मानसून में मुर्गियों का और चूजों का प्रबंधन
लेखक
डा. दीपक गहलोत
पशु चिकित्सा शरीरक्रिया विज्ञान-विभाग
मुंबई पशु चिकित्सा कॉलेज, परेल-मुंबई
मानसून में मुर्गी और चूजों पालन में सावधानी बरतने की जरूरत है. बारिश में मुर्गी और चूजों भीग जाती हैं या उन्हें ठंड लग जाए तो कई तरह के संक्रमण और बिमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में उनके खान-पान और साफ़-सफाई पर इन दिनों अधिक ध्यान देने की जरूरत है. इसके साथ ही और क्या-क्या करना चाहिए, आज हम आपको इसी संबंध में कुछ जानकारी देने जा रहे हैं जिससे मुर्गियों को सुरक्षित रख सकते हैं-
(1) गृह प्रबंधन: – मुर्गियों के बाड़े की मरम्मत मानसून के पहले ही कर देनी चाहिए ताकि उसमें किसी भी प्रकार का जल स्राव ना हो एवं बाड़ी में ऊपर की तरफ वेंटीलेटर लगा देना चाहिए। अंडा देने वाली मुर्गी के बारे में इस प्रकार की व्यवस्था हो कि उनका मल बरसात के पानी के प्रवाह में ना आए। ड्रेनेज के लिये बना हुए गटर की सफाई नियमित रूप से करनी चाहिए। इसके बाद शेड के बाहर और अंदर 3% फॉर्मलिन के साथ स्प्रे करें। अगर आपने पहले से ही फोर्मलिन को चुन के साथ मिला कर दिया है तो आपको इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।
(2) डी–वॉर्मर्स का करें इस्तेमाल: – अच्छे स्वास्थ्य के लिए डी-वॉर्मर्स बहुत जरूरी है. आप उन्हें 2 या 3 महीने में एक बार पिपेरज़िन जैसे प्रभावी डी-वॉर्मर्स दे सकते हैं.
(3) रहने के स्थान को रखें सूखा: – बरसात के मौसम में नमी से बचाने के लिए लकड़ी के छीलन आसानी से नम हो सकते हैं. का इंतज़ाम करें. बिछावन में नमी लगभग 20 से 30 प्रतिशत तक होनी चाहिए। बिछावन को नियमित अंतराल में पलटते रहना चाहिए एवं साथ ही यह जिले बिछावन को हटाकर नया बिछावन बिछा देना चाहिये। गीले बिछावन को 1 किलो शुष्क चूना पाउडर प्रति 12 से 16 स्क्वायर फीट की दर से उपचारित कर सकते हैं। इसके अलावा अमोनियम सल्फेट पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
(4) मुर्गियों का टीकाकरण करवाऐं: – बारिश का मौसम मुर्गियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बना सकता है. वे बैक्टीरिया और वायरस से आसानी से संक्रमित हो सकते हैं. इस मौसम के दौरान मच्छरों और अन्य रक्त-चूसने वाले कीड़ों के साथ बिमारियों से बचाए रखने के लिए उनका टीकाकरण जरूर करवा लें.
(5) हीटर का करें इस्तेमाल: – मुर्गी और चूजों के लिए हीटर बहुत जरूरी है. विशेष रूप से चूजों को इसकी गर्माहट काफी पसंद है क्योंकि वे उस अवस्था में होते हैं जब अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते हैं. इसके अलावा, हीटर अंडे के उत्पादन में भी सहायक होता है.
(6) मुर्गियों के खाने में तेल/वसा का करें इस्तेमाल: – ठंड के मौसम में मुर्गियों को अधिक भूख लगती है, इसलिए वे मानसून में अधिक भोजन करती हैं. ऐसे में मुर्गी पालक मुर्गियों के भोजन की लागत को कम करने के लिए उनके खाने में तेल या वसा मिला सकते हैं. तेल और वसा उच्च ऊर्जा का उत्पादन करेंगे और पालक भी अतिरिक्त लागत से बचेंगे.
(7) अन्य प्रबंधन: – फार्म में बरसात का पानी कहीं भी एकत्रित नहीं होना। मुर्गियों तथा चूजों में मुंह से देने वाले टीके के लिये क्लोरीन युक्त जल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।मानसून के तनाव को कम करने के लिए 200 से 400 पीपीएम विटामिन सी तथा विटामिन बी मुर्गियों तथा चूजों के खाने में मिला देना चाहिए।