लेयर पोल्ट्री फार्र्मिग शुरू करने की संपूर्ण जानकारी

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लेयर पोल्ट्री फार्म कैसे शुरू करे

लेयर पोल्ट्री फार्म शुरू करने की संपूर्ण जानकारी

भारत में पोल्ट्री फार्मिंग एक बहुत ही लाभदायक व्यवसाय है। विश्व स्तर पर, भारत अंडा उत्पादन में दुनिया में तीसरे और चिकन मांस उत्पादन में दुनिया में पांचवें स्थान पर है। यद्यपि उत्पादन मुख्य रूप से व्यावसायिक साधनों के माध्यम से प्राप्त किया जाता है, लेकिन ग्रामीण पोल्ट्री क्षेत्र भी भारतीय पोल्ट्री उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान देता है। कोई भी व्यक्ति पोल्ट्री का बिजनेस शुरू कर सकता है। हालांकि पोल्ट्री बिजनेस को शुरू करने से पहले उचित योजना और प्रबंधन की आवश्यकता होती है। तो चलिए जानते हैं कि कैसे शुरू करें पोल्ट्री का व्यवसाय-

लेयर पोल्ट्री फार्म कैसे शुरू करे

layer poultry farming का अर्थ है व्यावसायिक अंडा उत्पादन के उद्देश्य से अंडा देने वाली पोल्ट्री पक्षियों को पालना करना। लेयर मुर्गियां मुर्गियों की ऐसी विशेष नस्ल हैं, जिन्हें एक दिन की उम्र से ही पालने की जरूरत होती है। ये मुर्गिया 18-19 सप्ताह की उम्र से व्यावसायिक रूप से अंडे देना शुरू कर देते हैं। ये अपनी 72-78 सप्ताह की आयु तक लगातार अंडे देना जारी रखती हैं। ये अंडे देने की अवधि के दौरान लगभग 2.25 किलोग्राम भोजन खाकर लगभग एक किलोग्राम अंडे का उत्पादन कर सकती हैं।

 

एग लेयर फ़ार्मिंग इसके कम उत्पादन खर्च और अंडों की अधिक मांग के कारण भारत में बहुत लोकप्रिय हो रहा हैं. आज के दौर में अंडे की डिमांड इतनी बढ़ गई है की अंडे की पूर्ति कर पाना मुश्किल भी हो गया है क्योंकि अंडे में हमें भरपूर प्रोटीन कैल्शियम और omega-3 मिल जाता है।

जो कि हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदायक होता है ऐसे में लोगों के मन में लेयर पोल्ट्री फार्म के प्रति रुझान बढ़ रहा है क्योंकि लेयर मुर्गी पालन का मतलब यही होता है कि हम Murgi पालकर उससे अंडे निकाले।अंडा एक ऐसी चीज जिसके अन्दर प्रोटीन, कैल्‍शियम और ओमेगा 3 फैटी एसिड मिलता है जो हमारे शरीर के लिए बहुत ज्यादा जरुरी है अंडा एक सुपर फूड है जो हमारे खाने में शामिल होना चाहिए अपने बहुत बारी सुना होगा कि ‘संडे हो या मंडे, सर्दी हो या गर्मी रोज खाओ अंडे तो ये सही बात है और आज अंडो की इंतनी ज्यादा डिमांड है की बहुत से लोग इसके अन्दर लाखो रुपये कमा रहे है और दिन भर इनकी डिमांड बढती जा रही है क्योकि जैसे जैसे जनसँख्या बढ़ रही है वैसे वैसे अंडे खाने वाले भी बढ़ रहे है और ये एक ऐसा बिज़नेस है जिसके अन्दर सरकार बहुत ज्यादा सहयता करती है तो रेग्‍यूलर इनकम के लिए अगर आप कोई बिज़नेस देख रहे है तो लेयर बर्ड फार्मिंग का बिज़नेस शुरु कर सकते है अच्छी कमाई कर सकते है

पोल्ट्री फार्म व्यवसाय 2 प्रकार के होते हैं-

  1. लेयर पोल्ट्री फार्म– यह अंडों के लिए होता हैं
  2. ब्रॉयलर पोल्ट्री फार्म यह माँस उत्पादन के लिए होता हैं

इस पोस्ट में हम बात करेंगे Layer Poultry Farm के बारे में-

लेयर पोल्ट्री फार्म क्या होता हैं :

लेयर पोल्ट्री फार्म अंडा उत्पादन (Egg Production) के लिए किया जाने वाला एक वाणिज्यिक व्यवसाय जहाँ मुर्गियों की अंडों के उत्पादन के लिए पाला जाता हैं. लेयर पक्षी एक विशेष प्रकार की मुर्गियों की प्रजाति होती हैं, जो 4.5 से 5 महीने की उम्र होने के बाद से ही लगातार अंडे शुरू कर देती हैं और 17 से 18 तक रोज अंडे देती हैं लेयर पोल्ट्री फ़ार्मिंग में चूजों (chicken) को पहले ही दिन से पालना पड़ता हैं जब तक की वह अंडे देने लायक हो जाए यह मुर्गियाँ
2.5 किलो दाने में 1 किलो अंडों का उत्पादन करती हैं.

 

भारत में लेयर पोल्ट्री फार्म का भविष्य:

भारत में दशकों से देसी मुर्गी पालन किया जा रहा हैं, लेकिन कुछ दशकों से अंडा उद्योग में जबरदस्त उन्नति हुई हैं. तकनीकी विशेषज्ञता, आधुनिक उपकरण, बेहतर दवाइयाँ और उच्च गुणवत्ता वाले चूजों के कारण लेयर पोल्ट्री फार्म उद्योग ने जबरदस्त प्रगति की हैं.

भोजन के लिए प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 182 अडों की आवश्यकता होती हैं, वर्तमान में प्रति व्यक्ति खपत 61 अंडों की हैं. यह हर साल बढ़ते जा रही हैं जिससे कि Layer Poultry Farm का भविष्य अच्छा होने वाला हैं.

पशुपालन विभाग, केंद्र व राज्य सरकारे किसानों को सुविधाएं और सहायता प्रदान करती हैं. इसके अलावा राष्ट्रीय नीति में लेयर पोल्ट्री फ़ार्मिंग को बहुत अधिक महत्व दिया जाता हैं , जिससे इसमें अधिक मदद और सुधार की गुंजाइश हैं.

लेयर पोल्ट्री फार्म का प्रबंधन:

किसान अपने पोल्ट्री पक्षियों को ब्रूडिंग, ग्रोइंग, पुललेट और लेयरिंग जैसे विभिन्न चरणों में वर्गीकृत करते हैं. जब मुर्गियाँ 20 सप्ताह की हो जाती हैं तब से लेयरिंग शुरू होती हैं. एक बार मुर्गी अंडे देने की उम्र में पहुच जाती हैं तब उन्हे लेयरिंग फ़ीड दिया जाता हैं. उन्हे 18 सप्ताह का होने पर एग लेयरिंग क्वार्टर में शिफ्ट किया जाता हैं.

अनुत्पादक तथा बीमार पक्षियों को उनके बीच से निकाला जाता हैं और उन्हे अलग रखा जाता हैं, ऐसे मुर्गियों को सामान्य रूप से पाला जाता हैं. जब मुर्गियों की क्षमता खत्म होती हैं तब उन्हें निकालकर दूसरी जो लेयरिंग के लिए तैयार हैं उन्हें क्वार्टर में रखा जाता हैं, यह प्रक्रिया चलते रहती हैं क्योंकि बाजार की जरूरत पूरी करने के लिए हमें अंडों का एक स्थिर उत्पादन बनाए रखना होता हैं.

लेयर पोल्ट्री फार्म के लिए विशेष आवश्यकताएं:

Egg Layer Farming करने के लिए क्या क्या जरूरी हैं आइए देखते हैं-

1.एग लेयर फार्म के लिए शेड व नेस्टिंग क्षेत्र :

उपयुक्त स्थान चुनना

भारत में पोल्ट्री फार्मिंग के लिए मुख्य और सबसे महत्वपूर्ण बात एक उपयुक्त भूमि का चयन करना है। और यह इस व्यवसाय का सबसे महंगा हिस्सा है। वाणिज्यिक पोल्ट्री उत्पादन स्थापित करने के लिए, यदि आपके पास अपनी खुद की भूमि है तो बेहतर होगा। भूमि का क्षेत्र उन पक्षियों की संख्या पर निर्भर करता है जिन्हें आप पालना चाहते हैं। पोल्ट्री फार्मिंग के लिए जगह चुनते समय कुछ बातों का खास ध्यान रखें। मसलन, ग्रामीण क्षेत्रों में पोल्ट्री फार्मिंग करें क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि और श्रम अपेक्षाकृत सस्ते हैं। शोर मुक्त और शांत जगह का चयन करें। कोशिश करें कि जगह प्रदूषण मुक्त हो। साथ ही भूमि का चयन करते समय पर्याप्त मात्रा में ताजे और साफ पानी का एक बड़ा स्रोत सुनिश्चित करें। इतना ही नहीं, उस स्थान से शहर में परिवहन व्यवस्था पर भी ध्यान दें और अगर आपके द्वारा चुने गए स्थान के पास ही मार्केट हो तो काफी अच्छा रहेगा। इससे आपका परिवहन का व्यय काफी हद तक बच जाएगा।

एग लेइंग के लिए शेड खेत के अंदर की ओर स्थित होना चाहिए ताकि सड़क की चहल पहल और अवांछित शोर न सुनाई दें , अत्यधिक शोर मुर्गियों के अंडे उत्पादन को प्रभावित करता हैं. फीडर और पानी की ट्रे को मुर्गियों की पीठ के बराबर ऊंचाई पर रखा जाना चाहिए, इसके अलावा ग्रिल की ऊंचाई को ऐसे रखना चाहिए कि वह ऊपर छत पर नहीं टकराना चाहियें.

मुर्गियों के अंडे देने के 1 हफ्ते पहले एक नेस्ट बॉक्स (ट्रे) बना दिया जाता हैं नेस्ट बॉक्स 3 प्रकार के होते हैं यह लेयर मुर्गियों की संख्या पर निर्भर करता हैं .

  1. नेस्ट बॉक्स के विभिन्न प्रकार :
  • इंडिविजुअल नेस्ट – प्रत्येक 4-5 मुर्गियों के लिए एक बॉक्स होता हैं.
  • कम्यूनिटी नेस्ट – यह एक एकल बॉक्स होता हैं जिसमें 40-50 मुर्गियाँ रहती हैं.
  • ट्रैप नेस्ट – इस प्रकार के बॉक्स का उपयोग अनुसंधान उद्देश्यों के लिए किया जाता है क्योंकि इसमें एक समय में एक मुर्गी को रखा जाता हैं

नेस्ट बॉक्स के लिए गहरा लिटर बिछाना चाहिए, लिटर की मोटाई 6 इंच होना चाहियें.

  1. पोल्ट्री लेयर फ़ार्मिंग के लिए फ्लोर स्पेस:

एग लेयर पालन प्रणाली होने के बावजूद मुर्गियों को पर्याप्त जगह देना चाहिए , डीप लिटर प्रणाली में लगभग 2 वर्ग फुट जगह प्रति मुर्गी को प्रदान किया जाना चाहिए. पिंजरा प्रणाली में 18 इंच x 12 इंच जितनी जगह देनी चाहिए, यह 3 से 5 मुर्गियों को रखने के लिए पर्याप्त हैं.

हवा और बारिश को रोकने के लिए बाहरी तरफ शेड बना हुआ होना चाहिए. पक्षियों को मानवीय उपचार के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए, कुछ किसान मुर्गियों को बाहर खुले में छोड़ते हैं ऐसा करने से कुछ केस में बाहरी जानवर मुर्गियों को नुकसान पहुचा सकते हैं.

  1. दिन का प्रकाश : Daylight Provision:

लेयर मुर्गियों को लगभग 14 घंटे दिन का प्रकाश चाहिए होता हैं जब वह लेइंग (अंडे देने के ) स्टेज में होती हैं, मौसम परिवर्तन होने कारण कभी कभी दिन का प्रकाश नहीं मिल पाता हैं ऐसे में 2-4 घंटे कृत्रिम प्रकाश देना होता हैं इसके लिए किसान प्रति 100 मुर्गियों पर एक 60 वाट का लाइट लगाते हैं और इसे स्वचालित रूप से चालू बंद करने के लिए
इसमे टाइमर का भी उपयोग करते हैं.

  1. अंडों का संग्रह करना : Egg Collection:
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नेस्ट बॉक्स से अंडों को नियमित रूप से एकत्रित करना चाहिए, डीप लिटर प्रणाली में इसे दिन में बार तथा पिंजरा प्रणाली में इसे दिन मे 2 बार एकत्रित करना चाहिए. किसान आमतौर पर एक एग रोल आउट लगा देते हैं जिससे की अंडों का संग्रह करना आसान हो जाता हैं.

खोल पर खून के दाग को साफ पानी से धो लेना चाहिए, साफ किए हुए अंडों को तुरंत फ्रिजरेट किया जाना चाहिए, जिससे की संक्रमण का खतरा नहीं होता.

 

अनुत्पादक पक्षियों को निकालना: Removing Unproductive Birds जो लेयर मुर्गियाँ अनुत्पादक (Unproductive) होती हैं उन्हें तुरंत ही बाहर निकाल देना चाहिए, क्योंकि उन्हे रखने से कोई मतलब नहीं बंता और उन्हे रखना भी महंगा पड़ता हैं. अनुत्पादक पक्षी लगातार बिना अंडे दिए फ़ीड (चारा) खाते हैं.

अनुत्पादक लेयर के लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • कटा हुआ कोम
  • पीला कोम
  • निष्क्रिय
  • दुबले पतले शरीर वाले
  • सुस्त

अगर इनकी दर अधिक हैं तो यह प्रबंधन की समस्या के संकेत हैं. इस पर ध्यान देना चाहियें.

मुर्गियों का चयन

पोल्ट्री फार्मिंग में सबसे मुख्य कदम होता है मुर्गियों का चयन करना। दरअसल, आपको पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि मुर्गी पालन के जरिए आप किस तरह आमदनी करना चाहते हैं। मसलन, आप अंडे बेचना चाहते हैं या मीट। अगर आप अंडे उत्पादन करके उन्हें बेचना चाहते हैं तो इसके लिए layer मुर्गी का चयन करें। वहीं अगर आप मीट बेचकर पैसे कमाने के इच्छुक हैं तो Broilers मुर्गियों को पालना अच्छा रहेगा।

 

लेयर मुर्गियों की प्रजातियाँ :Breeds of Layer Birds:

व्यावसायिक मुर्गी पालन के लिए लेयर पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ उपलंध हैं जैसे कि लोहमन, BV -300 (सफेद), BV -380 (भूरा), हाइलाइन ब्राउन, बोवनस व्हाइट.

  1. लोहमन: Lohmann:

इस प्रजाति की विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • 20 सप्ताह में शरीर 1.5 से 1.7 केजी तक होता हैं तथा उत्पादन के अंत तक
    2.1 केजी तक होता हैं.
  • फ़ीड रूपांतरण अनुपात 2.1 से 2.2 है.
  • अंडे के छिलके का रंग भूरा होता है.
  • यह चौदह महीनों में लगभग 345 अंडे पैदा करती है.
  1. BV -300 (सफेद):

BV-300 (सफेद) के लेयर स्टॉक में निम्नलिखित विशेषताएं हैं:

  • अंडों का औसत वजन लगभग 60 ग्राम हैं.
  • 72 सप्ताह की आयु तक 330 अंडे दे देती हैं.
  • 20 सप्ताह में 1.3 केजी वजन और 72 सप्ताह में 1.6 केजी तक होता हैं.
  1. BV -380 (भूरा)
  • वजन 72 सप्ताह में 1.9 केजी तक होता हैं.
  • 21 से 72 सप्ताह तक फ़ीड की खपत 43 केजी होता हैं.
  • 20 सप्ताह तक फ़ीड की खपत 7.5 केजी होता हैं.
  1. हाइलाइन ब्राउन: Hyline Brown:
  • ग्रोइंग अवधि 17 सप्ताह में 1.7 केजी वजन के हो जाते हैं
  • ये 5.62 केजी फ़ीड खाते हैं.
  • अकेली मुर्गी 80 सप्ताह तक तक 22 केजी अंडों का उत्पादन करती हैं.
  • अंडों का वजन 32 सप्ताह में 61.6 ग्राम और 70 सप्ताह में 64.1 ग्राम तक होता हैं.
  1. बोवनस व्हाइट (सफेद): Bovan’s White:
  • ग्रोइंग अवधि 17 सप्ताह होती हैं.
  • 17 सप्ताह में शरीर का वजन 1.2 केजी होता हैं जो 76 सप्ताह में 1.7 केजी हो जाता हैं
  • अंडे देने की अवधि 19 सप्ताह से शुरू होती हैं और 72 सप्ताह तक देती हैं.
  • एक अंडे का औसत वजन 60.5 ग्राम होता हैं.
  • प्रति मुर्गी 330 तक अंडे देती हैं
  1. हाइलाइन W-36:
  2. ग्रोइंग अवधि 17 सप्ताह.
  3. 17 सप्ताह में शरीर का वजन 24 केजी और 70 सप्ताह में 1.54 केजी होता हैं.
  4. 38 सप्ताह में अंडे का वजन 1 ग्राम होता हैं.

एग लेयर पोल्ट्री फार्म के लियें फ़ीड (चारा) की आवश्यकता :

ग्रोइंग स्टेज के निरपेक्ष, लेयर पक्षियों को ताजा फ़ीड और स्वच्छ पानी देना चाहियें. उन्हें लगातार भोजन की आवश्यकता होती है और इसलिए इसे 24 घंटे के आधार पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

फीडर को दिन में एक ही बार पूरा भरने की सिफारिश नहीं की जाती हैं क्योंकि-

  • चारा जल्दी खराब हो जाता हैं और नीचे स्थित चारा भी खराब हो जाता हैं जिसका सेवन मुर्गियों के स्वास्थय और अंडे के उत्पादन को प्रभावित कर सकता हैं.
  • यदि फीडर पूरा भर जाए तो बड़ी मात्रा में फ़ीड (चारा) बर्बाद होता हैं.

आदर्श रूप से, किसानों को फीडर में अक्सर पर्याप्त मात्रा में भोजन भरना चाहिए सुबह में एक बार फिर दोपहर में और शाम को यदि आवश्यक हो फ़ीड में कम से कम 18% प्रोटीन होना चाहिए, इसके अलावा, फ़ीड में कोई भी बदलाव धीरे-धीरे किया जाना चाहिए और अचानक नहीं. स्वच्छ पानी की भी व्यवसाथ होनी चाहियें.

लेयर पोल्ट्री फार्म में रोग प्रबंधन: Disease Management:

लेयर पक्षी विभिन्न बीमारियों से पीढ़ित हो सकते हैं जैसे कि न्यूकैसल रोग, फॉल पॉक्स, परजीवी जो अंडे के उत्पादन को प्रभावित करते हैं. सबसे आम लक्षण छींकना, रैटलिंग, तितर बितर होना, पक्षाघात, सिर और गर्दन, आदि हैं.

किसी भी असामान्य रोग के लक्षण दिखाई देने पर पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क करना चाहिए. इसके अलावा, बढ़ती बीमारियों को रोकने के लिए पक्षियों को सही समय पर टीका लगाया जाना चाहिए.

जैसे ही अंडे से चूजे निकलते हैं उन्हे मर्क के वैक्सीन और फोव्लॉक्स वैक्सीन लगाई जाती हैं.

नीचे दी गई टेबल में टीकाकरण की जानकारी दी गई हैं-

पक्षियों की आयु रोग अनुप्रयोग
3 से 4 दिन न्यूकैसल रोग इंट्रोक्युलर या इंट्रानासल
4 सप्ताह फॉल पॉक्स विंग वेब
6 सप्ताह आंतरिक परजीवी पानी और फ़ीड के साथ मिश्रित

लेयर पक्षियों में टीकाकरण

 

Vaccination Schedule for layers

 

Days Vaccine Route
0 day Mareks Disease Vaccine (HVT) S/C 0.2 ml
5-7 days Ranikhet Disease Vaccine- RDVF O/N
12-14 days Infectious Bursal Disease Vaccine- Pruning Intermediate Georgia O/N or water
18-22 days Infectious Bronchitis O/N or water
24-27 days IB Vaccine Booster Water
28-30 days RD vaccine Booster- La Sota Water
6th Week Fowl Pox Vaccine or Infectious Coryza Vaccine (if prevalent in the area) S/C
8th Week RD vaccine- RDVK or R2B S/C or I/m
9th Week Fowl Pox Vaccine Wing web
12th-13th Week IB Booster Water
18th week RD Booster- RDVK or R2B S/C or I/m
45th-50th Week RD La Sota repeated every once in 2 Months Water
  • Vaccination schedule for layers vary according to the disease occurrence in different areas

 

सफल एग लेयर पोल्ट्री फ़ार्मिंग करने के लिए कुछ टिप्स:

Successful Egg Poultry Farming Tips in Hindi- यहाँ एक लेयर पोल्ट्री फ़ार्मिंग में सफल होने के लिए कुछ टिप्स दिए गए हैं :

  1. स्वस्थ चूजों को प्राप्त करना:

स्वस्थ और अच्छी ब्रीड के चूजे सरकार द्वारा प्रमाणित अनुशंसित केंद्रों से खरीदा जाना चाहिए.

  1. आवास प्रबंध(Housing):

 

मुर्गी के लिए घर तैयार करना

इसके बाद बारी आती है मुर्गियों के लिए घर तैयार करने की। हालांकि यह जमीन खरीदने जैसा महंगा भी नहीं है। पोल्ट्री पक्षियों के लिए एक अच्छा घर बनाने के कई तरीके हैं। हमेशा यह सुनिश्चित करें कि घर या पिंजरे पर्याप्त और विशाल हो ताकि पक्षियों को उसमें किसी तरह की परेशानी ना हो। उनके पिंजरे में उचित वेंटिलेशन सिस्टम बनाएं। घर के अंदर पर्याप्त मात्रा में ताजी हवा और प्रकाश का प्रवाह सुनिश्चित करें। यदि आप बड़े पैमाने पर व्यावसायिक उत्पादन करना चाहते हैं तो कई घर बनाएं और एक घर से दूसरे घर की दूरी कम से कम 40 फीट रखें। घर को हमेशा साफ और ताजा रखें। और चूजों को खेत में लाने से पहले अच्छी तरह साफ कर लें। इसके अलावा घर के अंदर एक उपयुक्त जल निकासी व्यवस्था बनाएं। यह आपको घर को आसानी से साफ करने में मदद करेगा।

 

पर्याप्त हवा और प्रकाश के साथ सुविधाओं सहित स्वच्छ आवास सुविधाओं का उपयोग किया जाना चाहिए. एक बैच के निपटान (disposed) के बाद शेड उन्हें किटाणु रहित और साफ किया जाना चाहिए.

  1. आहार (Feeding):

अगर आप चाहते हैं कि आपका बिजनेस अच्छा चले तो आपको मुर्गियों का सही तरह से ख्याल रखना होगा। अच्छे और उच्च गुणवत्ता वाले पौष्टिक भोजन कमर्शियल पोल्ट्री उत्पादन के लिए जरूरी है। भारत में कई पोल्ट्री फीड उत्पादक कंपनियां उपलब्ध हैं। वे सभी प्रकार के पोल्ट्री पक्षियों के लिए फ़ीड का उत्पादन करते हैं। आप अपने पक्षियों के लिए उन भोजन का उपयोग आसानी से कर सकते हैं। विभिन्न प्रकार के पोल्ट्री रोगों के कारण हजारों किसान भारी नुकसान का सामना करते हैं। इसलिए, हमेशा अपने पक्षियों की अच्छी देखभाल करें और उन्हें पौष्टिक भोजन और स्वच्छ पानी प्रदान करें। उनका समय पर टीकाकरण करें और कुछ सामान्य और आवश्यक दवाओं का भंडारण करके रखें।

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अच्छी गुणवत्ता वाला संतुलित भोजन सही उम्र में दिया जाना चाहिए. लेयर फ़ीड आमतौर पर 17 सप्ताह पर दिया जाता है, धीरे-धीरे 16 सप्ताह की आयु तक शुरू किया जाना चाहिए. अधिक सेवन कराने से बचें तथा फ़ीडर की साफ सफाई करते रहे जिससे की चूहों से होने वाले संक्रमण को रोक जा सके.

  1. पानी (Water):

पक्षियों के लिए हर समय ताजा, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध होना चाहिए, पानी की ट्रे को साफ रखना चाहिए और पक्षियों को ट्रे के अंदर जाने से रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए. गर्मी के दिनों में पानी की ट्रे को सीधे सूर्य की रोशनी से बचाएं.

1000 मुर्गियों के लिए लेयर पोल्ट्री लिए कुल खर्च:

1000 मुर्गियों के लिए शेड निर्माण सहित कुल खर्च नीचे दी गई तालिका में बताया गया हैं.

निश्चित लागत : Fixed Cost:

क्र. पूंजी लागत मात्रा / दर राशि (रुपयों में )
1 लेयर शेड
(55×18)फ़ीट =990 वर्ग फ़ीट
₹ 250/वर्ग फ़ीट ₹ 1,98,000
2 कैज (पिंजरे की लागत)
1024 मुर्गियों के लिए
₹ 150/ मुर्गी ₹ 1,53,600
3 बिजली व पानी का प्रबन्ध ₹ 18/ मुर्गी ₹ 18000
कुल पूंजी लागत ₹ 3,69,600
  1. आवर्ती पूंजी लागत: Recurring Cost:
क्र. आवर्ती पूंजी लागत मात्रा / दर राशि (रुपयों में )
1 14 सप्ताह की मुर्गीया (1000) ₹ 220/ मुर्गी ₹ 2,20,000
2 फ़ीड (चारा) की लागत
15 से 18 सप्ताह की
मुर्गियों के लिए
1.8 किलो x 1000
@22 किलो
₹ 39,600
3 फ़ीड (चारा) की लागत
19 से 25 सप्ताह की
मुर्गियों के लिए
4 किलो x 1000
@22 किलो
₹ 1,12,000
4 दवा और वैक्सीन
1000मुर्गियों के लिए
₹ 10/ मुर्गी ₹ 10,000
5 बिजली बिल, मजदूरी और कीटाणुनाशक ₹ 10/ मुर्गी ₹ 10,000
कुल आवर्ती पूंजी लागत ₹ 3,91,600
टोटल (पूंजी लागत + आवर्ती) ₹ 7,61,200

एक 1000 मुर्गियों वाले लेयर पोल्ट्री फार्म का कुल खर्च लगभग 7,61,200 रुपये आएगा.

NB-INPUT & OUTPUT COST MAY VARY DEPENDING UPON AVAILABILITY & EXISTING MARKET RATE ,PLACE

“नोट: ऊपर दिया गया डाटा http://www.fardodisha.gov.in/ से लिया गया हैं, इसमें प्रैक्टिकल रूप में बदलाव आ सकता हैं.”

लेयर पोल्ट्री फार्म एक लंबे समय तक चलने वाला व्यवसाय हैं क्योंकि देश व दुनिया में भी अंडों का एक बहुत बड़ा बाजार हैं जिससे की अधिक अंडों की आवश्यकता होगी. इसके अलावा इसमें अधिक निवेश नहीं हैं जिससे की आप अधिक लाभ कमा सकते हैं.

वित्त व्यवस्था करना

जमीन खरीदने से लेकर मुर्गी पालन तक आपको काफी खर्चा करना पड़ेगा। इसलिए पहले आप वित्त व्यवस्था की ओर ध्यान दें। अगर आपके पास जमा पूंजी है, तो ठीक है, अन्यथा आप बैंक लोन के बारे में भी विचार कर सकते हैं। वर्तमान में बैंक पोल्ट्री फार्मिंग के लिए लोन प्रदान करते हैं।

 

लेयर पोल्ट्री फार्म से संबंधित प्रश्न-उत्तर:

  1. मुर्गी पालन में लेयर एवं ब्रायलर्स क्या है?

मुर्गी पालन में लेयर मतलब अंडों के लिए मुर्गी पालन और ब्रायलर मतलब माँस के लिए मुर्गी पालन किया जाता हैं.

  1. मुर्गी कितने दिन बाद अंडे देती है?

मुर्गी 20 सप्ताह की होने के बाद अंडे देना शुरू करती हैं.

  1. लेयर पोल्ट्री फार्म ट्रेनिंग कहा मिलेगी?

मुर्गी पालन केंद्र की जानकारी/ Training centers of poultry farming
मुर्गी पालन का व्यवसाय करने वाले हर उद्यमी को चाहिए की वह एक बार मुर्गी पालन का व्यवसाय करने से पहले मुर्गी पालन की ट्रैनिंग जरूर ले, ताकि मुर्गी पालन में आने वाली छोटी बड़ी समस्याओ को आसानी से सुलझा  सके,  तो दोस्तो आज हम इस पोस्ट के माध्यम मुर्गी पालन ट्रेनिग सेंटर्स के बारे में  जानेंगे की यह कितने प्रकार का होता है तथा किस प्रकार का होता है?

सरकारी मुर्गी पालन केंद्र को चार भागों में बांटा गया है। तथा यह मुर्गी पालन केंद्र भारत मे चार दिशाओ यानी पूरब , पश्चिम, उत्तर तथा दक्षिण में स्थित है।

पश्चिम में  स्थित केंद्र  को CARI  के नाम से जाना जाता है।, यह संस्थान उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में इज्जतनगर में स्थित है। इस संस्थान में ट्रेनिंग लेने वाले व्यक्ति को 6 दिन का ट्रेनिंग दिया जाता है। संस्थान में हर प्रकार के व्यक्ति यानी अलग अलग पेशे वाले व्यक्तियों को अलग अलग प्रकार की ट्रेनिंग देने का बंदोबस्त है।  यह किसानो के लिए साल में तीन बार ट्रेनिंग देता है। जिसमे कोई भी किसान मात्र 6 दिन में ट्रेनिंग प्राप्त कर सकता .आवेदन करने के लिए मुर्गी पालन केंद्र से ट्रेंनिंग लेने के लिए एक आवेदन फार्म भरकर  ट्रेंनिंग सेंटर जे हेड आफिस में जमा करना होगा  जिसे आप नीचे दिए गए पाते पर भेज सकते है।
Head, Technology transfer section ,CARI, izat nagar,bareilly
Pin- 243112
(Uttar pradesh)

इसके अलावा यह संस्थान यानी मुर्गी पालन केंद्र  में सरकारी कर्मचारियों को भी अलग से ट्रेनिंग करवाने का प्रावधान है।

स्पॉन्सर्ड ट्रेंनिंग कोर्स
यह एक प्रयोजित मुर्गी पालन ट्रेनिंग किसानों के मांग के अनुसार आयोजित किया जाएगा, इस ट्रेनिंग के अंतर्गत मुर्गी पालन कर रहे किसानों को समस्याओ से निबटने की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह मुर्गी पालन केंद्र जवानों को विशेष ट्रेनिंग मुहैया कराता है।

मुर्गी पालन केंद्र CPDO नॉर्थरन रीजन
यह मुर्गी पालन केंद्र हरियाणा और पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में स्थित है। इस मुर्गी पालन केन्द्र में किसान से लेकर बेरोजगार युवा, महिलाये, तथा उत्तरी राज्यो की महिलाएं ट्रेनिंग लेने के लिए आवेदन कर सकते है, आवेदन करने के लिए आवेदन पत्र को पशुपालन विभाग या बीडीओ से संपर्क कर वेरीफाई करना पड़ेगा,  यह मुर्गी पालन केंद्र ट्रेनिंग लेने वाले व्यक्ति को 100 रुपये भत्ता के रूप में प्रतिदिन दिया जाएगा, तथा उसे रहने की व्यवस्था भी निःशुल्क दी जाएगी ।

मुर्गी पालन केंद्र CPDO साउथर्न रीजन

यह मुर्गी पालन केंद कर्नाटक राज्य के बेंगलोर शहर में स्थित है, यह केवल दक्षिणी राज्यो के लिए जिसमे कर्नाटक, आंध्रप्रदेश,तमिलनाडु,केरल तथा पॉन्डिचेरी एवम लक्ष्यद्वीप के लोगो को ही ट्रेनिंग मुहैया कराता है। इस मुर्गी पालन केंद्र में तीन बेच में ट्रेंनिंग देता है जिसमे प्रत्येक बेच 20 किसानों को ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग देने की अवधि 6 दिन है। यहाँ ट्रेनिंग लेने वाले व्यक्ति को मुफ्त में रहने की व्यवस्था की जाती है, टर्निंग खत्म होने के बार प्रयेक व्यक्ति को संस्थान द्वार 600 रुपये दिया जाता है।

मुर्गी पालन केंद्र वेस्टर्न रीजन
यह मुर्गी पालन महाराष्ट्र राज्य के मुम्बई में स्थित है, इस मुर्गी पालन केंद्र में पश्चिमी राज्यो के लोगो को ट्रेनिंग दिया जाता है है जिसमे गुजरात ,महाराष्ट्र,गोवा, दमन और दीव है,  सभी प्रक्रियाएं भी उसी प्रकार है जो कि ऊपर दिया गया है।

मुर्गी पालन केंद्र ईस्ट रीजन
पूर्वी राज्यो के लोगो को ट्रेनिंग देने के लिए भुवनेश्वर में मुर्गी पालन केंद्र स्थापित किया गया है। जिसमे अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर,असम,दार्जलिंग,मेघालय, मिजोरम ,नागालैंड आदि राज्य के लोगो को ट्रेनिग दिया जाता है

 

ट्रेनिंग की जानकारी के लिए आप http://cpdonrchd.gov.in/Training.html पर विजिट करे.

 

 

मार्केटिंग

पोल्ट्री फार्मिंग बिजनेस का आखिरी और सबसे मुख्य स्टेप है मार्केट की तलाश करना। इसके लिए आप सबसे पहले अपने लोकल मार्केट में कस्टमर ढूंढे। विभिन्न दुकानों पर आपके अंडे और मीट बिक सकते हैं। अगर आपको अपने काम के लिए बाजार अपने आसपास ही मिल जाता है तो इससे आपका परिवहन खर्च बच जाएगा और आपकी आमदनी अधिक होगी।

अंडे की प्रकृति और रंग के अनुसार लेयर मुर्गियाँ दो प्रकार की होती हैं। इन दो प्रकारों के संक्षिप्त विवरण निचे बताये गए हैं।

लेयर मुर्गी कितने अंडे देती है?

सफेद अंडे देने वाली मुर्गियाँ

इस प्रकार की मुर्गियाँ आकार में तुलनात्मक रूप से छोटी होती हैं। ये कम खाना खाती हैं, और अंडे के छिलके का रंग सफेद होता है। ईसा व्हाइट, लेहमन व्हाइट, निकचिक, बाब कॉक बीवी-300, हार्वर्ड व्हाइट, सेवर व्हाइट, हाई लाइन व्हाइट, बेवाच व्हाइट आदि कुछ प्रमुख सफेद अंडे देने वाली मुर्गियां हैं।

भूरा अंडा देने वाली मुर्गियाँ

भूरे अंडे देने वाली मुर्गियाँ आकार में बड़ी होती हैं। ये सफेद अंडे देने वाली मुर्गियों तुलना में अधिक खाना खाती हैं। अन्य लेयर वाली नस्लों की तुलना में बड़े अंडे देती। अंडे का छिलका भूरे रंग का होता है। भूरे अंडे देने वाली मुर्गियों कई नस्लें है उनमें से ईसा ब्राउन, सेवर 579, लेहमन ब्राउन, हाई लाइन ब्राउन, बेब कॉक बीवी-380, गोल्ड लाइन, बब्लोना टेट्रो, बब्लोना हार्को, हावर्ड ब्राउन आदि हैं।

लेयर मुर्गी कैसे चुने 

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अपने पोल्ट्री फार्मिंग व्यवसाय के लिए लेयर मुर्गियों का चयन करने से पहले आपको कुछ आवश्यक जानकारी को ध्यान में रखना होगा। आपको उन नस्लों का चयन करना है जो आपके लेयर पोल्ट्री फार्मिंग व्यवसाय के लिए उपयुक्त हैं और आपके क्षेत्र में अच्छी तरह से उत्पादन कर सकती हैं।

  • व्यावसायिक अंडे के उत्पादन के लिए, आपको अत्यधिक उत्पादन करने वाली मुर्गियों को चुनना होगा।
  • सभी प्रकार की मुर्गियाँ समान संख्या में अंडे नहीं देती है।
  • चुनी हुई नस्लों में अच्छी उत्पादन क्षमता होनी चाहिए।
  • यदि आपकी चुनी हुई नस्ल में वांछित विशेषता है और अंडा उत्पादन के लिए प्रतिष्ठा है,
  • तो वह नस्ल आपके व्यवसाय के लिए उपयुक्त है।
  • हमेशा स्वस्थ चूजे किसी प्रसिद्ध और लोकप्रिय हैचरी से ही खरीदें। खरीदने से पहले आप उनका कैटलॉग देख सकते हैं।

लेयर मुर्गी घर 

  • एक अच्छी लेयर मुर्गी आवास पक्षी को सुरक्षित, अच्छी तरह से विकसित और उत्पादक रखती है। आम तौर पर पोल्ट्री पक्षी जो अंडे के उत्पादन के लिए लोकप्रिय और पाले जाते हैं, उन्हें layer poultry farming के रूप में जाना जाता है।
  • ज्यादा अंडा उत्पादन प्राप्त करने के लिए, उन्हें उचित देखभाल और प्रबंधन की जरूरत होती है
  • सफल पोल्ट्री फार्मिंग व्यवसाय के लिए फीड और मुर्गी घर दो मुख्य कारक हैं। व्यावसायिक रूप से और छोटे पैमाने पर मुर्गी पालन करने के लिए आवास भी बहुत महत्वपूर्ण है।
  •  वेंटिलेशन सिस्टम और तापमान प्रबंधन की आवश्यकता है। और सही वेंटीलेशन के लिए, आप बड़े आकार की खिड़कियां या दरवाजे रख सकते हैं, जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर खोला जा सकता है।
  • आप लेयर पोल्ट्री को डीप लिटर और केज सिस्टम दोनों में पाल सकते हैं। डीप लीटर पोल्ट्री फार्मिंग सिस्टम का इस्तेमाल आमतौर पर फ्री रेंज या ऑर्गेनिक पोल्ट्री फार्मिंग सिस्टम के लिए किया जाता है।
  • लेकिन पिंजरा प्रणाली व्यावसायिक उत्पादन उद्देश्य के लिए उपयुक्त है। पिंजरे की व्यवस्था में कुक्कुट उत्पादक हजारों पक्षियों को एक ही शेड के नीचे रख सकते है ।
  • यदि आप अपने पक्षियों को केज सिस्टम में पालना चाहते हैं, तो बॉयलर हाउस की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई की तुलना में एक बड़ा घर बनाएं।
  • layer poultry farming हाउसिंग के लिए पर्याप्त तापमान प्रबंधन प्रणाली भी एक बहुत महत्वपूर्ण चीज है। लेयर मुर्गी तापमान के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं।
  • घर के अंदर सही कूलिंग और हीटिंग सिस्टम का प्रयोग करें। चूजों को मुर्गी घर मैं डालते समय तापमान प्रबंधन के बारे में बहुत सावधान रहें। क्योंकि अचानक तापमान में बदलाव से आपके चूजों की मौत हो सकती है।
  • अच्छा वेंटिलेशन सिस्टम घर के अंदर ताजी हवा पहुंचाता है, और घर से अतिरिक्त गर्मी, नमी और अवांछित गैसों को निकालता है।
  • एक उचित वेंटिलेशन सिस्टम बनाने के लिए, आपको पंखे, बाष्पीकरणीय शीतलन प्रणाली, एयर इनलेट और नियंत्रण की आवश्यकता होगी।
  • लेयर पोल्ट्री पक्षियों के लिए लाइटिंग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अधिकतम संख्या में अंडे देने के लिए उन्हें एक निश्चित लाइटिंग टाइम की जरुरत होती है।
  • आमतौर पर लेयर पोल्ट्री पक्षियों को अधिकतम अंडा उत्पादन के लिए लगभग 16 घंटे लाइट और 8 घंटे अंधेरे अवधि की आवश्यकता होती है। अपने स्थान और मौसम की स्थिति के आधार पर 16 घंटे की लाइट अवधि की उपस्थिति सुनिश्चित करें।
  • layer poultry farming व्यवसाय के लिए घर बनाने से पहले निम्नलिखित पहलू को ध्यान में रखने का प्रयास करें।
  • पोल्ट्री हाउस को शांत और शांत जगह पर बनाएं।
  • यह अच्छी तरह से जल निकासी वाले क्षेत्रों में स्थित होना चाहिए, जो लंबे समय तक नमी, घर के फर्श की पानी की संतृप्ति और बारिश को रोकने में सहायक हो ।
  • यह बेहतर होगा, अगर सामने की ओर, खिड़कियां और बाहर की तरफ दक्षिण की ओर हो। यह विधि सूर्य को घर और मिट्टी को गर्म और शुष्क करने मैं सहायता करती है।
  • प्रति पक्षी आवश्यक पर्याप्त स्थान प्रदान करें जो घर में आर्द्रता के स्तर को कम करने में मदद करता है।
  • पक्षी को परभक्षियों से बचाने के लिए पोल्ट्री हाउस के चारों ओर एक बाड़ बनानी चाहिए

फ़ीड और जल प्रबंधन

  • आप अपने स्थानीय बाजार से फीड खरीद सकते हैं या अपने घर पर फिड  बना सकते हैं। आप बस यह सुनिश्चित करे कि खरीदा या बनाया गया फीड प्रोटीन और खनिज से समृद्ध है जो लेयर मुर्गियाँ के लिए बहुत आवश्यक हैं।
  • जन्म के बाद 2 सप्ताह तक उन्हें कम से कम 2% कैल्शियम दें
  • उन्हें 8 सप्ताह तक स्टार्टर फीड खिलाए
  • 18 सप्ताह के होने तक उन्हें दिन में दो या तीन बार परोसें
  • उन्हें उनकी उम्र और वजन के अनुसार लेयर पोल्ट्री फीड परोसें
  • लेयिंग समय उनका चारा कम न करें (भले ही उनका वजन बढ़ जाए)
  • अपनी लेयर वाली मुर्गियों की मांग के अनुसार पर्याप्त पानी उपलब्ध कराएं

लेयर मुर्गी के लिए टीकाकरण और इसका महत्व

  • चूजों को सभी प्रकार की बीमारियों से मुक्त रखने के लिए टीकाकरण कार्यक्रम जरूरी है
  • समय पर टीकाकरण चूजे के शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बनाता है।
  • मुर्गी को संक्रामक रोगों से मुक्त रखने में मदद करें।
  • रोग प्रसार कम होगा।
  • मृत्यु दर में कमी आएगी।
  • और कम मृत्यु दर = अधिक उत्पादन = अधिक लाभ।
  • कई प्रकार के पोल्ट्री टीके उपलब्ध हैं।
  • लेयर मुर्गियों के लिए मारेक्स, रानीखेत, गैम्बोरो, ब्रु चिटीज, बोसोनटो, साल्मोनेला आदि का उपयोग किया जाता है।

मुर्गियों के टीकाकरण से पहले किया करे 

  • टीकाकरण से पहले आपको कुछ नियमों का पालन करना होगा।
  • मुर्गियों को बहुत सावधानी से पकड़ें।
  • मुर्गियों को बिना किसी दबाव के टीका लगवाएं।
  • बीमार मुर्गी को टीका लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
  • टीकाकरण उपकरणों को गर्म उबले पानी या विराक्लीन से धोएं
  • ठंड के मौसम में टीकाकरण कार्यक्रम करें।
  • निवारक टीका हमेशा स्वस्थ पक्षी पर लागू होता है। संक्रमित पक्षी का टीकाकरण कभी न करें।

लेयर मुर्गी की चोंच काटने की विधि और महत्व

  • लेयर मुर्गी की चोंच काटना बहुत जरूरी है। मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं।
  • चोंच काटने से आपसी झगड़ों को कम करने में मदद मिलती है।
  • यह भोजन की बर्बादी को रोकने में मदद करता है।
  • आपको अपने चूजों की चोंच 8 से 10 दिन की उम्र में काटने होंगे।
  • बढ़ते मुर्गे के चोंच को उनकी 8 से 12 सप्ताह की उम्र में काटें।
  • चूजों के चोंच उनकी नाक से 0.2 सेमी काट लें।
  • अंडे देने वाली मुर्गियों के मामले में 0.45 सेमी काट लें।
  • ऊपरी और निचली दोनों चोंच को काटें।
  • दोनों चोंच एक साथ न काटें। एक के बाद एक काटें।
  • चोंच को काटने के लिए ब्लॉक चिक ट्रिमिंग मशीन का इस्तेमाल करें।
  • टीकाकरण के दो दिन बाद या उससे पहले, सल्फर जैसी कुछ दवाओं का उपयोग करने से पहले या बाद में उनके चोंच न काटें। यदि मुर्गी तनाव में हो, और प्रतिकूल मौसम की स्थिति के दौरान और मुर्गी अंडे देना शुरू कर दे तो चोंच न काटें।
  • चोंच को काटने से तीन दिन पहले चिकन के पानी में विटामिन ‘के’ मिला कर दे। चोंच काटने के उपकरण को विराक्लीन से धोएं। ब्लेड के किनारे और तापमान का जाँच करें। आपको सावधान रहना होगा, और उनकी आंखों और जीभ को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। उनके चोंच को काटने के लिए ठंडे मौसम का चुनाव करें। चोंच काटने की प्रक्रिया एक अनुभवी तकनीशियन द्वारा करनी चाहिए। चोंच को काटने के बाद एक गहरे बर्तन में पानी डालकर सर्व करें। उन्हें कुछ अतिरिक्त ऊर्जा समृद्ध फ़ीड दे।

कुछ मुख्य जानकारी

  • औसत स्वस्थ मुर्गी लगभग हर दिन या सप्ताह में कम से कम 4 बार अंडे देती है।
  • पहले 20 सप्ताह की उम्र के भीतर, लगभग 5% मुर्गियाँ अंडे देना शुरू कर देती हैं
  • और एक साल में 325 अंडे दे सकती हैं
  • लगभग 10% मुर्गी अपनी 21 सप्ताह की आयु में अंडे देने लगते हैं
  • जब वे 26 से 30 सप्ताह की आयु तक पहुंचते हैं, तो वे अत्यधिक उत्पादन करते हैं।
  • हालाँकि, यह उनके रखरखाव के आधार पर भिन्न हो सकता है
  • अधिकतम संख्या में अंडे देने के बाद, वे आमतौर पर कुछ दिनों के लिए अंडे देना बंद कर देते हैं
  • और इस अवधि के बाद, उनके अंडे का उत्पादन धीरे-धीरे कम हो सकता है
  • अंडे देने की दर और अंडों का आकार धीरे-धीरे बढ़ता है
  • मुर्गियाँ 40 सप्ताह की उम्र तक बढ़ती है
  • अंडे का वजन और आकार 50 सप्ताह की उम्र तक बढ़ता है।

“मुर्गियों के प्रमुख रोग एवं रोकथाम “यहां से डाउनलोड कर सकते हैं

मुर्गियों के प्रमुख रोग एवं रोकथाम

 

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