गोबर के रेशे को बेशकीमती पदार्थ में बदलने वाले वैज्ञानिक डॉक्टर सत्य प्रकाश सम्मानित –
एक किलो गोबर से हजारों रुपया कमाया जा सकता है और “गऊ टेक एक्सपो ” सभी राज्य आयोजित करें : राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान
राजकोट (गुजरात):डॉक्टर आर बी चौधरी
ग्लोबल कंफीड्रेशन ऑफ काऊ बेस्ड इंडस्ट्रीज-जीजीआईसी के तत्वावधान में आयोजित “गऊ टेक एक्सपो 2023” के चौथे दिन प्रातः काल से ही चहलकदमी अधिक रही है।कड़ी धूप होने के बावजूद भी एक्सपो में आने वाले आगंतुकों के भीड़ में कोई कमी नहीं थी बल्कि कई विद्यालयों के बच्चों का भी आगमन हो गया और वह बड़े ही अनुशासनात्मक ढंग से उत्सुकता भरी निगाहों से लाइन में खड़े दिखाई दिए। आज भी जहां “मंथन” पंडाल में गो विज्ञान के गुढ रहस्यों पर आधारित पर व्याख्यान चल रहा था वही पर वीआईपी पंडाल में भारतीय संस्कृति, धर्म एवं दर्शन के जाने-माने विद्वान – केरल के राज्यपाल , श्री आरिफ़ मोहम्मद ख़ान के स्वागत की तैयारियां चल रही थी। इस अवसर पर देश के जाने माने गौ सेवा से संबंधित अनेक विशिष्ट व्यक्ति मौजूद थे सब लोग उन्हें सुनना चाह रहे थे। विशिष्ट व्यक्तियों में जिसमें मध्य प्रदेश के मंत्री श्री ओमप्रकाश सकलेचा, गौ सेवा आयोग हरियाणा के अध्यक्ष श्री शरण गर्ग, शक्तिपीठ कोटा की महामंडलेश्वर माताजी- नीति अंबाजी, बीजेपी के गुजरात राज्य के प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी श्री राजूभाई ध्रुव, श्री शैलेश भाई ठक्कर तथा अजीत प्रसाद महापात्रा की गरिमामय उपस्थिति देखी गई। आयोजन के प्रेरणा स्रोत डॉ वल्लभभाई कठेरिया के ओजस्वी स्वागत भाषण के बाद केरल के राज्यपाल एवं मुख्य अतिथि श्री आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने अपने प्रखर भाषण से सबका मन मोह लिया। गौशाला प्रतिनिधियों ने बीच-बीच में तालियां बजाकर उनके संभाषण स्वागत किया जो कार्यक्रम की गरिमा में चार चांद लगा दिया। नजारा यह था कि लोग राज्यपाल महोदय के गौ संरक्षण व्याख्यान को मंत्रमुग्ध होकर सुनते रहे थे जिसमें कहीं संस्कृत के श्लोक थे तो कहीं गीता, रामायण और महाभारत के उद्धरण शामिल थे।
मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल महोदय ने अपने संभाषण में कहा कि डॉक्टर बल्लभ भाई कथीरिया ने मुझे आमंत्रित किया तो मैं एक सामान्य कार्यक्रम समझकर शरीक हुआ लेकिन जब हमने देशभर के कर्मठ गौ सेवा से संबंधित विभिन्न प्रकल्प को साकार रूप में एकत्रित देखा तो दंग रह गया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि देशभर की गौशालाओं और उनसे जुड़े उद्यमियों का इतना बड़ा जमावड़ा एकत्र होकर के एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार की तलाश कर रहा है जो सफलता के पथ पर चलता दिखाई भी दे रहा है। उन्होंने कहा कि गाय हमारी श्रद्धा,पवित्रता और गरिमा का प्रतीक जाना समझा जाता है, लेकिनजब गाय कहीं किन्हीं कारणों से सड़क पर दिखाई देती है जो अच्छा नहीं है। “गऊ टेक एक्सपो 2023” को सही ठहराते हुए उन्होंने इस आयोजन दो एक अद्भुत कोशिश बताया। कहा कि जीवधारी आत्म निर्भरपर रहने की क्षमता रखता है, वही कुछ किसी को दे सकता है,सही मायने में तो पूछिए वह हमारी गाय है। उन्होंने गाय के गोबर से हजारों रुपया कमाने के तकनीक की प्रशंसा कीऔर उस वैज्ञानिक की भी। उन्होंने गोबर से हजारों रुपया कमाने वाले वैज्ञानिक के तकनीक का बार-बार नाम लिया। अपने संभाषण में उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण बातें कहीं की ऐसे तमाम प्रयास जो हम डॉक्टर कथीरिया के मार्गदर्शन में आयोजित “गऊ टेक एक्सपो 2023” में देख रहे हैं, वह सराहनीय है। ऐसी कोशिश देशभर के सभी राज्य सरकारों को जीसीसीआई के साथ मिलकर करना चाहिए।
