वैश्विक महामारी कोविड-19 में पशुओं की देखभाल
डॉ. सोमेश मेश्राम, डॉ. पी.के.सिंह, डॉ.एन.एस.रावत एवं डॉ. बृजेश ओझा
(सहायक प्राध्यापक, पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन महाविद्यालय, रीवा, म.प्र.)
Email: drsomeshkm@gmail.com
कोविड-19 क्या है?:
संपूर्ण विश्व अभी कोविड-19 या कोरोना वायरस महामारी से लड़ रहा है जो कि नोवेल कोरोना वायरस से फैलता है। इस वायरस को नोवेल कोरोना वायरस कहा गया है क्योंकि यह पहले से मौजूद कोरोना वायरस से भिन्न है, इसे सार्स कोव-2 के नाम से भी जाना जाता है। कोरोना वायरस एक बड़ा समूह है जिसमें कई प्रकार के विषाणु आते है जो मनुष्यों, पशुओं एवं पक्षियों में रोग उत्पन्न करते हैं। यह मुख्यतः श्वास तंत्र को प्रभावित करते है और निमोनिया के लक्षण जैसे सर्दी, खांसी आदि करते है। कोरोना वायरस की सतह पर कांटे जैसी आकृति पाई जाती है जो देखने में ताज जैसी नजर आती है इसलिए इसका नाम कोरोना पड़ा है।
यह बिमारी पहली बार चीन के बुहान शहर में 2019 में फैली इसलिए इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 11 फरवरी 2020 को इसे कोविड-19 नाम दिया और बाद में इसे महामारी भी घोषित कर दिया। इसके प्रमुख लक्षण खांसी, बुखार एवं सांस लेने में तकलीफ होना है। इसमें अभी भी संशय बना हुआ है कि यह वायरस मनुष्यों में कहाँ से आया कहा जा रहा हैं कि यह सी फूड मार्केट या चमगादड़ों या रिसर्च लैब से मनुष्यों में आया। इससे पहले कोरोना वायरस जैसे 2002 में सार्स कोव (SARS CoV) एवं 2012 में मर्स कोव (MERS CoV) मनुष्यों में चमगादड़ों से आये थे। इनसे यह तो तय होता है कि पशुओं या पक्षियों से कोरोना वायरस के संबंध को पूर्णतः नकारा नही जा सकता।
कोरोना वायरस का संचरण:
इस वैश्विक महामारी में जब हम अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं तो हमें अपने पशुओं की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होगा। इस समय हमें पशुओं में कोविड-19 से उपजी समस्या जैसे खाद्य का आभाव, पशुओं के रखरखाव एवं स्वास्थ्य संबंधित समस्या आदि का भी समाधान करना होगा। हमें सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि क्या नोवेल कोरोना वायरस जूनोटिक है मतलब कि क्या यह बिमारी मनुष्य से पशु में या पशु से मनुष्य में तो नही फैलती। अभी तक के उपलब्ध साक्ष्य से यह नही कहा जा सकता कि यह बिमारी जूनोटिक है।
कोरोना वायरस के फैलाव को समझने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पे ध्यान देने की आवश्यकता है।:
1. मनुष्य से मनुष्य में संचरण:- मनुष्य से मनुष्य में नावेल कोरोना वायरस का फैलाव सर्वाधिक देखा गया है जो संक्रमित व्यक्ति के छींकने अथवा खांसने से डा्रपलेट इन्फेक्शन द्वारा बड़ी तेजी से फैलता है।
2. मनुष्य से पशुओं में संचरण:- अभी तक इस तरह के फैलाव को संकेत पूर्ण रूप से नही मिले है परंतु इस तरह के फैलाव को संपूर्णतः नकारा भी नही जा सकता।
3. पशुओं से मनुष्य में संचरण:- इस तरह के फैलाव का साक्ष्य उपलब्ध नही है परंतु मनुष्य में नोवेल कोरोना वायरस की उत्पत्ति पशु अथवा पक्षी के द्वारा संभावित बतायी जा रही है।
4. पशुओं से पशुओं में संचरण:- विश्व में अभी पशुओं में संक्रमण ना के बराबर है और इस तरह के फैलाव के साक्ष्य भी उपलब्ध नही है।
पशुओं में नोवेल कोरोना वायरस के मामले पूरे विश्व में बहुत ही कम पाये गये है और जिसमें से भारत में अब तक कोई भी मामला दर्ज नही किया गया। पालतु पशुओं जैसे गाय, भैंस, बकरी, भेंड़, शूकर, पोल्ट्री आदि में अभी तक कोरोना वायरस का कोई मामला दर्ज नही हुआ परंतु बिल्लियों एवं श्वान में इसके कुछ मामले दर्ज किये गये हैं। हॉगकॉग, बेल्जियम एवं न्यूयार्क में बिल्लियों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के मामले सामने आये है। प्रारंभिक अध्ययन से यह भी पता चला है कि पालतू पशुओं में बिल्लियां कोरोना वायरस के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील है। इसी तरह हॉगकॉग में कुत्ते भी नोवेल कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। न्यूयार्क के चिड़ियाघर में कुछ बाघों के संक्रमित होने के भी मामले सामने आए है। इस तरह पशुओं में संक्रमण के मामले बहुत ही कम है इसके बाबजूद हमें अपने पशुओं को कोरोना संक्रमण से दूर रखना है।
भारतीय अनुसंधान परिषद् के पशु विज्ञान विभाग ने पशुओं में कोविड-19 जांच के लिए कुछ केन्द्र भी बनाये है जैसेः-
1. राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान (NIHSAD) भोपाल।
2. राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र (NRC) हिसार।
3. भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) बरेली।
पशुओं को संक्रमण से कैसे बचाएं :-
पशुओं को इस महामारी में संक्रमण से बचाने के लिए मुख्य रूप से तीन बिन्दुओं पर ध्यान दे पहला यह है कि स्वयं सुरक्षित रहें, दूसरा पशुओं की सुरक्षा का ख्याल रखें और तीसरा वातावरण या पशुशाला में पूर्णतः साफ-सफाई रखें।
पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें-
o पशुशाला में प्रवेश से पहले हाथों को कम से कम 20 सेकण्ड तक साबुन से धुले या सेनिटाइजर (70 प्रतिशत आइसो प्रोपाइल अल्कोहल) को प्रयोग करें।
o आवश्यक हो तभी पशुओं को स्पर्श करें या शारीरिक स्पर्श से बचें।
o पशुशाला में नाक, मुंह एवं आंखों में हाथ लगाने से बचे।
o उचित मास्क एवं हाथ के ग्लवज को उपयोग करें।
o सर्दी, खांसी, बुखार या अस्वस्थ हो तो पशुओं के नजदीक ना जाए।
o पशुशाला में संक्रमित व्यक्ति का प्रवेश पूर्णतः वर्जित हो।
o पशुओं का रखरखाव का विशेष ध्यान रखें जितना हो सके पशुओं को पशुशाला में ही रखें खासकर जहां संक्रमित लोग पाए गए हो।
o पशुओं के भोज्य पदार्थ को सुरक्षित रखे एवं सावधानी पूर्वक खिलाएं।
o पशुओं की चाटने वाली आदत को रोकना होगा।
o पशु स्वास्थ्य का नियमित ध्यान रखें एवं किसी भी तरह के समान लक्षण पाये जाते है तो तुरंत पशुचिकित्सक को सूचित करें।
o पशुशाला को सुरक्षित रखें एवं समय-समय पर उचिज रूप से सेनिटाइज करे।
अंततः प्राप्त साक्ष्य से अब तक यह प्रतीत होता है कि कोविड-19 महामारी के संचरण में पशुओं की कोई भूमिका नही है। यह वायरस मुख्यतः मनुष्य से मनुष्य में फैल रहा है। पशुओं में यह बिमारी नगण्य है परंतु नोवेल कोरोना वायरस का मनुष्य से पशुओं में संचरण को पूरी तरह से नकारा नही जा सकता। अतः पशुओं को अहनियातन तौर पर किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में ना आने दे, स्वयं सुरक्षित रहे, पशुओं को भी सुरक्षित रखे एवं बचाव के सभी नियमों का पालन करें।