पशुपालकों द्वारा स्वयं के घर पर पशुओं के कम समय के गर्भ परीक्षण हेतु आसान विधियां

0
559

पशुपालकों द्वारा स्वयं के घर पर पशुओं के कम समय के गर्भ परीक्षण हेतु आसान विधियां

 

डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी, चोमूहां,मथुरा, उत्तर प्रदेश



1.बीज अंकुरण निषेध (पुण्यकोटि टेस्ट) परीक्षण:

बीज अंकुरण निषेध परीक्षण कम समय की गर्भावस्था के निदान में अति महत्वपूर्ण है।
कम समय की गर्भावस्था की जांच डेयरी व्यवसाय के प्रजनन प्रबंध एवं व्यावसायिक लाभ के दृष्टिकोण से अति उत्तम है । कम समय की गर्भावस्था की जांच हेतु कोई परीक्षण उपलब्ध न होने के कारण वैज्ञानिकों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है । इन सबके बावजूद गर्भ जांच की कई विधियां जैसे गुदा परीक्षण, रेडियोग्राफी एवं अल्ट्रासाउंड और रोजेट इनहिबिसन टेस्ट इत्यादि उपलब्ध है। इन परीक्षणों की प्रायोगिक कठिनाइयों के कारण कम समय के गर्भ जांच हेतु लगातार साधारण, कम खर्च एवं नानइनवेसिव विधि के सफल क्रियान्वयन हेतु वैज्ञानिक लगातार कार्य कर रहे हैं। पुण्यकोटी परीक्षण एक सरल नान इनवेसिव गर्भ जांच हेतु परीक्षण है जिसे गाय/ भैंस के लिए विकसित किया गया है। यह परीक्षण पशुपालक द्वारा अपने घर पर आसानी से किया जा सकता है।

कम समय की गर्भावस्था का निदान अर्थात पहचान अत्यंत लाभदायक और उन्नत पशुपालन के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गाय एवं भैंस में गर्भावस्था की जानकारी हेतु पुण्यकोटि परीक्षण तकनीक का उपयोग किया जाता है। इसे सीड बायो ऐसे भी कहा जाता है। कम अवस्था की गर्भावस्था की जांच द्वारा पशुओं का समुचित प्रबंधन किया जा सकता है यदि पशु गर्भित है तो उसे गर्भावस्था के लिए आवश्यक संतुलित पौष्टिक आहार दिया जाता है जोकि गर्भ में पल रहे बच्चे एवं मादा पशु के लिए अधिक उत्पादन के लिए अत्यंत आवश्यक होता है। यदि पशु गर्भित नहीं होता है तो उसका सम्यक परीक्षण उपरांत उसका समुचित उपचार करने के पश्चात उन्हें गर्मी में लाकर गर्भाधान कराया जाता है। इससे पशुपालकों को अत्याधिक लाभ होता है।

READ MORE :  स्वस्थ्य तथा लाभदायक डेयरी फार्मिंग हेतु पशुपालकों को महत्वपूर्ण सुझाव

सिद्धांत:

गर्भित पशु के मूत्र में लगभग 3 गुना अधिक एबसिसिक एसिड पाया जाता है जो गेहूं अथवा जौ के अंकुरण को बाधित करता है। गर्भित गाय और भैंस के मूत्र में एबसिसिक एसिड उच्च सांद्रता में 170.62 नैनोमोलस/ मिली लीटर जबकि बिना गर्भ की गायों एवं भैंसों में 74.46 नैनोमोल्स प्रति मिलीलीटर पाया जाता है।
एबसिसिक एसिड की उच्च मात्रा बीजों के अंकुरण एवं उनकी सूट लेंथ को कम करता है, जब गर्भित पशु के मूत्र से उक्त बीजों का उपचार किया जाता है। यह परीक्षण भैंस, भेड़, बकरी में भी किया जा सकता है जिनमें धान एवं मूंग के बीजों का मूत्र के द्वारा उपचार किया जाता है।

