पटना शहर के औरतों में परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति जागरूकता एवं स्वीकार्यता पर : एक अध्ययन

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सरकारी योजनाएं

पटना शहर के औरतों में परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति जागरूकता एवं स्वीकार्यता पर : एक अध्ययन

डॉ0 मीता कुमारी
गृह विज्ञान विभाग
पटना विश्वविद्यालय, पटना

भारत आज जनसंख्या की विस्फोटक स्थिति से गुजर रहा है। भारत के सन्दर्भ में यदि जनसंख्या वृद्वि की प्रवृत्ति की तरफ ध्यान दिया जाय तो ये पता चलता है कि भारत की जनसंख्या संबंधी स्थिति वास्तव में भयावह है।
भारत की जनसंख्या वर्ष 1991 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 84.4 बतवतम थी जो 2011 में बढ़कर लगभग 121.02 करोड़ हो गयी।
1991-2011 में जिस दर पर भारत की जनसंख्या बढ़ती रही है। उसे उस दर पर जनसंख्या के दुगने होने में लगभग 30 वर्ष लगते हैं। भारत में जनसंख्या की वृद्वि इतनी तेजी हो रही है कि जितनी कुल जापान की जनसंख्या है उतती जनसंख्या भारत में केवल एक दशक में बढ़ जाती है। 1991 में भारत में नगरीय जनसंख्या 2.18 करोड़ थी, जो बढ़कर 2011 में 37.71 करोड़ हो गई है। 1947 में देश की जनसंख्या 34.2 करोड़ थी जो 2011 में 121.02 करोड़ हो गई है।
परिवार नियोजन आज के लिए बहुचर्चित एवं महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, इसका तात्पर्य उपलब्ध संसाधनों के अनुरूप परिवार को सीमित रखने से है। परिवार को सीमित रखने के साथ-साथ बच्चों की कुल संख्या, उनकी आयु में अंतराल बच्चों का कुपोषण दूर करके स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी सम्मिलित है। इसकी व्यापकता पर नजर डालते हुए श्भ्ण्छण् ज्ञंनसश् ने लिखा कि ’’परिवार नियोजन एक कल्याणकारी योजना है जिसका उद्देश्य व्यक्ति की उन्नति परिवार का कल्याण, समाज का सुधार एवं देश का उत्कर्ष करना है।’’
भारत विश्व का पहला ऐसा देश है जिसने परिवार नियोजन को राष्ट्रीय नीति माना है।
भारत की जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ती जा रही है कि अगर इस पर अंकुश नहीं लगाया तो भारत की स्थिति बड़ी ही दयनीय हो जाएगी। इस बढ़ती हुई संख्या को रोकने के लिए लोगों को परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति जागरूक करना होगा।
इस उद्देश्य हेतु परिवार नियोजन कार्यक्रम में इतने सारे साधन तथा अस्पताल में मुफ्त सेवा दी जा रही है उसके बारे में जान सके। छोटे परिवार के लाभ क्या है वे जान सके। कम उम्र में शादी से क्या-क्या हानियाँ है उन्हें बताकर लडकियों को इस अभिशाप से बचाया जा सके।
की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 135.8 करोड़ के ऊँचे स्तर पर पहुँच चुकी है। भारत की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 17.74ः है, जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल मात्र 2.4ः है। इस समय भारत की जनसंख्या 135.8 करोड़ है।
सन् 1925 ई० में प्रो० कर्वे द्वारा मुम्बई में क्लिनिक की स्थापना कि गई जिसका संबंध जनसंख्या नियंत्रण से ही था। सन् 1930 में “मैसूर’’ सरकार ने “ठपतजी बवदजतवस न्दपज“ की स्थापना की। थोड़े ही वर्षों बाद 1935 ई० में चिन्नई एवं मुम्बई में भी क्रमशः संतति निग्रह हेतु महिला बसपदपब खोले गए।
ग्यारहवीं परिवार नियोजन कार्यक्रम में पंचवर्षीय योजना में इतना व्यय किया गया लेकिन आज भी कितने लोग परिवार नियोजन कार्यक्रम में पूरी तरह जागरूक नहीं हुए तथा इसके साधन और सुविधा से लोग आज भी अनभिज्ञ हैं।
परिवार नियोजन के द्वारा जनसंख्या की वृद्विद्ध दर कम करने के लिए परिवार नियोजन के साधन चलाए गए।

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1. निरोध :-

1961-70 आरंभ हुआ। अप्रैल 1982 और फरवरी 1983 के दौरान 12 प्रमुख उपभोक्ता सामग्री विपणन कम्पनियों द्वारा 4.15 लाख से अधिक खुदरा दुकानों के माध्यम से चलाई जा रही है एक व्यायसायिक योजना के अन्तर्गत 24.12 करोड़ निरोध बेचे गये।

