्रवाह बंद हो जाता है ओर इसके पेस्ट को लगाने से बड़ा से बड़ा घाव भी अति शीघ्र ठीक हो जाता है |
  5. हल्दी– यह भारत के हर घर में मसालों के तरह प्रयोग में लाया जाता है | यह त्वचा के लिए बहुमूल्य औषधी है | यह एक एंटीबायोटिक है ओर घाव पर लगाने से यह घाव को अति शीघ्र ठीक कर देता है |
  6. अनार– वैसे तो अनार खाने में प्रयुक्त होता है पर इसका १० % रस जले कटे ओर बड़े घाव को ठीक करने में अत्यंत ही सहायक है | यह घाव के ठीक होने की प्रक्रिया की इकाई जैसे धमनी, या रेसो के विकास को बढ़ा देता है |
  7. नीम– नीम एक एंटीबायोटिक है इसका मिश्रण अगर हल्दी के साथ किया जाए तो ये बड़े से बडा घाव को १०-१५ दिन में सुखा देता है | इसका एक फायदा यह है की ये भारतवर्ष के हरेक प्रान्त में बहुतायत में उपलब्ध है ओर इसके पत्तों को अगर हम पीस लें ओर घाव पर लगायें तो ये घाव के भरने के प्रक्रिया को बढा देता है |
READ MORE :  पशुओं में प्राथमिक एवं घरेलु उपचार

अगर हमारे पशुपालक भाई इन पौधों को अपने रोज मर्रा के जीवन में प्रयोग में लायेंगे तो  बिना किसी आर्थिक हानी के वो अपने पशुओं ओर खुद के घाव का सरल एवं उत्तम उपाय कर सकते हैं | प्रकृति में ये आसानी से मिल जायेंगे ओर किसी हाकिम या बैध की जरुरत नहीं पड़ेगी ||

 

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON