गली के कुत्ते

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गली के कुत्ते
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हम असिमित आज़ादी के लिए
बंदर से इंसान और
इंसान से भेड़िये बनने की
प्रक्रिया में है|
वहीँ भेड़िये
सीमित आज़ादी के
और सिमटते दायरे के साथ
बन गए आवारा कुत्ते
या कहिए गली के कुत्ते |

गली के कुत्ते
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इनकी नहीं होती
अधिकृत वंशावली
ये सामूहिक मिलनके
परिणाम होते है |
मूत्र विसर्जन करके
रासायनिक गंध से
चिंहित करते अपनी सरहदों को
जो गली के शुरुआत से
गली के मोड़ तक ही होती |

गली के कुत्ते
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यह अवांछित हो सकते हैं
आक्रांता नहीं
गलियों और रास्तो के
होते है अवैतनिक पहरेदार
इनके गले में नहीं बंधा होता
किसी के मालिकाना हक का पट्टा
यह आजादी पसंद नस्ल
किसी अवांछित के
सरहद में प्रवेश होने के साथ ही
अदृश्य प्रेत की तरह प्रकट हो जाते
और सारे शांति प्रस्ताव को रद्द करते हुए
छिड़ जाती अघोषित जंग
हारी हुई टुकड़ी पूछ दबाकर
आत्मसमर्पण का संकेत देती|

गली के कुत्ते
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पहचानते सब गली के रहवासियों को
हालांकि वो पालतू कुत्तो की तरह
पूंछ नहीं हिलाते बस
उनकी आँखों में
पल भर के लिए आते
अपनेपन का भाव
फिर निर्विकार हो जाते
उनकी आँखे जम जाती
आने जाने वालो पर |
चौकस जवान की तरह |

गली के कुत्ते
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जो मिलन के मौसम में
कई कई दिनों तक
गायब हो जाते
फिर एक दिन अचानक यूँ नज़र आते
जैसे कोई पनडुब्बी
एक लम्बे अन्तराल के बाद
समंदर की अतल गहराई से
सरगोशी के साथ
पानी की सतह में उभर आती हो |

गली के कुत्ते
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जो मिलन के मौसम में
आंशिक रूप से हिंसक हो जाते
हालांकि मिलन का मौसम
सिर्फ निकृष्ट जीवों के
हिस्से में आता है
उत्कृष्ट मनुष्य के लिए
यह बाध्यता नहीं
उनके जख्म
वंश वृद्धि के लिए
की गई प्रतिस्पर्धा का ही
परिणाम होते है |
बावजूद इसके भी ,
मिलन का मौसम जाने के बाद
सब कुछ सामान्य हो जाता
न नफरत रह जाती
न इंसानों की तरह
बदला लेने की नियत
न पीढ़ी दर पीढ़ी चलने
वाली दुश्मनी |
गली के कुत्ते
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हमसे बेहतर जानते हैं
संदिग्ध और असंदिग्ध के
बीच का फर्क
संदेही को किसी भी
तरह का संदेह का लाभ
मिलना मुमकिन नहीं |
कुछ एक अपवाद के बाद भी
गली के कुत्ते भयावह नहीं होते
वो सिर्फ उपेक्षित होते है
मैंने अकसर घरो में लिखा देखा है
“कुत्तो से सावधान ”
लेकिन कभी किसी गली में
ये लिखा नहीं देखा
“गली के कुत्तो से सावधान |”

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गली के कुत्ते
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दिहाड़ी मजदूर की तरह
रोज मशक्कत करते
तभी मिलता कुछ खाने को
कभी कुछ भी नहीं मिलता
खैर, वो शिकायत भी किससे करे
उनके लिए नहीं होती
कोई शिकायत पेटी
ना कोई हेल्प लाइन नंबर |

गली के कुत्ते
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इनकी आबादी को
नियंत्रण करने के लिए
क्रूर नाजियों की तरह
जहर देकर किया जाता
सामूहिक नरसंहार
या इन्हें पकड़ कर
दिया जाता
बिन मांगे वनवास
फिर भी गली है तो
कुत्ते भी रहेंगे
अवैतनिक पहरेदार
की तरह |
याद रखना
वो भेड़िये से
कुत्ते बने है
और हम ?

आलोक तिवारी “कटनी “

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