प्रयोग की विधि:

मूत्र नमूनों का संकलन प्रायोगिक समूह की गायों एवं भैंसों द्वारा प्राकृतिक मूत्र त्याग के समय अथवा इंड्यूस्ड मूत्र त्याग के समय किया जाता है
1.पशु के मूत्र को एकत्र करने के पश्चात उसको 10 गुना आसुत जल में तनुकृत किया जाता है।
2.दो पेट्री डिश लेकर उन पर फिल्टर लगा दिया जाता है। लगभग 15 से 20 गेहूं या जौ के दाने प्रत्येक पेट्री डिश में रख दिए जाते हैं।
3.लगभग 10 से 15 एम एल उपरोक्त तनुकृत मूत्र नमूना एक पेट्री डिश में डाल देते हैं जबकि दूसरी पेट्री डिश में केवल आसुत जल डालते हैं जो कंट्रोल ग्रुप का काम करता है।
4.पेटरी डिस को ढक कर , रखते हैं ताकि तनुकृत मूत्र का वाष्पीकरण न हो और इसको 5 दिन तक रखते हैं।

निष्कर्ष:

1.यदि बीजों का अंकुरण नहीं होता है और यह बीज काले या भूरे पड़ जाते हैं अथवा यदि अंकुरित होते हैं तो इनके सूट्स 1 सेंटीमीटर से कम लंबाई के होते हैं ऐसी स्थिति में पशु को गर्भित माना जाता है।

  1. 35 से 60 प्रतिशत अंकुरण के साथ सूट लेंथ 4 सेंटीमीटर की होती है तो पशु गर्भित नहीं माना जाता है।
    3.कंट्रोल पेट्री डिश मैं 60 से 80% अंकुरण होता है और सूट लेंथ लगभग 6 सेंटीमीटर होती है।
  2. बेरियम क्लोराइड परीक्षण:
READ MORE :  बछड़ा व बछीयो की देखभाल व प्रबधन

इस परीक्षण का उपयोग गाय और भैंस की गर्भ जांच हेतु किया जाता है ।
इस परीक्षण से 90% से अधिक विश्वसनीय परिणाम प्राप्त होते हैं।

परीक्षण का सिद्धांत:

गर्भावस्था के हार्मोन प्रोजेस्ट्रोन की यकृत में मेटाबॉलिज्म के बाद जो अंत: उत्पाद बनते हैं वे गाय और भैंस के मूत्र में उपस्थित होते हैं जोकि बेरियम क्लोराइड के प्रेसिपिटेशन को बाधित करते हैं। जबकि एस्ट्रोजन हार्मोन प्रेसिपिटेशन को उत्प्रेरित करता है।

परीक्षण की विधि:

1.एक परखनली में 5ml पशु का मूत्र लेते हैं।
2.इस परखनली में 5 से 6 बूंद 1% बेरियम क्लोराइड के घोल को डालकर अच्छी तरह मिक्स करते हैं।

परीक्षण के निष्कर्ष:

1.प्रेसिपिटेशन का न होना यह सिद्ध करता है कि गर्भित है।
2.जबकि यदि स्पष्ट सफेद प्रेसिपिटेशन आता है तो यह पशु गर्भित नहीं है ।

3.इस परीक्षण द्वारा 3 से 4 सप्ताह के गर्भ की जांच, भी की जा सकती है।
4.यह परीक्षण पशुपालक द्वारा अपने घर पर आसानी से किया जा सकता है।
5.परंतु जब पादप स्रोत की एस्ट्रोजन मूत्र में उपस्थित होती है तो यह परीक्षण गलत परिणाम देता है।

  1. जब स्थाई पीतकाय एवं गर्भावस्था की पीतकाय का जोकि ब्याने के कुछ समय तक रहती है, भी झूठा धनात्मक परिणाम दे सकती है।
Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON