ऊंटों में होने वाले प्रमुख रोग एवं उनका उपचार और उनका बचाव
देश में ऊंटों की सख्या में राजस्थान प्रथम स्थान पर है। रेगिस्तान का जहाज कहलाने वाला ये पशु कोई भी विकट परिस्थितियों में भी ज़िन्दा रह सकता है। ऊँट रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण भाग है। मरूधरा की कठिन जीवनयापन शैली में यह मानव का जीवन संगी है। अपनी अनूठी जैव-भौतिकीय विशेषताओं के कारण यह शुष्क क्षेत्रों की विषमताओं में जीवनयापन के लिए अनुकूलन का प्रतीक बन गया है। रेत के धोरो में ऊँट के बिना जीवन बिताना दुष्कर है। ‘रेगिस्तान का जहाज’ के नाम से प्रसिद्ध इस पशु ने भार वाहन के क्षेत्र में अपरिहार्यता की हद तक पहचान बनाई है परंतु इसके अतिरिक्त भी ऊँट की बहुत सी उपयोगिताएं हैं, जो निरन्तर सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों से प्रभावित है। ऊंटनी के दूध का ओषधिय महत्त्व होता है। इसका उपयोग मधुमेह, दमा,पीलिया, तपेदिक,एनीमिया,कैंसर और लीवर के साथ कई जटिल बीमारियों में औषधि के रूप में लाभदायक बताया गया है। ऊंटपालन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष बीकानेर में ऊंट महोत्सव का आयोजन होता हैं।
ऊंटों में होने वाले प्रमुख रोग
DISEASES OF CAMEL & THEIR TREATMENT