मुर्गी फीड में पोषक तत्वों का असंतुलन मुर्गी फार्म में मृत्यु का मुख्य कारण
आजकल ब्रायलर मुर्गी फार्म कुछ विशेष तरह की बीमारियों तथा समस्याओं से जूझ रहा है जिसमें देखा जा रहा है कि मुर्गियों में लंगड़ापन तथा एकाएक मृत्यु हो रही है। मृत्यु उपरांत शव परीक्षण के दौरान लीभर में कलर का परिवर्तन भी देखा जा रहा है। बहुत बारीकी से अध्ययन करने पर यह पता चल रहा है कि इसका मुख्य कारण मुर्गियों के पोषण में एनर्जी तथा पोषक तत्वों की असंतुलन मुख्य कारण है।
इनके असंतुलन के पीछे खाद्य पदार्थों में माइकोटोक्सीन बहुत ही अहम भूमिका निभाता है। बाजार में विटामिंस प्रीमिक्स की कीमतों में बेतहाशा उछाल के कारण उत्पादक द्वारा घटिया क्वालिटी का वस्तु इस्तेमाल करना एक बहुत ही चिंता का विषय है। अधिकांश मुर्गी फार्म में बाय सिक्योरिटी मेजर को अच्छा से फॉलो ना करना तथा मुर्गी के आहार में आवश्यकतानुसार पोषक तत्वों की कमी को ध्यान में रखकर यदि फीड फॉर्मूलेशन किया जाए तो निश्चय ही इस तरह की समस्या पर निजात पाया जा सकता है.
इसके लिए हम क्या कर सकते हैं –
- फीड मे बायोटिन का लेवल चेक करे जो आम तौर पर अनाज में कम होता है, लैम्ड लूज बर्ड्स, लिवर मलिनकिरण, बायोटिन की कमी इसका एक कारण है, बायोटिन की से दिल का दौरा पड़ने का एक मुख्य कारण हो सकता है ।
- डीईबी के लिए आवश्यक पोटेशियम आयन सेलुलर प्रतिरक्षा और मांसपेशियों के संकुचन में मदद करता है, इस पोटेशियम आयन को बनाए रखने के लिए या तो फ़ीड में DORB समावेशन को या तो फ़ीड में एंजाइमों या फ़ीड में तेल को शामिल करके बढ़ाया जाना चाहिए ताकि पक्षियों की ऊर्जा आवश्यकताओं को एक साथ पूरा किया जा सके। जो फीड मे न्यूट्रिशनल इंग्रेडिएंट्स का गैप बने उसमे
DORB को शामिल किया जाना चाइए ।
- एलपीएआई मे एंटीऑक्सिडेंट जैसे प्रोसायनिडिन, विटामिन सी,
Capsanthin (2 किलो प्रति मीट्रिक टन फ़ीड) और पीने के पानी पीएच 4.5 से 5.5 के साथ काफी मददगार है, हल्दी अच्छा एंटीबैक्टीरियल है , एंटीवायरल मे
मे एंटीऑक्सिडेंट काफी अच्छा होता है , इंडियन सबकॉन्टिनेंट मे ये एंटीऑक्सीडेंट नैचुरली काफी सस्ता एवलेबल है , जो की आसानी से फीड मे समावेश किया जा सकता ,
- फार्म मे न्यूट्रिशनल सपोर्टिव ट्रिटमेंट और प्रीवेंशन मे लिक्विशाइन लीवर की मलिनकिरण, लूज़ लैम्ड पक्षियों और मृत्यु दर नियंत्रण करने के लिऐ रिजल्ट ओरिएंटेड प्रोडक्ट्स है, यदि ब्रायलर चिक्स के पहले 10 दिनों में Liquishine दिया जाए तो ढीले लंगड़े पक्षियों की मृत्यु दर को नियंत्रण किया जा सकता है ये देखा गया है की दैनिक मृत्यु दर 0.3% तक कम हो जाती है।
साभार
डॉ भास्कर चौधरी
(पशु पोषण विशेषज्ञ)