सचिव,कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग, झारखण्ड राँची से झारखण्ड पशुचिकित्सा सेवा संघ का शिष्टमंडल ने विभिन्न मांगो को लेकर ज्ञापन सौंपा
पशुधन प्रहरी, 12 जनवरी 2023
संघ की प्रमुख मांगों में:-
1) वर्तमान में निदेशक का पद गैरसंवर्गीय होने के कारण पशुचिकित्सको का मात्र दो पद्सोपान बचा है और मात्र 9% ही प्रोन्नत पद है जो नैसर्गिक न्याय के विपरीत है। अतएव विभागीय पदों की पुर्नसंरचना एवं पुनर्गठन के साथ नियमावली संशोधन कर पांच पदसोपन के साथ 50% प्रोन्नत पद का चिनिहितिकरण कर अधिसूचित करना।
2) रेगुलर प्रोमोशन अधिसूचित करना।
3) पशुचिकित्सकों के लंबित MACP सूची को शीघ्रता से अधिसूचित करना।
4) झारखंड पशुचिकित्सा परिषद का गठन व चुनाव करना
5) राज्य भर के पशुचिकित्सालयों का मानव संसाधनों के साथ सुदृढ़ीकरण करना
6) पशुचिकित्सा सेवा को अनिवार्य सेवा की महोदय (सरकार) स्तर से धोषणा ।
7) आवश्यकता अनुसार पहुचिकित्सको की प्रत्युनिकती की जाती है तो उनका TA/DA का भी प्रावधान समाहित हो संबंधित आदेश में।
8)झारखण्ड स्टेट इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी (JSIA) के द्वारा झारखण्ड राज्य में चलाए जा रहे कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम संचालन के नियमन एवम
कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं द्वारा टीकाकरण कार्य के बहिष्कार करने के पश्चात् उत्पन्न स्थिति से निपटने हेतु सुझाव ।
झारखण्ड राज्य में कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के संचालन हेतु विभागीय निर्णय के आलोक में झारखण्ड स्टेट इम्पलीमेंटिंग एजेंसी (JSIA) के द्वारा किए जा रहे कार्यों के संबंध में भवदीय के ध्यान आकृष्ट हेतु निम्नवत् तथ्य उल्लेखनीय है।
विदित हो कि मंत्री परिषद से अनुमोदनोपरान्त विभागीय संकल्प 1698 दिनांक 23.12.2011 के द्वारा विभागीय केंद्रों के संचालन हेतु झारखण्ड स्टेट इम्प्लीमेंटिंग एजेंसी JSIA होटवार (Society Registration Act 1860 के अन्तर्गत निबंधित गैर सरकारी संगठन) को चयनित किया गया है। उक्त संकल्प में निहित निदेश यथा विभागीय केंद्रों के विधिवत एवं राज्य में कृत्रिम गर्भाधान के व्यावसायिक दृष्टिकोण के साथ संचालन करते हुए किसी सुयोग्य बाहय एजेंसी के माध्यम से संपूर्ण राज्य में जिला स्तरीय एवं प्रखंड स्तरीय मानव बल के नेटवर्क के माध्यम से ससमय राज्य के पशुपालकों को कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा घर पहुंच सेवा के साथ उपलब्ध कराया जाना था। उक्त निर्णयोपरान्त एवं विभागीय अधिसूचना संख्या 284 दिनांक 03.03.2012 के अनुपालनोपरान्त कृत्रिम गर्भाधान कार्य हेतु पूर्व से उपलब्ध संसाधन JSIA संस्था को सुपुर्द भी किया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय पशुचिकित्सा अधिनियम 1984 ( 1984 का 52 ) की उपधारा Indian Veterinary Council Act 30 (b) के अन्तर्गत सभी राज्यों को लघु पशु चिकित्सा सेवा की व्याख्या किए जाने का निदेश है। उक्त के क्रम में झारखण्ड राज्य के द्वारा भी कृत्रिम गर्भाधान का कार्य विभागीय संकल्प संख्या 2310 दिनांक 2.11.2010 के द्वारा लघु पशुचिकित्सा सेवा के अन्तर्गत परिभाषित किया गया था। (प्रतिलिपि संलग्न) जिसके कारण कृत्रिम गर्भाधान से संबंधित कार्य विभाग में कार्यरत प्रावैधिक सहायक के माध्यम से पशुचिकित्सक के पर्यवेक्षण में किया जा रहा था। परन्तु JSIA के द्वारा अपेक्षित प्रतिस्पर्धी एवं व्यावसायिक दृष्टिकोण से कृत्रिम गर्भाधान कार्य के संचालन किए जाने के परिप्रेक्ष्य में मंत्रीपरिषद के अनुमोदनोपरान्त विभागीय अधिसूचना संख्या 1104 दिनांक 27.6.2016 के द्वारा कृत्रिम गर्भाधान का कार्य लघु पशुचिकित्सा सेवा की परिधि एवं तदनुसार पशुचिकित्सकों के पर्यवेक्षण से भी हटा दिया गया है।
उपरोक्त परिप्रेक्ष्य में वर्तमान में JSIA के द्वारा जिस कार्यशैली में कार्य किए जा रहे हैं वह मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई व्यवस्था संकल्प 2398 दिनांक 23.12.11 के समीचीन प्रतीत नहीं होता है। वर्तमान में पशुचिकित्सकों के द्वारा कृत्रिम गर्भाधान कार्य अथवा इससे संबंधित पर्यवेक्षण का कार्य संशय उत्पन्न करता है। विदित हो कि उक्त संस्था के द्वारा एक बार के लिए एक बाहय एजेंसी के रूप में JK Trust नामक संस्था के माध्यम से कार्य संपादित कराया जा रहा था परंतु किसी कारण से उसके साथ कराए जा रहे कार्यो की ससमय विवेचना एवं समीक्षा नहीं किए जाने के कारण उसके साथ संपादित होनेवाले कार्य की दशा-दिशा परिवर्तित हो गई है।
वर्तमान में महोदय अवगत हैं कि राज्य के अधिकांश जिलों में कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं द्वारा टीकाकरण कार्य के बहिष्कार किया है जिसके कारण विभाग में EMERGENCY की स्थिति उत्पन्न हो गयी है।
इस स्थिति से निपटने हेतु निम्न तथ्यों की ओर महोदय का ध्यान आकृष्ट कराना चाहुँगा –
1) विभाग / JSIA के द्वारा कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं से टीकाकरण कराने का निर्णय लिया गया है। सभी कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता सीधे JSIA के नियंत्रण में हैं। वर्तमान में कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता टीकाकरण का बहिष्कार कर रहे हैं तो इसके लिए जिला पशुपालन पदाधिकारी एवम TVO/BAHO कैसे जिम्मेवार हो सकते हैं ? अनावश्यक दबाव के कारण सभी पशुचिकित्सक मानसिक तनाव में है सीमित संसाधन में सभी पशुचिकित्सक अपना सर्वस्व पशुपालको को दे रहे है।
2) टीकाकरण का कार्य विभाग में वर्षों से हो रहा है। अधिकांश Vaccination Calender निर्धारित है परंतु विभाग स्तर से अधिसूचित नही है। तथा इसी के अनुसार पूर्व में टीकाकरण कराया जाता रहा है। वर्तमान में बगैर किसी योजना एवं पूर्व तैयारी के जिलों में टीकीषधि की आपूर्ति कर दी गयी है तथा जिला पशुपालन पदाधिकारियों पर टीकाकरण कार्य पूर्ण कराने का दबाव बनाया जा रहा है, जो जिलों में उपलब्ध विभागीय कार्यबल की क्षमता से कहीं अधिक है।
3) राज्य में टीकाकरण की धीमी प्रगति के लिए मुख्य रूप से JSIA का Monitoring Cell का Fail होना है। JSIA के द्वारा हिटलर शाही के Pattern पर मात्र पत्र निर्गत कर अपनी जिम्मेवारी से बचने की नीती अपनाना है। JSIA में Work culture का पूर्णतः अभाव है, वहाँ कार्यरत पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा कभी भी गम्भीरता से योजनाओं की प्रगति का Monitoring किया ही नहीं गया है । यदि JSIA के द्वारा गम्भीरता से Monitoring की गयी होती तो यह स्थिति उत्पन्न ही नहीं होती।
NADCP अंतर्गत सभी टीका का टारगेट का लक्ष्य कैटल पापुलेशन का 50% होना चाहिए और सभी टीका तीन से चार चरण में संबंधित केंद्र को आवंटित किया जाना चाहिए इससे टीका के रखरखाव मैं सुविधा के साथ-साथ खपत भी आसानी से होगी एक साथ कुल आवंटित टीका ILR/Freez की छमता से अधिक आ जाने पर उसे रखने एवं cold चेन मेंटेन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है । साथ ही साथ एक एक संस्था में एक ILR होने के कारण सभी टीका को ILR में रखना संभव नहीं हो पाता जिसके कारण जो टीका ILR में है वह सुरक्षित रह पाता है बाकी टीका कोल्ड चेन के आभाव में खराब होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
दूसरा NADCP द्वारा कराए जा रहे हैं टीकाकरण कार्य को एजेंसी के माध्यम से कराना चाहिए इस टीकाकरण में टीकाकरण के साथ-साथ बड़े मवेशियों का टैगिंग का कार्य एवं ऑनलाइन एंट्री का कार्य किया जाना है जिसमे कम से कम तीन से चार व्यक्ति लगते है और दिनभर में 50 से 60 पशु का टीका हो पाता है इस कारण भी जो मानदे 5.5 रुपया प्रति पशु दिए जा रहे मानदेय में करना असंभव प्रतीत होता है और यदि यही मानदेय एजेंसी के द्वारा भुगतान किया जाए तो एजेंसी अपने टीकाकरण कर्मी के साथ में इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक कर सकता है और समय पर मानदेय या प्रोत्साहन राशि टीकाकरण कर्मी को मिल सकता है
कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांगों में से एक मांग यह है कि उन्हें समय पर मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता है। कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को उनकी मानदेय भुगतान की वर्तमान व्यवस्था के तहत् जिला पशुपालन पदाधिकारी द्वारा JSIA को प्रस्ताव भेजा जाना है तथा JSIA के द्वारा प्रस्ताव को अनुमोदित किये जाने के पश्चात् ही जिला पशुपालन पदाधिकारियों के द्वारा भुगतान किया जाता है । प्रस्ताव को अनुमोदित करने में JSIA के द्वारा काफी विलम्ब किया जाता है। प्रायः सभी जिलों से प्रस्ताव उपलब्ध होने के पश्चात् ही JSIA के द्वारा अनुमोदन दिया जाता है यह कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को विलम्ब से मानदेय भुगतान का प्रमुख कारण है।इसके साथ पूर्व में 28.50 रुपया प्रति पशु टिकाकरण का कहकर 5.5 रुपया प्रति पशु भुगतान करने पर भी रोष है ।पशु में टीका का कार्य पूर्ण करने में कम से कम तीन लोग लगते हैं इस कारण मानदेय 28.50 रुपया प्रति पशु inaph entry सहित होना ही चाहिए।
4) इतनी बड़ी योजना के क्रियांवयन हेतु JSIA के द्वारा Second Line तैयार नहीं किया गया। सरकार स्तर पर agengcy का चयन प्रत्येक जिला के लिए टिकाकरण के लिए किया जाय उनके द्वारा मानवसंसाधन उपलब्ध कराया जाएगा और स्थानीय पसुचिकित्सक के माध्यम से उनके कार्यों का अनुसर्वन किया जाएगा ।
5)गर्भाधान कार्यकर्ता , क्वैक,पशु दावा दुकान संचालक छेत्र में अनाधिकृत रूप से सीमेन स्ट्रॉ, तरल नेत्रजन आपूर्तिकर्ता पर सख्त कार्रवाई हेतु उपयुक्त को निर्देश देना चाहेंगे।
वर्तमान में pharmaceutical company के MR एवम पशु दवा दुकानदार अवैध रूप से कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता को सीधे schedule H,H1Drug उपलब्ध करा रहे है जिससे छेत्र के पशुपालक के पशु में बांझपन एवम Anti Microbial Resistance उत्पन्न हो रहा है जिससे पशुपालक को आर्थिक नुकसान के साथ मनुष्य के स्वास्थ को भी नुकसान हो रहा है जो ड्रग एंड कॉस्मेटिक अधिनियम 1940,झारखण्ड ब्रीडिंग पॉलिसी 2011एवम Food safety and standard Act 2006 का उलंघन है इसपर नियमाकुल करवाई हेतु सभी उपायुक्त एवम अपर मुख्य सचिव,स्वस्थय चिकित्सा एवम परिवार कल्याण विभाग को निर्देश देना चाहेंगे।
6)जो कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता अवैध रूप से चिकित्सा कार्य में लगे है ऊंपर IVC act 1984 sec 30(b) एवम Drug and cosmetic act 1940 के तहत नियमकुल करवाई सुनिश्चित हो।
7)विभाग वैक्सीनेशन कैलेंडर प्रकाशित कर टिकाकरण से पूर्व वैक्सीन एवम अन्य लॉजिस्टिक सपोर्ट सामग्री मानवसंसाधन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करे।
8)प्रत्येक प्रखंड में एक कंप्यूटर ऑपरेटर inaph entry के लिए उपलब्ध कराई जाए।
9)प्रचार प्रसार निदेशालय एवम जिला स्तर से टीकाकर्मी के चयन,NAIP/NADCP कार्यकर्म के लिऐ ऑडियो वीडियो से हो और पशु को टीका लगाने एवम सभी पशु का टीका हो के लिए संबंधित ग्राम प्रधान/मुखिया को सहयोग प्रदान करने की अपील हो।
10)पशुचिकित्सक द्वारा अनुसर्वण के लिए विहित प्रपत्र हो और इसके लिए TA/DA का प्रावधान हो।
11)कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग अन्तर्गत कृषि निदेशालय में BTM इत्यादि को मासिक मानदेय पर रखकर उन से कार्य लिया जा रहा है। यही व्यवस्था मत्स्य निदेशालय में भी है । परन्तु यह व्यवस्था पशुपालन निदेशालय में नहीं है। कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को उनके कार्यों के विरूद्ध मानदेय का भुगतान विभाग द्वारा किया जा रहा है, इसी राशि से उन्हें कार्य के विरूद्ध मानदेय का भुगतान न कर यदि मासिक मानदेय का भुगतान किया जाय तो सभी कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता विभाग के नियंत्रण में रहेंगे ।
अतः उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिपत रखते हुए भवदीय से सादर अनुरोध है कि झारखण्ड सरकार द्वारा निर्गत संकल्प अधिसूचना के माध्यम से की गई व्यवस्था (लघु पशुचिकित्सा सेवा में किए गए संशोधन) तथा उक्त संस्था jsia के द्वारा अब तक किए जा रहे कार्यो की समीक्षा की जाए जिससे भविष्य में किसी प्रकार की वैधानिक समस्या ( कृत्रिम गर्भाधान कार्यो का पशुचिकित्सकों के द्वारा पर्यवेक्षण के विषय को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने संबंधी ) उत्पन्न न हो एवम सरकार स्तर पर agengcy का चयन प्रत्येक जिला के लिए टिकाकरण के लिए किया जाय उनके द्वारा मानवसंसाधन के साथ अन्य लॉजिस्टिक उपलब्ध कराया जाएगा और स्थानीय पसुचिकित्सक के माध्यम से उनके कार्यों का अनुसर्वन पर्यवेक्छन किया जाएगा साथ ही अवैध कार्य में लगे संबंधित को दण्डित करने संबंधी करवाई की जाए।
संघ द्वारा अपनी मांगों को हमेशा रखा गया है परंतु अबतक एक भी मांग पूरी नहीं की गई है जिससे सदस्यों में आक्रोस है शीघ्र निराकरण नहीं होने पर बाध्य होकर माननीय न्यायालय की शरण में जाने को विवश होंगे। इस पर सचिव महोदय सकारात्मक होकर सभी मांगों को पूर्ण करने की दिशा में कार्य हो रहा है जिसे गति देने की आवश्यकता है आप लोगो का भी इसमें सहयोग अपेक्षित है। शिष्टमंडल में डॉक्टर सैमसन संजय टोप्पो अध्यक्ष , डॉ शिवानन्द कांशी, महामंत्री,के साथ डॉ विजय कुमार,डॉ नवीन आर्या,डॉ अंशु रजनी टोप्पो,डॉ प्रतिमा कुमारी ,डॉ अमित कुमार उपस्थित रहे। अंत में 26 पशुचिकित्सको की न्युक्ति हेतु बधाई दी गई और अन्य 124 पशुचिकित्सकों को जल्द नयुक्त करने का आग्रह किया इस पर सचिव महोदय द्वारा कहा गया हम प्रयास कर रहे है।
महामंत्री
झारखण्ड पशु चिकित्सा सेवा संघ