नवजात बछड़े का देखभाल

0
301

नमस्कार पशुपालक भाईयों.
आज का एक अहम विषय कटड़े बछड़े के जन्म से पहले या बाद में उचित प्रबंधन करना बहुत ही जरुरी होता है. इसके लिए सबसे अहम भूमिका निभाता है पशु के बच्चा देने से पहले या बच्चे देने के बाद आहार प्रबंधन बहुत जरुरी है. जिससे उनके शरीर का उतम विकाश हो सकें.
चलिए शुरुआत शूरु से करते हैं. श्रेष्ठ परिणाम के लिए गर्भावस्था के अतिम महिने में
खनिज मिश्रण कम कर देना चाहिए या बंद कर देना चाहिए इसके लिए 15 दिन पहले ionik मिश्रण शुरू करना चाहिए ये पशु में प्रस्व के बाद होने वाले बिमारी पशु ज्वर होने से बचाता है. इसके अलावा ग्याभिन पशु को दूसरे पशुओं से अलग रखना चाहिए. जन्म के पश्चात नवजात पशु शिशु को दिन में तीन चार बार पेट भरकर खीश देना चाहिए ये शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाता है. गाय या भैंस का पहला गाढ़ा पीला दूध रक्त सिरम और दूध कोशिका का मिश्रण होता है. ये प्रस्व से पहले ग्रथिंयो में बना हुआ दूध होता है जिससे जन्म के बाद निकाल लिया जाता है. नवजात को खीश जन्म के एक घन्टे के अन्दर पीला देना चाहिए. जिससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ जाती है.

👉 ग्याभिन पशु की कैसे देखभाल करें.
जिससे दूध भी ज्यादा बने और कटडी बछड़ी का स्वास्थ्य भी बना रहे.

गाय की गर्भावस्था अवस्था नौ महीने की होती है. उसकों तीन भागों में बाटते है.
1-3 माह
4-6 माह
7-9 माह

1-3 माह
पहली तिमाही में जब पशु गर्मी में आता है. आप उनका गर्भाधान करवाते हैं. होता क्या है गर्भाधान करवाने से अण्डे और विर्य से भूर्ण बनता है. ये भूर्ण 20-25 दिन वैसे घूमता है उसके बाद माता की नाल के साथ जुड़ जाता है. और माता की नाल से आक्सीजन लेता है और पोषक तत्व लेता है बदले में वापीस कार्बनडाइऑक्साइड नाल के द्वारा माता के शरीर में भेजता है. पहली तिमाही के अन्दर सबसे पहले पशु के दिमाक का विकास होता है उसके बाद दिल का विकास होता है उसके बाद फेफड़ों का विकास होता है उसके बाद जिगर बनता है और उसके बाद पशु के प्रजनन अंग बनते हैं.

READ MORE :  ROLE OF MOLECULAR TECHNIQUES IN DIAGNOSIS OF ANIMAL DISEASES

अब हम आ जाते हैं दूसरी तिमाही पर जो 4-6 महिने के बीच.
चौथे महिने पशु की मांसपेशियां एक दम से बढने लगती है.

7-9 महिने

7-9 महिने में पशु के फेफड़े बनते हैं
7-9 महिने में सबसे अहम दिन आखिरी के 21 दिन होतें है ब्याने के 21 दिन पहले या 21 दिन बाद पशु के लिए अहम दिन होतें है क्योंकि पशु इस समय में कई अहम तनाव से गुजरना पड़ता है. सबसे बड़ा तनाव पशु के शरीर में शारीरिक तनाव इसमें क्या होता है पशु में हार्मोन बनते रहते हैं. जब पशु ब्याने लगता है पशु के अन्दर से प्रोजेस्टेरोन हार्मोन निचे गिरने लगता है पशु के बियाते समय कोर्टिसोल हार्मोन का संचार होता है ये कोर्टिसोल हार्मोन ये प्रजनन के समय दो से तीन नैनो ग्राम होता है जब पशु ब्याने लगता है ये बढकर 15 नैनौं ग्राम तक हो जाता है कोर्टिसोल हार्मोन बढने से पशु की जो रक्त कोशिकाएं है शवेत कोशिकाएं है वो कम हो जाती है.
दूसरा जो तनाव होता है पशु के अन्दर पोषण सम्बंधित तनाव इसमें क्या होता है. पशु के पेट में जो बछडा बड़ा होने लगता है उसके लिए पशु को आप अच्छा पोषण दे उसमें क्या होता है. जो आप पशु को दे रहे हैं. उसका एक हिस्सा पशु को दुसरा हिस्सा बच्चे को जो पेट में पल रहा है और तीसरा हिस्सा दूध बनाने की और जाता है.

सबीन भोगरा ,पशुधन विशेषज्ञ, हरियाणा

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON