Conjunctivitis /नेत्र श्लेष्मा कला शोथ
नेत्र की श्लेष्मा कला का लाल (pink) हो जाने को नेत्र श्लेष्मा कला शोथ कहते है ! इसे आँख दुखना, आँख आना तथा pink eye के नामों से भी जाना जाता है !
साधारणतः यह शोथ conjunctiva की निचली परतो मे भी conjunctivitis के साथ हो जाता है तब इसे keratoconjunctivitis कहते है !
रोगकारक (etiology):
इस रोग के कई अविशिष्ट (non-specific) व विशिष्ट (specific) कारण होते है जो निम्न प्रकार है –
अविशिष्ट कारक (non-specific factors)-
* चोट (trauma/injury) – धूल ,धूआँ ,गैस, कांटे ,घास ,कंकर आदि से चोट/नुकसान पहुँचना !
* नुकिली वस्तु या अन्य वस्तुओ से चोट (foreign body injury)
*-किसी चिंटे/कीट के काटने से (insect bite)
* रासायनिक पदार्थ (chemicals)
* एलर्जी -परागकण ,अन्य एलर्जीक पदार्थ या दवाईया
* किन्ही रोग की अवस्थाओ मे अतिरिक्त लक्षण के रुप मे e.g.In listeriosis, RP, BMC, blue tongue, viral disease of respiratory system etc
विशिष्ट कारक (specific factors)-
* जीवाणु (becteria) -staphylococcus spp , streptococcus spp, mycoplasma, leptospira bovis, !
* विषाणु (virus) -canine distemper ,infectious bovine rhinotracheitis , adeno virus infections !
* फफूंदी (fungus) – Aspergillus , candida spp !
लक्षण (symptoms):
1. आँख को बार -बार झपकाना (blepharospasm)
2.आँख से आंसू बहना (tear secretion)
3.आँख का लाल हो जाना (redness)
4.दर्द (pain) व सूजन (swelling) भी हो सकती है !
5. अधिक गम्भीर स्थिती मे आँख से मवादयुक्त स्राव (mucopurulent) निकलना !
6. आँख का धुंधलापन (opacity)
7.अधिक गम्भीर स्थिती मे आँख से दिखाई देना बहुत कम हो जाता है और मवादयुक्त स्राव के साथ ही cornea मे रक्त स्राव बढ़ जाता है !(vascularization)
उपचार (treatment)
* पशु को तेज रोशनी मे नही रखें ,शुष्क व हवादार वातावरण मे रखें !
* आँख को Boric acid के विलयन से धोना !
* कोई भी eye antiseptic ointment लगावें अथवा drops डाले ! जैसे- ciprofloxacin , soframycin , gentamycin , terramycin आदि !
* कृमि के संक्रमण की स्थिती मे कृमिनाशक दवा (anthelmintic drug) काम मे ले e.g .ivermectin , albendazole , doramectin , fenbendazole !
* इसके अलावा आवश्यकतानुसार लक्षणात्मक व सहारात्मक उपचार (supportive treatment )भी किया जाना चाहिए !