ब्रॉयलर मुर्गियों में एसाईटिस (Ascites) की समस्या और उसका समाधान

0
1353

ब्रॉयलर मुर्गियों में एसाईटिस (Ascites) की समस्या और उसका समाधान

 

Dr. Ibne Ali
Livestock and Poultry Consultant
New Delhi

एसाईटिस (Ascites) एक ऐसी बीमारी है जो पोल्ट्री व्यवसाय के लिए सर दर्द बनी हुई है| यह कोई एक बीमारी नहीं है बल्कि कई बीमारियों का संगलन है जिसमे पक्षी के पेट में पीले रंग का द्रव्य (fluid) जमा हो जाता है और अचानक से मोर्टेलिटी (Sudden Death Syndrome) बहुत बढ़ जाती है| इस बीमारी से होने वाले नुकसान बहुत व्यापक हैं जिसमे आम तौर पर 4% तक या कभी कभी उससे भी अधिक मोर्टेलिटी संभव है| इस बीमारी में अच्छे खासे बढ़ते हुए ब्रॉयलर पक्षी अचानक से मरने लगते हैं और फार्म में जहाँ तहां मरे हुए पाए जाते हैं| पहले से उनमे बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ते| इस बीमारी में पेट में पानी का मिलना हमेशा ज़रूरी नहीं होता कई बार बिना पानी भरे भी अचानक से मृत्यु हो जाती है जिसे sudden death syndrome कहते हैं| इसमें पक्षियों के मरने से तो नुक्सान होता ही है साथ साथ बढ़वार के रुकने से भी FCR काफी बढ़ जाता है| जैसे जैसे सर्दियाँ आती जाती हैं एसाईटिस की प्रॉब्लम बढती चली जाती है और रोज़ाना 40-50 की मोर्टेलिटी आम बात हो जाती है ऐसे में इसे समझ के उपयुक्त कदम उठाना नुकसान रोकने के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है|
आइये देखते हैं ऐसा क्यों होता है ?
ब्रॉयलर मुर्गा मांस के लिए बनाया गया है इसकी मांस उत्पादन करने की अनुवांशिक क्षमता बहुत अधिक होती है| 40 ग्राम का एक चूज़ा मात्र 40 दिनों में सवा दो किलो का हो जाता हैं| जैसा कि इस चित्र में दर्शाया गया है कि पहले 56 दिनों में मुर्गे का वज़न मात्र 900 के करीब होता था परन्तु आज उतने ही समय में सवा चार किलो तक हो जाता है| इसीलिए इन्हें अत्यंत अच्छी गुणवत्ता वाले दाने की आवश्यकता होती है जिसमे उर्जा और प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है| इनमे मांस तो बहुत तेज़ी से बढ़ता है पर अन्य महत्वपूर्ण अंग जैसे दिल (heart), फेफड़े (lungs) आदि उतनी तेज़ी से नहीं बढ़ पाते जिस वजह से वे बढ़ते शरीर ऑक्सीजन आपूर्ति में इतने सक्षम नहीं होते और अपनी क्षमता से अधिक कार्य करते हैं और ग्रोथ का लोड यदि अधिक हो तो ख़राब होने की स्थिति में पहुँच जाते हैं| इस बात को ऐसे समझा जा सकता है की ब्रीडर्स ने मांस को तो अनुवांशिक (genetic) तरीके से बढ़ा दिया परन्तु अन्य अंगो की बढ़वार पर ध्यान नहीं दिया जिससे दिल और फेफड़े देसी मुर्गी की तरह रह गए| छोटा दिल और फेफड़े बढ़ते हुए पक्षी को पर्याप्त समर्थन नहीं दे पाते हैं| ब्रॉयलर पक्षियों की ऑक्सीजन (oxygen) की ज़रूरत भी वज़न के साथ साथ बढती जाती है तो इसलिए दिल अधिक से अधिक खून को फेफड़ो में भेजने की कोशिश करता है परन्तु फेफड़ो की भी एक क्षमता होती है अधिक खून आने से फेफड़ो की धमनियां (blood vessels) सिकुड़ने लगती हैं और रक्त चाप (blood pressure) बहुत बढ़ जाता है इसकी वजह से कुछ पानी खून से फेफड़ो में रिसने (leak) लगता है|
जब फेफड़ो में खून का बहाव कम होता है और दबाव बढ़ता है तो दिल और तेज़ी से साथ धड़कना (increase heart rate) शुरू कर देता है साथ साथ अधिक बल लगाकर खून को फेफड़ो में धक्का देता है| इसकी वजह से दिल के अकार में वृद्धि होने लगती है जिसे Right Ventricular Hypertrophy कहते हैं, जैसा की नीचे चित्र में देखने को मिल रहा है| जब दिल से खून के जाने पर रोक लगने लगती है तो दिल लीवर और अन्य अंगो से आने वाले खून को ग्रहण करने में भी अक्षम हो जाता है| खून का दबाव लीवर से आने वाली वेना केवा (vena ceva) पर पड़ता है और खून लीवर में जमा होने लगता है| अत्याधिक दबाव पड़ने से लीवर की शिराएं (vessels) ढीली पड़ जाती हैं और खून में से प्लाज़्मा (द्रव्य) बहार आने लगता यह द्रव्य पेट में जमा होने लगता है जिससे पेट बड़ा होने लगता है और अंत में पेट गुब्बारे की तरह फूल जाता है| तो यहाँ ये बात ध्यान देने योग्य है की Ascites मुख्यत ऑक्सीजन की कमी से होने वाली बीमारी है और यह कमी वातावरण की ऑक्सीजन की कमी से नहीं होती बल्कि दिल और फेफड़ो की सिमित क्षमता के कारण होती है| यदि किसी तरह शरीर की ऑक्सीजन डिमांड को कम कर दिया जाये तो दिल पर अधिक जोर पड़ने से रोका जा सकता है साथ ही साथ कुछ ऐसी दवाइयां मुर्गे को दी जानी चाहिए जिससे उसके दिल की कार्य क्षमता को बढ़ाकर Ascites से होने वाली मोर्टेलिटी (mortality) को कम किया जा सके|
एसाईटिस के बहारी लक्षण और पोस्ट मोर्टेम में देखी जाने वाली बाते :
• अचानक मौत का होना (Sudden Death)
• कलगी और खाल का रंग नीला पड़ जाना (Cyanosis)
• अधिकतर मुर्गियां पीठ के बल मरी हुई पड़ी मिलती हैं (Dead on back)
• साँस में से गर्ग्लिंग (घरघराहट) की आवाज़ आती है (Gurgling sound)
• मृत्युदर नर (male broiler) ब्रॉयलर में अधिक होती है (कुछ कंपनिया अधिक ग्रोथ रेट बता कर नर ब्रॉयलर आम चूज़े को अधिक दाम में बेचती हैं, यदि आप ऐसे ग्रहाक हैं तो उचित सावधनिया बरते)
• मृत्युदर 3 हफ्ते से अधिक आयु के मुर्गो में अधिक देखने को मिलती है
• यदि फीड में माइकोटोक्सिन (mycotoxins) हो तो वो एसईटिस को बढ़ावा देते हैं, क्यूंकि माइकोटोक्सिन लीवर की कार्यक्षमता को घटाते हैं|
• पक्षी का पेट पेंगविन (penguin) की तरह बढ़ा हुआ दिखता है
• पक्षी मुह खोल के साँस लेने लगता है
• फेफड़ो में पानी भर जाता है
• फेफड़ो में अत्याधिक खून का मिलना, जिससे फेफड़े लाल हो जाते हैं और उनका साइज़ काफी बढ़ जाता है
• पेट में पीला गाढ़े रंग का पानी होता है (straw color yellow fluid in abdominal cavity)
• दिल का अकार नार्मल से 25 से 35% तक बढ़ा हुआ मिलता है (Ventricular hypertrophy)
• अत्याधिक पानी और सोडियम को फ़िल्टर करने की वजह से किडनी भी फूल कर बड़ी हो जाती है और काम करना बंद कर देती है
• मुर्गी सुस्त हो कर बैठने लगती है

READ MORE :  Mastitis Control in Dairy Herd

एसाईटिस के कारक
एसाईटिस का मुख्य कारण खून का गाढ़ा होना होता है जिससे उसका रक्त शिराओं (blood vessels) में प्रवाह धीमा हो जाता है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और खून से पानी बहार आने लगता है|

  1. फेफड़ो में खून जमने की वजह से शरीर में कार्बन डाइऑक्साइड (carbon dioxide) जमा होने लगती है जिससे खून में तेज़ाबियत (metabolic acidosis) हो जाती है, इसकी वजह हीमोग्लोबिन (hemoglobin) की ऑक्सीजन से जुड़ने की क्षमता बहुत कम हो जाती है और शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है|
  2. Anatomical inefficiency of broiler’s lungs: मुर्गियों के फेफड़े इंसानों की तरह छाती में खुले नहीं रहते बल्कि छाती से चिपके रहते हैं और फिक्स होते हैं| इसकी वजह से मुर्गियां छाती फुला कर साँस नहीं ले पाती और खून में ऑक्सीजन का (स्तनधारियो की बनिज्बत) अभाव हो जाता है इसीलिए पक्षियों में वायु कोष (air sacs) होते हैं जो हवा का निरंतर बहाव बना कर रखते हैं परन्तु ASCITES में यह प्रणाली पूरी तरह काम नहीं कर पाती जिससे खून का पर्याप्त ओक्सीजिनेशन नहीं हो पाता|
  3. ब्रॉयलर मुर्गियों का दिल भी उनके शरीर के मुकाबले छोटा होता है जो ठीक से खून की सप्लाई नहीं कर पाता|
  4. Pellet feed भी Ascites को बढ़ाने में सहायक होता है क्यूंकि ये बहुत कम समय में शरीर में अत्याधिक उर्जा पहुंचता है जिससे metabolize करने के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है|
  5. ऊँचाई पर (जैसे पहाड़ी इलाको में) Ascites के केसेस में व्यापक वृद्धि देखि जाती है क्यूंकि वहां ऑक्सीजन का दबाव कम होता है और खून का ओक्सीजेनेशन (Oxygenation) बहुत कम हो पाता, फेफेडो में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और फिर खून से पानी बहार आने लगता है|
  6. कुछ अध्यनो में ये देखने को मिला है की जो चूज़े अन्डो से देर में बहार आते हैं उनमे एसाईटिस के चांस काफी बढ़ जाते है, ऐसा तब होता है जब अन्डो की हैचिंग कम ऑक्सीजन वाले वातावरण में की जाती है यहाँ किसी कारण से तापमान कम रहा हो|
  7. दाने में अधिक क्लोराइड कंटेंट खून की तेज़ाबियत को बढाता है जिससे फिर खून के ओक्सीजिनेशन में बाधा होती है और एसाईटिस सम्भावना बढ़ जाती है| नमक या नौसादर एसाईटिस को बढ़ा देता है|
  8. विटामिन डी, कैल्शियम और ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी भी एसाईटिस को बढ़ावा देती है|
  9. शरीर में एंटीओक्सीडेन्ट्स की कमी के चलते ओक्सीडेटिव स्ट्रैस बढती है और उससे खून की ऑक्सीजन ले जाने वाली कोशिकाएं कमज़ोर हो जाती है टूटने लगती हैं और फिर से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है|
