गायों में कृत्रिम गर्भधारण

0
633

गायों में कृत्रिम गर्भधारण

प्रसन्न पाल*, सोनिका ग्रेवाल*, ज्योतिमाला साहू** एवं अंजली अग्रवाल*
*पशु शरीर-क्रिया विज्ञान विभाग, भा.कृ.अनु.प.- राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान
**पशुधन उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग, भा.कृ.अनु.प.- राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान

आज के समय में किसी भी डेयरी फार्म की सफलता, उन्नत दूध उत्पादन करने वाले पशुओं के ऊपर निर्भर करता है I जब किसी मादा को श्रेष्ठ श्रेणी के नर के साथ प्रजनन कराया जाए तभी श्रेष्ठ श्रेणी के पशु उत्पन्न हो सकते हैं I देशी पशुओं के प्रजनन प्रबंधन को अधिक सफल बनाने के लिए कृत्रिम गर्भधारण प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है I यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें नर पशु से वीर्य को एकत्रित करके मादा पशु के गर्भाशय में कृत्रिम रूप से डाला जाता है I भारत में पहला कृत्रिम गर्भधारण संपत कुमारन के द्वारा 1939 में मैसूर डेरी फॉर्म में सफलतापूर्वक किया गया था I
मद काल के लक्षण:

हमें यह जानने की आवश्यकता है कि पशु किस समय मद में आते हैं और पशुओं के मद में आने पर क्या-क्या लक्षण दिखाई देते हैं I क्योंकि पशु की मदस्थिति सही समय पर ना पहचानने एवं मद रहित पशु को कृत्रिम गर्भाधान करने से पशु गर्भित नहीं हो पाता और यह स्थिति पूरे समूह की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है I उचित रूप से कृत्रिम गर्भधारण करने के लिए पशु पालकों को मद के लक्षण सही समय पर पहचाना अति आवश्यक है I इसीलिए मद के लक्षणों के लिए दुधारू पशुओं को विशेषज्ञ कर्मियों के द्वारा कम से कम प्रतिदिन तीन बार 8 घंटों के अंतराल पर जांच करवानी चाहिए एवं सही समय पर ही प्रजनन करवाना चाहिए I जब पशु मदकाल में होता है तो उसके संपूर्ण शरीर में विशेष प्रकार के परिवर्तन होते हैं जैसे-

READ MORE :  पशुपालकों के लिए पशुपालन कार्यों का माहवार कैलेंडर

 तेज आवाज में रंभाना
 बेचैनी बढ़ना
 चारा कम खाना
 बार-बार मूत्र का त्याग करना
 श्लेष्मा झिल्ली का लाल होना
 पशु के शरीर का तापमान बढ़ना
 पशु की योनि से तरल पारदर्शी स्राव का निकलना
 पशु का दूसरे पशु को अपने ऊपर चढ़ने देना
 पशु का अधिक चौकन्ना होना
 दुधारू पशुओं में दूध उत्पादन की कमी होना
गायों की मदकाल की अवस्था में आने के 12 घंटे बाद ही कृत्रिम गर्भाधान करवाना चाहिए I अगर पशु प्रात काल में मद में आता है तो कृत्रिम गर्भधारण दोपहर के बाद करना चाहिए और इसी प्रकार अगर दोपहर में आता है तो अगले दिन कृत्रिम गर्भधारण करना चाहिए I

योनि से तरल पारदर्शी स्राव का निकलना

कृत्रिम गर्भधारण की प्रक्रिया:

पशुओं का कृत्रिम गर्भधारण विशेषज्ञ कर्मियों अथवा पशु चिकित्सक के द्वारा ही करवाना चाहिए I सर्वप्रथम वीर्य को 35 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड पर 40 सेकंड के लिए द्रवित करना चाहिए I पशु को सही ढंग से नियंत्रित करें जिससे कि वह तनावपूर्ण स्थिति में ना रहे I कृत्रिम गर्भधारण करने से पहले विशेषज्ञ व्यक्ति को हाथों में दस्ताने पहनने चाहिए I पशु की पूंछ को ऊपर उठी हुई स्थिति में रखते हुए उसके मलाशय को पूर्ण रूप से खाली कर देते हैं I उसके उपरांत वीर्य से भरी हुई कृत्रिम गर्भधारण बंदूक को योनि में डाल देना चाहिए I गर्भाशय ग्रीवा को मलद्वार के रास्ते हाथ से पहले महसूस किया जाता है और फिर कृत्रिम गर्भधारण बंदूक की नोक को गर्भाशय ग्रीवा से गुजार कर बंदूक की पिस्टन को आराम से दबाते हुए वीर्य को गर्भाशय में डाला जाता है I

READ MORE :  Endocrine Regulation of Oestrus Cycle in Bovine

कृत्रिम गर्भधारण के लाभ:

 सांडों को पालने की आवश्यकता नहीं होती
 सांड की मृत्यु के बाद भी उसका वीर्य उपयोग किया जा सकता है
 रोग रहित उन्नत गुणवत्ता वाले सांडों का वीर्य प्रयोग करके मादा को नर द्वारा फैलने वाले यौन रोगों से बचाया जा सकता है
 एक सांड के वीर्य से हजारों गायों को एक ही बार में गर्भ धारण कराया जा सकता है जो कि प्राकृतिक रूप से असंभव है
 कृत्रिम गर्भधारण दूरदराज के इलाकों में भी किया जा सकता है उसके लिए सांड को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने की आवश्यकता नहीं है
 उत्तम गुणों वाला सांड अगर चोटिल हो जाए तो भी कृत्रिम गर्भधारण विधि द्वारा सांड का वीर्य प्रयोग किया जा सकता है
 कृत्रिम गर्भधारण विधि द्वारा संकर प्रजाति तैयार की जा सकती है

कृत्रिम गर्भधारण:

कृत्रिम गर्भधारण विधि की सीमाएं
कृत्रिम गर्भधारण के अनेक लाभ होने के बावजूद भी इस विधि की कुछ सीमाएं हैं जो इस प्रकार हैं
 कृत्रिम गर्भधारण के लिए विशेष प्रकार के उपकरण और विशेषज्ञ व्यक्ति की आवश्यकता होती है
 कृत्रिम गर्भधारण में प्रयोग किए जाने वाले उपकरण अगर सही ढंग से कीटाणु रहित ना किए जाए तो बीमारी आसानी से फैल सकती है और गर्भधारण दर में कमी आ सकती है
 कृत्रिम गर्भधारण करने के लिए व्यक्ति को पूर्ण रूप से मादा के प्रजनन संबंधी क्षेत्र की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए अन्यथा वह पशु की प्रजनन क्षमता को नुकसान भी कर सकता है
कृत्रिम गर्भधारण द्वारा गर्भधारण दर बढ़ाने के लिए कुछ सुझाव
 मद के लक्षणों को सही समय पर पहचाने और सही समय पर गर्भाधान कराएं
 गर्मी से पशु को बचाने का उचित प्रबंध करें
 खान-पान का ध्यान रखें
 खनिज लवण आदि पशु को दें
 बीमारियों से पशुओं का बचाव करें
 यदि पशु का गर्भपात हो गया हो तो उसे तीन से चार महीने गाभिन न करवाएं तथा उसकी पशु चिकित्सक से जांच कराएं
 अप्रशिक्षित व्यक्ति से कभी भी कृत्रिम गर्भाधान न करवाएं

READ MORE :    Management of Summer Sub-Fertility in Buffaloes

निष्कर्ष:

कृत्रिम गर्भधारण एक सरल एवं किफायती तकनीक है I इस तकनीक से अच्छे आनुवंशिक योग्यता वाले बछड़े पाने में मदद मिलती है I अंततः यह तकनीक पशुओं से दूध उत्पादन बढ़ाने में मददगार साबित होगी I जैसा कि उपरोक्त लेख में बताया गया है कि इस तकनीकी में सांड की आवश्यकता नहीं होती इसलिए सांड पालन की लागत भी बच जाती है और सभी प्रकार की श्रेणी के किसान इस तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं और लाभ उठा सकते हैं I

कृत्रिम-गर्भाधान-पशुओं-में-नस्ल-सुधार

गायों में कृत्रिम गर्भधारण

गायों में कृत्रिम गर्भधारण-2

गायों में कृत्रिम गर्भधारण-3

गायों में कृत्रिम गर्भधारण-4

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON