दुधारू पशुओं के लिए सन्तुलित आहार

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दुधारू पशुओं के लिए सन्तुलित आहार

डॉ अंशिका तिवारी, डॉ अशोक कुमार पाटिल, डॉ ज्योत्सना राजोरिया, डॉ अर्पित वानखेड़े, डॉ वैशाली जैन

पशु पोषण विभाग

पशु चिकत्सा एवं पशुपालन महाविधालय, महू

 

ऐसा आहार जो पशु को आवश्यक पोषक तत्वों प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, खनिज, लवण विटामिन का उचित अनुपात एवं मात्रा में प्रदान करें, जिससे कि पशु की एक दिन की बढ़वार, स्वास्थ्य, दुग्ध उत्पादन, प्रजनन आदि बनाये रखें, संतुलित पशु आहार कहलाता है। पशु को 24 घंटों में खिलाए जाने वाले पोषक तत्वों/पदार्थों की मात्रा को आहार कहा जाता हैं। दुधारू पशुओं के आहार को सन्तुलित राशन में मिश्रण के विभिन पदार्थ की मात्रा मौसम और पशु भार तथा उसकी उत्पादन क्षमता के अनुसार रखी जाती है। ज्यादातर पशुपालक अपने पशुओं को भरपूर पोषण नहीं देते है। ऐसे में पशुओं का शारीरिक विकास तो रूकता ही है साथ ही पशुओं में रोग प्रतिरोधी क्षमता में भी कमी आ जाती है। इसलिए पशुपालकों को पशु आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए, ताकि पशु स्वस्थ रहे और उसका दूध उत्पादन प्रभावित न हो।

पशुओं के लिए आहार की विशेषतायें

  • आहार संतुलित होना चाहिए अर्थात सारे पोषक तत्वों का समावेश प्रचुर मात्रा में होना चाहिए । इसके लिए दाना मिश्रण में प्रोटीन तथा ऊर्जा के स्रोतों एवम् खनिज लवणों को एक निश्चित अनुपात में मिलाना चाहिए ।
  • यह किसान के लिए सस्ता होना चाहिए, आहार स्वादिष्ट व पौष्टिक होना चाहिए और इसमें किसी भी प्रकार की  दुर्गंध नहीं आनी चाहिए।
  • दाना मिश्रण में अधिक से अधिक प्रकार के दाने और खलों को मिश्रण करें। इससे दाना मिश्रण की गुणवत्ता तथा स्वाद दोनों में बढ़ोतरी होती है। पशु शरीर को १० आवश्यक अमीनो अम्लो की आवश्यकता होती है विभिन्न प्रकार के दानो को मिलाने से यह आवश्यकता पूर्ण हो जाती है l इसलिए हमें अधिक से अधिक दाने आहार में समायोजित करना चाहिए l
  • आहार सुपाच्य होना चाहिए। कब्ज / अफारा करने वाले या दस्त करने वाले चारे को नहीं खिलाना चाहिए। पशु को भरपेट चारा खिलाना चाहिए। पेट खाली रहने पर वह मिट्टी, चिथड़े व अन्य अखाद्य एवं गन्दी चीजें खाना शुरू कर देता है जिससे पशु के बीमार रहने की शिकायत बनी रहती है।
  • उम्र व दूध उत्पादन के हिसाब से पशु को दाना-चारा खिलाना चाहिए ताकि जरूरत के अनुसार उन्हें अपनी पूरी खुराक मिल सके।
  • आहार में हरे चारे की मात्रा अधिक होनी चाहिए। हो सके तो हरा और सूखे चारे को मिलाकर खिलावे l
  • पशु के आहार को अचानक नहीं बदलना चाहिए। यदि कोई बदलाव करना पड़े तो पहले वाले आहार के साथ मिलाकर धीरे-धीरे आहार में बदलाव करें।
  • पशु को खिलाने का समय निश्चित रखें। इसमें बार-बार बदलाव न करें। आहार खिलाने का समय ऐसा रखें जिससे पशु अधिक समय तक भूखा न रहे।
  • दाना मिश्रण ठीक प्रकार से पिसा होना चाहिए। यदि साबुत दाने या उसके कण गोबर में दिखाई दें तो यह इस बात को इंगित करता है कि दाना मिश्रण ठीक प्रकार से पिसा नहीं हैं तथा यह बगैर पाचन क्रिया पूर्ण हुए बाहर निकल रहा है। यह भी ध्यान रहे कि दाना मिश्रण बहुत बारीक भी न पिसा हो। खिलाने से पहले दाना मिश्रण को भिगो दें जिससे वह सुपाच्य तथा स्वादिष्ट बना रहे।
  • दाना मिश्रण को चारे के साथ अच्छी तरह मिलाकर खिलाने से कम गुणवत्ता व कम स्वाद वाले चारे की भी खपत बढ़ जाती हैं।
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 आहार मे  शुष्क पदार्थ

आहार के विभिन्न अवयवों में पानी की मात्रा भिन्न-भिन्न होती हैं। पशु आहार में हरा चारा, दाना तथा कृषि उत्पाद प्रयोग किए जाते हैं। दाने व अन्य कृषि उत्पादों जैसे भूसे,अनाज की कडवी, धान की पुराली, सूखी घास/चारा (हे) आदि में पानी की मात्रा लगभग 10-15 प्रतिशत (अर्थात शुष्क पदार्थ 85-90 प्रतिशत) होती हैं। परन्तु हरे चारे में उसकी परिपक्वता के अनुसार पानी की मात्रा 70 से 90 प्रतिशत तक हो सकती हैं। शुष्क पदार्थ की आवश्यकता पूरी करने के लिए, उसमें पानी की मात्रा जांच कर हरा चारा कितना देना होगा उसका अनुमान लगाया जा सकता है। उदाहरणतया यदि चारे में 80 प्रतिशत पानी हैं तो 20 किलो शुष्क पदार्थ के लिए 100 कि.ग्रा. हरा देना पडेगा अर्थात 100 कि.ग्रा. भार के पशु को 6 कि.ग्रा. शुष्क पदार्थ देने के लिए हरा चारा लगभग 30 कि.ग्रा. देना होगा।

संतुलित आहार दाना मिश्रण कितना खिलाना चाहिए

पशु के शरीर की देखभाल के लिए गाय 1.5 किलो प्रतिदिन
भैंस दो किलो प्रतिदिन
दुधारू पशुओं के लिए गाय प्रत्येक 2.5 लीटर दूध के पीछे एक किलो दाना
भैंस प्रत्येक दो लीटर दूध के पीछे एक किलो दाना
गर्भवती पशु के लिए गाय/भैस एक से 1.5 किलो दाना प्रतिदिन
बछड़े या बछड़ियों के लिए एक किलो से 2.5 किलो तक दाना प्रतिदिन उनकी उम्र या वजन के अनुसार देना चाहिए।

 

पशुओं का आहार व दाना मिश्रण तैयार करते समय निम्न बातों पर विशेष ध्यान  देंवे

  1. सबसे पहले पशु की अवस्था (पशु की अवस्थाये जैसे जीवन निर्वाह, उत्पादन और गर्भ धारण इत्यादि) के आधार पर शुष्क पदार्थ, प्रोटीन व कुल पाच्य तत्वों का निर्धारण करें।
  2. उसके बाद शुष्क पदार्थ के आधार पर विभिन्न आहारिक पदार्थ जैसे दाना, हरा चारा, सुखा चारा, आदि की मात्रा निर्धारित करें। उसके बाद विभिन्न दानो को कितने अनुपात में मिलाना है यह तय करे l
  3. जो मात्रा शुष्क पदार्थ के आधार पर आये उससे यह देखें कि प्रोटीन, कुल पाच्य पदार्थ कितने मिल रहे हैं।
  4. आहारों में तत्वों की मात्रा व पशु की शारीरिक पोषक तत्वों की आवश्कता देखकर निर्धारत करें।
  5. अगर किसी तत्व की मात्रा कम हो तो उसकी पूरी करने के लिए सबसे सस्ते आहार का इस्तेमाल करे यदि किसी तत्व की मात्रा ज्यादा हो तो उसे सबसे महंगे आहार की मात्रा कम करें।
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संतुलित आहार दाना मिश्रण तैयार करना: दाना मिश्रण बनाते समय यह ध्यान रखें कि तैयार दाना मिश्रण में प्रोटीन १५-१७% तथा कुल पाच्य तत्व कम से कम ६५-६८ % हो अतः निम्न अनुपात में ही दाना मिश्रण बनाएं।

 

आहार घटक मात्रा (प्रतिषत)
फार्मूला-१
अनाज 25-35
अनाज के सहउत्पादक 10-25
तेल बीजों की खली 25-35
दाल चुनी 5-20
खनिज मिश्रण (नमक रहित) 1-2
नमक   1
फार्मूला-२
खली 25-35%
मोटे अनाज 25-35%
चोकर, चुन्नी, भूसी 10-30%
खनिज लवण 2%
 साधारण नमक 1%

 

दाना मिश्रण के गुण लाभ

  • गाय-भैंस से अधिक समय तक दूध ले सकते है ।
  • यह मिश्रण पशुओं को स्वादिष्ट और पौष्टिक लगता है तथा शरीर की पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूर्ण करता है ।
  • यह बहुत जल्दी पच जाता है और पोषक तत्वों की दृष्टि से खल, बिनौला या चने से सस्ता पड़ता हैं।
  • यह पशुओं का स्वास्थ्य ठीक रखता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। जिससे पशु बीमार नहीं पढता l
  • इसको खिलाने से दूध और घी में भी बढ़ोत्तरी होती है।
  • इसको उचित मात्रा में खिलाने से पशुओ में जनन सम्बन्धी व्याधियो में कमी आती है ।

 

 

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