प्रसव के दौरान एवम प्रसव के पश्चात मादा पशु का रख रखाव एवम देखभाल

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प्रसव के दौरान एवम प्रसव के पश्चात मादा पशु का रख रखाव एवम देखभाल

प्रिय पशुपालक भाईयो जैसा कि आप सभी जानते हों कि गर्भित पशु जिसमे प्रसव होने वाला है उसको को बाकी पशुओं से अलग करके सूखे छायादार एवम हवादार स्थान पर या प्रसव शेड में रहने की व्यस्था करनी चाहिए। पशु के प्रसव में लगभग 24 घंटे लगते हैं इस दौरान पशु थोड़ा दाना चारा खाना पीना कम कर देता हैं, और बार बार पेशाब करता है बार बार उठता बैठता है और थोड़ा बैचेन दिखाई देता है। इस दौरान पशुपालक को पशु की लगातार निगरानी रखनी आवश्यक होती हैं।

 *प्रसव की तीन अवस्थाएं होती* है

(1) प्रथम अवस्था में मादा पशु लगभग 10–12 घंटे का समय लेता है इस अवस्था में बच्चे की प्रथम पानी की थैली जिसे सामान्य भाषा में मटाडी कहते हैं बाहर निकलती हैं।

(2) द्वितीय अवस्था में बच्चा बाहर आता है, इस अवस्था में लगभग आधे से तीन घंटे का समय लग सकता है।

(3) तृतीय अवस्था में पलेसेंटा (जेर या मैली) बाहर आती है, इस अवस्था में लगभग 8–10 घंटे का समय लग सकता है।

 

 *प्रसव के दौरान पशुपालक किन बातोंका ध्यान रखें–*

 

प्रसव होते समय मादा पशु को एकांत में छोड़ दे और सामान्य प्रसव होने दे।

कुछ पशुपालक जैसे ही बच्चे के पैर दिखाई देते है तो उनको खींचने लग जाते है तो इस दौरान ये जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, पशु को आराम से ब्याने दे , जब बच्चे के दोनो पैर और सिर दिखाई देने लग जाए तब अगर आवश्यकता हो तो पशुपालक अपने हाथ को साबुन से धोकर बच्चे को बाहर खींच सकता हैं या कभी कभार बच्चे के पैरो में रस्सी बांधकर भी खींच सकता हैं इस दौरान पशुपालक हाथो पर मिट्टी का उपयोग नही करे।

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 *ब्याने में कठिनाइयां*

अगर मादा पशु, प्रसव में ज्यादा समय ले रहा है  लगभग 15 घंटे से ज्यादा समय और बार बार जोर लगा रहा फिर भी बच्चा बाहर नही आ रहा है तो इस दौरान हो सकता है आपको बच्चे का केवल एक पैर ही दिखाई दे, या केवल बच्चे का सिर ही दिखाई दे तो इस दौरान बच्चे का पैर या सिर बच्चेदानी में मुड़ा हुआ हो सकता हैं या बच्चेदानी में आटा आया हुआ हो सकता हैं तो ऐसी स्थिति में नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।

*प्रसव के बाद मादा पशु की देखभाल–*

प्रसव के बाद माता को अपने बच्चे को चाटने दे और प्रसव के 1–2 घंटे में बच्चे को मां का दूध पिलाए ऐसा करने से माता के शरीर में ऑक्सीटोसिन का स्राव होता जिससे जेर जल्दी गिरने में सहायता मिलती है।

प्रसव के बाद मादा पशु को गुड़ अजवाइन का काढ़ा पिलाए एवम थोड़ी खल– काकडा थोड़ा गुड़ भी दे सकते है ये पशु को ऊर्जा प्रदान करते ह, साथ ही साथ थोड़ा दलिया एवम मेथी उबाल कर दे सकते हैं।

प्रसव के बाद मादा पशु में मिल्क फीवर होने की संभावना होती है इससे बचने के लिए पशु का पूरा दूध एक साथ नही निकाले अगले 2–3 दिन तक थोड़ा थोड़ा दूध उसकी लेवटी में छोड़े।

 *यदि मादा पशु की जेर नहीं गिरे*

सामान्यतया जेर लगभग प्रसव के 5–6 घंटे में गिर जाती हैं अगर जेर 8–12 घंटे तक भी नहीं गिरती है तो नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें। कुछ पशुपालक जेर (प्लेसेंटा) के वजन बांध देते ह ऐसा करने से बच्चेदानी में सूजन आ जाती है जिससे उसकी प्लेसेंटा भी नही गिर पाती हैं तो ऐसा नही करना चाहिए।

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प्लेसेंटा के नहीं गिरने की समस्या  से बचने के लिए पशुपालक अपनी गाय भैंस को बाजार में कुछ युटेरोंटॉनिक  आयुर्वेदिक दवाइयां मिलती है वो हल्के निवाया पानी में 250ml तक पीला सकते है।

प्रसव के बाद मादा पशु के चारे में दाना की मात्रा धीरे धीरे बढ़ाये।

खीस जैसा दूध बच्चे को उसके वजन का 10 प्रतिशत के हिसाब  से   जरूर पिलाएं औऱ साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखे

साभार– *डॉ. कृष्ण कुमार शर्मा*

पशु चिकित्सा अधिकारी, भीलवाड़ी, झालावाड

https://www.pashudhanpraharee.com/care-management-of-pregnant-cattle/

https://epashupalan.com/hi/7853/animal-disease/prenatal-diseases-in-dairy-animals-and-their-treatment-and-prevention/

 

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