गाय एवं भैंस की उत्तम आवास व्यवस्था
डा॰ अवनिश कुमार गौतम एवं डा॰ संजय कुमार भारती
बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना-14
भारतीेय परिवेश में पशुपालन का कार्य उन 80 प्रतिशत परिवारों के हाथ में हैं, जो गाँवों में निवास करते हैं तथा मुख्यतः कृषि एवं कृषि आधारित व्यवसायों से जुड़े हैं। दूध उत्पादन से संबंधित व्यवसाय भी उन्हीं में से एक हैं। डेयरी पशुओं के बेहतर प्रबंधन में आवास की व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्थान हैं। पशु का आवास जितना अधिक स्वच्छ व आरामदायक होगा, पशु का स्वास्थ्य उतना ही उत्तम रहेगा तथा वह अपनी क्षमता के अनुसार अधिक से अधिक दूध उत्पादन करने में सक्षम होगा। साथ ही प्रतिकूल परिस्थितियों (सर्दीं, गर्मीं, वर्षा एवं लू इत्यादि) से बचाव के लिए भी समुचित आवास प्रबंधन आवश्यक है।
आदर्श गोशााला बनाते समय निन्न बातों को ध्यान में रखना चाहिएः
(1) पशु आवास पानी वाले स्थानों से दूर ऊँचे, सूखे साफ-सुथ्रे एवं स्वच्छ वातावरण में होना चाहिए तथा आवास वाले स्थान की मिट्टी बलुआही होनी चाहिए।
(2) पशु आवास हवादार तथा दिन भर सूर्य की रौशनी से परिपूर्ण होना चाहिए अर्थात धूप कम से कम तीन तरफ से लगनी चाहिए।
(3) पशु आवास पशुपालक के निवास स्थान के समीप होना चाहिए, साथ ही बाजार से जुड़नेवाले मुख्य मार्ग के समीप होना चाहिए।
(4) पशु गृह कर घेरा इतना बड़ा होना चाहिए कि पशु आसानी से शरीर घुमा सके तथा बैठ सके तथा नस्लवारर दैनिक आवश्यकता के अनुसार सामान्य व्यवहार दर्शाने की सुविधा हो। साथ ही दरवाजे एवं नाद इस प्रकार बने हो कि चारा दाना आसानी से खिलाया जा सके।
(5) पशु के बैठने एवं विश्राम का स्थान साफ, सूखा एवं फिसलन रहित होना चाहिए। पशु आवास पर बिजली एवं पानी की समुचित व्यवस्था होना आवश्यक हैं।
(6) विभिन्न श्रेणी के पशु जैसे बछड़ों, गाभिन पशु, बीमार पशु इत्यादि को रखने के लिए अलग-अलग बाड़ा होना चाहिए।
(7) चारा काटने तथा चारा-दाना रखने के लिए अलग भंडार गृह होना चाहिए।
(8) गोशाला के चारों ओर छायादार वृक्ष्ंा होने चाहिए।
(9) पशुओं के कार्य के लिए सस्ते श्रमिक की उपलब्धता भी उस स्थान पर होनी चाहिए क्योंकि बिना श्रमिक के बड़े पैमाने पर डेयरी कार्य चलाना उत्यन्त कठिन हैं। इसके अलावा डेयरी उत्पादोें जैसे दूध, पनीर, खोया इत्यादि के विपणन की सुविधा भी पास में होनी चाहिए।
(10) पशु आवास बनाने में सबसे महत्वपूर्ण बात है कि पशु गृह उपलब्ध स्थानीय वस्तुओं से निर्मित की जाए, ताकि वह सस्ता बन सके।
पशु आवास की बनावटः
(1) गोशाला की लम्बाई पूर्व से पश्चिम दिशा में होनी चाहिए, ताकि सूर्य की रोशनी खिड़कियों तथा दरवाजों से आवास में प्रवेश कर सके तथा पेशाब की नाली पर दिनभर धूप लग पाए।
(2) गोशाला में प्रति गाय 40 वर्गफीट एवं प्रति भैंस 45 वर्गफीट स्थान रखना चाहिए।
(3) पाँच गायों के लिए लगभग 40 फीट लम्बी एवं पाँच भैंस के लिए 45 फीट लम्बी तथा दोनो स्थिति में चैड़ाई 10 फीट होनी चाहिए। गोशाला को सामान्यतः तीन भागों में बाँटेंः
गाय के लिए स्थान: 20 फीट ग 10 फीट
भैंस के लिए स्थान: 22 फीट ग 10 फीट
बाछा-बाछी, पाड़ा-पाड़ी: 10 फीट ग 10 फीट
दाना-चारा तथा आवश्यक सामान रखने हेतु भंडार घर के लियेः 10 फीट ग 10 फीट
(4) पशु आवास की छत छप्पर, खपरैल, नालीदार चादारों की बनाई जाती हैं। छप्पर स्थानीय उपलब्ध सामानों से निर्मित की जानी चाहिए। यह सस्ती होती है साथ ही आरामदायक होती हैं।
(5) दीवार चिकनी एवं प्लास्टर युक्त बनानी चाहिए ताकि सफाई करने में आसानी हो।
(6) फर्श समतल होना चाहिए परन्तु चिकना नहीं होना चाहिए तथा जलरोधी होना चाहिए। पशुओं के खड़े होने का फर्श का स्थान सीमेंट कंक्रीट एवं ईट के खरंजे का बना सकते है।
(7) गोशाला में प्रति वयस्क पशु (गाय एवं भैंस) चारा का नाद के लिए 65 से०मी० से 85 से०मी० स्थान उपलब्ध कराना चाहिए। खाने के नाद की गहराई 35 से 40 से०मी० तथा चैड़ाई 50 से 60 से०मी० होनी चाहिए। पशु के खड़े होने की तरफ नाद की ऊँचाई 65 से 75 से०मी० होनी चाहिए।
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