DOUBLING OF INCOME THROUGH BACKYARD POULTRY FARMING

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Dr Ajeet Sharan,TVO, GOMO, Jharkhand

लक्ष 2022 – घर के पीछे मुर्गी पालन कर आए करें दुगनी।

कुक्कुट पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में एवं आए को बढ़ाने का उत्तम साधन है,जबकि इसे पशुचिकित्सक द्वारा सलाह के अनुसार एवं विकसित नवीन प्रौदयोगिकी को अपनाने की सलाह दी जाती है।

उपयोगिता— भारत मे कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिये घर के पीछे मुर्गी पालन की जाती रही है।प्रायः 5 – 20 मुर्गियों का छोटा समूह एक परिवार द्वारा पाला जाता है।ये मुर्गियां घर के आस पास में अनाज के गिरे दाने, झार फूस के बीच कीड़े मकोड़े ,घास की कोमल पत्तियों तथा जूठन आदि खाकर अपना पेट भरती हैं।
इनके निवास के लिए घर के टूटे फूटे भाग मुख्य रूप से प्रयोग में लाये जाते हैं।इस कारण पशुपालकों को इनके निवास और खान पान पर नहीं के बराबर खर्च आता है।
ग्रामीण परिवार इनके माँस से अपने परिवार के लिए प्रोटीन प्राप्त करता है,साथ ही साथ माँस और अंडे की बिक्री कर अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करता है।

नस्ल — क)देसी नस्ल
1)वनराज।
2)ग्राम प्रिया
3)कृष्ण। J
4)नन्दनम – ग्राम लष्मी
ख)संकर प्रजाति
1)कैरी श्यामा
2)कैरी निर्भीक
3)हितकारी
4)उपकारी
इनकी अंडों की वार्षिक उत्पादन छमता 180 – 200 है।

आहार —-
मुर्गियों को यथा संभव प्रोटीन,खनिज लवण व विटामिन देना चाहिए।

प्रजनन व्यवस्था —
सामान्यतः समूह में ही बार बार प्रजनन होता है जिस कारण अंडों की संख्या में कमी एवं चूजों की मृत्यु दर अधिक होती है।अतः अंतः प्रजनन की जगह समूह बदल कर प्रजनन की सलाह दी जाती है ताकि इन अवगुणों को कम किया जा सके।

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मुर्गियों की सुरक्षा —-
आवास का द्वार दक्षिण पूर्व रखना चाहिए एवं पास में छायादार पेड़ लगाना चाहिए।मुर्गियों एवं चूजों को तेज हवा, आँधी – तूफान से बचाना चाहिए।रात्रि में विशेष रूप से हिंसक प्राणी से रक्षा की जानी चाहिए।आवास हवादार एवं सीलन मुक्त रहने से बीमारियों से बचाव होता है।मुर्गियों एवं चूजों को दाना चुगने हेतु विशेष व्यवस्था की जाती है।टीकाकरण द्वारा मुर्गियों की सुरक्षा रानीखेत,गमबोरो रोग से की जानी चाहिए ताकि बड़ा र्थीक नुकसान न हो एवं बर्ड फ्लू बीमारी से बचाव हो जिससे सामान्य मनुष्य भी प्रभावित होता है।एक फार्म से दूसरे फार्म की दूरी तकनीकी रूप से ठीक रखें एवं आवास की मिट्टी समय समय पर बदलते रहें।विशेष सावधानी मुर्गियो के खरीदने के समय रखना चाहिए एवं इन कार्यों हेतु पशुचिकित्सक की मदद लेनी चाहिए।खरीदने के बाद नए मुर्गियो को पुराने समूह से अलग रखें ताकि बीमारियों की पहचान हो सके।सामान्य इलाज के लिए पशुचिकित्साल से संपर्क करें।यदि कोई मुर्गी बीमार होकर मर गई हो तो पशुचिकित्सक द्वारा पोस्टमार्टम करा लें ताकि बीमारी की सही पहचान हो सके एवं संभावित कारणों की पहचान की जा सके।

मुद्रा योजना का लाभ —
केंद्र सरकार द्वारा इस योजना की पहल की गई है,जिसमे बिना गारंटी के 50000 तक लोन दिया जाता है।राज्य सरकारों द्वारा भी योजना चलाई जाती है जिसके लिए जिला मुख्यालय में संपर्क करना चाहिए।

प्रशिक्षण —-
पशुपालकों के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा कौशल विकाश कार्यक्रम चलाया जाता है जिसमे कुशलता एवं ज्ञान की वृद्धि करते हुये ग्रामीण रोजगार को सम्पन्नता दी जाती है तथा यह आपके उत्पादन को दुगना कर सकता है।इसके लिए प्रखंड एवं जिला प्रशासन से संपर्क करना चाहिए।

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