बत्तख पालन कैसे करें ?
बत्तख पालन (Duck farming) से सम्बंधित जानकारी
पूरी दुनिया में भारत को एक कृषि प्रधान देश के रूप जाना जाता है और यहाँ पर भारी संख्या में लोग कृषि कार्य करते है | यहाँ के लोग खेती-किसानी करने के साथ ही पशुपालन भी करते है | जिसमें से कुछ गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी और बत्तखआदि शामिल है| वर्तमान समय में लोगो का रुझान मुर्गी पालन की अपेक्षा बत्तख पालन की ओर अधिक देखने को मिल रहा है |
दरअसल बत्तख पालन में मुर्गी पालन की अपेक्षा जोखिम काफी कम होता है और सबसे अहम बात यह है, कि बत्तख के अंडे और मांस दोनों में प्रोटीन की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है | जिसके कारण मार्केट में इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है और यह बेरोजगार लोगो के लिए आय का एक अच्छा साधन बन गया है | यहाँ तक कि कुछ लोग बड़ी संख्या में बत्तख पालन कर इसे एक व्यवसाय के रूप में कर रहे है
यदि हम बत्तख पालन की बात करे, तो भारत में मुर्गी के बाद बत्तख पालन का नंबर आता है | बत्तखपालन करनें वाले लोगो को उनके अंडे और मांस से अच्छी आय प्राप्त होती है | यहाँ तक कि बत्तख पालन में मुर्गी पालन की अपेक्षा लागत काफी कम लगती है|
बत्तख को हम एक जलीय जीव कहते है, और इसी वजह से कुछ लोगो का मानना है, कि बत्तख का पालन तभी कियज सकता है, जब उनके लिए किसी पोखर या तालाब में पानी की समुचित व्यवस्था हो | लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि आप बत्तख पालन पानी की व्यवस्था बिना किये भी कर सकते है | आप इसे अपने घर के अन्दर या किसी छप्पर के नीचे बड़ी आसानी से पालन कर सकते है |
कुल मिलाकर आप मुर्गी पालन की तर्ज परबत्तख पालन कर सकते है | यहाँ सबसे अधिक ध्यान देने वाली बात यह है, कि यदि आप बत्तख पालन किस ऐसे स्थान पर कर रहे है, जहाँ पानी बिल्कुल भी नही है, तो ऐसी स्थित में बतखों द्वारा दिए गए अंडो में गर्भ धारण करनें की क्षमता विकसित नही होती है | इसलिए यदि आप उनके अंडो से बत्तख पालन करना चाहते है, तो पानी की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।
बत्तख पालन व्यवसाय में बहुत ही कम लागत, कम पूंजी खर्च होती है और मुनाफा अच्छा होता है। 6 महीने में ही बत्तख अंडे देने लायक हो जाती है। बत्तख का 1 अंडा 6 से 8 रूपये में बिकता है। इसके मांस की मांग भी बहुत अधिक है।
बत्तख के आवास, आहार पर बहुत ही कम खर्च होता है। इसलिए कोई भी व्यक्ति इस व्यापार को अपनाकर समृद्ध बन सकता है। 10 मादा बच्चों के लिए एक नर बत्तख को रखा जा सकता है। 5 से 6 महीने की हो जाने पर यह प्रजनन करने योग्य हो जाती हैं।
बत्तख पालन के फायदे
- बत्तख के खान-पान पर कम खर्च करना पड़ता है
- उन्नत नस्लें 300 से अधिक अंडे एक साल में देते हैं
- बत्तख की अंडे देने की अवधि ज़्यादा होती है
- मुर्गियों की तुलना में खान-पान पर कम खर्च करना पड़ता है
- मुर्गियों की अपेक्षा बत्तखों में कम बीमारियां होती हैं
- पानी और ज़मीन दोनों जगहों पर बत्तख पालन संभव है
- मुर्गी या मछली पालन की तुलना में बत्तख पालना काफी आसान है। अच्छी नस्ल वाली बत्तख जैसे इंडियन रनर और कैंपबेल साल में 300 से ज्यादा अंडे देती है। यह अंडे बाजार में 7 से 9 रूपये में आसानी से बिक जाते हैं। दर्जन के हिसाब से 108 से लेकर 130 रूपये तक आप कमा सकते हैं। इस तरह आपको अच्छा मुनाफा हो सकता है। सिर्फ एक बतख के अंडे बेचकर आप साल में 700 से 1000 तक कमा सकते हैं।
- मुर्गियों की तुलना में बत्तख में कम रोग होते हैं। इसलिए इनके मालिकों को कम खर्च करना पड़ता है।
- एक अंडा 50 से 70 ग्राम तक होता है जिससे अधिक मात्रा में प्रोटीन प्राप्त होता है।
- बत्तख के खाने पर कम खर्च होता है। आमतौर पर यह आस पड़ोस के कीड़ों को खा कर पेट भर लेती हैं। पानी में से घोंघे खाना इन्हें पसंद है।
- नमी वाले स्थानों पर मुर्गी पालन का बिजनेस सफल नहीं होता, पर ऐसे स्थानों पर बतख पालन का बिजनेस बहुत अच्छा होता है। नम जगह बत्तख को बहुत सूट करता है।
- मुर्गियों की तुलना में बत्तख का जीवन काल लंबा होता है।
- मछली पालन के साथ बत्तख पालन आसानी से किया जा सकता है। जिन तालाबों में मछली पालन होता है बत्तख उसमे तैरती रहती है। इसकी बीट को मछलियाँ खाकर अपना पेट भर लेती हैं। बत्तख पानी में पाए जाने वाले कवक फंजाई, घोंघे, कीड़े, शैवाल, एलगी जैसा सभी कुछ खा लेती हैं। इन्हें मछली खाना विशेष रूप से पसंद होता है। बत्तख की बीट से तालाब की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है। बतख पालन से काफी फायदा भी है।
- आसपास के जगह पर जन्मे मच्छरों का लारवा खाकर ये सफाई कर्मचारी का काम भी करती है और हमें रोगों से बचाती है। 5-6 बत्तख 1 हेक्टेयर तालाब या आबादी में मच्छरों का लारवा खाकर साफ कर देती हैं।
- मुर्गी पालन की तुलना में इस व्यवसाय में कम जोखिम होता है। बत्तख बच्चों की मृत्यु दर मुर्गी की तुलना में बहुत कम है।
बत्तख पालन के लिए ज़रूरी जलवायु
बत्तख एक जलीय पक्षी है, जो गांव के तालाबों, धान और मक्के के खेतों में आसानी से पाला जा सकता है। इसके लिए नम जलवायु की आवश्यकता होती है, जहां साल भर पानी की उचित व्यवस्था हो। इसके लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल होता है।
बत्तख के लिए आवास प्रबंधन
- शेड बनाने के लिए ऊंचे स्थान का चयन करें
- शेड में हल्की धूप और हवा की उचित व्यवस्था हो
- शेड के आसपास तालाब या धान की खेत उपलब्ध हो
- शेड के पास अधिक पेड़-पौधे नहीं होने चाहिए
- रेलवे लाइन या कोलाहल से दूर आवास बनाएं
- शेड की फर्श सूखी होनी चाहिए
- शेड पूर्व और पश्चिम में लंबा और उत्तर दक्षिण दिशा में चौड़ा होना चाहिए
- एक शेड से दूसरी शेड के बीच की दूरी 20 फीट से कम नहीं होनी चाहिए
आहार प्रबंधन
बत्तखें कुछ भी खा लेती हैं, बशर्ते खाना गीला हो। सूखा खाना इनके गले में फंस जाता है। रसोई का कचरा, जूठन, चावल, मक्का, चोकर, घोंघे, मछली का आहार ये बड़े चाव से खाते हैं। नदियों में छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े खाकर ये आसानी से अपना पेट भर लेती हैं। इसलिए, इनके आहार पर कुछ खास खर्च नहीं करना पड़ता।
बत्तखों का उचित विकास हो, इसके लिए इन्हें तीन स्टेप्स में आहार प्रबंधन किया जा सकता है।
- स्टार्टर राशन- ये राशन चूजों को दिया जाता है
- ग्रोअर राशन- ये राशन 15-20 दिन के बाद चूजों को दिया जाता है
- फिनिशर राशन- ये राशन 2-3 महीने के बाद बड़े चूजों को दिया जाता है
बत्तख की उन्नत नस्लें
बत्तख की प्रमुख 3 नस्लें हैं-
- मांस उत्पादन के लिए– सफेद पैकिंग, एलिसबरी, मस्कोवी, राउन, आरफींगटन, स्वीडन, पैकिंग
- अंडा उत्पादन के लिए– इंडियन रनर
- दोनों के लिए- खाकी कैंपबेल
बत्तख पालन शुरू करने के लिए शांत जगह बेहतर होती है। तालाब या पोखरों के नज़दीक बत्तख पालन बहुत अच्छा होता है। इसके दो फायदे होते हैं।
पहला- बत्तखों को तैरने के लिए जगह मिल जाती है
दूसरा- आहार के लिए कीड़े-मकोड़े और घोंघे की व्यवस्था हो जाती है
यदि शेड के आसपास तालाब या पानी की व्यवस्था नहीं है, तो तालाब या नालियों की खुदाई ज़रूर करा लें। पानी की व्यवस्था होने से बत्तखों की प्रजनन क्षमता बढ़ जाती है।
यदि तालाब की खुदाई नहीं करवाना चाहते हैं तो टीनशेड के चारों तरफ 2-3 फुट गहरी व चौड़ी नाली बनवा लें, जिसमें बतखें आसानी से तैर सकें।चूजों का चुनाव करते समय यह ज़रूर ध्यान रखें कि आपका बत्तख पालन करने का उद्देश्य क्या है?इसके लिए उन्नत नस्ल के स्वस्थ चूजों का ही चुनाव करें, जिसका भार 35-40 ग्राम से कम न हों।
बत्तख पालन (batak palan) में लागत और कमाई
एक साल में एक बत्तख 280 से 300 अंडे देती है, जो मुर्गियों के मुकाबले दोगुनी है। इसके एक अंडे की कीमत बाज़ार में 8 से 10 रुपये मिल जाती है। इसके मांस की मांग भी बहुत अधिक है।
लागत की बात करें तो बत्तख पालन व्यवसाय (duck farming business) में बहुत ही कम पूंजी खर्च होती है। 1,000 चूजों पर साल भर में 1.5-2 लाख रुपये की लागत आती है। इससे पशुपालकों को प्रतिवर्ष 3.5-4.5 लाख रुपये की कमाई हो जाती है।
बत्तख की प्रजातियाँ (Duck Species)
बत्तख पालन करनें के दौरान सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि कुछ बत्तख अंडे के उत्पादन के लिए बेहतर होती है और कुछ मांस उत्पादन की दृष्टि से बेहतर होती है | हालाँकि भारत में दोहरी उद्देश्य वाली बत्तख नस्ल भी हैं, जिससे आप दोनों चीजों को उचित मात्रा में प्राप्त कर सकते है | इसलिए बत्तख पालन शुरू करने से पहले आपको उनकी नस्लों के बारें में उचित जानकारी होनी आवश्यक है | बत्तख की कुछ अच्छी नस्लें इस प्रकार है-
अंडे के उत्पादन हेतु (For Egg Production)
- भारतीय धावक बतख |
- व्हाइट और ग्रेनिश भारतीय धावक बतख।
- खाकी कैंपबेल बतखें |
मांस उत्पादन हेतु (For Meat Production)
- मसकोवी बतख |
- आयलेसबरी बत्तख |
- स्वीडन बतख |
- रूल कागुआ बतख |
दोहरे उद्देश्य की बत्तखनस्ल (Dual Purpose Duck Breed)
- खाकी कैंपबेल बत्तख
खाकी कैंपबेल बत्तख से सम्बंधित जानकरी (Khaki Campbell Duck Information)
खाकी कैंपवेल बत्तख पालन व्यवसाय करनें के उद्देश्य से सबसे उत्तम मानी जाती है, यह खाकी रंग की होती है | इस बत्तख द्वारा पहले वर्ष में लगभग 300 अंडे देती हैं और दो से तीन वर्षो में यह अंडा देने लायक बन जाती है | लगभग 3 वर्षों के पश्चात इस बतखो का इस्तेमाल मांस के लिए किया जाता है | इस प्रजाति की बत्तख की आयु तीन से चार वर्ष होती है और यह 3 से 4 माह में प्रतिदिन एक अंडा देती है |
बतखों के लिए भोजन (Food For Ducks)
बतखों के चूजों को लगभग 25 फीसदी पाच्य प्रोटीन देना आवश्यक होता है और जब यह बतखें अंडे देने की स्थिति में हो जाये तो इनका प्रोटीन वाला आहार घटा कर 17 फीसदी कर देना चाहिए | हालाँकि आप इन्हें किसी नजदीकी तलब या नालों में ले जा कर चरा सकते है, ताकि वह प्राकृतिक रूप से जलीय जीव जैसे घोंघे आदि का सेवन कर अपनी खुराक पूरी कर सके| वैसे हर बत्तखके फीडर में 100-150 ग्राम दाना डालना आवश्यक होता है |
बत्तख का आहार Ducks Feed
बत्तखें कुछ भी खा लेती हैं, बसर वह खाना गीला होना चाहिए। सुखा खाना इसके गले में फंस जाता है। रसोई का कचरा, जूठन, घर का बचा खाना, सब्जी, चावल मक्का, चोकर, घोंघे, अनाज जैसे ज्वार, सोयाबीन, गेहूं, चावल, मछली का आहार, खनिज पदार्थ, विटामिन ये खा सकते हैं।मच्छरों का लारवा इनको बहुत पसंद होता है। नालियां, पानी के स्रोत, गंदगी की जगह, तालाब, झील ये सब बत्तख पालने के लिए आदर्श संसाधन है। नालियों में छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े खा कर ये आसानी से अपना पेट भर लेती हैं। इसलिए इनके आहार पर कुछ खास खर्च नहीं करना पड़ता।
बत्तख पालन में प्रजनन की जानकारी (Breeding in Duck Farming)
बतखों के प्रजनन के लिए तालाब या किसी अन्य स्रोत की व्यवस्था करना आवश्यक होता है, क्योंकि बिना पानी के वह प्रजनन नहीं करते है |
- प्रत्येक 10 मादा बत्तखपर एक नर बत्तख होना चाहिए |
- एक बत्तखलगभग 5 माह से लेकर 6 माह की आयु में प्रजनन के लिएपरिपक्व हो जाते है |
- बत्तख के एक अंडे का वजन लगभग 55-60 ग्राम तक होता है।
- अंडे से बच्चे तैयार करनें के लिए आप इनक्यूबेटरों का इस्तेमाल कर सकते हैं |
बत्तख को होनें वाली बीमारियाँ और ईलाज (Duck Diseases & Treatment)
मुर्गियों की अपेक्षा बत्तख में रोग का प्रभाव काफी कम होता है | बतखों में फ्लू का भय अधिक होता है, इस दौरान इन्हें ज्वर हो जाता है | बुखार के कारण इनकी मृत्यु भी हो जाती है | फ्लू से बचाव के लिए इसने चूजों को एक माह का होनें के बाद फ्लू वैक्सीन लगवाना आवश्यक होता है | इसके अलावा इनके रहने वाले स्थान पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते रहना चाहिए |
बत्तख पालन के कुछ प्रमुख तथ्य Duck Farming and Its benefits in Hindi
- 6 महीने का हो जाने पर यह अंडा देना शुरू कर देती है
- साल में 300 से 320 अंडे देती है
- एक अंडे का वजन 65 से 70 ग्राम होता है
- 40 हफ्ते का हो जाने पर एक बत्तख का वजन 1.5 से 2 किलो हो जाता है
- बत्तख बच्चों की मृत्युदर 2.5% है और वयस्क बत्तख की मृत्युदर साल में 5 से 6% होती है
बत्तख की प्रमुख नस्लें Important Breeds of Ducks in Hindi
- अंडे देने वाली नस्लें- इंडियन रनर
- मांस देने वाली नस्ल- सफेद पैकिंग, एलिसबरी, मस्कोवी, राउन, आरफींगटन, स्वीडन, पेकिंग
- मांस और अंडों के लिए संयुक्त रूप से- खाकी कैंपबेल प्रजाति
बत्तख पालन के लिए आवास Duck House or Shed
बत्तख पालने के लिए बड़ी जमीन की जरूरत नहीं पड़ती है। यह छोटी जगह में भी रह सकती हैं। छोटी मोटी झोपड़ियां, छोटे कमरे इनके रहने के लिए पर्याप्त हैं। लकड़ी के घर भी बनाए जा सकते हैं। बत्तख के दड़बे में शुद्ध हवा आनी जानी चाहिए।
हर बत्तख को 2 से 3 स्क्वायर फीट की जगह जरूरी होता है। ये गीली जगह पर रहना पसंद करती हैं। बत्तख के आवास में निकलने और प्रवेश करने का रास्ता होना चाहिए।
शिकारी जानवर जैसे- कुत्ते, लोमड़ी, बिल्लियों से इनको बचाना जरूरी है। इसके आवास में नीचे फर्श पर पुआल बिछा सकते हैं। बत्तखों के दड़बे में 5 से 6 इंच के गड्ढे बना दें जिसमें यह अंडे दे सकें।
बत्तख में होने वाले रोग Disease in Ducks
डक प्लेग, वायरस हेपिटाइटिस रोगों से बचाव के लिए बत्तख को समय-समय पर टीके लगवाने चाहिए।
बत्तख के अंडों का भंडारण
बत्तख के अंडों का भंडारण करने के लिए आप रेफ्रिजरेटर फ्रिज का इस्तेमाल कर सकते हैं
बतख पालन में ध्यान देने योग्य बाते Some Important things to consider in Duck Farming
- गंदा पानी पीने से बत्तख बच्चों को निमोनिया हो सकता है। इसलिए उन्हें पीने के लिए साफ पानी दें।
- बत्तख बच्चों को 15 दिन तक पानी में न जाने दें।
- बहुत कम स्थान पर बहुत अधिक बत्तख को ना रखें। इससे उन्हें दिक्कत हो सकती है। दाना सूखा आहार/ दाना न दें।
Compiled & Shared by- Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)
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