परजीवी नाशकों एवं खनिज तत्वों का पशु प्रजनन पर प्रभाव

0
536
EFFECT OF DEWORMERS AND MINERAL MIXTURE ON ANIMAL REPRODUCTION

परजीवी नाशकों एवं खनिज तत्वों का पशु प्रजनन पर प्रभाव

अरुण कुमार, विकास सचान, हनुमान प्रसाद यादव, जीतेंद्र कुमार अग्रवाल, सोनवीर सिंह

मादा पशु रोग विज्ञान विभाग, उ. प्र. पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गौ अनुसंधान संस्थान, मथुरा, उत्तर प्रदेश

भारत दुनियाभर में दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर आता है, परन्तु प्रति व्यक्ति दुग्ध की उपलब्धता अपेक्षाकृत बहुत कम है। इसका मुख्य कारण हमारे यहाँ पशुओं का संख्या में अत्यधिक होना परन्तु प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता बहुत कम है। दूध उत्पादन करने वाले पशुओं में विभिन्न प्रकार की प्रजन्नात्मक समस्याओं का होना प्रति पशु कम दुग्ध उत्पादन का एक मुख्य कारण है । पोषक तत्वों की कमी की  वजह से उनकी जनन क्षमता में कमी आ जाती है। इस कारण से पशु का समय में वयस्क ना होना, सही समय पर गर्मी में ना आना तथा समय पर गर्भधारण ना कर पाना इत्यादि प्रमुख समस्याओं की रूप में देखने को मिलता है। प्रजनन के सुचारू रूप से क्रियान्वित होते रहने के लिए सही मात्र एवं गुणवत्ता में पोषक तत्वों कि पूर्ति आवश्यक है। गर्भधारण, पशु पैदाश, दुग्ध उत्पादन इत्यादि काफी हद तक पोषक तत्वों पर निर्भर करती है ।

पशु चारे में पोषक तत्वों एवं खनिज लवणों की कमी से पशुओं में होने वाली प्रमुख समस्याएं –

  • गर्मी पर ना आना
  • अनियमित रूप से गर्मी में आना
  • गर्भधारण ना होना
  • गर्भपात हो जाना
  • जेर का उचित समयावधि में ना गिरना
  • गर्भाशय में संक्रमण हो जाना
  • दुग्ध उत्पादन में कमी

पोषक तत्वों कि कमी पशुओं में मुख्यत: दो कारणों से होती है ।  पहला आहार में पोषक तत्वों कि कमी का होना तथा दूसरा अन्तःएवं वाह्य परजीवियों  का पशुओं के शरीर में होना  परजीवी पशुओं की आंत में अथवा रक्त द्वारा पोषक पदार्थों का उपयोग कर लेते हैं जिसकी वजह से पशुओं के शरीर में पोषक तत्वों कि कमी हो जाती है ।

READ MORE :   ठंड के मौसम में पशुओं का आहार प्रबंधन कैसे करें

निवारण

नियमित अन्तराल से परजीवी नाशक दवाओं का उपयोग- अगर हम पशुओं को समय से अन्तःपरजीवी नाशक दवाओं का सेवन करायें तो हम पशुओं में अन्तःपरजीवी की वजह से होने वाले पोषक तत्वों की कमी को कम कर सकते है ।  हमे पशु को प्रत्येक 3-4 माह के अन्तराल से पशुचिकित्सक की परामर्श से अन्तःपरजीवी नाशक दवा देनी चाहिए । गर्भित पशुओं में भी कुछ परजीवी नाशक दवाएं गर्भपात करवा सकती है अतः इस स्थिति में पंजीकृत पशुचिकित्सक की परामर्श से ही गर्भित पशु को परजीवी नाशक औषधि का उपयोग करना चाहिए।

संतुलित पशु आहार का सेवन- हमे पशुओं को संतुलित पोषक तत्वों की मात्र वाला आहार का सेवन करना चाहिये । जिससे पशुओं उनकी आवश्यकता के अनुसार पोषक तत्व मिल सके । जिसके लिए हम पशु की आवश्यकता के अनुसार संतुलित आहार तथा पशुचिकित्सक की सलाह लेकर उपलव्ध खनिज मिश्रण का उपयोग पशु आहार में भी कर सकते हैं । आहार में कार्बोहायड्रे , प्रोटीन एवं फैट की उचित उपलब्धता होनी चाहिए । दाने का मिश्रण तैयार करते वक्त हमें जौ ज्वार मक्का चोकर चुन्नी खल नमक तथा खनिज मिश्रण को उचित मात्र में मिलाना चाहिए । हम पशु के शरीर के लिए 1 से 1.5 किलो दाना और दुग्ध के उत्पादन अनुसार अलग से अतिरिक्त दाना देना चाहिये ।  हमे गाय को 2 से 2.5 लीटर दुग्ध पर 1 किलो दाना जबकि भैंस को 2 लीटर दुग्ध पर 1  किलो दाना देना चाहिए ।

पशु की अधिकतम उत्पादकता के लिए पशु प्रजनन का उचित प्रबंधन करना नितांत आवश्यक है ।  पशु प्रजनन के प्रबंधन में पशु पोषण का विशेष योगदान है । पशु आहार को खनिज मिश्रण से युक्त करके एवं परजीवी नाशक औषधियों का प्रयोग करके पशु की विभिन्न प्रजनन समस्यायों से बचा जा सकता है ।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON