गौ माता

0
851

गौ माता

परम पूज्य गौ मेरी माता।
तुम को सादर शीश झुकाता। तुम जग जननी जगतबखानी। सूर्, मुनि पूजें तुम्हें भवानी। वेद शास्त्र तेरा यश गाएं। ब्रह्मा,विष्णु शीश झुकाए। पावन चरण जहां पर धरती। जगह पवित्र वहां की करती। मृत्यु काल जो तुम्हें पुजाए। वह जन सीधा स्वर्ग को जाए। जो जन सेवा करे तुम्हारी।
वह जन कभी न होय दुखारी। सुख समृद्धि उसके घर आए। मनचाहा इच्छित फल पाए। दूध धानय, उसके घर होए। भौतिक ताप लगे ना कोय।

खुर पका रोग के लक्षण व बचाव:

रोग है खुरहा, अति विकराल। पशु को मारे मौत अकाल। खुर पका मुंह पका है रे भाई। जिसको कहते लोग लुगाई। जब होता उसका विस्तार। पशु को आता तेज बुखार। विषाणु जनित ये रोग है भाई।
नहीं है जिसकी कोई दवाई। करे न पागुर खाए ना चारा। पशु का बदन सुखाए सारा। नीचे गिर कर उठना पाए। थोड़े दिन में जान गंवाए। पहले चेते अगर किसान। टीकाकरण का रखें ध्यान। रोग निरोधक सरल तरीका। मई-जून में लागे टीका। एफएमडी का टीका करें प्रयोग।
पशु चिकित्सक से लें सहयोग।

लंगड़ियां रोग

रोग लंगड़िया चढ़े बुखार। बछड़ा बछिया होई शिकार। प्रथम बचाव करे जो भाई। सबसे बड़ी है यह चतुराई। मई-जून में टीका लागे।
रोग लंगड़ियां देखके भागे।

रेबीज रोग/ हाइड्रोफोबिया

पागल कुत्ता और सियार। नेवला बंदर ऊंट बिलार। पागल पशु की आदत खास। दांत विषैले नोचे मांस।
अगर कभी ले किसी को काट।
झाड़-फूंक ना जोहे बाट। तुरंत घाव साबुन से धोएं।
उस पर टिंचर दवा लगाएं।
फिर जाए सरकारी अस्पताल।
दवा कराए अपनी तत्काल। कुशल तब जाने अपने जी का।
रेबीज के जब लागे टीका। पाले कुत्ता लगवाएं रेबीज का टीका।
याद रखो यह मंत्र हैै जीवन भर का।

READ MORE :  श्रीमती मेनका संजय गान्धी ने एनिमल वेलफेयर पर प्रकाशित पत्रिका "पशु मित्र" का लोकार्पण किया

कृत्रिम गर्भाधान द्वारा नस्ल सुधार व उन्नत प्रजनन

कृत्रिम गर्भाधान कराएं। पशुपालक अति लाभ उठाएं। रोग रहित यह सरल तरीका। सबसे हितकर सबसे नीका। इच्छित प्रजाति मिले पशु हमको। ।
तब होए खुशहाली मन को। भैंस गाय जब जने बच्चा। अच्छी नस्ल से जब पतियाय। उन्नत प्रजनन जो बहुताई। स्वस्थ पशु हो अधिक कमाई। पशुधन वृद्धि व गोबर पांस। उन,दूध और अंडा मांस। । रहे ना इनका कभी अभाव। घर से बेचे मनमाना भाव। कृषि क्षेत्र का होए विकास। गृह लक्ष्मी तहं करें निवास।

सुरक्षित दूध

दूध पिए कभी न कच्चा। । जो चाहे सेहत की रक्षा। । बिना उबाले करे जो पान। लगे शरीर को रोग महान। गाय भैंस जब दुहने जाए।। गंदे हाथ कभी ना लगाएं। स्वच्छ पात्र में दूध निकाले। दूषित जल ना उसमें डालें। थन धोकर जो करे दुहान। वही है सबसे चतुर किसान। दूध दुह कर, जो थन को धोए।
उस पशु के न थनैला होए। पशु गृह राखें साफ सफाई। मक्खी मच्छर रहे ना भाई।
संकलन एवं संपादन कर्ता-
डॉ संजय कुमार मिश्र
पशु चिकित्सा अधिकारी, चोमूहां, मथुरा( उत्तर प्रदेश)

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON