अजोला चारे का उपयोग कर पशुओं से 20% अधिक दूध प्राप्त करें : कृषि और पशुपालन के लिए वरदान।

0
549
AZOLLA
AZOLLA

अजोला चारे का उपयोग कर पशुओं से 20% अधिक दूध प्राप्त करें : कृषि और पशुपालन के लिए वरदान।

अजोला जल के ऊपर मूल रूप में तैरने वाली एक फर्न है जिसका रंग बिल्कुल हरा होता है। यह छोटे-छोटे समूह में पानी के ऊपर तैरती है। अजोला की कई प्रजातियां हैं किन्तु भारत में मुख्यत: अजोला पिन्नाटा प्रजाति पाई जाती है। यह किस्म काफी हद तक गर्मी सहन कर लेती है पर सर्दियों में इसकी बढ़वार थोड़ी कम हो जाती है। सर्दियों में अगर इसको ढंककर रखा जाए तो इसको कोहरे से होने वाले नुकसान से भी बचाया जा सकता है।

अजोला एक जलीय पौधा है जो पानी के ऊपर तैयार होता है। यह पानी पर तैरता हुआ अपने आप बढ़ता रहता है एवं इसकी शाखायें टूटकर नया पौधा बनाती रहती है। इसमें प्रोटीन विटामिन व एमिनो एसिड, खनिज लवण की मात्रा अधिक होती है। अजोला त्रिभुजाकार की छोटी फर्न हैं जो पानी पर तैरती रहती है। यह हरी छोटे बालों से घिरी रहती – हर या गहरी लाल रंग में भी होती है जो वेलवेट की तरह छोटे-नीली है।

पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए अजोला चारा लगाकर पशुओं को खिलाएं इससे न सिर्फ दूध उत्पादन बढेगा बल्कि लागत भी कम होगी | वर्तमान में पशुओं हेतु उपयोगी पोषक तत्वों की उपलब्धता को देखते हुए अजोला को दुधारू जानवरों, मुर्गियों व बकरियों के लिए अच्छा पोषण विकल्प कहा जा सकता है | कम समय में अधिक उत्पादन देने के अपने विशिष्ट गुण की वजह से यह हरे चारे का भी अच्छा स्रोत बन गया है |

वातावरण एवं जलवायु का अजोला उत्पादन पर विशेष प्रभाव न पड़ने के कारण इसका उत्पादन देश के सभी हिस्सों में किया जा सकता है | किसान सामान्य मार्गदर्शन से ही स्वंय अजोला का उत्पादन कर अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं | यहाँ बताना भी प्रासंगिक होगा कि अजोला पशुओं के बांझपन में भी कमी आती है |

अजोला उगाने की विधि

अजोला-चारा
अजोला-चारा

उगाने के लिए उपलब्ध कई तकनीकों में से नेशनल रिसोर्स डेवलपमेंट विधि हमारे यहाँ प्रयोग की जा रही है | इस विधि में प्लास्टिक शीट की मदद से 2 X 2 X 0.2 मीटर पानी रखने हेतु क्षेत्र बनाते हैं | इसमें 10 से 15 कि.ग्राम उपजाऊ मिटटी बिछाते हैं | इस टैंक को 2 कि.ग्रा. गाय के गोबर खाद व 30 ग्राम सुपर फास्फेट के मिश्रण से भर देते हैं | पुन: पानी डालकर जल स्तर 10 से.मी. तक पहुंचा देते हैं | लगभग एक कि.ग्रा. अजोला कल्चर इसमें डालने हैं |

तेज वृद्धि के कारण 10 से 15 दिनों में 500 से 600 ग्राम अजोला प्रतिदिन मिलना शुरू हो जाता है | पुन: इसमें 20 ग्राम सुपर फास्फेट, एक कि.ग्रा. गोबर प्रत्येक 5 दिन पर डालने हैं | इसके अलावा आयरन, कापर, सल्फर आदि मिलाना चाहिए | इस विधि द्वारा प्रति कि.ग्रा. अजोला चारा उत्पादन के लिए 65 पैसे से कम खर्च आता है |

