भारत में श्वेत-क्रांति के जनक डॉ.वर्गीज़ कुरियन के जन्म-शताब्दी वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
26 नवंबर,1921 में कोझिकोड, केरल में जन्मे डॉ वर्गीज कुरियन की स्नातक और उच्च शिक्षा क्रमशः मद्रास विश्वविद्यालय और मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी में हुई। 1949 में आनंद आए और अमूल के मैनेजर के रूप में कमान संभाली। 70 के दशक में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना का श्रेय डॉ वर्गीज़ कुरियन साहब को ही जाता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री की पहल पर डॉ कुरियन ने अमूल पैटर्न को पूरे भारत में फैलाने का बीड़ा उठाया औऱ मिल्क-मैन ऑफ इंडिया ने दुग्ध-क्रांति की नींव रखी।
क्या आप जानते हैं!
- 👉राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, विभिन्न दुग्ध-उत्पादक संघो व सरकार द्वारा वर्ष 2021 को मिल्क-मैन ऑफ इंडिया डॉ वर्गीज़ कुरियन के जन्म-शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।
- 👉विश्व दुग्ध उत्पादन (852 मिलियन मीट्रिक टन) का लगभग 22% (वर्ष 2020 में 198.4 मिलियन मीट्रिक टन) दूध पैदा कर भारत दुग्ध-उत्पादन में पहले पायदान पर बना हुआ है।
- लेकिन मात्र 53.5 मीट्रिक टन दूध ही डेयरी सेक्टर में प्रोसेस हो रहा है।
- 👉दुनिया का सबसे ज्यादा पशुधन भारत के पास है।
- 👉विश्व की सबसे ज्यादा भैंसे (57%) भारत के पास हैं।
- 👉विश्व की 17% गायों के साथ भारत गायों की संख्या में चीन के बाद दूसरे नम्बर पर है।
- 👉प्रति व्यक्ति दुग्ध-उपलब्धता के मामले में हम विश्व औसत और WHO recommendation (250 gm) से कहीं आगे (407 gm प्रति दिन प्रति व्यक्ति) हैं।
- 👉 विपरीत भौगोलिक व जलवायु परिस्थितियों के बावजूद राजस्थान उत्तर प्रदेश के बाद देश में दूध उत्पादन में 23.67 मिलियन टन दुग्ध-उत्पादन के साथ दूसरे पायदान पर है।
- डेरी सेक्टर की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धिदर (CAGR फ़ॉर 2019-2024) 8% आंकी गई है जो दुग्ध व्यवसाय में लाभ के अवसरों को दर्शाती है।
★राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड, राज्यों के दुग्ध सहकारी संगठनों व निजी डेरी उद्योगों के प्रयासों के बावजूद भी अभी तक भारत के कई दूग्ध उत्पादक क्षेत्रों में सुव्यवस्थित डेरी तंत्र की गैर-मौजूदगी खलती है।
★भारत का दुग्ध-व्यवसाय मिलावट व मुनाफाखोरी का गढ़ बन चुका है। FSSAI जैसी ऑथोरिटी के आधारभूत ढांचे को औऱ अधिक मजबूत करने की आवश्यकता है।
★आशा करते हैं भारत का डेरी व्यवसाय क्वांटिटी के साथ क्वालिटी का प्रतीक बने।
★इस महामारी काल में भूख और बेरोज़गारी भारत में प्रवास का मुख्य कारण रही है अतः दुग्ध व्यवसाय इस महामारी के समय कमजोर आय वर्ग, युवाओं व किसानों के रोजगार व जीवनयापन का साधन बने तथा पोषण का अहम स्रोत बनकर लोगों की पेट की भूख को भी शांत करे।
साथ ही किसानों से आग्रह है कि एक व्यवस्थित,तकनीक संगत व आर्गेनिक डेरी फार्मिंग की तरफ रुख करें।
लेखक:
-डॉ भरत सिंह मीणा, पशु-चिकित्सा अधिकारी, पशुपालन विभाग-बारां।
– DVM- Apollo College of Veterinary Medicine, Jaipur.
– MVSc- Animal Nutrition, NDRI Karnal.
डाटा स्रोत: FAOSTAT & NDDB