  10. ठण्ड के मौसम में Ascites के केस बढ़ जाते है उसका कारण भी ऑक्सीजन की कमी ही होती है क्यूंकि ठन्डे मौसम में पक्षी गरम रहने के लिए अतिरिक्त दाना खाता है जिसको पचाने और शरीर में सम्मिल्लित करने के लिए अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ती है
    मोटे तौर पर ये समझना होगा की जो भी कारक शरीर में ऑक्सीजन की कमी करता है वो एसाईटिस को (कम या ज्यादा) बढ़ावा ज़रूर देता है| इस प्रकार से एसाईटिस ऑक्सीजन की कमी से होने वाली बीमारी है| परन्तु पोल्ट्री किसान हर वजह को तो समझ नहीं सकते और बचाव नहीं कर सकते इसलिए नीचे इन कारको को हमने इनकी तीव्रता के हिसाब से रखा है यदि किसान सिर्फ दो तीन बातो का भी ख्याल रखे तो एसाईटिस से बचा जा सकता है| पक्षी की अनुवांशिकता (genetics of birds) – वैसे तो अनुवांशिक तौर पर सभी ब्रीड के पक्षी एसाईटिस के लिए रिस्क पर होते पर यदि किसी ब्रीड में यह अधिक देखने को मिले तो उसे न खरीदें|
    जैसा की हम जानते हैं की यदि हैचरी में अन्डो को सेते समय ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा नहीं रहती तो जो बच्चे पैदा होते हैं उनमे (3 से 4 हफ्ते की आयु पर) एसाईटिस होने की सम्भावना बहुत अधिक होती है तो आप ऐसे ब्रीडर्स से चिक्स न लें जिनका रिकॉर्ड ख़राब हो | रौशनी के समय को कम कर दें जैसे 6 घंटे अँधेरा रखे और 18 रौशनी | एसाईटिस की समस्या देखते की दाने (फीड) में नमक कम कर दें | पानी में विटामिन C और सोडा बाईकार्बोनेट (NaHCO3) का प्रयोग करें | Loop diuretics जैसे furosemide (lasix) का उपयोग सोच समझकर या बिलकुल आखिरी कंडीशान में करना चाहिए क्यूंकि इससे FCR पर बुरा प्रभाव पड़ता है और वैट लीटर (wet litter) की दिक्कत आती है जिससे अमोनिया बढ़ जाती है और फिर वही ऑक्सीजन की कमी का चक्र शुरू होता है| यदि खुद की फीड मिल हो और पेलेट इस्तेमाल करते हैं तो उसकी जगह मेश फीड इस्तेमाल करें |
    एसाईटोकेयर – क्यू 10 का उपयोग
    जैसे की अब हम जानते हैं की एसाईटिस एक मेटाबोलिक बीमारी है और इसमें किसी तरह का सैनीटाईज़र या एंटीबायोटिक, प्रोबिओटिक आदि किसी काम के नहीं होते इस बीमारी को रोकने के लिए निम्न बातो को ध्यान में रखना होता होता
    • मेटाबोलिक एसिडोसिस को रोकना
    • दिल की काम करने की क्षमता को बढ़ाना
    • ब्लड प्रेशर को कम करना
    • खून के गाढ़ेपन को ख़त्म करना
    • ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करना
    • डाईयूरेसिस को बढ़ाना
    समाधान: एसाईटोकेयर – क्यू 10 एक प्रोप्राय्रटी प्रोडक्ट है जिसमे कोएंजाइम क्यू 10, ब्लड बफर, ट्रांसमेम्ब्रेन एंटीऑक्सीडेंट, हर्बल डाईयूरेटिक, अश्वाग्नधा, असकोरबेट और आर्गेनिक सेलेनियम है जो ऊपर बताई गयी अवस्थाओं को बखूबी ठीक करके मुर्गी को स्वस्थ बनाता है|
READ MORE :  African Swine Fever (ASF) A Newly Emerged fatal Disease of Pigs in India: Dos and Don’t dos
Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON