गर्मियों के मौसम में जानवरों की देखभाल
*डॉ शरदेन्दु नारायण गिरि M.V.Sc. (पशुधन उत्पादन प्रबंधन) टीचिंग असोसिएट, दुवासु मथुरा
डॉ यश भार्गव M.V.Sc. (पशु परजीवी विज्ञानं) टीचिंग असोसिएट, दुवासु मथुरा
*Corresponding author- Dr. Shardendu Narayan Giri, dr.shardendu007@gmail.com
भारत एक उष्णकटिबंधीय (एक गर्म इलाका) देश है, और हमारे देश में वर्ष के ज्यादातर समय में गर्मी पड़ती हैA मवेशियों के पास इस अत्याधिक गर्मी से निजात पाने के ज्यादा उपाय नहीं होते है, जैसे कि अत्याधिक गर्मी होने पर मानव के शरीर की पसीना ग्रंथियां पसीने का स्त्राव करती है और मनुष्य को गर्मी से कुछ राहत मिल जाती है परंतु पशुओं में यह पसीना ग्रंथियां इतनी अच्छी तरह से काम नहीं कर पाती हैं तो जानवरों के लिए यह गर्मी का मौसम बहुत ही परेशानी भरा होता है। जब वातावरण का तापमान 25 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा हो जाता है तो जानवर अपने आराम क्षेत्र (जिसकी सीमा 4 से 24 डिग्री सेंटीग्रेड) से बाहर निकल जाता है और वातावरण का तापमान अत्यधिक होने एवं बहुत देर तक घूप में रहने के कारण एक ऐसी अवस्था में आ जाता है जिसको कि हम हीट स्ट्रेस कहते है जिसमे उसके शरीर का तापमान 103 फॉरेनहाइएट से ज्यादा हो जाता है और अगर इस समय उचित प्रबंधन न किया तो जानवर एक ऐसी अवस्था में आ जिसे हम हीट स्ट्रोक कहते है जिसमे शरीर का तापमान 107 फॉरेनहाइएट से ऊपर हो जाता है और वह कुछ अलग ही तरह के लक्षण प्रदर्शित करने लगता है जो उसकी सामान्य अवस्था से अलग होते है। इस स्थिति में आ जाने पर जानवर को बचाना मुश्किल हो जाता है और पशुपालको को नुकसान का सामना करना पड़ता है। अत% इस गर्मियों के मौसम में जानवरों का उचित खानपान और उनके रखरखाव का बेहतर प्रबंधन करके जानवरों को इस गर्मी से होने वाले दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है और हम उनकी उत्पादन क्षमता को भी प्रकार बरकरार रख सकते हैं।
हीट स्ट्रेस के लक्षण
- जानवर छायादार जगहों पर रहने की कोशिश करता है ।
- जीभ को बाहर निकाल कर हांफना और बहुत तेज गहरी सांसे लेना ।
- अत्याधिक लार का बनना ।
- चारा कम खाना और ज्यादा से ज्यादा पानी पीना तथा पानी पीते समय पानी को उछालना ।
- दूध की उत्पादन क्षमता एवं गुणवत्ता दोनों ही कम हो जाती हैं ।
- शरीर का बढ़ा हुआ तापमान ।
- रूमेन की गति का धीमा होना ।
- जानवर बेचैन होकर इधर-उधर घूमता रहता है और लेटता नहीं है। गंभीर मामलों( हीट स्ट्रोक) में बेहोश हो सकते हैं
- जानवर में और भी कई संक्रमण का होना।
- उसकी उचित शारीरिक वृद्धि एवं प्रजनन क्षमता में कमी।
खान–पान का प्रबंधन–
Ø पशुओ को हमेशा ताजा और स्वच्छ जल पिलाएं । रोजाना नियमित रूप से पानी पीने के टैंक को साफ करना सुनिश्चित करें । अत्यधिक गर्मी के समय में पशुधन जल स्रोतों के आसपास भीड़ लगा सकते हैं सुनिश्चित करें कि बढ़ी हुई पानी की मांग से निपटने के लिए पानी की आपूर्ति पर्याप्त हो। सामान्यतः एक वयस्क स्वस्थ पशु को प्रतिदिन 60 से 80 लीटर पानी की आवश्यकता होती है । गर्मियों के दौरान, गायों और भैंसों को गर्मी का प्रबंधन करने के लिए दिन में दो बार नहलाना चाहिए और कम से कम 100 लीटर पानी प्रतिदिन देना चाहिए ।
- पशुओं को चारा एवं दाना ज्यादातर सुबह और शाम ( रात 8 बजे से सुबह 8 बजे बीच ) के समय 60 से 70 फीसदी राशन खिलाना चाहिए, जब तापमान कुछ कम हो और उनके आहार में भूसे की मात्रा कम रखें । उन्हें अच्छी गुणवत्ता का मुलायम हरा चारा दें जिससे कि उनकी पाचन क्रिया सही रहे। कम गुणवत्ता वाले, तने वाले चारे रूमेन के अंदर किण्वन द्वारा अधिक गर्मी उत्पन्न करते हैं । उच्च गुणवत्ता वाले चारा तेजी से पचते हैं और परिणामस्वरूप कम गर्मी पैदा होती है ।
- सामान्यतःगर्मियों के मौसम में मवेशी चारा खाना कम कर देते हैं, जिससे उनको अपने शरीर की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उचित ताकत नहीं मिल पाती और उनका शरीर कमजोर होने लगता है एवं चारे की मात्रा कम होने से रूमेन की संरचना भी बदल जाती है और अम्लरक्तता और दूध में वसा की मात्रा कम हो जाती है। एक स्वस्थ पशु में प्रतिदिन 100-150 लीटर लार का स्त्रवण होता है जो रुमेन में जाकर चारे को पचाने में मदद करती है । गर्मियों के मौसम में अत्याधिक लार के बाहर निकल जाने पर रुमेन में चारे का पाचन प्रभावित होता है जिससे गर्मियों में अधिकतर पशु अपच का शिकार हो जाता है। इस समस्या को ठीक करने का एक तरीका गर्मियों के दौरान अपने उच्च गुणवत्ता वाले चारा खिलाना चाहिए।
- इस मौसम में उन्हें कंसंट्रेट आहार (दाना 25-35%, चुनी 10-30%, खल 25-35% , बिनोला , मिनरल मिक्सचर) बढ़ाकर देना चाहिए जिससे कि उनकी शरीर की उर्जा प्रोटीन इत्यादि की जरूरत पूरी हो सके । गर्म, नम मौसम के दौरान, यह सलाह दी जाती है कि आप दिन में कई बार खिलाएं,आहार देने की संख्या बढ़ाने से एक बार में कम खाने में मदद मिलती है ।
- जानवरों को इलेक्ट्रोलाइट्स पाउडर को पानी में घोलकर पीने के लिए देना चाहिए ।
जानवरों का रखरखाव–
Ø जानवर को छायादार स्थान पर शेड के नीचे ही रखें । चारा क्षेत्र के ऊपर छाया प्रदान करने से दाना अंतर्ग्रहण में भी वृद्धि होगी ।
- उनका शेड हवादार होना चाहिए और शेड में जानवरों की बहुत भीड़ ना हो ।
- शेड के आस-पास पेड़ पौधे लगाएं जिससे वहां पर तापमान कम रहे ।
- शेड के छत को सफेद रंग से पेंट करें जिससे कि सूर्य से आने वाली किरणे कम अवशोषित हो और शेड के अंदर का वातावरण ठंडा रहे ।
Ø शेड के अंदर पंखे कूलर फुहारे इत्यादि की भी व्यवस्था करें । गायों पर पानी के छिड़काव के साथ पंखों की स्थापना गर्मी के तनाव के प्रभाव को कम कर सकती है ।
हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखने पर क्या करे –
- सबसे पहले तो जानवर को घूप से हटाकर किसी छायादार जगह पर ले जाये ।
- जानवर के शरीर पर ताजे पानी का छिड़काव थोड़े थोड़े समयांतराल पर करते रहे परन्तु ध्यान रखे की पानी ज्यादा ठंडा न हो । हीट-स्ट्रोक और हीट-स्ट्रेस जानवरों का मुख्य रूप से बीस से तीस मिनट तक लगातार ताजे पानी के साथ जानवर को सिर से पूंछ तक पानी का छिड़काव किया जाता है, सिर के पिछले हिस्से पर विशेष ध्यान दिया जाता है क्योंकि यह गाय का तापमान विनियमन केंद्र है।
- जानवर के शरीर का तापमान भी उसके गुदा (रेक्टम ) से थर्मामीटर की सहायता से चेक करते रहे अगर उसके शरीर का तापमान 103 फॉरेनहाइएट से ऊपर हो तो पानी का छिड़काव जारी रखे ।
- अगर जानवर की हालत ज्यादा खराब हो तो कर्टिकोकोस्टेरॉइड ( डेक्सामेथासोन ) के इंजेक्शन उसकी नसों में लगवाए जिससे उसे कुछ ताकत मिल सके और उसका शरीर इस हीट स्ट्रोक की अवस्था को बर्दास्त करने में सक्षम हो सके ।
- हीट स्ट्रेस की वजह से जानवर को अन्य संक्रमण होने की भी सम्भावना रहती है इससे बचने के लिए अपने पशु को नार्मल सेलाइन में एंटीबायोटिक का इंजेक्शन डालकर चढ़वाये । इसके साथ आप उसे विटामिन बी काम्प्लेक्स के इंजेक्शन भी लगवाए ।
- ४ से ५ घंटे के बाद पशु के शरीर का तापमान अपनी सामान्य अवस्था (101- 105.5 फॉरेनहाइएट ) में आ जाता है वह आराम महसूस करने लगता है और अपना खान पान शुरू कर देता है ।
- अगर जानवर ४-५ घंटे में सही नहीं होता तो उसे पशुचिकित्सक को दिखाए ।
निष्कर्ष –
जब गर्म मौसम की शुरुआत हो जाये तो अपने जानवरो की अच्छी देखभाल करे। उनके आहार सेवन बनाए रखने के लिए आहार में बदलाव करें। अपने जानवर के लिए उपलब्ध पानी की मात्रा बढ़ाएँ । छाया प्रदान करें । जानवर के रहने के स्थान पर में एक अच्छा वायु विनिमय प्रदान करें और मवेशियों को ठंडा करने में मदद करने के लिए पंखे कूलर स्थापित करें । अगर आपके जानवर में हीट स्ट्रेस या स्ट्रोक के लक्षण दिखे तो उसे तुरंत प्राथमिक उपचार दे और यदि जानवर में सुधार के कोई संकेत नहीं दिखते हैं तो सहायता के लिए अपने स्थानीय पशु चिकित्सक से संपर्क करें ।