गोधन उत्पादन में विटामिनों की उपयोगिता- भाग 2
वसा में घुलनशील दूसरा विटामिन है *विटामिन डी*। चारे और दाने में उपस्थित कैल्शियम के अवशोषण में इसकी बहुत बड़ी भूमिका होती है।
अगर गाय में विटामिन डी की कमी हो गई है तो आप उसे कितना भी कैल्शियम खिला लीजिये मगर उसका असर दिखाई नहीं देगा। इसलिए कैल्शियम के साथ साथ विटामिन डी देना भी अति आवश्यक है।
गाभिन पशुओं में गर्भ के तीसरे ट्राइमेस्टर यानि कि बाद के तीन महीनों में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
*पशुओं को विटामिन डी मिलता कहाँ से है?*
पशुओं को विटामिन डी मिलता है हरे चारे और रातिब मिश्रण से। हरे चारों में यह एर्गोकैल्सिफेरोल के रूप में उपस्थित होता है जो पशु के शरीर में जाकर विटामिन डी3 के रूप में बदल कर काम में लाया जाता है।
इसी तरह अच्छी गुणवत्ता वाले विटामिन मिनरल मिक्सचर में यह विटामिन डी3 के ही रूप में मौजूद होता है।
इसके अलावा विटामिन डी मिलता है धूप से। पशुओं की एक विशेषता होती है कि पशुओं का शरीर धूप में कोलेस्ट्रॉल की सहायता से विटामिन डी का निर्माण करता है। अगर गाय को कम से कम पन्द्रह मिनट धूप में रखा जाए तो उनमें विटामिन डी3 बनने लगता है। इसीलिए चरागाहों में चार से पांच घन्टे चरने वाली गायों में इसकी पर्याप्त मात्रा बन जाती है।
पहाड़ों में अक्सर देखा गया है कि जिन पशुओं को अक्सर अंधकार भरे कमरे में रखा जाता है। उन सभी पशुओं में विटामिन डी की भारी कमी होती है। जिसका प्रभाव दूध उत्पादन पर भी देखा जाता है।
*विटामिन डी की कमी के लक्षण क्या होते हैं?*
विटामिन डी की कमी होने पर चूंकि कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण पर प्रभाव पड़ता है इसलिए पशुओं में कैल्शियम की कमी हो जाती है जिससे उनकी हड्डियां टेढ़ी मेढ़ी हो जाती हैं। पशु की भूख कम हो जाती है। जिससे उसकी बढ़वार भी प्रभावित होती है। पशु को सांस लेने में कठिनाई होती है और उसकी सांसे तेज चलती हुई महसूस होती हैं। छोटे पशुओं में इसकी कमी के लक्षण जल्दी दिखाई देते हैं।
गाभिन पशुओं में विटामिन डी की कमी होने पर मृत बच्चा पैदा हो सकता है और अगर जिंदा बच्चा पैदा भी हुआ तो वह टेढ़ा मेढ़ा होगा।
*विटामिन डी की सप्लाई के लिए क्या करें?*
1. पशुओं को रोजाना कम से कम ढाई घण्टा धूप में अवश्य रखें। मगर ध्यान रहे कि गर्मी के मौसम में बहुत तेज धूप होने पर पशुओं को धूप में ना रखें वरना पशु में हीट स्ट्रोक होने के चांस बढ़ जाएंगे। सर्दी के मौसम में चूंकि धूप की तीव्रता ज्यादा नहीं होती तो पशुओं को पांच छह घन्टे भी धूप में रखा जा सकता है।
2. पशुओं को हरा चारा अवश्य उपलब्ध कराएं क्योंकि यही विटामिन डी का बेहतरीन स्रोत है।
3. रातिब मिश्रण में अच्छी गुणवत्ता का विटामिन मिनरल मिक्सचर अवश्य मिलाएं जिसमें प्रति किलोग्राम में कम से कम 1 लाख आई यू विटामिन डी3 मौजूद हो।
4. गाय के बच्चा देने से 21 दिन पहले अगर विटामिन डी3 की 14400 आईयू का इंजेक्शन लगवा दिया जाए तो ब्याने के बाद मिल्क फीवर और जेर रुकने की समस्या उत्पन्न नहीं होगी।
आज के लिए बस इतना ही। कल बात करेंगे किसी अन्य विटामिन की।
क्रमशः
*डॉ संजीव कुमार वर्मा*
*प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)*
*केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ*