ग्रामीण इलाकों में ब्रायलर मुर्गी पालन एक सुविकसित व्यवसाय 

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ग्रामीण इलाकों में ब्रायलर मुर्गी पालन एक सुविकसित व्यवसाय 

डॉ रुचि सिंह गौर
पशु चिकित्सा अधिकारी
पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश

पुराने समय से ग्रामीण इलाकों में मुर्गियों को पाला जाता रहा है लेकिन आज के समय मे मुर्गी पालन एक बड़े व्यवसाय के रुप में उभर रहा हैं. जिसमें किसान खेती के साथ अतिरिक्त आय के लिए यह व्यवसाय कर सकता हैं.अंडे या मांस के लिए विभिन्न घरेलू पक्षियों जैसे मुर्गा, टर्की, ईमू, बत्तख, गीज़ आदि को पालने की विधि  को मुर्गीपालन कहा जाता है। यह भारत में इतने लंबे समय से प्रचलित है कि अब यह खेती और कृषि प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है। 1950 के दशक से भारत में पोल्ट्री फार्मिंग में जबरदस्त बदलाव आया है। पहले यह एक असंगठित और गैर-वैज्ञानिक प्रणाली थी परन्तु समय के साथ यह अधिक व्यवस्थित, नियोजित, वैज्ञानिक, वाणिज्यिक और संगठित कृषि पद्धति में बदल  गया है। विश्व स्तर पर, भारत अंडा उत्पादन में दुनिया में तीसरे और चिकन मांस उत्पादन में दुनिया में पांचवें स्थान पर है। यद्यपि उत्पादन मुख्य रूप से व्यावसायिक साधनों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है लेकिन ग्रामीण पोल्ट्री क्षेत्र भी भारतीय पोल्ट्री उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसे विश्वसनीय आर्थिक और पोषण स्रोत के रूप में देखा जाता है.

मुर्गीपालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसको कम लागत में शुरू करके हर महीने हजारों रुपए कमाए जा सकते हैं। अगर कोई किसान 500 मुर्गी से इस व्यवसाय को शुरू करता है तो एक महीने में 10 से 12 हजार रुपए की अतिरिक्त आय कमा सकता है। इस व्यवसाय में पशुपालक को बहुत ज्यादा पैसे की जरूरत नहीं होती है। अगर कोई व्यक्ति इस व्यवसाय को शुरू करना चाहता है तो वह 500 ब्रायलर मुर्गियों से शुरुआत कर सकता है। पुराने दौर में मुर्गे लड़ाए जाते थे, लोग खूब मजे लेते थे और मुर्गे लहूलुहान हो जाते थे। बाजी लगा करती थी, हारने वाला मुर्गा अक्सर कटकर कड़ाही में पककर थाली में सज जाता था। नए जमाने में मुर्गे मजेदार नहीं रहे। ब्रायलर के दौर में देशी मुर्गो को कौन पूछे। मुर्गो की लड़ाई तो दूर सुबह-सबेरे उनकी बाग तक सुनाई नहीं पड़ती। कारण देशी मुर्गे पर ब्रायलर मुर्गा हावी हो गया है। देशी मुर्गे की तरह वह एक साल में नहीं महज 24 दिन में ही तैयार हो जाता है।
पुराने समय से ग्रामीण इलाकों में मुर्गियों को पाला जाता रहा है लेकिन आज के समय मे मुर्गी पालन एक बड़े व्यवसाय के रुप में उभर रहा हैं । जिसमें किसान खेती के साथ अतिरिक्त आय के लिए यह व्यवसाय कर सकता हैं.

आइए जानते हैं Broiler Poultry Farm (ब्रायलर मुर्गी पालन) के बारे में-

मुर्गीपालन दो प्रकार के होते हैं :

  1. ब्रायलर मुर्गी पालन-मांस के लिए किया जाता है.
  2. लेयर मुर्गी पालन-अंडे के लिए किया जाता है.

ब्रायलर पोल्ट्री फार्म क्या हैं? What is Broiler Poultry Farm in Hindi?

भारत में पोल्ट्री फार्मिंग में ब्रायलर चिकन सबसे लोकप्रिय पक्षी है, इन मुर्गियों का पालन माँस उत्पादन के लिए किया जाता हैं.

ब्रायलर छोटी मुर्गीयां होती हैं जो 5 से 6 सप्ताह की होती हैं. ब्रायलर प्रजाति के मुर्गा या मुर्गी अंडे से निकलने के बाद 40 से 50 ग्राम के ग्राम के होते हैं जो सही प्रकार से दाना- दवा खिलाने और सही रख-रखाव के बाद के बाद 6 हफ्ते में लगभग 1.5 किलो से 2 किलो के हो जाते हैं.

आज ब्रायलर पोल्ट्री फार्मिंग एक सुविकसित व्यवसाय के रूप में उभर चूका है. ब्रायलर मुर्गी पालन कम समय में अधिक से अधिक पैसे कमाने का व्यवसाय है, इसे छोटे किसान भी छोटे गाँव में कर सकते हैं. ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए बहुत कम निवेश की आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें छह सप्ताह के भीतर विकसित कर बेचा जा सकता है.

आज भारत में ब्रायलर फार्मिंग एक सुविकसित व्यवसाय के रूप में उभर चूका है। ब्रायलर मुर्गी पालन कम समय में अधिक से अधिक पैसे कमाने का व्यवसाय है। इसे छोटे किसान भी छोटे गाँव में कर सकते हैं बस उन्हें सही गाइड की आवश्यकता है।

 

ब्रायलर मुर्गी क्या है? What is Broiler Chicken ?

 

ब्रायलर मुर्गी का पालन मांस के लिए किया जाता है। Broiler प्रजाति के मुर्गा या मुर्गी अंडे से निकलने के बाद 40 ग्राम के होते हैं जो सही प्रकार से दाना खिलाने के बाद 6 हफ्ते में लगभग 1.5 किलो से 2 किलो के हो जाते हैं।

ब्रॉइलर फार्म के लिए शेड कैसे बनाएं? How to make shed for broiler farm?

फार्म के लिए जगह का चयन Selection of place for making shed

  • जगह समतल हो और कुछ ऊंचाई पर हो, जिससे की बारिश का पानी फार्म में जमा ना हो सके।
  • मुख्य सड़क से ज्यादा दूर ना हो जिससे लोगों का और गाड़ी का आना जाना सही रूप से हो सके।
  • बिजली और पानी की सुविधा सही रूप से उपलब्ध हो।
  • चूज़े, ब्रायलर दाना, दवाईयाँ, वैक्सीन आदि आसानी से उपलब्ध हो।
  • ब्रायलर मुर्गी बेचने के लिए बाज़ार भी हो।

फार्म के लिए शेड का निर्माण Making of shed for broiler farm

  • शेड हमेशा पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और शेड के जाली वाला साइड उत्तर-दक्षिण में होना चाहिए जिससे की हवा सही रूप से शेड के अन्दर से बह सके और धुप अन्दर ज्यादा ना लगे।
  • शेड की चौड़ाई 30-35 फुट और लम्बाई ज़रुरत के अनुसार आप रख सकते हैं।
  • शेड का फर्श पक्का होना चाहिए।
  • शेड के दोनों ओर जाली वाले साइड में  दीवार फर्श से मात्र 6 इंच ऊँची होनी चाहिए।
  • शेड की छत को सीमेंट के एसबेस्टस या चादर से बनाना चाहिए और बिच-बिच में वेंटिलेशन के लिए जगह भी होना चाहिए। चादर को दोनों साइड 3 फीट कट लम्बा रखें जिससे की बारिश के बौछार से शेड ना भिज जाये।
  • शेड की साइड की ऊँचाई फर्श से 8-10 फूट होना चाहिए व बीचो-बीच की ऊँचाई फर्श से 14-15 फूट होना चाहिए।
  • शेड के अन्दर बिजली के बल्ब, मुर्गी दाना व पानी के बर्तन, पानी की टंकी की उचित व्यवस्था होना चाहिए।
  • एक शेड को दुसरे शेड से थोडा दूर- दूर बनायें। आप चाहें तो एक ही लम्बे शेड को बराबर भाग में दीवार बना कर भी बाँट सकते हैं।

 

दाने और पानी के बर्तनों की जानकारी Feeders and drinkers for broiler farm

  • प्रत्येक 100 चूज़ों के लिए कम से कम 3 पानी और 3 दाने के बर्तन होना बहुत ही आवश्यक है।
  • दाने और पानी के बर्तन आप मैन्युअल या आटोमेटिक किसी भी प्रकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। मैन्युअल बर्तन साफ़ करने में आसान होते हैं लेकिन पानी देने में थोडा कठिनाई होती है पर आटोमेटिक वाले बर्तनों में पाइप सिस्टम होता है जिससे टंकी का पानी सीधे पानी के बर्तन में भर जाता है।

बुरादा या लिटर Management of Litter

  • बुरादा या लिटर के लिए आप लकड़ी का पाउडर, मूंगफली का छिल्का या धान का छिल्का का उपयोग कर सकते हैं।
  • चूज़े आने से पहले लिटर की 3-4 इंच मोटी परत फर्श पर बिछाना आवश्यक है। लिटर पूरा नया होना चाहिए एवं उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो।

मुर्गी फार्म मे ब्रूडिंग Brooding in chicken farm

  • चूज़ों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रूडिंग सबसे ज्यादा आवश्यक है। ब्रायलर फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता है। अगर ब्रूडिंग में गलती हुई तो आपके चूज़े 7-8 दिन में कमज़ोर हो कर मर जायेंगे या आपके सही दाना के इस्तेमाल करने पर भी उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पायेगा।
  • जिस प्रकार मुर्गी अपने चूजों को कुछ-कुछ समय में अपने पंखों के निचे रख कर गर्मी देती है उसी प्रकार चूजों को फार्म में भी जरूरत के अनुसार तापमान देना पड़ता है।
  • ब्रूडिंग कई प्रकार से किया जाता है –  बिजली के बल्ब से, गैस ब्रूडर से या अंगीठी/सिगड़ी से।
  1. बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग Brooding with Bulbs
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इस प्रकार के ब्रूडिंग के लिए आपको नियमित रूप से बिजली की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में प्रति चूज़े को 1 वाट की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों के महीने में प्रति चूज़े को 2 वाट की आवश्यकता होती है।

गर्मी के महीने में 4-5 दिन ब्रूडिंग किया जाता है और सर्दियों के महीने में ब्रूडिंग 12-15 दिन तक करना आवश्यक होता है। चूजों के पहले हफ्ते में ब्रूडर को लिटर से 6 इंच ऊपर रखें और दुसरे हफ्ते 10 से 12 इंच ऊपर।

  1. गैस ब्रूडर द्वारा ब्रूडिंग Brooding with Gas brooder

जरूरत और क्षमता के अनुसार बाज़ार में गैस ब्रूडर उपलब्ध हैं जैसे की 1000 औ 2000 क्षमता वाले ब्रूडर। गैस ब्रूडर ब्रूडिंग का सबसे अच्छा तरिका है इससे शेड केा अन्दर का तापमान एक समान रहता है।

  1. अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग Brooding with Fireplace

ये खासकर उन क्षेत्रों के लिए होता हैं जहाँ बिजली उपलब्ध ना हो या बिजली की बहुत ज्यादा कटौती वाले जगहों पर। लेकिन इसमें ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इससे शेड में धुआं भी भर सकता है या आग भी लग सकता है।

ब्रायलर मुर्गी दाना से जुड़ी जानकारी Broiler feed

ब्रायलर फार्मिंग में 3 प्रकार के दाना की आवश्यकता होती है। यह दाना ब्रायलर चूजों के उम्र और वज़न के अनुसार दिया जाता है –

  • प्री स्टार्टर (Pre-starter feed) (0-10 दिन तक के चूजों के लिए)
  • स्टार्टर (Starter feed) (11-20 दिन के ब्रायलर चूजों के लिए)
  • फिनिशर (Finisher feed) (21 सिन से मुर्गे के बिकने तक)

पीने का पानी Drinking water for chickens

ब्रायलर मुर्गा 1 किलो दाना खाने पर 2-3 लीटर पानी पीता है। गर्मियों में पानी का पीना दोगुना हो जाता है। जितने सप्ताह का चूजा उसमें 2 का गुणा करने पर जो मात्र आएगी, वह मात्र पानी की प्रति 100 चूजों पर खपत होगी, जैसे –

पहला सप्ताह = 1 X 2 = 2 लीटर पानी/100 चूजा
दूसरा सप्ताह = 2 X 2 = 4 लीटर पानी /100 चूजा

ब्रायलर मुर्गियों के लिए जगह का हिसाब How much space is required for one broiler chicken?

पहला सप्ताह – 1 वर्गफुट/3 चूज़े
दूसरा सप्ताह – 1 वर्गफुट/2 चूज़े
तीसरा सप्ताह से 1 किलो होने तक – 1 वर्गफुट/1 चूज़ा
1 से 1.5 किलोग्राम तक – 1.25 वर्गफुट/1 चूज़ा
1.5 किलोग्राम से बिकने तक -1.5 वर्गफुट/1 चूज़ा

सही प्रकार से चूजों को जगह मिलने पर चुज़ो को विकास अच्छा होता है और कई प्रकार की बिमारियों से भी उनका बचाव होता है।

ब्रायलर मुर्गियों के लिए लाइट या रोशनी का प्रबंध Light management in broiler farm

चूजों को 23 घंटे लाइट देना चाहिए और एक घंटे के लिए लाइट बंद करना चाहिए, ताकि चूज़े अंधेरा होने पर भी ना डरें। पहले 2 सप्ताह रोशनी में कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे चूज़े स्ट्रेस फ्री रहते हैं और दाना पानी अच्छे से खाते हैं। शेड के रौशनी को धीरे – धीरे कम करते जाना चाहिए।

 

ब्रायलर चूज़ों को पालने की पूरी जानकारी

चूज़े आने के 7-8 दिन पहले ही शेड को अच्छे से साफ़ करें। सबसे पहले मकड़ी के जालों को अच्छे से हटा दें उसके बाद ही नीचे की सफाई करें। उसके बाद फर्श को अच्छे से धोएं और चुनें से पोताई करें।

  1. उसके बाद शेड के बहार और अन्दर 3 प्रतिशत फोर्मलिन या किसी अच्छेकीटाणुनाशक का स्प्रे करें तथा दोनों जाली वाले साइड से परदों को ढक दें।
  2. चुजें आने के 1-2 दिन पहले फर्श पर 3-4 इंच तक बुरादे या लिटर की मोटी परत बिछाएं। लिटर पूरा नया और सुखा होना चाहिए।
  3. चूज़े आने के 24 घंटे पहले टिन की चादर से गोलाकार घर बनायें जिसका डाया-मीटर 3 मीटर होना चाहिए 250 चूजों के लिए।
  4. उस गोलाकार घर के अन्दर बुरादे के ऊपरअख़बार या पेपर की दो परतें बिछाएं।
  5. चूज़े आने के 24 घंटे पहले दोनों ओर के पर्दों को गिराकर शेड को पूरी तरह से बंद कर दें और शेड के अन्दर बल्ब या ब्रूडर को चालू कर दें जिससे की चूजों को आते ही सही तापमान (75oF) मिले।
  6. साथ हीउसी समय पानी के बर्तनों में पानी भर के ब्रूडर के पास रखें। पानी में इलेक्ट्रोलाइट पाउडर एवं पोटेशियम क्लोराइड मिला कर दें।
  7. चूजों को जितना जल्दी हो सके चिक्स बॉक्स से निकालें ज्यादा देर होने पर चूजों कोनिर्जलीकरण भी हो सकता है और चूज़े मर भी सकते हैं। इसलिए चूज़ों को छोड़ने के बाद कुछ देर तक उन्हें पानी पीने के लिए दें।
  8. पानी पीने के बाद मक्के का दलिया पेपर के ऊपर डालें औए दानें के बर्तन में भी मक्के का दलिया 6-8 घंटे तक खाने को दें। उसके बाद ही प्रीस्टार्टर खाने के लिए दें।
  9. सर्दियों के महीनेमें चूजों को फार्म पर सुबह या दोपहर के समय डिलीवरी कराएँ, रात को कभी ना कराएँ।
  • छोटे व कमज़ोर चूजों को अच्छे चूज़ो से अलग रखें और उनका दाना पानी भी अलग से उनकों दें। ऐसा इसलिए क्योंकि कमज़ोर चूज़े जब अन्य चूजों के साथ खाना खाते हैं या पानी पीते हैं तो तंदरुस्त चूज़े कमज़ोर को कुचल देते हैं और वो मर जाते हैं। पर अगर आपको कुछ चूजों में किसी भी प्रकार की बीमारी का पता चलता है तो उन्हें उसी समय दुसरे स्वस्थ चूज़ों से तुरंत दूर रखें।
  • चूज़ों के सही रूप से विकास के लिए उचित दवाइयाँ और टीकाकरण करना बहुर ही आवश्यक है।
  • गर्मी के मौसममें उत्पन्न तनाव व हीट स्ट्रेस को कम करने के लिए Multivitamin,Vitamin C और Lysine की अधिक आवश्यकता होती है।
  • शेड के अन्दर बुरादे या लिटर से Ammonia उत्पन्न होने से रोकने के लिए हर हफ्ते एक-दो बार लिटर में 1 किलोग्राम 20 वर्गफूट चुना छिड़क कर बुरादा/लिटर को खोद कर उलट-पुलट करें। इससे लिटर सुखा रहता है और Ammonia उत्पन्न नहीं हो पाता।
  • पानी को साफ़रकने के लिए प्रति 1000 लिटर पानी में 6 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर और 1 ग्राम पोटैशियम परमैंगनेट मिलाएं।
  • टीकाकरण के 3 दिन पहले और 3 दिन बाद किसी भी प्रकार के एंटीबायोटिक का उपयोग ना करें इससे वैक्सीन की शक्ति नस्ट हो जाती है। साथ ही 1 दिन पहले और 1 दिन बाद पानी में किसी भी प्रकार का सेनिटाइज़र या ब्लीचिंग पाउडर ना मिलाएं।टीकाकरण के पहले व् बाद Antistress विटामिन जैसे B-Complex, Lysine Vitamin चीज़ों को दें।
  • ब्रायलर चूजों में किसी भी प्रकार की स्वस्थ सम्बन्धी असुविधा के लिए तुरंत अपने नजदीकी विशेषज्ञ से सलाह लें।

ब्रायलर मुर्गियों का टीकाकरण Vaccination schedule in broiler chickens

हमेशा स्वस्थ मुर्गियों का ही टीकाकरण करें और बीमार मुर्गियों को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दें !

दिन  वैक्सीन या टिके का नाम देने का तरिका
6-7 दिन के भीतर Lasota Vaccine/Ranikhet disease लासोटा वैक्सीन/रानीखेत बीमारी के लिए आँख या नाक में बूंद डालने के द्वारा
10-12 दिन के भीतर Infectious Brusal Disease/Gumboro इन्फेक्शस ब्रूसल बीमारी या गुम्ब्रो के लिए ठन्डे या बर्फ वाले पानी में, दूध या दूध के पाउडर के साथ
18-21 दिन के भीतर Lasota Vaccine( intermediate) लासोटा वैक्सीन का बूस्टर वैक्सीन ठन्डे या बर्फ वाले पानी में, दूध या दूध के पाउडर के साथ
24-30 दिन के भीतर Gumboro disease गुम्ब्रो बिनरी के लिए बूस्टर वैक्सीन ठन्डे या बर्फ वाले पानी में, दूध या दूध के पाउडर के साथ

ब्रायलर मुर्गी फार्म की बायोसिक्यूरिटी से जुड़ी जानकारी Biosecurity in Broiler farm

  1. ब्रायलर मुर्गी के दाना को साफ़ सूखे स्थान पर रखें क्योंकि यह खुला और पुराना हो जाने पर दाने में फफून लग जाते हैं जो चूज़ों और मुर्गियों के स्वास्थ के लिए ख़राब होता है।
  2. बाहर के व्यक्तियों को फार्म तथा शेड के पास न जाने दें ! इससे फार्म में बाहर से इन्फेक्शन आने का खतरा बढ़ता है।
  3. शेड के बाहर तथा अन्दर महीने में 3-4 बार चुने का छिडकाव करें।
  4. मुर्गी डीलर के गाड़ी को शेड से दूर रोकें। पास ले जाने पर दुसरे फार्म के इन्फेक्शन फार्म में आने का खतरा होता है।
  5. कुत्ते, बिल्ली, चूहे और बाहरी पक्षियों को फार्म के भीतर ना जाने दें।
  6. फार्म के शेड के अन्दर घुसने से पहले अपने रबर के जूतों को पहनें और पहन कर 3 प्रतिशत फोर्मलिन में डूबा कर अन्दर घुसें।
  7. एक शेड से दुसरे शेड में जाने से पहले अपने रबर के जूतों को दोबारा 3 प्रतिशत फोर्मलिन में दुबयें या प्रति शेड के लिए अलग-अलग जूतों का इस्तेमाल करें तथा हांथों को साबुन से अच्छे से धोएं।
  8. एक ही शेड में उसके क्षमता के अनुसार ही चूज़े रखें Overcrowding ना करें। इससे बीमारियाँ बढती हैं और साफ़ सफाई में मुश्किल होती है।
  9. ब्रायलर मुर्गियों के बिक्री के बाद शेड के लिटर को शेड के पास ना फेकें उन्हें कहीं दूर बड़े गढ़े खुदवा कर गडा  दें।
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सर्दियों के मौसम में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें? How to take care of Broiler Chicks in Winter

ब्रायलर मुर्गी पालन मे सर्दियों के मौसम मे निम्नलिखित चीजों का ध्यान दें –

  1. सर्दियों के महीने में चूज़ों की डिलीवरीसुबह के समय कराएँ, शाम या रात को बिल कुल नहीं क्योंकि शाम के समय ठण्ड बढती चली जाती है।
  2. शेड के परदे चूजों के आने के 24 घंटे पहले से ही ढक कर रखें।
  3. चूजों के आने के कम से कम 2-4 घंटे पहले ब्रूडर ON किया हुआ होना चाहिए।
  4. पानी पहले से ही ब्रूडर के नीचे रखें इससे पानी भी थोडा गर्म हो जायेगा।
  5. अगर ठण्ड ज्यादा हो तो ब्रूडर को कुछ समय के हवा निरोधी भी आप बना सकते हैं किसी भी पोलिथीन से छोटे गोल शेड को ढक कर।

ब्रूडिंग तापमान Brooding Temperature

पहला सप्ताह – 90 डिग्री F – 95 डिग्री F
दुसरे सप्ताह – 5 डिग्री F प्रतिदिन तापमान कम करते जाएँ जब तक चूज़ों को ठंण्ड ना लगने के अनुसार।

गर्मियों के महीने में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें? How to take care of Broiler Chicks in Summer and also Special Precaution ?

ब्रायलर मुर्गी पालन मे गर्मियों मे निम्नलिखित चीजों का ध्यान दें

  1. चूज़ों के फार्म पर पहुँचते ही इलेक्ट्रोलाइट पाउडर वाला पानी पिलायें। चूज़ों को 5-6 घंटे तक यही पानी पीने को दें।
  2. पानी के बर्तन उचित संख्या में लगायें -100 चूज़ों के लिए 3-4 बर्तन।
  3. 6-8 घंटे तक मात्र मक्के का दलिया दें।
  4. दिन के समय ब्रूडिंग ना करें।
  5. बुरादे में मोटाई 5-2 इंच रखें।
  6. शेड में Ventilation सही होना चाहिए। पर्दों को दिन-रात दोनों समय खुला रखें।
  7. संभव हो सके तो छतपर स्प्रिंकलर लगायें या भूसा के नाड़े छत पर बिछाएं।
  8. गार्मि से उत्पन्न होने वाले स्ट्रेस को कम करने के लिए विटामिन C पानी में दें।
  9. मुर्गियों को 1-1.5 किलो होते ही बिक्री शुरू कर दें।
  • 750 ग्राम से ऊपर वाले मुर्गियों को सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक दाना न दें या फीडर को ऊपर उठा दें।
  • Overcrowding ना करें, हो सके तो शेड के क्षमता से 20 प्रतिशत कम मुर्गियां रखें।

बारिश के महीने में ब्रायलर मुर्गियों की देखभाल कैसे करें? How to take care of Broiler Chicks in Rainy Season and also Special Precaution ?

ब्रायलर मुर्गी पालन मे बारिश के महीने मे निम्नलिखित चीजों का ध्यान दें

  1. चूज़ों के फार्म पर पहुँचते ही इलेक्ट्रोलाइट पाउडर + पोटेशियम परमैंगनेट वाला पानी पिलायें।चूज़ों को 5-6 घंटे तक यही पानी पीने को दें उसके बाद 6-8 घंटे मक्के का दलिया और उसके बाद प्री स्टार्टर दें।
  2. मौसम के अनुसार ब्रूडर का उचित तापमान रखें।
  3. शेड में Ventilation सही होना चाहिए। पर्दों को दिन-रात दोनों समय खुला रखें अगर बारिश ज्यादा हो तो ढक दें।
  4. शेड के अन्दर पानी जमा होने ना दें।
  5. बुरादे की मोटाई 2-3 इंच रखें।
  6. बारिश के महीने में शेड के अन्दर आना-जाना कम करें।

 

कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां ब्रायलर मुर्गीपालन शुरू करने से पहले:

  • ब्रायलर मुर्गी पालन करने के लिए पहले इसे छोटे स्तर के रूप शुरू करें। फिर बाद में बड़े पोल्ट्री फार्म में विकसित करें।
  • चूजे हमेशा विश्वसनीय और प्रमाणित हेचरी से ही लें।
  • हमेशा उच्चतम गुणवत्ता वाले और अच्छी कंपनी की दवा और टीका का प्रयोग करें।
  • ब्रायलर मुर्गी पालन में Bio-security (जैविक सुरक्षा के नियम) का पालन करें।
  1. मुर्गी पालन के लिए जगह का चुनाव करना:

मुर्गी पालन के लिए सही जगह का चुनाव करना आवश्यक हैं.

  • जगह समतल हो और कुछ ऊंचाई पर हो, जिससे की बारिश का पानी फार्म में न जा सके.
  • मुर्गी पालन की जगह आवासीय क्षेत्र व मुख्य सड़क से दूर होनी चाहिए.
  • मुख्य सड़क से बहुत अधिक दूर भी न हो जिससे की आने जाने मे परेशानी ना हो.
  • बिजली व पानी की उचित सुविधा उपलब्ध होना चाहिए.
  • मुर्गियों के शेड व बर्तनों की साफ सफाई नियमित रूप से करते रहें.
  • चूज़े, दवाई, वैक्सीन, एवं ब्रायलर दाना आसानी से उपलब्ध हों.
  • फार्म की लंबाई पूरब से पश्चिम की ओर होना चाहिए.
  • एक शेड में केवल एक ही ब्रीड के चूजे रखने चाहिए.
  1. ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए शेड का निर्माण: House Design for Broiler Poultry Farm:
  • शेड हमेशा पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और शेड के जाली वाला साइड उत्तर-दक्षिण में होना चाहिए
    जिससे की हवा सही रूप से शेड के अन्दर से बह सके और धुप अन्दर ज्यादा ना लगे.
  • शेड की चौड़ाई 30-35 फुट और लम्बाई ज़रुरत के अनुसार आप रख सकते हैं.
  • ब्रायलर पोल्ट्री फार्म शेड का फर्श पक्का होना चाहिए.
  • पोल्ट्री फार्म शेड की साइड की ऊँचाई फर्श से 8-10 फूट होना चाहिए और बीच (Center) की
    ऊँचाई फर्श से 14-15 फूट होना चाहिए.
  • शेड के अन्दर मुर्गी दाना व पानी के बर्तन, पानी की टंकी और बिजली के बल्ब की उचित व्यवस्था होनी चाहिए.
  • आप चाहे तो लबे शेड की बराबर भाग मे बाट (Partition) सकते हैं.

 

  1. ब्रायलर चूज़े के लिए दाना और पानी के बर्तनों की जानकारी.
  • प्रत्येक 100 चूज़ों के लिए कम से कम 3 पानी और 3 दाने के बर्तन होना बहुत ही आवश्यक है.
  • दाने और पानी के बर्तन आप मैन्युअल या आटोमेटिक किसी भी प्रकार का इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • मैन्युअल बर्तन साफ़ करने में आसान होते हैं लेकिन पानी देने में थोडा कठिनाई होती है, पर
    आटोमेटिक वाले बर्तनों में पाइप सिस्टम होता है जिससे टंकी का पानी सीधे पानी के बर्तन में भर जाता है.
  1. बुरादा या लिटर: Litter Management:

लिटर (Litter) क्या होता हैं?
ब्रायलर पोल्ट्री फार्म में जो फर्श पर बिछावन की जाती हैं उसे हम लिटर कहते हैं.

  • बुरादा या लिटर के लिए आप लकड़ी का पाउडर, मूंगफली का छिल्का या धान का छिल्का का उपयोग कर सकते हैं.
  • चूज़े आने से पहले लिटर की 3-4 इंच मोटी परत फर्श पर बिछाना आवश्यक है.
  • लिटर पूरा नया होना चाहिए एवं उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो.
  1. ब्रूडिंग (Brooding) :

ब्रूडिंग क्या होता हैं? What is Brooding in Broiler Poultry Farm?
जिस प्रकार मुर्गी अपने चूजों को अपने पंखों के नीचे रखकर गर्मी देती हैं उसी प्रकार हम कृत्रिम रूप से चूजों को तापमान देते हैं उसे ब्रूडिंग कहते हैं.

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चूज़ों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रूडिंग सबसे ज्यादा आवश्यक है, ब्रायलर फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता है. अगर ब्रूडिंग में गलती हुई तो आपके चूज़े 7-8 दिन में कमज़ोर हो कर मर जायेंगे, या आपके सही दाना के इस्तेमाल करने पर भी उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पायेगा.

ब्रूडिंग के प्रकार:

  • बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग
  • गैस ब्रूडर से ब्रूडिंग
  • अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग

बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग :

  • इस प्रकार के ब्रूडिंग के लिए आपको नियमित रूप से बिजली की आवश्यकता होती है.
  • गर्मी के महीने में प्रति चूज़े को 1 वाट की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों के महीने
    में प्रति चूज़े को 2 वाट की आवश्यकता होती है.
  • गर्मी के महीने में 4-5 दिन ब्रूडिंग किया जाता है और सर्दियों के महीने में ब्रूडिंग 12-15
    दिन तक करना आवश्यक होता है.
  • चूजों के पहले हफ्ते में ब्रूडर को लिटर से 6 इंच ऊपर रखें और दूसरे हफ्ते 10-12 इंच ऊपर.

गैस ब्रूडर से ब्रूडिंग :

  • जरूरत और क्षमता के अनुसार बाज़ार में गैस ब्रूडर उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए 1000 और 2000 क्षमता वाले.
  • गैस ब्रूडर ब्रूडिंग का सबसे अच्छा तरिका है इससे शेड केा अन्दर का तापमान एक समान रहता है.

अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग :

  • ये खासकर उन क्षेत्रों के लिए होता हैं जहाँ बिजली उपलब्ध ना हो या बिजली की बहुत ज्यादा कटौती वाले जगहों पर.
  • इसमें ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इससे शेड में धुआं भी भर सकता है या आग भी लग सकती है।
  1. ब्रायलर मुर्गी दाना की जानकारी:Feeding Information for Broiler Poultry Farm:

ब्रायलर फार्मिंग में 3 प्रकार के दाना की आवश्यकता होती है, यह दाना ब्रायलर चूजों के उम्र और वज़न के अनुसार दिया जाता है.

  • प्री स्टार्टर :0-10 दिन तक के चूजों के लिए
  • स्टार्टर :11-20 दिन के ब्रायलर चूजों के लिए
  • फिनिशर :21 दिन से मुर्गे के बिकने तक

मुर्गी पालन में सबसे ज्यादा खर्च उनके दाने पर होता है, दाने में प्रोटीन और इसकी गुणवत्ता का
भी ध्यान रखना जरूरी है.

  1. ब्रायलर मुर्गी के पीने का पानी की जानकारी:

ब्रायलर मुर्गा 1 किलो दाना खाने पर 2-3 लीटर पानी पीता है,गर्मियों में पानी का पीना दोगुना हो जाता है. जितने सप्ताह का चूजा उसमें 2 का गुणा करने पर जो मात्र आएगी, वह मात्र पानी की प्रति 100 चूजों पर खपत होगी, जैसे-

पहला सप्ताह = 1 X 2 = 2 लीटर पानी/100 चूजा
दूसरा सप्ताह = 2 X 2 = 4 लीटर पानी /100 चूजा

  1. ब्रायलर मुर्गीपालन के लिए जगह की कैल्क्युलेशन: Space Calculation for Broiler Poultry Farm:

पहला सप्ताह – 1 वर्गफुट/3 चूज़े

दूसरा सप्ताह – 1 वर्गफुट/2 चूज़े

तीसरा सप्ताह से 1 किलो होने तक – 1 वर्गफुट/1 चूज़ा

1 से 1.5 किलोग्राम तक – 1.25 वर्गफुट/1 चूज़ा

1.5 किलोग्राम से बिकने तक 1.5 वर्गफुट/1 चूज़ा

सही प्रकार से चूजों को जगह मिलने पर चुज़ो को विकास अच्छा होता है और कई प्रकार की बिमारियों से भी उनका बचाव होता है.

  1. ब्रायलर मुर्गी पालन के लिए लाइट या रोशनी का प्रबंध :

वैसे तो Broiler Poultry Farm में 24 घंटे लाइट देने की सिफारिश की जाती हैं, लेकिन चूजों को 23 घंटे ही लाइट देना चाहिए और 1 घंटा लाइट बंद रखना चाहिए. ताकि अंधेरे मे चूजे डरे नहीं और कभी अचानक बिजली कटौति होने पर अंधेरे के लिए तैयार रहे. पहले 2 सप्ताह तक रोशनी कम नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे चूजे तनाव मुक्त रहते हैं और दाना पानी भी अच्छे से खाते हैं.

  1. मुर्गियों में बीमारियां :

मुर्गियों मे कई तरह की बीमारियाँ पाई जाती हैं, जैसे-

  1. टीकाकरण:

मुर्गियों मे बीमारी से हर साल मुर्गीपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता हैं, बीमारियों से बचाव के लिए समय समय पर टीकाकरण करना बहुत जरूरी हैं.

कुछ टीकाकरण जो हैच के पहले दिन से से 28वे दिन तक लगाए जाते हैं-

उम्र टीका
पहला दिन मेरेक्स (Marek’s)
5 वे -7 वे दिन आर.डी.वी.-एफ 1 (RDV F1)
14 वे दिन आई.डी.बी का टीका ( IBD Vaccine)
21 वे दिन आर.डी.वी. ला सोटा ( RDV La Sota)
28 वे दिन आई.डी.बी बूस्टर ( IBD booster dose)
  1. नर व मादा मुर्गियों का पृथक्करण:

नर व मादा ब्रॉयलर मुर्गियों की वृद्धि दर अलग अलग होती हैं, नर मुर्गीय मादा के मुकाबले अधिक तेजी से विकसित होती हैं. उन्हे मादा के मुकाबले अधिक फर्श पर जगह व दाना पानी भी अधिक लगता हैं. नर ब्रॉयलर मुर्गियों को अधिक प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट की जरूरत होती हैं,इसलिए नर व मादा मुर्गियों को पहले दिन से ही अलग अलग पालना चाहिए. उन्हे उनकी दैनिक आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग आहार भी दिए जाने चाहिए.

  1. गर्मी में ब्रायलर मुर्गीपालन :

गर्मियों के समय में ब्रायलर मुर्गीपालन करने वाले लोगों को चाहिए कि वे मुर्गियों को तेज तापमान और अधिक गर्मी से बचाय जाए. मौसम में बदलाव की वजह से मुर्गियों की मौत तक हो सकती है, इस वह से मुर्गी पालन करने वालों को अधिक हानि हो सकती है.

इसलिए मुर्गियों की छत का गर्मी से बचाने के लिए छत पर घास व पुआल आदि को डाल सकते हैं, या छत पर सफेदी करवा सकते हैं. सफेद रंग की सफेदी से छत ठंडी रहती है, साथ ही आप मुर्गियों के डेरे पर पंखा आदि को भी लगा सकते हैं।

  • गर्मियों में चूजों के लिए पानी के बर्तनों की संख्या को बढ़ा दें, क्योंकि गर्मियों में पानी न मिलने से हीट स्ट्रोक लगने से मुर्गियों की मौत हो जाती है।
  • जब तेज गर्मी होती है तब शेड की खिड़कियों पर टाट को गीला करके लटका दें, लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखें कि टाट खिड़कियों से न चिपके.

पोल्ट्री फार्म शेड खर्च:

ब्रायलर मुर्गियों के लिए पोल्ट्री फार्म शेड निर्माण का खर्च

1000 ब्रायलर मुर्गियों के पोल्ट्री फार्म शेड निर्माण का खर्च निम्न हैं-

पूंजी लागत मात्रा / दर राशि (रुपयों में )
भूमि विकास (Land Development) 0.5 एकड़ ₹ 10,000
फेंसिंग 0.5 एकड़ ₹ 10,000
ब्रूडर के साथ पूरे हाउस (घर) का निर्माण
1000 मुर्गियों के लिए @1 वर्ग फ़ीट/मुर्गी
@₹ 250/वर्ग फ़ीट ₹2,50,000
पनडुब्बी पंप के साथ ट्यूबवेल ₹ 90,000
शेड तक की पाइप लाइन ₹ 25,000
ओवरहेड टैंक ₹ 20,000
1000 मुर्गियों के लिए उपकरण ₹ 20/मुर्गी ₹ 20,000
बिजली (Electricity) और इलेक्ट्रिक उपकरण ₹ 25,000
फ़ीड स्टोर (चारा भंडारण कक्ष) 100 वर्ग फ़ीट
@ ₹ 300/वर्ग फ़ीट
₹ 30,000
कुल पूंजी लागत ₹4,80,000

 

कार्यशील पूंजी मात्रा / दर राशि (रुपयों में )
चूजों की कीमत (5150 चूजे) ₹35/चूज़ा ₹36,750
कंसन्ट्रेट फीड
3.2 किलो/मुर्गी
₹28/किलो ₹89,600
दैनिक मजदूरी 45 दिनों के लिए 200/दिन ₹ 9,000
अन्य खर्च जैसे पशुचिकित्सा ₹ 20,750
कुल कार्यशील लागत ₹1,56,100

1000 मुर्गियों के लिए पूंजी लागत और कार्यशील लागत मिलाकर 6,36,100 रुपये का अनुमानित खर्च आएगा.

 

ब्रायलर मुर्गी पालन से संबंधित प्रश्न-उत्तर:

  1. मुर्गी पालन के लिए लोन कैसे मिलेगा?

मुर्गी पालन के कुछ भारतीय बैंक लोन उपलब्ध कराती हैं इसके लिए आप नजदीकी बैंक शाखा में जाकर पूछताछ करे.

  1. ब्रायलरमुर्गी पालन में शेड निर्माण का खर्च कितना आता हैं?

1000 ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए शेड निर्माण का खर्च लगभग ₹4,80,000 आता हैं.

  1. मुर्गी पालन व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण कहा मिलेगा?

पोल्ट्री फ़ार्मिंग ट्रेनिंग की जानकारी के लिए http://cpdonrchd.gov.in/Training.html पर विजिट करें

 

 

 

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