गोधन उत्पादन में विटामिनों की उपयोगिता- भाग 1

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*गोधन उत्पादन में विटामिनों की उपयोगिता- भाग 1*

सफल गोधन उत्पादन तभी सम्भव है जब हम अपने गोवंश को उचित पोषण प्रदान करेंगे। गोवंश को विभिन्न पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है जिनमें से विटामिन्स भी एक पोषक तत्व है जो बहुत कम मात्रा में आवश्यक होते हैं मगर इनकी भूमिका बहुत बड़ी होती है।

हर उम्र के गोवंश को विभिन्न विटामिनों की आवश्यकता पड़ती है। विटामिन दो प्रकार के होते हैं…

1. वसा में घुलनशील विटामिन
2. जल में घुलनशील विटामिन

आज हम बात करेंगे *विटामिन ए* की जो वसा में घुलनशील विटामिन है। सभी बड़े गोवंशी पशुओं को हर एक किलोग्राम देहभार के लिए 110 IU विटामिन ए की आवश्यकता होती है जबकि वृद्धिशील गोवंशी पशुओं को कम से कम 80 IU विटामिन ए प्रति किलोग्राम देहभार चाहिए।

इसका अर्थ यह हुआ कि एक लगभग 400 किलोग्राम की गाय को 44000 IU विटामिन ए चाहिए और 50 किलोग्राम के गोवत्स को 4000 IU विटामिन ए चाहिए।

*यह विटामिन ए गोवंशी पशुओं को उपलब्ध कैसे होगा?*

नवजात बछड़े बछड़ियों को यह दूध से मिलेगा। वृद्धिशील पशुओं को काफ स्टार्टर और हरे चारे से मिलेगा और बड़े पशुओं को हरे चारे और रातिब मिश्रण से मिलेगा।

विटामिन ए का सबसे बेहतरीन स्रोत है दलहनी हरा चारा। इसके अलावा रातिब मिश्रण बनाने में प्रयोग की गई पीली मक्का भी इसका अच्छा स्रोत है और रातिब मिश्रण बनाते समय उसमें मिलाया गया उत्तम गुणवत्ता का विटामिन युक्त मिनरल मिक्सचर।

अब आप सोच रहे होंगे कि विटामिन ए तो आंखों के स्वास्थ्य के लिए चाहिए तो गाय भैंसों को कौन सा पढ़ना है?

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बात सही है कि पशुओं को पढ़ना तो नहीं है मगर विटामिन ए और भी तो बहुत से काम करता है।

*विटामिन ए की कमी से होने वाले रोग*

1. विटामिन की कमी होने पर पशु की आंख से निरन्तर पानी आएगा और उसकी आंखे कीचड़ से भरी रहेंगी। आंखों में अल्सर तक हो सकते हैं।
3. विटामिन ए की कमी थोड़ी और बढ़ने पर पशुओं को रात में दिखाई देना बन्द हो जाएगा और बहुत अधिक कमी होने पर वह बिल्कुल अंधा हो जाएगा।
4. छोटे पशुओं में डायरिया हो सकता है, उनकी भूख कम हो सकती है और उनकी बढ़वार कम होगी। यहां तक कि उनके वजन में कमी भी हो सकती है।
5. बड़े पशुओं में प्रजनन क्षमता प्रभावित होगी। गाय या तो हीट में नहीं आएंगी और अगर आई भी तो गर्भधारण नहीं कर पाएंगी। गर्भवती हो भी गई तो बच्चे की बढ़वार सही नहीं होगी और अगर बच्चे की बढ़वार कुछ समय तक हुई भी तो अंत में समय से पहले पैदा हो जाएगा और हो सकता है कि बच्चा मरा हुआ पैदा हो। अगर जिंदा पैदा हो भी गया तो उसमें विटामिन ए की भारी कमी होगी और उसे डायरिया घेरे रहेगा। डायरिया से बच भी गया तो बच्चा अंधा हो जाएगा। बच्चा बाहर आ भी गया तो जेर रुक जाएगी।

*तो करना क्या है?*

करना ये है कि सभी पशुओं को भरपूर मात्रा में हरा चारा खिलाना है। हरे चारे में मौजूद कैरोटीन से पशु के शरीर में विटामिन ए बन जाएगा और जितना उपयोग होना है वह हो जाएगा और अगर फालतू हुआ तो जाकर लीवर में जमा हो जाएगा। जब आप पशु को हरा चारा नहीं खिलाएंगे तो उस समय लीवर से निकलकर काम में आ जाएगा।

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हरा चारा भरपूर ना हो तो रातिब मिश्रण तो देना ही पड़ेगा तो रातिब मिश्रण में मिलाए गए 2 प्रतिशत उत्तम गुणवत्ता के विटामिन खनिज मिश्रण के कारण पर्याप्त विटामिन ए रातिब मिश्रण में पहुंच जाएगा।

*हम बार बार उत्तम गुणवत्ता वाले विटामिन मिनरल मिक्सचर की बात क्यों कर रहे हैं?*

उत्तम गुणवत्ता वाले विटामिन खनिज मिश्रण में विभिन्न खनिज तत्व तो उपस्थित होंगे ही। साथ ही साथ सभी आवश्यक विटामिन भी उसमें उपस्थित होंगे जबकि खराब क्वालिटी वाले मिनरल मिक्सचर में बस खनिज तत्व ही उपस्थित होंगे।

अगर आप पशुओं को रातिब मिश्रण नहीं दे पा रहे हैं तो कम से कम सभी छोटे पशुओं को 25 ग्राम और बड़े पशुओं को 50 ग्राम उत्तम गुणवत्ता का विटामिन खनिज मिश्रण जैसे अग्रीमिन फोर्ट या वीएम आल या फिर मिनफा गोल्ड या कोई अन्य समकक्ष विटामिन खनिज मिश्रण अवश्य दीजिये।

आज के लिए बस इतना ही। कल बात करेंगे किसी अन्य विटामिन की।

क्रमशः

*डॉ संजीव कुमार वर्मा*
*प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)*
*केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ*

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