बैकयार्ड (घर के पीछे खाली जगह ) कुक्कुट पालन
डॉ. राकेश गेना ( सहायक आचार्य )
एम बी वेटेनरी कॉलेज, डूंगरपुर, राजस्थान
(Email – rakeshgena777@gmail.com)
परिचय – बैकयार्ड कुक्कुट पालन से तात्पर्य एक ऐसे व्यवसाय से है जिसमें अंडो एवं मांस प्राप्ति के उद्देश्य से मुर्गी , बतख और टर्की आदि पक्षियों को पाला जाता है ।
पशुधन जनगणना 2019 के अनुसार भारत मे कुक्कुट कि संख्या 851.81 मिलियन है ये आंकड़े निश्चित तौर पर हमें उत्साहित करते है कि पिछली पशुधन गणना के मुकाबले इस बार 16.8 प्रतिशत कि वृद्दि दर्ज कि गई ।बैकयार्ड (घर के पीछे खाली जगह ) कुक्कुट पालन आज के परिवेश मे गोवंश एवं बकरीपालन व्यवसाय कि तर्ज पर तेजी से विकसित हो रहा है ।
पूरे भारतवर्ष मे सन् 2019 तक 534.74 मिलियन कुक्कुट है जो कि पूर्व पशुधन गणना के बनिस्पत 4.5 प्रतिशत ज्यादा है । (पशुधन जनगणना , 2019)
उपयोगिता –
- बैकयार्ड कुक्कुट पालन आज एक बड़े वर्ग को रोजगार प्रदान करने के साथ ही देश कि अर्थव्यव्स्था मे भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है ।
- ग्रामीण कुक्कुट पालन उत्पाद (अंडे व मांस ) गहन एवं संगठित कुक्कुट पालन उत्पाद के मुकाबले तुलनात्मक रूप से ज्यादा कीमती होते है ।
- बैकयार्ड कुक्कुट पालन मे मुख्य रूप से देशी नस्ल के पक्षी जैसे कडकनाथ, असील व बसरा इत्यादि पाली जाती है ।
- बैकयार्ड कुक्कुट पालन मे मुक्त परिसर एवं अर्धसघन प्रणाली समाहित हे जिसमें सामान्यता ऐसी भूमि काम मे ली जाती है जो कृषि हेतु अनुपयुक्त होती है ।
- इस तरह अनुपयुक्त भूमि का उपयोग कर काफी कम लागत मे मांस व अंडो का उत्पादन किया जा सकता है । इससे प्राप्त अंडो व विशेषकर मांस कि सुरक्षित आपूर्ति प्रदान करके एक बड़ी मानव जनसंख्या कि बढ़ती प्रोटीन भूख कि माँग को किया जा सकता है ।
- भारतीय परिदृश्य मे छोटे और भूमिहीन किसानों के लिए ये एक अच्छा आय का स्त्रोत साबित हो सकता है ।
- यह बात ध्यान देने योग्य हे कि कुक्कुट मांस व्यापक रूप से खाया जाना वाला पसंदीदा व्यंजन हे क्योंकि भारत जैसे सहिष्णु राष्ट्र मे ये किसी भी प्रकार के धार्मिक निषेधता से मुक्त है ।
- कुक्कुट पालन ने 19 वी शताब्दी से मनुष्यो के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । शुष्क, अर्धशुष्क , पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों मे रहने वाले। लॉगो को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करते हुए ये पक्षी आय के भरोसेमंद स्त्रोत है ।
- बैकयार्ड कुक्कुट पालन मे पाले जाने वाले पक्षी स्वतंत्र, फुर्तीले होने के साथ व बीमारियों के प्रति उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता पायी जाती है ।
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