बंध्याकरण – जानें बकरों में बधियाकरण के फायदे
तपेन्द्र कुमार1 , माया मेहरा 2
1.पीएचडी स्कालर , पशु प्रसूति एव मादा रोग विभाग ,वेटरनरी कॉलेज बीकानेर
- म .वी. एस .सी स्कालर, जन स्वास्थय विभाग , वेटरनरी कॉलेज बीकानेर
बकरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है और इससे प्राप्त होने वाले उत्पाद जैसे दूध, मांस, बाल, चमड़े जैविक खाद इत्यादि लाभदायक होते है। बहुत सारे बेरोजगार युवक बकरी पालन वयवसाय से जुड़कर रोजगार तलाश कर रहे हैं । बकरी पालन में कम निवेश करके कम समय में अच्छा मुनाफा अर्जित किया सकता है। पालन-पोषण में थोड़ी सावधानी एवं जानकारी से अधिक से अधिक लाभ मिलता है।
बकरों के दोनों अंड कोशों अथवा मादा के दोनों अंडाशयों को निकालकर उसे नपुंसक बनाने की क्रिया को बधियाकरण कहते हैं| उन्नत पशु प्रजनन कार्यक्रम की सफलता के लिए अवांछित नर पशु का बधियाकरण बहुत ही आवश्यक कार्य जिसके बिना डेयरी पशुओं की नस्ल में सुधार करना असम्भव हैं| बकरों में बधियाकरण की उचित आयु 2 माह के बीच होती हैं|
बकरों में बधियाकरण करने की प्रमुख:त दो विधिया है-
- बर्डिजो कास्ट्रेटर द्वारा बधियाकरण:
इस विधि में रक्त बिल्कुल भी नहीं निकलता क्योंकि इसमें चमड़ी को कटा नहीं जाता| इसमें पशु के अंड कोशों से ऊपर की और जुडी स्पर्मेटिक कोर्ड जिकी चमड़ी के नीचे स्थित होती है, को इस यन्त्र के द्वारा बाहर से दबा कर कुचल दिया जाता है जिससे अंडकोषों में खून का दौरा बन्द हो जाता है|फलस्वरूप अंडकोष स्वत:ही सुख जाते हैं|
बर्डिजो कास्ट्रेटर द्वारा बधियाकरण करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतना आवश्यक है|
- बर्डिजो कास्ट्रेटर को दबाते समय स्पर्मेटिक कोड स्लिप नहीं करनी चाहिए|
- कास्ट्रेटर में अंडकोष नहीं दबाना चाहिये अन्यथा अंडकोषों में भारी सूजन आ जाती है जिससे पशु को तकलीफ होती है|
- कास्ट्रेटर में चमड़ी का फोल्ड नहीं आना चाहिए क्योंकि इससे चमड़ी के नीचे घाव होने का खतरा रहता है|
- कास्ट्रेटर को प्रयोग करने से पहले ठीक प्रकार से साफ कर लेना चाहिए|
2.शल्य क्रिया द्वारा बधियाकरण:
इस विधि में शल्य क्रिया द्वारा अंडकोषों के ऊपर चढ़ी चमड़ी (स्क्रोटम) को काटकर दोनों अंडकोषों को निकाल दिया जाता है| इस क्रिया में में पशु के एक छोटा सा घाव हो जाता है जोकि एंटीसेप्टिक दवाईयों के प्रयोग करके कुछ समय के पश्चात ठीक हो जाता है|
बंध्याकरण से लाभ निम्नानुसार है:-
- बधियाकरण द्वारा निम्न स्तर के पशु के वंश को आगे बढने से रोका जा सकता है जिससे उसके द्वारा असक्षम एवं अवांक्षित सन्तान पैदा ही नहीं होती जोकि सफल एवं लाभकारी पशुपालन के लिए आवश्यक है|
- बधिया किए गये पशु को आसानी से नियन्त्रित किया जा सकता है|
- नर बकरों की खास गंध से छुटकारा मिलती है।
- बधियाकरण से मांस के लिये प्रयोग होने वाले पशुओं के मांस की गुणवत्ता बढ़ जाती है एवं कम समय में अधिक वजन प्राप्त होने से कीमत अच्छी मिलती है ।
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