अजोला लगाने की प्रक्रिया

  1. सर्वप्रथम 10 इंच ऊंचा, 2.5 मीटर लंबा एवं 1.5 मीटर चौड़ा ईट की क्यारी बना ले।
  2. इसके बाद क्यारी में प्लास्टिक की पन्नी बिछा दे, इसे अच्छी तरह से फैलाकर ईट से दबा दे।
  3. तत्पश्चात क्यारी में उपजाऊ मिट्टी की 3 इंच मोटी परत बिछा दे मिट्टी से कंकड़ पत्थर इत्यादि को चुनकर अलग कर दें।
  4. 5 – 7 kg गोबर ( 2 से 3 दिन पुराना ) 10 से 15 लीटर पानी में घोलकर मिश्रण को चलनी से छान कर मिट्टी पर फैला दें।
  5. अब इस क्यारी में 5 से 10 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक पानी भर दे पानी में यदि झाग बन रहा है तो चलनी की मदद से इसे छान ले।
  6. अब मिट्टी और गोबर के घोल को अच्छी तरह से मिला ले।
  7. इस तरह से क्यारी तैयार करने के बाद उसमें अजोला कल्चर (.5-1 kg) को फैला दें एवं उसके ऊपर पानी का छिड़काव करें ताकि अजोला की जड़े पूरी तरह से व्यवस्थित हो जाए।
  8. इसमें गोबर की जगह पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए 5 किलो ssp के साथ 250 ग्राम पोटाश और 750 ग्राम मैग्निशियम सल्फेट का मिश्रण तैयार करके, तैयार मिश्रण का 10-12 ग्राम अजोला की क्यारी में 1 सप्ताह के अंतराल पर डाले।
  9. 2 से 3 दिनों में अजोला की संख्या दोगुनी हो जाती है और 21 दिनों में पूरी क्यारी अजोला से ढ़क जाती है 1 वर्ग फीट से लगभग 200 से 250 ग्राम अजोला प्राप्त किया जा सकता है।
READ MORE :  अजोला : पशुओं के लिए एक वरदान

दूध उत्पादन हेतु अजोला चारा

इसका उपयोग जानवरों में दूध की मात्र व वसा प्रतिशत बढ़ाने में किया जा रहा है, क्योंकि इसके उत्पादन में खर्च कम आता है | अत: दिन – प्रतिदिन इसकी उपयोगिता बढती जा रही है | अजोला पोषण से दूध उत्पादन 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ता है | इसका प्रयोग 60 ग्राम तक करने पर 10 प्रतिशत तक सांद्र आहार घटाया जा सकता है | संकर नस्ल की गाय में 2 कि.ग्रा. सांद्र आहार की जगह 2 कि.ग्रा. अजोला खिलाते हैं, तो दूध उत्पादन तथा श्रम दोनों मिलाकर लगभग 35 से 40 प्रतिशत तक खर्च कम किया जा सकता है | अजोला को राशन के साथ 1:1 के अनुपात में सीधे पशुओं को दिया जा सकता है | इस तरह अगर हम देखें तो अजोला सही मात्र में दुधारू पशुओं के दूध को बढाता है व कम खर्च से आमदनी बढती है |

यदि किसान की संकर प्रजाति की गाय 10 लीटर दूध देने वाली है तो वह उसे सांद्र आहार 5.5 कि.ग्रा. देगी | यदि आहार की कीमत 20 रुपये प्रति कि.ग्रा. रखी जाये तो 110 रूपये प्रतिदिन का कि.ग्रा. रखी जाये तो इसमें लगभग 3 से 3.50 कि.ग्रा. सांद्र की जगह अजोला का प्रयोग किया जा सकता है, जिसकी कीमत 65 पैसे प्रति कि.ग्रा. है तो अजोला का प्रयोग करने से उस पशु के लिए 3 रूपये खर्च आयेगा |

इस तरह 70 रूपये की जगह केवल लगभग 3 रूपये में दूध उत्पादन में लगभग 2 लीटर बढ़ोतरी होगी | इससे उसको कुल लाभ 2 लीटर दूध तथा 70 रूपये का राशन व मजदूरी तीनों से ही होगा | इस तरह किसान अपनी आय दोगुनी से भी ज्यादा कर सकते हैं |

पोषक  तत्वों से भरपूर है अजोला

अजोला में भी आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं | इसमें लगभग 25 से 30 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया जाता है , जो कि लाइसिन, अर्जीनीन व मेथियोनीन का प्रमुख स्रोत है | अजोला में कम मात्र में लिग्निन होने के कारण पशुओं के शरीर में पाचन सरल ढंग से हो जाता है |पारंपरिक खाद यूरिया के स्थान पर अजोला के प्रयोग से उत्पादन में वृद्धि होती है | इसमें नाइट्रोजन 28 से 30 प्रतिशत, खनिज 10 से 15 प्रतिशत, बीटा कैरोटिन कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फास्फोरस, आयरन, कापर भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं | पोषक तत्वों की उपलब्धता के आधार पर अजोला को ग्रीन गोल्ड की संज्ञा भी दी जाती है |

READ MORE :  आधुनिक पशु आहार में अजोला का योगदान

अजोला उपयोगिता

अच्छे दूध उत्पादन के लिएजरुरी है कि कम खर्चे मैं दूध उत्पादन बढाया जाए | इस द्रष्टि से अजोला चारे के रूप में आसन, सस्ता व लाभकारी है | हमारे यहाँ चारा उत्पादन के लिए मात्र 5.25 प्रतिशत भूमि उपलब्ध है | अजोला का उत्पादन अत्यन्त ही सरल है, जिसे गाय,भैंस,बकरी, सूअर, मुर्गीपालन आदि के आहार के रूप मैं प्रयोग में लाया जाता है | यह तालाब, नदी, गड्डों, व टब आदि में आसानी से उगाया जा सकता है |

 अजोला के गुण

  1. यह जल में तीव्र गति से बढ़ता है।
  2. इसमें उत्तम गुणवत्ता युक्त प्रोटीन होता है, पशु इसे आसानी से पचा लेते हैं।
  3. इसमें शुष्क मात्रा के आधार पर 40 – 60% प्रोटीन, 10 -15% खनिज एवं 7-10% अमीनो अम्ल पाए जाते हैं।
  4. इसके अलावा इसमें विटामिन ( विटामिन ए, विटामिन B12 तथा बीटा कैरोटीन ) विकास वर्धक तत्व एवं खनिज ( कैल्शियम, फास्फोरस, पोटेशियम, कॉपर, मैग्नीशियम इत्यादि) पाए जाते हैं।
  5. यह पशुओं के लिए आदर्श आहार के साथ-साथ एक उत्तम खाद के रूप में भी उपयुक्त है।
  6. यह जानवरों के लिए प्रतिजैविक का काम करती है।
  7. सामान्य अवस्था में या 2 – 3 दिनों में दोगुनी हो जाती है।
  8. इसकी उत्पादन लागत काफी कम होती है।

अजोला खिलाने की मात्रा

  • भेड़ व बकरियों को ग्राम 200 से 150
  • मुर्गियों को 30 से 50 ग्राम प्रतिदिन
  • गाय व भैंस को =2 से 5 किग्रा प्रतिदिन

अजोला खिलाने से लाभ

  • सस्ता एवं पौष्टिक पूरक पशु आहार है।
  • पशुओं को प्रतिदिन आहार के साथ 2 से 5 किलो अजोला खिलाने से 15 से 20 प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी सम्भव है।
  • अजोला खिलाने वाले पशुओं में वसा व वसा रहित पदार्थ सामान्य आहार खाने वाले पशुओं के दूध से अधिक पायी जाती है।
  • अजोला खिलाने वाले पशु सामान्य आहार खाने वाले पशुओं की अपेक्षा ज्यादा स्वस्थ है।
  • अजोला पशुओं में बांझपन निवारण में उपयोगी है।
  • दुधारू पशुओं का दुग्ध उत्पादन बढ़ाने में उपयोगी है।
  • 1 किलो अजोला की गुणवत्ता 1 किलो खल के बराबर है।
  • पशु के पेशाब में खून की समस्या फॉस्फोरस की कमी से होती है। ऐसे पशुओं को अजोला खिलाए तो यह कमी दूर हो जाती है।
  • छ: महीने के बाद अजोला क्यारी की 2 किलो मिट्टी में 1 किलो एनपीके उर्वरक के बराबर पोषक तत्व रहते हैं।
  • अजोला पशुओं के लिए प्रति जैविक व आदर्श पूरक आहार हैं यह नाईट्रोजन स्थापित करती है और भूमि की उर्वराशक्ति को बढ़ाने का कार्य भी करता है।
READ MORE :  अजोला : पशुओं के लिए एक वरदान

अजोला का उपयोग

पशु आहार के रूप में – अजोला एक सस्ता, सुपाच्य और पौष्टिक पशु आहार है। इसमें कार्बोहाइड्रेट और वसा की मात्रा कम होती है। अतः पशुओं के लिए यह एक आदर्श आहार है। यह पशुओं में दुग्ध उत्पादन के साथ-साथ बांझपन निवारण में उपयोगी है, एवं पशुओं का शारीरिक विकास अच्छी तरह से होता है। दुधारू पशुओं को यदि 1.5 – 2 kg अजोला प्रतिदिन दिया जाए, तो दुग्ध उत्पादन में 15 से 20% तक की वृद्धि होती है, एवं दूध की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। पशुओं के अलावा मुर्गियों एवं बकरियों के लिए भी अजोला काफी फायदेमंद है। मुर्गियों को 30 से 50 ग्राम अजोला प्रतिदिन खिलाने से मुर्गियों के शारीरिक भार एवं अंडा उत्पादन में 10 से 15% तक की वृद्धि होती है। भेड़ एवं बकरियों को 150 से 200 ग्राम अजोला प्रतिदिन खिलाने से शारीरिक वृद्धि एवं दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होती है।

उर्वरक के रूप में – इसके अलावा अजोला धान के खेत में उर्वरक के रूप में काफी कारगर साबित हुआ है। धान के खेत में अजोला को हरी खाद के रूप में उगाया जाता है, इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। धान के खेत में 1 किलो प्रति वर्ग मीटर कि दर से उर्वरक में अजोला मिलाकर डालने से तकरीबन ₹2000 प्रति हेक्टेयर की बचत होती है।

वर्मी कंपोस्ट बनाने में – इसके अलावा वर्मी कंपोस्ट बनाने में भी अज़ोला का उपयोग किया जाता है। वर्मी कंपोस्ट में प्रयोग होने वाले गोबर के साथ अजोला मिलाने से केंचुए का वजन और उसकी संख्या में बढ़ोतरी होती है। वर्मी कंपोस्ट में अजोला मिलाने से उसका पोषक मान बढ़ जाता है।

सावधानियां

  1. अच्छी उपज के लिए संक्रमण मुक्त वातावरण रखना आवश्यक है । क्यारी में गोबर के प्रयोग से कीड़े लगने की संभावना रहती है, इसके लिए carbofuron नामक दवा का प्रयोग करें।
  2. क्यारियों का निर्माण ऐसी जगह पर की जानी चाहिए, जहां पर्याप्त सूर्य की रोशनी मिल सके।
  3. बारिश के मौसम में अधिक वर्षा से अजोला के बह जाने का डर रहता है, इसके लिए सीमेंट की क्यारियां बनाएं एवं उसमें जाली लगा दें।
  4. ठंडे मौसम में ठंड के प्रभाव से अजोला को बचाने के लिए क्यारी को प्लास्टिक शीट से ढक दें।
  5. प्रत्येक 3 महीने के पश्चात क्यारी की मिट्टी एवं पानी बदल दें ताकि अजोला को पोषक तत्व उपलब्ध होता रहे। इस पानी का उपयोग जैविक खेती में किया जा सकता है। सब्जियों, फलों एवं पुष्प में इसका प्रयोग करने से यह वृद्धि नियामक के रूप में कार्य करता है इसके अलावा अजोला से कई जैविक उत्पाद भी बनाए जाते हैं।

Compiled  & Shared by- This paper is a compilation of groupwork provided by the

Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)

 Image-Courtesy-Google

 Reference-On Request.

अजोला : पशुओं के लिए एक वरदान

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON