बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय ने मनाया अपना 96वां स्थापना दिवस
अविभाजित भारत का पांचवा सबसे पुराना वेटरनरी कॉलेज में से एक बिहार पशुचिकित्सा महाविद्यालय ने अपना 96 वां स्थापना दिवस रविवार को महाविद्यालय प्रांगण में मनाया। स्थापना दिवस की अध्यक्षता बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेशवर सिंह ने किया वहीं पद्मश्री डॉ. जगदीश प्रसाद, भूतपूर्व निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाएं, स्वास्थ्य विभाग, भारत सरकार, मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया साथ ही जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने हेतु छोटे मटके से बड़े मटके में पानी डालकर जल संरक्षण का सन्देश दिया गया।
कार्यक्रम के शुरुआत में आयोजन सचिव डॉ. निर्भय कुमार ने सभी का स्वागत किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. जगदीश प्रसाद ने लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा की पशुचिकित्सा का समाज में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है, एक पशुचिकित्सक पशु के अलवा मानव स्वस्थ्य का भी ख्याल रखने में अहम भूमिका निभाता है। उन्होंने माइक्रोबियल डिसीसेस और पशुओं से मनुष्यों तक फैलने वाली ज़ूनोटिक डिसीसेस के बारे में बताते हुए एक पशुचिकित्सक की भूमिका पर प्रकाश डाला। छात्रों को सन्देश देते हुए उन्होंने कहा की छात्र लगन से पढ़े और अपना कीमती वक़्त बर्बाद न करें, अच्छी शिक्षा हासिल कर देश और समाज की सेवा में अपना उत्कृष्ट योगदान दें, उन्होंने आगे कहा की जिस प्रकार से देश-दुनियां में रोगाणुओं और ज़ूनोटिक बीमारियां का प्रकोप और दायरा फ़ैल रहा है और आएं दिन नए-नए वायरस का जन्म हो रहा है ऐसे में पशुचिकित्सा के छात्रों के लिए चुनौतियाँ बढ़ी है, साथ ही समाज हित में काम करने के अवसर भी बढ़ रहे हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति डॉ. रामेशवर सिंह ने कहा की इस महाविद्यालय का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है, एक नए विश्वविद्यालय में इतने पुराने महाविद्यालय का अंगीभूत होना हमारे लिए गर्व की बात है, इसलिए यह महाविद्यालय हमारा महत्वपूर्ण और फ्लैगशिप अंग है। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा की महाविद्यालय अपने शिक्षा, शोध और प्रसार शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार हेतु निरंतर काम करें। अकादमिक स्टैण्डर्ड, अकादमिक कैलेंडर, परीक्षा के सेशन को सुचारु बनाना सुनिश्चित करें। उन्होंने लोगों को जानकारी देते हुए कहा की विगत कुछ दिनों में महाविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा कई राष्ट्रीय प्रोजेक्ट लाएं गए हैं जो सराहनीय है, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत विश्वविद्यालय में स्थापित एम्ब्रोयो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी और आई.वी.एफ. लैब के सहारे महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कम समय में उच्च गुणवत्ता वाले नस्लों का जन्म और एम्ब्रोयो के निर्माण में सफलता प्राप्त की हैं, और सरकार से आग्रह किया गया है की एम्ब्रोयो की मांग किया जाये जिसकी पूर्ति विश्वविद्यालय करेगा साथ ही किसानों तक एम्ब्रोयो पहुँचाने हेतु सप्लाई तंत्र विकसित किया जाये।
इस अवसर पर महाविद्यालय के डीन डॉ. जे.के.प्रसाद ने महाविद्यालय के स्थापना के पीछे के इतिहास से लोगों को रूबरू करवाया। उन्होंने बताया की 1923-24 में बिहार और ओड़िशा प्रोविंस के लिए एक कॉलेज की जरुरत महसूस हुई और इसके लिए प्रस्ताव दिया गया, इससे पूर्व इधर के विद्यार्थी बंगाल वेटरनरी कॉलेज में पढ़ने जाया करते थे। 1927 से यह महाविद्यालय सुचारु रूप से कार्यरत है जिसके गौरवशाली 96 साल को हम मना रहे हैं।
इस अवसर पर महाविद्यालय द्वारा पशुपालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहे प्रगतिशील किसानों को मुख्य अतिथि और कुलपति द्वारा सम्मानित किया गया साथ ही महाविद्यालय के शिक्षक डॉ. संजय कुमार भारती, डॉ. अजित कुमार, डॉ. रमेश तिवारी को बेस्ट टीचर के अवार्ड से नवाज़ा गया। डॉ. मनोज सिंह, डॉ. जी.डी. सिंह को राष्ट्रीय सेवा योजना और राष्ट्रीय केडेट कोर के कार्यों के बेहतर संपादन के लिए और महाविद्यालय के 13 छात्रों को को-करिकुलर एक्टिविटी में बेहतर प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया।