पालतू पशुओं से होने वाली बीमारियों की रोकथाम

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पालतू पशुओं से होने वाली बीमारियों की रोकथाम

Compiled & shared by-DR RAJESH KUMAR SINGH ,JAMSHEDPUR,JHARKHAND, INDIA, 9431309542,rajeshsinghvet@gmail.com

जानवरों की वे बीमारियां जो लोगों को हो सकती हैं उन्हें ज़ूनोसिस कहते हैं। मनुष्यों को प्रभावित करने वाली कई बीमारियों का कारण जानवर या जानवरों के उत्पाद हो सकते हैं। आपको सीधे जानवर से बीमारी हो सकती है, या अप्रत्यक्ष रूप से, पर्यावरण से हो सकती है।
मवेशियों से बीमारियां हो सकती हैं। यदि आप उन्हें छूते हैं या उनके संपर्क में आने वाली चीजों को छूते हैं, जैसे मेड़ या बाल्टियां तो अपने हाथ अच्छे से धोएं। वयस्कों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि खेतों में जाने पर या पशुओं को छूने के बाद बच्चे अपने हाथ अच्छे से धोएं।
जंगली जानवर प्यारे और गोद में लेने लायक हो सकते हैं, लेकिन वे कीटाणु, विषाणु, और परजीवी फैलाते हैं। हिरण और डियर माइस में किलनी हो सकती है जिसकी वजह से लाइम रोगहोता है। कुछ जंगली जानवरों में रेबीज हो सकते हैं। जंगली जीवन का दूर से आनंद उठाएं।
पालतू जानवर भी आपको बीमार बना सकते हैं। साँपों में विशेष रूप से जोखिम होता है। कछुए, साँप, और गोह अपने मालिकों में साल्मोनेला कीटाणु संचारित कर सकते हैं। संक्रमित कुत्ते से आपको रेबीज हो सकता है या संक्रमित बिल्ली का मलमूत्र छूने पर टोक्सोप्लाज़मोसिज़ हो सकता है। आपके कुत्ते या बिल्ली की आपको बीमार बनाने की संभावना कम होती है। आप स्वच्छता रखकर, पालतू जानवरों के स्थान साफ रखकर और अपने जानवरों को समय-समय पर इंजेक्शन लगवा कर इस जोखिम से बच सकते हैं।

आजकल अनेक लोग अपने घरों में बिल्ली और कुत्ते पाल रहे हैं, लेकिन उनमें से कई लोगों को मालूम नहीं कि पालतू पशुओं से छूत की बीमारी लगने का भी खतरा होता है। ऐसी बीमारी कैसे पालतू पशुओं से मानव तक पहुंचती है, पशु से मानव तक रोग के संक्रमण का क्या रास्ता है, इस सब के बारे में जानकारी हासिल करने की बड़ी आवश्यकता है।

विभिन्न रोगों के मानव तक फैलने के रास्ते अलग-अलग हैं। इनमें से चार प्रमुख मार्ग हैं, श्वास नली, आहारनाल , त्वचा और कीट । पक्षियों का निमोनिया श्वास नली के जरिये ही पक्षी से मानव तक फैलता है। किसी भी पक्षी से इस रोग का फैलाव होने की संभावना रहती है। बत्तख और हंस के जरिये तक यह रोग फैल सकता है।

आहारनाल के जरिये टायफायड रोग फैल सकता है। लोगों को पशुओं के मल से प्रदूषित खाद्य पदार्थ खाने के बाद ज्वर हो सकता है । टायफायड के रोगी को पेट दर्द, दस्त तथा ज्वर की शिकायत होती है। अगर कोई आदमी अक्सर पशुओं को चूमता है, तो उसे इस रोग का खतरा हो सकता है। श्लेषमा के जरिये पागल कुत्ते का रोग होने का खतरा होता है। पागल कुत्ते के काटने या बिल्ली के पंजे से चोट लगने के बाद मनुष्य के शरीर में रोग के विषाणु पहुंचते हैं। लोगों को पागल कुत्ते का रोग होनेके बाद बड़े खतरे का मुकाबला करना पड़ता है।
कीटों से मानव तक फैलने वाला एक गंभीर रोग प्लेग है। प्लेग का विषाणु चूहों के शरीर में रहता है। बिल्ली और कुत्ते के चूहे खाने पर इस रोग का विषाणु उनमें आ जाता है, लेकिन वे चूहे खाने के बावजूद स्वयं बीमार नहीं होते। पर मच्छर या अन्य कीटों के ऐसे बीमार पशुओं को काटने के बाद मनुष्य को काटने पर यह रोग मनुष्य तक पहुंचता है।
इस तरह हम पाते हैं कि पालतू पशुओं के साथ खेलते समय हमें होशियार रहने की जरूरत है। वास्तव में बहुत से लोग अपने पालतू पशुओं के विभिन्न रोगों से संक्रमित होने को लेकर सतर्क नहीं होते। पेइचिंग में रहने वाली सुश्री क्वो ने बताया कि वे हर हफ्ते अपने कुत्ते को नहलाती हैं, और इसके लिए साबुन का प्रयोग करती हैं, उन के विचार में ऐसा करना काफी है।
लेकिन वास्तव में पशु को सिर्फ नहलाना ही काफी नहीं है। लोगों को अपने पालतू पशुओं को समय-समय पर कीटाणुमुक्त भी करना चाहिए। इसके साथ ही पालतू पशुओं के दड़बे, खाल और शौच जाने की जगह की भी अक्सर सफाई की जानी चाहिये। अगर कोई पालतू पशु आसामान्य दिखता है, तो उसकी पशु अस्पताल में जांच करवानी चाहिये।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि पालतू पशुओं वाले घर बिल्कुल साफ रखे जाने चाहिये। लोगों को अपने पालतू पशुओं के साथ घनिष्ठ संपर्क नहीं रखना चाहिये। कुछ लोग अपने पालतू पशुओं को बार-बार चूमते हैं, उन के साथ एक ही पलंग पर सोते हैं और उन्हें अपने हाथ-मुंह चाटने की इजाजत करते हैं पर यह सब ठीक नहीं है। पर सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि लोग ठीक समय पर अपने पालतू पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाने के लिए टीके लगवायें।

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लंबे समय तक साथ रहने के कारण पालतू जानवरों, पक्षियों से लोगो को काफी लगाव हो जाता है और ये जानवर भी घर के सदस्य जैसे ही बन जाते हैं। यह पशु-पक्षियों के प्रति मानव के स्वाभाविक प्रेम का परिचायक है लेकिन इन पालतू पशुओं से कुछ गंभीर बीमारियाँ भी हो सकती हैं, जिनमें से कुछ जानलेवा भी साबित हो सकती हैं:-

  1. लेप्टोस्पोरोसिस वायरस:-
    लेप्टोस्पोरोसिस वायरस जानवरों के मल-मूत्र से फैलता है। ये वायरस इंसान के शरीर में संक्रमित पानी पीने से, संक्रमित खाना खाने, आंख, मुंह और नाक के साथ चोट लगे हुए अंग पर तेज़ी से फैलता है। जब त्वचा संक्रमित मिट्टी के संपर्क में आती है, तब यह शरीर को सीधे प्रभावित कर सकता है। यह रोग सीधे किडनी और लीवर को प्रभावित करता है। इस बात की भी संभावना बनी रहती है कि लेप्टोस्पोरोसिस वायरस अन्दुरुनी ब्लीडिंग के कारण मरीज की जान भी ले ले।
  2. रेबीज़ रोग;-
    कुत्ते के काट लेने से रेबीज जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है। उल्लेखनीय है कि इंसान के लिए घातक ये विषाणु अपने आश्रयदाता को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते मतलब इनसे जानवर को कोई नुकसान नहीं होता है। यह विषाणु संबंधित जीव-जंतु के पेशाब के माध्यम से बाहर निकलते रहते हैं। यह मनुष्य की कटी-फटी, छिली या गली हईं त्वचा के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं।
  3. कैंफिलोबैक्टर बैक्टीरिया:-
    अधिकांश पालतू जानवरों के मल में कैंफिलोबैक्टर बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया इन पशुओं को त्वचा व बालों के माध्यम से इंसानों में संक्रमण फैलाते हैं। जब हमारे शरीर में ये बैक्टीरिया पहुंच जाते हैं, तो फेफड़ों में तेज दर्द, दस्त और बुखार जैसी तकलीफें पैदा करते हैं।
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इसके अलावा, गायों से मेडकाउ रोग फैलता है और गाय, भैंसे व अन्य दुधारू पशुओं के दूध को कच्चा ही पीने से टी. बी. ब्रूसेला बीमारी हो सकती है। यह रोग पशुपालन का व्यवसाय करने वालों को भी होने की आशंका रहती है।

कुछ प्रमुख रोग जो आप अपने पालतू जानवर से प्राप्त कर सकते हैं

1 रिंगवॉर्म
पालतू जानवरों में लक्षण: त्वचा में लाल निशान के साथ बालों के झड़ने के त्वचा घाव और पैच
लोगों में लक्षण : त्वचा पर लाल, गोलाकार पैच

2 राउंडवॉर्म
पालतू जानवरों में लक्षण: दस्त, मल में उल्टी कीड़े, उल्टी, कब्ज, खांसी, खूनी मल
मनुष्यों में लक्षण: खांसी, सांस की तकलीफ, पेट दर्द, मल में खून
3 हुकवार्म
पालतू जानवरों में लक्षण: दस्त, वजन घटाने
मनुष्यों में लक्षण: अक्सर कोई भी खुजली, खांसी, घरघराहट, पेट दर्द, एनीमिया, या भूख की कमी
4.गिआर्डिया
पालतू जानवरों में लक्षण: दस्त
मनुष्यों में लक्षण: दस्त

  1. कैम्पिलोबैक्टर
    पालतू जानवरों में लक्षण: दस्त [
    मनुष्यों में लक्षण: दस्त
  2. साल्मोनेला
    पालतू जानवरों में लक्षण: सरीसृप पालतू जानवर
    मनुष्यों में लक्षण: पेट दर्द, बुखार, उल्टी, सिरदर्द, मतली
    7 टैपवार्म
    पालतू जानवरों में लक्षण: पालतू जानवर के मल में चावल की तरह टुकड़े या उल्टी में लंबे कीड़े
    मनुष्यों में लक्षण: मल में चावल की तरह टुकड़े
    8 बिल्ली स्क्रैच रोग
    पालतू जानवरों में लक्षण: थकान, उपद्रव का निशान, सूजन लिम्फ नोड्स
    मनुष्यों में लक्षण: काटने या खरोंच स्थल के पास छोटे, लाल टक्कर; सूजन, दर्दनाक लिम्फ नोड्स काटने या खरोंच, बुखार, सिरदर्द, थकान, जोड़ों में दर्द, त्वचा विकार, और वजन घटना
    9 बुबोनिक प्लेग
    पालतू जानवरों में लक्षण: बुखार, सूजन, सूजन और दर्दनाक लिम्फ नोड्स
    मनुष्यों में लक्षण: अचानक बुखार, सिरदर्द, ठंड, कमजोरी, सूजन और दर्दनाक लिम्फ नोड्स
    इसका इलाज करें: लोगों और पालतू जानवरों के लिए एंटीबायोटिक्स के साथ त्वरित उपचार
    इसे रोकें: अपने पालतू जानवर को मुक्त रखें
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10 टोक्सोप्लाज्मोसिस

पालतू जानवरों में लक्षण: फेफड़ों, यकृत, या तंत्रिका तंत्र की क्षति जैसे दस्त या अधिक गंभीर समस्याएं
मनुष्यों में लक्षण: अक्सर मनुष्य नहीं दिखाते लक्षण, लेकिन कभी-कभी टॉक्सोप्लाज्मोसिस फ्लू जैसे लक्षण और सूजन लिम्फ नोड्स
11 रेबीज
पालतू जानवरों में लक्षण: लक्षण अलग-अलग होते हैं, लेकिन व्यवहार में परिवर्तन, बुखार, स्पर्श, प्रकाश और ध्वनि के लिए अतिसंवेदनशीलता, अंधेरे स्थानों में छिपाने, मुंह के फोमिंग, चौंका देने, , भूख, दौरे, भूख की कमी, अचानक मौत।
मनुष्यों में लक्षण: काटने की तरह लक्षण, सामान्य कमजोरी, सिरदर्द, असुविधा, प्रकोप, या खुजली, चिंता, भ्रम,

12 Lyme रोग
लाइम रोग एक जीवाणु Borrelia burgdorferi के कारण होता है। यह बैक्टीरिया टिक के माध्यम से फैलता है।

पशु रोग और आपके स्वास्थ्य को रोकना संभव है निम्न कार्य करके निवारण संभव हो सकता है:
• साबुन के साथ हाथ साफ या हाथ धो लें
• पालतू जानवरों के आसपास सुरक्षित रहें
• अपने आप को मच्छरों, fleas या ticks से बचाने के लिए उपाय करे
• जानवरों से खरोंच या काटने से बचें
*अपने पालतू जानवरो को नियमित रूप से टिकाकरण तथा अपने पशुचिकित्सक के आदेशानुसार उचित प्रबंधन करे ।
*छोटे बचो को पेट्स के साथ सोने खेलने का परहेज करे ।
*पेट्स के लिए सोने ,रहने , खाने तथा खेलने की बेवस्था अलग रखे ।

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