गर्भित पशु की आवश्यक देखभाल

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१.डॉ संजय कुमार मिश्र पशु चिकित्सा अधिकारी चोमूहां मथुरा
२. डॉ विकास सचान सहायक आचार्य,
मादा पशु रोग विज्ञान विभाग दुवासु मथुरा

पशु के गर्भित होने के साथ ही पेट में पल रहे भ्रूण को खुराक की आवश्यकता अनुभव होती है। यदि पशु स्वस्थ और सुदृढ़ है तो उसके अंदर पल रहा भ्रूण भी स्वस्थ रहेगा और उसकी बढ़ोतरी सही रूप में होगी। अक्सर यह देखने में आया है कि पशु में गर्भाधान होते ही पशुपालक इस आकांक्षा से पशु की खुराक जैसे कि आहार, दाना आदि या तो कम कर देते हैं या बंद कर देते हैं । वह सोचते हैं कि यदि मादा को दाना इत्यादि खिलाया गया तो बच्चा बड़ा हो जाएगा और ब्यॉत के अंत में काफी मुश्किल पेश आएगी। परंतु यह विचार निराधार है। स्वस्थ एवं सुडोल पशु स्वस्थ एवं सुडौल बच्चे को जन्म देता है। क्योंकि स्वस्थ पशु में मांसपेशियां बच्चे को निकालने के लिए समुचित सिकुड़न पैदा करती हैं। यदि पशु कमजोर होगा तो बच्चा अपनी मां के खून से समुचित खुराक तो ले लेता है जिससे बच्चा तो बढ़ता रहता है परंतु मां को पूर्ण एवं संतुलित आहार न मिलने के कारण वह कमजोर होती जाती है। जिसके परिणाम स्वरूप उसमें मांसपेशियां कमजोर हो जाती है व पशु की हड्डियां दिखने लगती हैं। कई बार तो 7 से 8 महीने के गर्भ मे ही कमजोरी के कारण पशु लेट जाता है कई बार तो पशु खड़ा होने में असमर्थ होता है या मांसपेशियों की कमजोरी के कारण बच्चा योनि द्वार में फस जाता है व अधिकतर पशु की मृत्यु हो जाती है। गर्भावस्था में आहार की कमी के कारण ब्याने के उपरांत दूध उत्पादकता में कमी आती है तथा पशु को दोबारा गर्भित होने के लिए पशुपालक को एक से डेढ़ वर्ष तक का इंतजार करना पड़ता है। जबकि स्वस्थ पशु जिसके गर्भकाल के मध्य संपूर्ण संतुलित आहार दिया गया हो उस की दुग्ध उत्पादकता भी सही रहती है वह ब्याने के , 35 से 45 दिन बाद ही वह पुनः मद या गर्मी में आ जाता है व गर्भधारण में भी कोई कठिनाई नहीं होती है।
अत: गर्भकाल के दौरान निम्नांकित बातों का विशेष ध्यान रखें:-
गाय/ भैंस के गर्भ काल में उसे पूर्ण व संतुलित आहार देना चाहिए।
25 से 50 ग्राम खनिज मिश्रण व 25 से 50 ग्राम नमक प्रतिदिन अवश्य देना चाहिए।
पशु की सफाई का पूर्ण ध्यान देना चाहिए।
यदि किसी रोग का पता चले और वह चाहे सामान्य ही हो तो पशु का तुरंत पशु चिकित्सक से उपचार करवाना चाहिए। यदि ब्याने में कोई तकलीफ आए तो नजदीकी पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें।
प्रसव के उपरांत गाय या भैंस को दो से तीन बार काढ़ा( प्रति काढ़ा अलसी 200 ग्राम अजवायन 100 ग्राम सौंफ 100 ग्राम सोंठ 50 ग्राम 5 लीटर पानी में खूब पका कर उसमें 1 किलो गुड़ डालकर )पिलाएं यह स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम है । इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि पशु जेर न खाने पाये।12 घंटे तक जेर गिरने का इंतजार करें अन्यथा की स्थिति में पशु चिकित्सक को दिखाएं।
यदि पशु अधिक दूध देने वाला हो और वह गर्दन एक तरफ करके जमीन पर लेट जाए व खड़ा ना हो सके तो उसका तत्काल उपचार करवाएं।

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