“विकसित भारत@2047″ के लिए पशु चिकित्सकों और पशुधन क्षेत्र की भूमिका
डॉ. दिनेश ठाकुर,
पशु चिकित्सा सहा. शल्यज्ञ (VAS)
पशु चिकित्सालय बिलाली
जिला खरगोन (म. प्र. )
भारत का लक्ष्य टिकाऊ और न्यायसंगत विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है।
पशु चिकित्सकों की भूमिका:
- पशुस्वास्थ्यप्रबंधन: प्रभावी रोग नियंत्रण कार्यक्रमों का विकास और कार्यान्वयन।
- पोषणऔरआहार: आहार निर्माण और प्रबंधन पर विशेषज्ञ सलाह प्रदान करना।
- प्रजननऔरआनुवंशिकी: चयनात्मक प्रजनन कार्यक्रमों के माध्यम से पशु उत्पादकता में सुधार करना।
- विस्तारसेवाएँ: किसानोंको प्रशिक्षण देना और सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- अनुसंधानएवंविकास: पशुधन उत्पादकता में सुधार के लिए अध्ययन करना।
पशुधन क्षेत्र का योगदान:
- रोजगारसृजन: 15%ग्रामीण कार्यबल पशुधन में लगे हुए हैं।
- जीडीपीयोगदान: भारतकी जीडीपी का 4.5%।
- प्रोटीनसुरक्षा: पशु-व्युत्पन्नभोजन की बढ़ती मांग को पूरा करना।
- ग्रामीणविकास: ग्रामीणसमुदायों की आजीविका में सुधार।
प्रमुख रणनीतियाँ:
- पशुउत्पादकताऔर दक्षता बढ़ाएँ।
- पशुस्वास्थ्यऔर रोग प्रबंधन में सुधार करें।
- टिकाऊपशुधनकृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।
- किसानोंकेलिए बाज़ार और ऋण तक पहुंच बढ़ाना।
- पशुचिकित्साक्षेत्र में कुशल मानव संसाधन विकसित करें।
सरकारी पहल:
- राष्ट्रीयपशुधनमिशन (एनएलएम)
- राष्ट्रीयगोकुलमिशन (आरजीएम)
- राष्ट्रीयपशुरोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी)
- पशुधनस्वास्थ्यऔर रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी)
निजी क्षेत्र की भागीदारी:
- पशुचिकित्सासेवाओं के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी)।
- पशुधनअनुसंधानएवं विकास में निवेश।
- पशुचिकित्सापेशेवरों के लिए क्षमता निर्माण।
चुनौतियाँ और अवसर:
- जलवायुपरिवर्तनऔर रोग प्रबंधन।
- रोगाणुरोधीप्रतिरोधऔर अवशेष।
- पशुकल्याणऔर नैतिकता.
- निर्यातोन्मुखपशुधनउत्पादन।
- डिजिटलीकरणऔरप्रौद्योगिकी अपनाना।
आगे बढ़ने का रास्ता:
- सरकार, निजीक्षेत्रऔर पशु चिकित्सकों के बीच सहयोगात्मक प्रयास।
- सततऔरन्यायसंगत पशुधन विकास पर ध्यान दें।
- अनुसंधान, विस्तारऔरक्षमता निर्माण में निवेश।
- प्रभावीरोगप्रबंधन एवं पशु स्वास्थ्य सेवाएँ।
- पशुधनउद्यमिताएवं रोजगार को बढ़ावा देना।
अपेक्षित परिणाम:
- पशुधनउत्पादकताऔर दक्षता में वृद्धि।
- पशुओंकेस्वास्थ्य एवं रोग प्रबंधन में सुधार।
- किसानोंकीआय और आजीविका में वृद्धि।
- प्रोटीनयुक्तभोजन तक पहुंच में वृद्धि।
- भारतकीआर्थिक वृद्धि और विकास में योगदान।
निजी क्षेत्र की भागीदारी:
- सार्वजनिक-निजीभागीदारी(पीपीपी)
- अनुसंधानएवंविकास में निवेश
- पशुचिकित्सकोंकेलिए क्षमता निर्माण
चुनौतियाँ और अवसर:
- जलवायुपरिवर्तन
- रोगाणुरोधीप्रतिरोध
- पशुकल्याण
- निर्यातोन्मुखउत्पादन
- डिजिटलीकरणऔरप्रौद्योगिकी
आगे बढ़ने का रास्ता:
- सहयोगात्मकप्रयास
- सततएवंन्यायसंगत विकास
- अनुसंधानऔरक्षमता निर्माण में निवेश
- प्रभावीरोगप्रबंधन
- पशुधनउद्यमिताको बढ़ावा देना
अपेक्षित परिणाम:
- उत्पादकतामेंवृद्धि
- पशुओंकेस्वास्थ्य में सुधार
- किसानोंकीआय में वृद्धि
- प्रोटीनयुक्तभोजन तक पहुंच में वृद्धि
- भारतकीआर्थिक वृद्धि में योगदान
पशुधन विकास में सफलता की कहानियाँ:
- ऑपरेशन फ्लड: भारत की श्वेत क्रांति, दुग्ध उत्पादन में वृद्धि।
- राष्ट्रीय डेयरी योजना: डेयरी उत्पादकता और किसानों की आय बढ़ाना।
- कुक्कुट विकास कार्यक्रम: कुक्कुट उत्पादन और रोजगार को बढ़ावा देना।
- भेड़ और बकरी विकास कार्यक्रम: भेड़ और बकरी उत्पादकता में सुधार।
पशु चिकित्सा में नवीन प्रौद्योगिकियाँ:
- बेहतरप्रजननके लिए कृत्रिम गर्भाधान (एआई)।
- बढ़ीहुईउत्पादकता के लिए भ्रूण स्थानांतरण प्रौद्योगिकी (ईटीटी)।
- सुदूरपशुस्वास्थ्य देखभाल के लिए पशु चिकित्सा टेलीमेडिसिन।
- रोगप्रतिरोधकक्षमता के लिए जीनोमिक्स और जेनेटिक इंजीनियरिंग।
पशुधन क्षेत्र में उद्यमशीलता के अवसर:
- छोटेपैमानेपर मुर्गीपालन और पशुधन पालन।
- डेयरीउद्यमिताऔर दूध प्रसंस्करण।
- मांसप्रसंस्करणऔर मूल्य वर्धित उत्पाद।
- पशुचाराएवं पोषण उद्यमिता।
पशुधन विकास के लिए नीति सुधार:
- राष्ट्रीयपशुधननीति (2013)
- पशुस्वास्थ्यनीति (2016)
- भारतीयपशुचिकित्सा परिषद अधिनियम (1984)
- पशुधनबीमायोजनाएँ
पशुधन अनुसंधान के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- भारतीयकृषिअनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की भागीदारी।
- विश्वपशुस्वास्थ्य संगठन (ओआईई) सहयोग।
- संयुक्तराष्ट्रकी भागीदारी का खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ)।
- अंतर्राष्ट्रीयपशुधनअनुसंधान संस्थान (ILRI) सहयोग।
डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी:
- पशुधन प्रबंधन सॉफ्टवेयर।
- पशु स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली।
- किसानों के लिए डिजिटल भुगतान प्रणाली।
- पशु चिकित्सा सेवाओं के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म।
कौशल विकास और शिक्षा:
- पशुचिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण।
- पशुधन प्रबंधन पाठ्यक्रम।
- किसानों के लिए विस्तार सेवाएँ।
- पशुचिकित्सकों के लिए क्षमता निर्माण।
- पशुधन विकास में महिलाओं की भूमिका
- पशुधन बीमा और जोखिम प्रबंधन
- जैविक पशुधन खेती
- पशुधन और जलवायु परिवर्तन
- पशु पोषण एवं चारा प्रौद्योगिकी
चुनौतियाँ और समाधान:
- रोगप्रबंधन: टीकाकरण, जैवसुरक्षा और निदान।
- जलवायुपरिवर्तन: जलवायु-लचीलीनस्लें, टिकाऊ प्रथाएँ।
- पशुकल्याण: बेहतरआवास, रख-रखाव और परिवहन।
- रोगाणुरोधीप्रतिरोध: जिम्मेदारउपयोग, वैकल्पिक उपचार।