राज्यपाल महोदय ने यूनिवर्सल फ्रेंचाइज का अर्थ बताया और कहा कि भारत ऐसा देश है कि जहां पर सभी को समान अधिकार है, सर्वभोमिक है। एक समय था पश्चिमी देशों के लोग कहते थे कि जानवरों को आत्मा में नहीं होती उनका शोषण होता था। लेकिन भारत एक ऐसा देश है जिसने पेड़ पौधों से लेकर के जानवरों के अंदर आत्मा या भावना देखा जो विज्ञान की कसौटी पर खरे है। उन्होंने कहा कि मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि इसी कारण से भारत की संस्कृति आत्मा का वास है। उसी में गाय की महिमा भी समाहित है। आत्मा- देवी देवता और उनके प्रति श्रद्धा ही भारत की प्रतीक है। उन्होंने आगे बताया कि हमारा ज्ञान ही हमारी संस्कृति है। हमारी संस्कृति में ज्ञान के दान की चर्चा की गई है क्योंकि बिना दान किए ज्ञान में वृद्धि नहीं हो सकती। इस बात का उल्लेख उन्होंने श्लोक पढ़कर के गीता और महाभारत के उदाहरण दिए। अंत में उन्होंने कहा कि ज्ञान विज्ञान का सीधा संबंध कल्याण से जिसे हमें आगे बढ़ाना चाहिए। यह आयोजन उसी का अनुसरण कर रहा है। “गऊ टेक एक्सपो 2023” कि बार-बार प्रशंसा करते हुए इस आयोजन के प्रेरणा स्रोत डॉक्टर वल्लभभाई कथीरिया को बधाई दिया और शुभकामनाएं भी।
अपने संभाषण से पहले उन्होंने एक्सपो के चुनिंदा वैज्ञानिकों विशेषज्ञों को सम्मानित किया जिसमें डॉक्टर सत्य प्रकाश, डॉक्टर शिव दर्शन मलिक, श्री भागीरथ, डॉक्टर संजय पटेल, श्री जयेश भाई एवं पुण्यकोटी नेचुरलस। पुरस्कृत डॉक्टर सत्य प्रकाश का अनुसंधान और उनकी विकसित की गई तकनीक विशेष आकर्षण था क्योंकि उन्होंने गोबर से प्राप्त रेशे को ऐसी महत्वपूर्ण पदार्थों में बदलने की तकनीक विकसित की है जिससे ₹ 8,000 से ₹ 32,000 प्रति किलो की दर से बेचकर सिर्फ गोबर से कमाई की जा सकती है। डॉक्टर सत्य प्रकाश के इस अनुसंधान से आज के कार्यक्रम में एक नया जोश आ गया और लोगों में उमंग की लहर दौड़ पड़ी। डबल डॉक्टरेट-आईटीआईएन, डॉक्टर सत्य प्रकाश ने बताया कि वह कई परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं। इस कार्यक्रम के दौरान भी राजकोट में उनका एक अनुबंध होने जा रहा है। रेगिस्तान की मिट्टी में लहलहाती फसल पैदा करने की तकनीक विकसित कर उन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री को चौंका दिया क्योंकि, रेतीली मिट्टी में कार्बन पदार्थ और हुमस पदार्थ शून्य के बराबर होती है इसलिए वहां कुछ भी पैदा करना मुश्किल है। लेकिन डॉक्टर सत्य प्रकाश ने गोबर से निकाले गए अल्फा-सैलूलोज को कार्बनिक पदार्थ तथा हुमस में बदल कर कृषि विज्ञान को एक नया तकनीक दे दिया है।
आज के कार्यक्रम का मनमोहक संचालन किया जीसीसीआई के जनरल सेक्रेटरी श्री पुरिस कुमार ने जिन्होंने सभा संचालन की गरिमा को बनाए रखते हुए चिलचिलाती धूप के बीच कड़क प्यास और उसी दरमियान ढलती दुपहरिया में भूख की व्याकुलता के बीच सबको कार्यक्रम के अंत तक जोड़ रखा था।