सांप काटने पर पशुओं का प्राथमिक उपचार
अगर आपके पशु कों जहरीला साँप काट लेता है तों उसका उपचार (Snake bite )
पशु को सांप काटने पर क्या करें, जानिए कैसे करें उपचार
भारत एक विशाल देश है इसलिए यहाँ पर सांपों की 306 प्रजातियां पाई जाती है। लेकिन ये सभी प्रजातियां जहरीली नहीं होती। इसमें से कुछ प्रजातियां जहरीली होती है। भारत में पाए जाने वाले सांपों में से 85 प्रजातियां ऐसी है जो जहरीली होती है।
गावं देहात में सांपों का खुलेआम इधर उधर घूमना कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसे में कभी कभी ये सांप पशुओं को काट लेते है। हालाँकि बिना वजह के सांप कभी काटता नहीं है और हो सकता है पशु द्वारा अनजाने में पैर रखने के कारन काट लिया हो तो ऐसे में हम पशु का उपचार कैसे करेंगे और सबसे पहले शुरुआत में जब पता लगे की पशु को सांप ने काटा है तो क्या एक्शन लेना होता है। इन सबके बारे में आपको इस आर्टिकल में बतायेंगे।
गर्मी के बाद बरसात का मौसम दस्तक देगा. इन दोनों मौसम में ही सांप और अन्य जीव अपने बिल से बाहर आते हैं. इनके बाहर आने से पशुपालकों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है. दरअसल, अधिकतर ग्रामीण अपने पशुओं को बाहर खुले में बांधते हैं. इस दौरान संर्पदंश से कई बार उनके पशुओं की मौत तक हो जाती है.
सर्पदंश के बाद पशुओं का ऐसे करें उपचार
अगर आपके पशु को सांप ने काट लिया है और समय रहते आपको इस बारे में जानकारी भी मिल गई है तो घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है. कुछ तरीकों को अपनाकर आप अपने पशुओं को बचा सकते हैं. सबसे पहले पता करें कि सांप ने पशु को किस जगह काटा है. उस जगह के 3 इंच ऊपर पतली डोरी से कस कर बांध दें. सांप के काटे हुए स्थान पर ब्लेड से चीरा लगाएं. खून के साथ-साथ विष भी निकल जाए. पशु को शांत वातावरण में रखें. पशु चिकित्सक को पहले ही बुला लें, ताकि वह समय रहते गाय को विष प्रतिरोधी दवा दे सके. इस दौरान पशु को चाय कॉफी का पानी पिलाते रहें.
इन बातों का रखें ध्यान
जिस जगह सांप ने काटा है वहां बस चीरा लगाएं, उस जगह की चमड़ी ना काटें. ऐसा करने से पशु का खून ज्यादा बहेगा. खून बहने पशु की जान पशु की जान पर खतरा मंडरा सकता है. जिस जगह पर पशु के चीरा लगाया है, वहां पर देर तक पट्टी न बांध के रखें वरना जहर पूरे शरीर में फैल सकता है. ध्यान रखें पशु को एक ही जगह पर रखें, ताकि उनके शरीर में जहर न फैले. इस दौरान बिना चिकित्सक की सलाह के पशुओं को अपनी मर्जी से कोई दवा नहीं दें.
साँप द्वारा पशुओं के पैरों अथवा मुँह पर काटा जाता है। साँप के काटने पर दाँत के निशान को सावधानीपूर्वक देखना चाहिये। यदि दो कतारों में छोटे-छोटे छेदों के अन्त में हर कतार पर एक बड़ा गहरा छेद है (कुल दो बड़े छेद) तो साँप जहरीला है। यदि दो कतारों की दो कतारें (कुल चार कतार) हैं तथा सभी छेद छोटे हैं तो साँप जहरीला नहीं है।
पशु को सांप के काटने के लक्षण –
अगर आपके पशु को किसी सांप ने काट लिया है तो आपको कुछ लक्षण देख कर अंदाजा हो जायेगा की सांप ने काटा है। ज्यादातर पशुओं को सांप पैरों पर ही काटता है इसलिए आसानी से पशु को बचा सकते है । देखिये सांप के काटने पर पशुओं में दिखने वाले लक्षण क्या होते है।
- सांप के काटने के कुछ देर बाद पशु के मुहं से झाग आने लगते हैं।
- पशु बेचैन दिखाई देने लगेगा।
- पशु एक जगह ना रुक कर इधर उधर चक्कार काटने लगेगा।
लक्षण –
- साँप के काटने के स्थान पर सूजन आ जाती है तथा तेज दर्द होता है।
- मुँह से झाग निकलते हैं।
- पशु को सांस लेने में परेशानी होती है।
- पुतलियाँ फैल जाती हैं।
- पेशाब बार-बार होता है।
- शरीर अकड़ जाता है।
- पशु को लकवा मार जाता है तथा सांस रुकने से पशु की मृत्यु हो जाती है।
निदान – पशु के साँप द्वारा काटे जाने के इतिहास तथा लक्षणों से रोग का निदान होता है।
पशु को सांप के काटने पर क्या करना चाहिए
अगर आपके पशु को सांप ने काट लिया है और आपको पता लग चूका है तो बिना घबराये आपको ये काम करने है जो हमने यहां निचे दिए हैं।
- सबसे पहले आपको प[आशुओं के डॉक्टर को फ़ोन करना है।
- अगर पैर में काटा है तो काटने के स्थान से ऊपर एक रस्सी से कसकर बाँध दें।
- पशु के जिस भाग में सांप ने काटा है उसको ढूंढने की कोशिश करें।
- सांप के काटने के साथं पर हल्का चीरा लगाए और उस स्थान को कुछ देरर के लिए खुला छोड़ दें। ज्यादा बड़ा चीरा नहीं लगाना है ये ध्यान रखें।
- पशु को डॉक्टर के आने तक चाय का पानी पिलाते रहें।
सर्प या सांप के काटने पर प्राथमिक चिकित्सा
1 . पशु के जिस अंग को सर्प ने काटा हो और जहाँ से खून का स्त्राव जाता हो उसके ऊपर पट्टी बांध देवें. अगर पशु की उपचार में देरी हो रहा हो तो पट्टी को हर 30 मिनट में खोल कर दुबारा बांध देवें ताकि अंग में खून का स्त्राव बना रहे.
- जहाँ पर सांप ने कटा है वहां पर बर्फ लगावे ताकि उस अंग के तापमान को संतुलित रखा जा सके.
- पशु की उपचार के लिये शीघ्र से शीघ्र पशुचिकित्सक से संपर्क करें.
पशुओं में सर्पदंश का ईलाज
उपचार – सांप काटने पर पशुओं को भी मनुष्य की तरह एंटीवेनम इंजेक्शन दिया जाता है, लेकिन यह एंटीवेनम इंजेक्शन पशुचिकित्सालय में न मिलकर मानव चिकित्सालय में मिलता है. पशुओं को सर्प के काटने पर पशुपालक एंटीवेनम इंजेक्शन के लिये आप पशुचिकित्सक से संपर्क करके भी जिला अस्पताल या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से भी एंटीवेनम इंजेक्शन प्राप्त कर सकते हैं. एंटीवेनम इंजेक्शन मिल जाने के बाद पशुपालक पशुचिकित्सक से एंटीवेनम इंजेक्शन लगवा लेवें.
सर्पदंश की उपयोगी दवाईयां
1 . ग्लुकोकार्टोकोइड जैसे कि डेक्सामेथासोन और हाइड्रोकोर्टी देवें ( केवल एंटीवेनम के साथ कम मात्र में)
- सांप के जहर को सामान्य करने के लिये एंटीवेनम देवें.
- अगर सांप के दंश में खून का स्त्राव अधिक मात्रा में हो तो एपिनेफ़रीन टीके के रूप में देवें.
- पशु को धीरे-धीरे नार्मल सलाईन नस द्वारा दें.
- पशु को अगर अधिक बुखार हो तो एनाल्जिन का टीका लगवाएं.
- इन सभी दवाइयों के साथ पशु को पशु को संक्रमण से बचाने के लिये किसी एक एंटीबायोटिक का उपयोग करें.
चिकित्सा–
(क) साँप काटने के स्थान से ऊपर रस्सी द्वारा कसकर बाँध देना चाहिये।
(ख) साँप काटने के स्थान पर चीरा लगाकर जहर को बाहर निकालना चाहिये।
(ग) एण्टीस्नेक वीनम पॉलीवेलेन्ट (Anti Snake Venom Polyvalent Serum institute, Bharat Serum, HBPCL, Vins)-बड़े पशुओं में 40-60 ml slow IV
छोटे पशुओं में 20 ml slow IV देना चाहिये। दो घण्टे बाद पुनः देना चाहिये। एण्टीस्नेक वीनम पॉलीबैलेन्ट को 5% डैक्सट्रोज के साथ प्रयोग करना चाहिये।
(घ) बहुक्षेत्रीय एण्टीबायोटिक; जैसे-सैफेलोस्पोरिन्स, पैनिसिलीन्स, क्विनोलोन्स में से किसी एक का प्रयोग करना चाहिये।
(च) एण्टी टेटेनस सीरम (ATS)-1500-3000 IU मांस में लगाना चाहिये।
(छ) डॅक्सट्रोज 5% इंजेक्शन में से किसी एक का प्रयोग करना चाहिये।
(ज) हिस्टामीनरोधी दवाओं में से किसी एक दवा का प्रयोग करना चाहिये।
(झ) कॉर्टीकोस्टीरोइड दवाओं में से किसी एक दवा का प्रयोग करना चाहिये।
सर्पदंश से पशु की मौत होने पर क्या करें?
अगर सर्पदंश से आपके किसी पशु की मौत हो जाति है तो जैसे बाढ़, सुखा, दैविक या प्राकृतिक आपदाएं आदि के लिये भारत सरकार के गृह मंत्रालय से वर्ष 2015 में जो गाइडलाइन जारी हुई थी, जिसके तहत अगर पशु की उपर्युक्त कारणों से मृत्यु हो जाति है तथा जिसका पंचनामा बनाकर ग्राम प्रधान दे देते हैं तो पशुपालक को 30 हजार रूपये की राहत राशि दी जाति है. जिससे पशुपालक को मृत पशु की पूरी लागत तो नहीं निकलती है परंतु कुछ क्षतिपूर्ति मिल जाति है.
मृत पशु की बीमा होने पर क्या करें?
यदि पशुपालक अपने मृत पशु का बीमा करा रखें हैं तो पशुपालक को पशु की क्षति की पूरी धनराशी मिल जाति है, लेकिन इसके लिये पशुपालक यदि मृत पशु की मृत्यु सर्पदंश से हुई हो तो पशुचिकित्सक डॉक्टर से पोस्टमार्टम रिपोर्ट लानी होती है. अगर बाढ़ के दौरान सर्प द्वारा कटा गया हो तो पोस्त्मर्तम नहीं हो पाता है, इसके लिए ग्राम प्रधान, लेखपाल और पंच से पंचनामा बनवाकर लाना होता है जिससे पशुपालक को बीमा कंपनी से मुआवजा मिल जाता है.
प्रिय किसान भाइयों पशुओं की उपर्युक्त बीमारी, बचाव एवं उपचार प्राथमिक और न्यूनतम है. संक्रामक बिमारियों के उपचार के लिये कृपया पेशेवर चिकित्सक अथवा नजदीकी पशुचिकित्सालय में जाकर, पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें.
Compiled & Shared by- This paper is a compilation of groupwork provided by the
Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)
Image-Courtesy-Google
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Disclaimer: This blog is vet-approved and includes original content which is compiled after thorough research and authenticity by our team of vets and content experts. It is always advisable to consult a veterinarian before you try any products, pet food or any kind of treatment/medicines on your pets, as each pet is unique and will respond differently.