दुधारू पशुओं में गर्भ जांच

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संकलन- सावीन भोगरा, पशुधन विशेषज्ञ,
सभी पशुपालक भाईओं से अनुरोध है, पशु का गर्भ परीक्षण 3 महिने का पशु ग्याभिन होते ही जरुर करवाऐं।
बहुत से भाई बाहर से पशु का अनुमान लगाकर सोचें है ग्याभिन है। प्ररन्तु वो ग्याभिन नही होता।पशुपालक भाई पशु को पूरे साल खिलातें रहते है जब पशु का समय पूरा होता पशुपालक सोचता है। अभी तक बच्चा क्यो नही दिया आखिर मे पता है। वो ग्याभिन ही नही।
इससे समय और धन दोनो का नुकसान होता है।
कुछ % पशुओं मे तीन महिनें का पशु जब ग्याभिन होता है। पशुचिकित्सक को कई बार पता नही चलता आप 15-20 दिन के बाद अच्छें पशुचिकित्सक से गर्भ परीक्षण करवाऐं।
गर्भ परीक्षण :
गयाभिन अथवा गर्भवती मादा पशु के गर्भाशय में भ्रूण विकसित स्थिति (Developing stage) उपस्थित हो, उसे गर्भधारण (Pregnancy) कहते हैं तथा ऐसे मादा पशु को गर्भित मादा पशु भी कहते हैं ।
● यह पशु में सहवास से प्रसव तक की अवस्था है ।
● गर्भ परीक्षण का महत्व सीधा पशुपालक की आर्थिक स्थिति से जुड़ा हुआ है । यदि पशुओं का समय पर गर्व परीक्षण हो जावे तथा यह सुनिश्चित हो जाए की मेरा पशु गर्भित है तो पशुपालक उसकी अच्छी देखभाल करता है,
यदि नहीं है तो भी वह दो बातों पर फैसला करता है–
1. मुझे पशु रखना या बेचना चाहिए ।
2. पशु गर्भित नहीं हो रहा है तो कारण क्या है ।
अतः पशु चिकित्सक को बड़ी सावधानी से गर्भ परीक्षण करना चाहिए, सुनिश्चित होने पर ही पशुपालक को पॉजिटिव व नेगेटिव Result बताएं, कि आपका पशु गर्भित हैं या नहीं ।
● गर्भपरीक्षण की विधियां —
1. पशुओं में बाहरी रूप से गर्भधारण में होने वाले शारीरिक बदलाव के आधार पर (sign of pregnancy)
2. गुदामार्ग द्वारा प्रजनन अंगो की व बच्चे की जांच ( Rectal Palpation of Fetus and genital organs ).
3. प्रयोगशाला जाँच ( Laboratory Test ) —
a.एक्सरे व अल्ट्रासाउंड
b.खून में प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन की उपस्तिथि
c.खून में स्ट्रोजन हॉर्मोन की उपस्तिथि
1.गर्भधारण के बाह्य लक्षण (Signs of Pregnancy )–:
A. मदचक्र का बंद हो जाना — जब पशु गर्भित हो जाता हैं तो पशु मद/ताव (heat ) में आना बंद हो जााता है ।
यह पशु का गर्भित होने का विशेष प्रकार का लक्षण है लेकिन कई बार इसमें भी निम्न कारणों से धोखा हो जाता है अर्थात पशु गर्भित नहीं होते भी ताव में नहीं आता,
वे स्थितियां है —
i. ताव के लक्षण प्रदर्शित होने के कारण मालिक उसे गर्भित समझ बैठता है ।
ii. विभिन्न हार्मोन अक्रियाशील होने के कारण पशु ताव में नहीं आता ।
iii. कई बार पशु गर्भित होते हुए भी ताव के लक्षण दिखा देता है ।
B. पशु सुस्त व नरम स्वभाव का हो जाता हैं
C. पशु अंतिम आधे गर्भकाल में —
i. मोटा हो जाना
ii. पशुओं के दाहिने भाग का आकार का बढ़ जाना
iii. थन व अयन का विकास हिफर में 5 माह के गगर्भकाल से ही शुरू हो जाता है
तथा वृद्ध गयों में 1 माह पहले शुरू होता है
iv. थनों को दबाने पर गाढ़ा,भूरा,चिपचिपा पदार्थ का आना आदि ।
v. कई पशुओं में अयन व सुंडी(Umbilical) पर एडिमा आ जाता है
D. उदरीय प्रतिलोठन (Abdominal ballotment)
i. इस विधि से 7 माह के गर्भ की जांच आसानी से की जा सकती है इस विधि में चिकित्सक वास्तव में बच्चे की हरकत (उछलने) को महसूस करता है।
ii. विधि –
1.इसमें आप पशुओं के दाहिने तरफ खड़े हो जाएं ।
2.अपने बाएं हाथ की मुट्ठी बनाएं और दाहिने तरफ पशु की उधर को दबाए तथा अचानक हाथ के दबाव को हटाए एवं हथेली लगाएं ।
3.आप देखेंगे कि मां के पेट में पल रहा बच्चा आपकी हथेली पर धक्का मारता है ।
4.यह हरकत 7 माह के गर्भ पर पसलियों के नजदीक व 9 माह के गर्भ पर अयन के पास महसूस होगी ।
2. रेक्टम द्वारा गर्भ परीक्षण–
● यह प्रेगनेंसी जांच का सही व सस्ता ,तथा बिल्कुल सटीक तरीका है ।
● इस विधि में गर्भाशय में भ्रूण की उपस्थिति,प्रजनन अंगों जैसे:-अंडाशय,गर्भाशय, वैजाइना, सरविक्स आदि के आकार में बदलाव की जांच की जाती है ।
● इस विधि में जांच करने से पहले पशु चिकित्सक को मादा पशुओं के प्रजनन अंगों की संरचना
जैसे –अंग शरीर में कहां स्थित है, उसका साधारण आकार व आकृति क्या होती है तथा उन अंगों के कार्यकी की संपूर्ण जानकारी होना आवश्यक है
अन्यथा परिणाम गलत भी हो सकता है ।
विधि-
1. पशु को नियंत्रित करें, यदि अरगड़ा या travis है तो उसमें पशु को डालकर, नियंत्रण में कर लें
2. हाथों से स्लीव, पैरों में गम बूट व एप्रेन पहने
3. स्लीप पर लुब्रिकेंट लगावे ताकि रेक्टस की म्यूकस मेंब्रेन को नुकसान नहीं पहुंचे
4. अंगुलियों को आगे से मिलाकर कोन shape बनाकर पशु के rectum में हाथ को हल्के दबाव से डालें
5. पशु गोबर अपने आप कर रहा हो तो उसे करने दें अन्यथा गोबर मुठ्ठी को दबाते हुए बाहर निकाले ध्यान रखें हाथ बार-बार rectum से बाहर नहीं निकाले अन्यथा रेक्टम में हवा भर जाएगी जिसे Ballooning कहते हैं
6. पशु जोर लगाता हो तो आप हाथ पर दबाव कम कर दें अन्यथा रक्त स्त्राव हो जाएगा या rectum फट भी सकता है
7. चिकित्सक के नाखून किसी भी स्थिति में बढ़े हुए नहीं होने चाहिए
8. अब प्रजनन अंगों की जांच आरंभ करें
(A) सर्विक्स (Cervix)–
(i) पेल्विक हड्डी के घेरे पर अपना हाथ घुमावे , वही पर एक नली में छोटी सी गाँठ महसूस होगी, यही सरविक्स है
यह P. D. की गाइड लाइन है यह सर्विक्स हिफर में गुदा की बाहरी छेद से लगभग 25 सेंटीमीटर व गाय में 35 cm. से आगे होती हैं
(ii) इसकी कठोरता, आकार, पशु की नस्ल ,उम्र ब्याने की संख्या अधिक पर निर्भर करती है
(iii) अगर्भित पशु में इसकी लंबाई 10 सेंटीमीटर और चौड़ाई 3-4 सेंटीमीटर होती है
(B) गर्भाशय (Uterus)–
1. इसमें निम्न बातों को महसूस किया जाता है —
(i) युटेरस की स्थिति और दोनों uterine हॉर्न में अंतर
(ii) युटेरस के आकार में वृद्धि बढ़ोतरी ।
(iii) जिस भाग में गर्भ हो उसकी दीवार पतली होना
(iv) गर्व के शुरुआत में फिटल मेंब्रेन का अंगूठे व अंगूली के बीच में फिसलकर फिसलन सा महसूस होना
(v) कोटाईलिडन का महसूस होना
(vi) मध्य uterine artery का अधिक मोटा होना तथा उसमें पल्स महसूस करना ।
2. साधारणतया 2-3 माह तक के गर्भ तक हिफरस में
uterus pelvic cavity में स्थित रहता हैं
लेकिन अगर्भित वृद्ध गायों में pelvic बीम पर स्थित होता है ज्यों ज्यों गर्भकाल की अवधि बढ़ती है गर्भाशय बीम से उदर गुहा की तरफ खिसकता चला जाता है ।
i. 30 दिन के गर्भ पर फीटस महसूस नहीं होता ।
ii. युटेरस पेल्विक फ्लोर पर पड़ा रहता है लेकिन जिस होर्न में गर्भ होगा, उसका आकार बड़ा महसूस होगा ।
iii. ठीक प्रेगनेंट होर्न के नीचे ओवेरी फिल होगी तथा ओवेरी पर स्पष्ट हल्का कठोर (Firm) एक गड्ढा C. L. महसूस होगा
1.5-2 माह–
i. आधा प्रेगनेंट होर्न pelvic cavity में होगा तथा आधा बाहर होगा तथा पानी भरे गुब्बारे की भाँति महसूस होगा
ii. नॉन प्रेग्नेंट युटेराईन होर्न दूसरी तरफ मिलेगा
iii. युटेरस की दीवार पतली,अंदर तरल पदार्थ (Fluid) तथा फीटल मेंब्रेन का स्लीपिंग भी स्पष्ट महसूस होगा
iv. पीटस महसूस नहीं होगा
v. गर्भाशय का गर्भित होर्न 2-3 गुना अधिक बड़ा महसूस होगा
vi. Cervix बंद तथा साधारण आकार की होगी
70 days
2-3 माह–
i. युटेरस Allontois fluid के वजन के कारण से पूर्णरुप से पेल्विक गुहा से बाहर हो जाता है तथा प्रेगनेंट होर्न काफी बढ़ कर फुटबॉल जैसा आकार का महसूस होगा तथा हथेली के नीचे आराम से महसूस कर सकते हैं
ii. इस अवस्था में फिटस 10 से 15 सेंटीमीटर लंबा हो जाता है तथा आसानी से महसूस किया जा सकता है
iii. युटेरस पर तनाव व ओवेरी पर कार्पस लुटियम (C. L.) आसानी से मिल फील होता है, सरविक्स(Cervix) आगे की और किसकी हुई होगी ।
90 days
3-5 माह तक–
4 माह के गर्भ पर युटेरस का आकार अधिक बढ़ जाने से वह पूर्ण रूप से उदर गुहा में लटक जाता है तथा सरविक्स खींचकर पेल्विक बीम पर चली जाती है
ii. कॉटाइलिडन कॉर्क की भाँति महसूस होने लग जाते हैं
iii. फिट्स का आकार 25 से 30 सेंटीमीटर हो जाता है तथा uterine आर्टरी में थ्रिल महसूस होती है तथा आसानी से महसूस किया जा सकता है
iv. सरविक्स युटेरस के खिंचाव के कारण तिरछी हो जाती है
v. ओवेरी महसूस नहीं होती, क्योंकि यह खिंचाव के कारण उदर गुहा में चली जाती है ।
110 days
5-7 माह तक–
5 माह के गर्भ की अवस्था में फिटस उदरगुहा के फर्श पर चला जाता है अतः महसूस नहीं होता
ii. यूटेराईन आर्टरी 1.4 सेंटीमीटर आकार की हो जाती है
उसमें पल्स आसानी से महसूस होती है इस पल्स को फ्रीमिटस करते हैं
iii. बच्चे का घट-बढ़ ,ऊपर आना नीचे आना- जाना महसूस होता है
iv. कोटेलिडेन्स 3.5 सेंटीमीटर आकार तक महसूस होता है
8. 7 माह से प्रसव तक–
I. बच्चा वापस पेल्विक गुहा की तरफ आने लगता है तथा आसानी से पकड़ा जा सकता है
ii. फ्रीमिट बहुत तेज महसूस होगी
iii. फिटस बम्पस (उछलना ) आसानी से महसूस होता है
iv. कोटेलिडनस का आकार टेनिस बॉल (7-8 सेंटीमीटर) तक हो जाता है
9. वेजिइनल स्पेकुलम द्वारा —
वेजाइनल स्पैकुलम द्वारा वेजाइना को देखे तो निम्न बातें दिखाई देगी ।
I. वेजाइनल की दीवार सुखी तथा उसमें सलवट दिखाई देगी
ii. वेजाइनल ग्रंथियों से चिपचिपा पदार्थ दिखाई देगा व हल्की भूरे रंग की सर्वाइकल सील दिखाई देगी ।
3. प्रयोगशाला जाँच द्वारा गर्भ परीक्षण–
a. X-ray / Ultrasound द्वारा P.D.– ultra sound आज के युग की अच्छी तकनीक है इसका उपयोग पशुपालन के क्षेत्र में केवल कुर्तियों तक ही सीमित है
b. ब्लड प्रोजेस्ट्रोन लेबल द्वारा–
● जब गर्भ धारण हो जाता है तो C.L. प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को बनाता है तथा यह रक्त वह दूध में उपस्थित रहता है
● दोनों में इस हार्मोन की उपस्थिति ही गर्वित होने का संकेत बताती है
c. ब्लड एस्ट्रोजन लेबल द्वारा–
साधारण लगभग 85 दिन की प्रेगनेंसी पर रक्त estrogen
साधारण मात्रा में दुगना हो जाता है और यह भी गर्वित होने का संकेत हैl
d. इम्युनोलॉजिकल तकनीक–
गर्भित पशु के सिरम में 6 घंटे की प्रेगनेंसी पर ही एक “Early Pregnancy Factor” की पहचान की जा सकती है
e.बेरियम क्लोराइड टेस्ट–
यह जांच तभी करे जब पशुओं को किसी प्रकार की हार्मोनल थेरेपी आहार द्वारा अथवा अन्य माध्यम से नहीं दी जा रही है

 

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