2. खाने की गर्भ निरोध गोलियाँ :-

खाने की गर्भ निरोधक गोलियाँ के कार्यक्रम का सभी शहरी केन्द्रों तथा उन प्राथमिक स्वास्थ केन्द्रों में विस्तार किया गया। आजकल 4719 ग्रामीण व 2,493 शहरी केन्द्रों, अस्पतालों द्वारा इन गोलियों का वितरण किया जा रहा है।

3. चिकित्सा गर्भपात :-

अच्छे डाक्टरों की देख-रेख में चिकित्सीय गर्भपात आवश्यक रूप से स्वास्थ सुरक्षा की दिशा में उठाया गया। अप्रैल, 1972 में इस कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया। 1982-83 में 4,09,296 गर्भपात किये गये। कार्यक्रम के आरम्भ से कुल 28,09,817 गर्भपात किये गये।

4. लूप तथा नसबन्दी कार्यक्रम :-

लूप तथा नसबन्दी सेवाएँ चलते-फिरते तथा स्थैतिक दोनों प्रकार के एकाशों द्वारा दी जा रही है। मार्च 1983 तक 402.4 लाख बन्धायकरण किये तथा 106 लाख लूप लगाये गये।

शोध के उपरांत हमें पता चला कि 84.43ः महिलायें परिवार नियोजन के बारे में जानती है फिर भी 63.04ः परिवार नियोजन के साधन का इस्तेमाल करती हैं।

निष्कर्ष :

शोध में 46 निम्न आय वर्ग की महिलाओं का निरीक्षण किया जिसके उपरांत निष्कर्ष निकलता है कि :-
1. जिन 46 कामकाजी महिलाओं पर शोध किया गया है, वे ज्यादातर स्लम क्षेत्र में रहती है और वे निम्न वर्ग की है। जहाँ पर परिवार नियोजन के कार्यक्रम और उसके साधन के प्रति कम जागरूकता पाई गई।
2. इस शोध से ये भी पाया गया है कि कम उम्र में शादी हो जाने से वे जल्दी से गर्भधारण कर लेती है। जिससे उनके शरीर पर तो प्रभाव पड़ता है, साथ ही बच्चों के स्वास्थ पर भी असर पड़ता है।
3. स्लम क्षेत्र के लोग परिवार नियोजन की विधियों को प्रयोग करने में संकोच करते हैं, उनका मानना है कि नसबन्दी कराने से नपुंसकता आ जाती है तथा बन्ध्याकरण, लूप तथा पिहल का प्रयोग करने से स्त्रियों में बीमारियाँ फैल जाती हैं।
4. सरकारी अस्पताल में सरकार द्वारा परिवार नियोजन की सुविधा मुफ्त में दी जा रही है फिर भी स्लम क्षेत्र के लोग परिवार नियोजन कार्यक्रम से अन्जान है जिसका परिणाम यह है कि स्लम क्षेत्र में गरीबी और जनसंख्या ज्यादा पायी गई है।

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सारांश :

इस सारे शोध में हमने पाया कि भारत की जनसंख्या अतितीव्र गति से। बढ़ती जा रही है। इसे रोकने के लिए हमें परिवार नियोजन कार्यक्रम जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया। जनसंख्या बढ़ाने में निम्न आय के लोगों का योगदान है। इसलिए हमने निम्न आय के महिलाओं पर सारे शोध किए गये हैं ताकि वो परिवार नियोजन कार्यक्रम के प्रति जागरूक हो सके।
इस शोध में परिवार नियोजन कार्यक्रम की सभी पंचवर्षीय योजनाएँ तथा इसके साधन पर क्या-क्या काम हुआ तथा कितना व्यय किया गया जिसके बारे में बताया गया है। कितनी जनसंख्या बढ़ी तथा कितने लोगों ने परिवार नियोजन के साधनों का इस्तेमाल किया ये पता लगाने के लिए ैंउचसपदह क्ंजं ।बुनपेजपवदए क्ंजं ।दंसलेपे विधि को अपनाया गया है।
लोगों के जागरूक बनाने के लिए हमने कुछ महिला मंडल तथा यूथ फोरम का निर्माण करने का सुझाव दिया, ताकि परिवार नियोजन कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार हो सके।
इस पूरे शोध में निम्न आय के लोगों में परिवार नियोजन कार्यक्रम और साधन का अभाव पाया गया है। जिसमें से 84.43ः महिला जानती है, लेकिन परिवार नियोजन के इतने सारे साधनों में 19.56ः महिलायें सिर्फ माला-डी के बारे में ही जानती है।

सन्दर्भ ग्रन्थ सूचि :

1. Sawasth Vigyan and Jan Sawasth 614 SAT
2. Jan Sawasth and Famoily Welfare
3. Demography and Population (Dr. R.D. Tripathi) First Edition-1999, Second Edition – 2004
4. Demography (Dr. J.P. Mishra) Edition-2005

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