गाय के A1 और A2 मिल्क में अन्तर

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संकलन -ओमप्रकाश चौधरी ,पशुधन उत्पादन प्रबंधन बिभाग , श्री  कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविधालय ,जोबनेर ,राजस्थान

गाय के A1 और A2 मिल्क में अन्तर

 

दूध में दो प्रकार के प्रोटीन होते हैं:

वेह (whey) प्रोटीन और केसीन (casein) प्रोटीन। केसीन प्रोटीन के भी दो प्रकार हैं। अल्फा केसीन और बीटा केसीन। लेकिन ये बीटा केसीन भी दो रूपों में पाया जाता है। एक A1 मिल्क और दूसरा A2 मिल्क। हालांकि इन दोनों में से कौन सा दूध सबसे ज्यादा अच्छा है इस पर हाल ही में काफी चर्चा हुई और तभी से इस बात को लेकर बहस ने और भी ज़ोर पकड़ लिया है।

A1 मिल्क A1 टाइप की गाय देती हैं और A2 मिल्क A2 किस्म की गाय देती हैं। अगर मेजोरिटी की बात करें तो भारत समेत दुनिया के बाकी देशों में भी A1 दूध को ही पीया जा रहा है क्योंकि A2 दूध की खपत कम होती है। A2 दूध मिलता है देसी गाय से या फिर प्राचीन ब्रीड की गायों से। ऐसी गायों से मिलने वाले दूध को A2 दूध का नाम दिया गया है। ये बेहद सीमित मात्रा में हैं इसलिए इस दूध की उपलब्धता भी बेहद कम है। वहीं इसके विपरीत A1 गाय भारत में सबसे ज्यादा पाई जाती हैं, बाहर के देशों में भी अधिकतर ये ही गाय मिलती हैं, इन्हें हाइब्रिड गाय भी कहा जाता है। चूंकि ये गाय भारी मात्रा में है इसलिए A1 टाइप मिल्क की भी कोई कमी नहीं है।

 

क्यों खास है A2 मिल्क:

दूध में कैल्शियम और प्रोटीन का भंडार होता है और प्रोटीन कई प्रकार के होते हैं उन्हीं में से एक प्रोटीन है  केसीन। जिसकी दूध में मात्रा तकरीबन 80 फीसदी होती है। लेकिन रिसर्च में ये सामने आया है कि देसी गाय जो A2 दूध देती हैं उसमें केसीन प्रोटीन के साथ-साथ एक बेहद ही खास अमीनो एसिड भी निकलता है जिसे हम प्रोलीन (prolin) कहते हैं। माना गया है कि ये प्रोलीन नामक अमीनो एसिड हमारी सेहत के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है। और चूंकि ये केवल A2 मिल्क में ही उपलब्ध है लिहाज़ा A2 दूध A1 मिल्क से ज्यादा अच्छा माना जाता है। सामने आया है कि A2 दूध में मौजूद प्रोलीन हमारी बॉडी में BCM 7 को पहुंचने से रोकता है।

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क्या है BCM 7:

BCM 7 यानि Beta- Casomorphin-7 ये एक ओपीओइड पेप्टाइड (opioid peptide) है। जो ऐसा प्रोटीन है जो हमारी बॉडी में पचता नहीं है। लिहाज़ा ये शरीर में अपच होने का कारण बनता है। यानि इसके शरीर में पहुंचने से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन A2 में मौजूद प्रोलीन इस BCM 7 को हमारे शरीर में पहुंचने से रोकता है। जबकि A1 गाय प्रोलीन नहीं बनाती जिससे  BCM 7 हमारे शरीर में पहुंच जाता है।यहीं कारण है कि A1 दूध का पचना मुश्किल हो जाता है। 

BCM 7 के नुकसान:

  • BCM 7 युक्त दूध से बच्चों में मधुमेह की समस्या बढ़ने की पूरी संभावना है।
  • जांच में पाया गया है कि इस प्रकार के दूध से दिल संबंधी बीमारियों का ख़तरा भी बढ़ जाता है।

 

क्या यह सच है कि देसी गाय A2 टाइप की और विदेशी गाय A1 टाइप की होती हैं?

जीनोमिक स्टडी से पता चला है कि Bos जीनस या वंश जिसमें देशी, विदेशी गाय और याक आते हैं शुरू में A2 A2 टाइप के थे पर अनुवांशिक विलय (जेनेटिक म्यूटेशन) के कारण कुछ जानवरों में A1 टाइप के जीन पैदा हो गए। बाद में जब चयनात्मक प्रजनन या सेलक्टिव ब्रीडिंग शुरू हुई तो अधिक दूध उत्पादन और प्रोटीन के लिए जिन सांडो को चुना गया उनमें अनजाने में उन अनुवांशिक तौर से उन्नत सांडो को चुन लिया गया जिनमें A1 जीन था और उनसे आर्टिफीशियल इनसेमिनेशन की तकनीक की वजह से A1 नस्ल की गायों का उत्पादन तेजी से हुआ। कुछ सर्वेक्षणों में यह भी पता चला है कि A1 और A2 जीन किसी विशेष नस्ल से संबंधित ना होकर क्षेत्र विशेष से जुड़े हैं। जैसे उत्तरी अमेरिका और उत्तरी यूरोप में एचएफ गायों में A1 पाए जाने की संभावना 90% से अधिक है जबकि जर्मन HF में A2 की संभावना 97% से अधिक है। दूसरे देशों की HF में A1 की संभावना 40 से 65% तक होती है। अमेरिका और यूरोप की दूसरी ब्रीड जैसे ग्रुएन्सेय में A2 की संभावना 98 प्रतिशत से भी अधिक होती है लगभग देशी गायों जितनी। जर्सी ब्रीड में A2 की संभावना 80% तक होती है, जबकि हिंदुस्तानी देसी गायों में A2 की संभावना 98% से अधिक है। तो यह तथ्य सही नहीं लगता कि देसी गायों को ज्यादा महिमामंडित किया जाए।

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A2 दूध के लाभ:

यह प्रोटीन केवल देशी गायों में ही पाया जाता है। ए-2 बीटा केसीन प्रोटीन हमारे शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है इसके साथ-साथ दिल की बीमारी के खतरे को भी कम करता है। यह पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है इसलिए ये दूध नवजात शिशु को पिलाया जाता है।

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