रीना कमल1 , पी.सी. चंद्रन2, अमिताभ डे3 , एवं रजनी कुमारी4
1,4 वैज्ञानिक, 2वरिष्ठ वैज्ञानिक, 3प्रधान वैज्ञानिक ,
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी अनुसंधान परिसर, पटना बिहार-800014
आज भारत में मुर्गी पालन एक सुविकसित व्यवसाय के रूप में उभर चूका है। मुर्गी पालन कम समय में अधिक से अधिक पैसे कमाने का व्यवसाय है। इसे छोटे किसान भी गाँव में कर सकते हैं बस उन्हें सही वैज्ञानिक तरीके से पालने की आवश्यकता है।
फार्म के लिए जगह का चयन:-
- जगह समतल हो और कुछ ऊंचाई पर हो, जिससे की बारिश का पानी फार्म में जमा ना हो सके।
- मुख्य सड़क से ज्यादा दूर ना हो जिससे लोगों का और गाड़ी का आना जाना सही रुप से हो सके।
- बिजली और पानी की सुविधा सही रुप से उपलब्ध हो।
- चूजे, दाना, दवाईयाँ, वैक्सीन आदि आसानी से उपलब्ध हो।
- मुर्गी एवं अंडे बेचने के लिए बाजार भी हो।
फार्म के लिए शेड का निर्माण:-
- शेड हमेशा पूर्व -पश्चिम दिशा में होना चाहिए और शेड के जाली वाला साइड उत्तर-होना चाहिए जिससे हवा सही रुप से शेड के अन्दर बह सके और धुप अन्दर ज्यादा ना लगे।
- शेड की चैड़ाई 30-35 फुट और लम्बाई जरुरत के अनुसार आप रख सकते है।
- शेड का फर्श पक्का होना चाहिए।
- शेड के दोनों ओर जाली वाले साइड में दीवार फर्श से मात्र 6 इंच ऊँची होनी चाहिए।
- शेड की छत को सीमेंट के एसबेस्टस या चादर से बनाना चाहिए और बिच-बिच में वेंटिलेशन-के चादर को दोनों साइड के लिए जगह भी होना चाहिए। 3 फीट कट लम्बा रखें जिससे की बारिश के बौछार से शेड ना भिंग जाये।
- शेड की साइड की ऊँचाई फर्श से 8-10 फूट होना चाहिए व बीचोबीच की ऊँचाई फर्श से 14-15 फूट होना चाहिए।
- शेड के अन्दर बिजली के बल्ब, मुर्गी दाना व पानी के बर्तन, पानी की टंकी की उचित व्यवस्था होना चाहिय।
- एक शेड को दुसरे शेड से थोड़ा दूरदूर बनायें। आप चाहें तो एक ही लम्बे शेड को बराबर-भाग में दीवार बना कर भी बाँट सकते हैं।
- फार्म में छोटे पेड़ जैसे शहतूत, मौसमी, अमरुद आदि छाया के लिए लगाने चाहिए।
चूजा चयनः–
- मुर्गी पालन का मुख्य आधार अच्छी नस्ल के चूजे के चुनाव से शुरु होता है, क्योंकि चूजे ही बड़े होकर आय का स्रोत बनते हैं। अतः अधिक आय के लिए चूजों का पालन ध्यानपूर्वक एवं वैज्ञानिक ढंग से ही करना चाहिए।
- स्वस्थ एवं उचित वजन वाले अण्डे से उत्पन्न चूजें खरीदें।
- चूजे साफ-सुथरे तथा रोएंदार होने चाहिए।
- चूजों की आँखों मे चमक होना चाहिए।
- चूजे के मल-मुत्र के द्वार खुले होने चाहिए।
- चूजे के पैर तैलीय (मोमी) होने चाहिए।
- टेढ़े पैर, गड़बड़ आंखे या चोंच वाले चूजों का छांटकर हटा देना चाहिए।
- संक्रामक रोगो के रोकथाम के टीके लगाये गयें हो, जैसे-रानीखेत, मारेक्स आदि गम्बोरो रोग रहित चूजे खरीदें।
- एक दिन के चूजे का भार कम से कम 27-28 ग्राम हो तथा सौ चूजों का औसत भार 87 किलोग्राम हो।
- चूजे हमेशा विश्वसनीय हैचरी से लेनी चाहिए, जिनके चूजे भारत सरकार द्वारा किए गए रैन्डम सैम्पल परीक्षण पर खरे उतरे हों।
स्टॉक का चयन मांस के लिएः-
ब्रायलर मुर्गी का पालन मांस के लिए किया जाता है। ब्रायलर प्रजाति के मुर्गा या मुर्गी अंडे से निकलने के बाद 40 ग्राम के होते हैं जो सही प्रकार से दाना खिलाने के बाद 5 हफ्ते में लगभग 1.5-1.7 कि.ग्रा. के हो जाते हैं। आर्थिक आमदनी के लिए, यह ध्यान देना होगा कि, स्टॉक अपने खुराक का इष्टतम उपयोग कर संके, शरीर का भार 5 सप्ताह में कम से कम 1.5-1.8 कि.ग्रा. हो जाना चाहिए और उसका मांस मुलायम और स्वादिष्ट हो।
- भारत में कमर्शियल ब्रायलर नस्ल के प्रकार– केरिब्रो, कृषिब्रो, कलर ब्रायलर, हाई ब्रो, वेंकोब्ब, अरबर एकर, रानी शेवर, पूना पल्र्स, व्हाइट कोर्निश, व्हाइट रॉक आदि
- दोहरी उपयोगिता वाला ब्रायलर नस्ल के प्रकार-कूराॅयलर ड्यूअल, रोड आइलैंडरेड, वनराजा, ग्राम प्रिया आदि।
- अधिक अंडा देने वाली– व्हाइट लेग हार्न, मिनार्का, बी.भी. 300 आदि।
- बैकयार्ड फार्मिग के लिएः– वनराजा, ग्रामप्रिया, ग्रामलक्ष्मी, निर्भीक इत्यादि कम लागत लगाकर घर के पिछवाडे़ में पालने हेतु का विकास कुकुट अनुसंधान निदेशालय हैदराबाद, द्वारा किया गया है।
चूजा दिनचर्या प्रबंधनः-
- चूजे आने के 7-8 दिन पहले ही शेड का अच्छे से साफ करें। सबसे पहले मकड़ी के जालों को अच्छे से हटा दें उसके बाद ही नीचे की सफाई करें। उसके बाद फर्श का अच्छे से धोएं और चुनें से पोताई करें।
- उसके बाद शेड के बाहर और अन्दर 3 प्रतिशत फोर्मलिन या किसी अच्छे कीटाणुनाशक का स्प्रे करें तथा दोनों जाली वाले साइड से परदों को ढक दें।
- चुजें आने के 1-2 दिन पहले फर्श पर 3-4 इंच तक बुरादे या लिटर की मोटी परत बिछाएं। लिटर सुखा होना चाहिए।
- चूजे आने के 24 घंटे पहले टिन की चादर से गोलाकार घर बनायें जिसका डाया-मीटर 250 चूजों के लिए 3 मीटर होना चाहिए ।
- उस गोलाकार घर के अन्दर बुरादे के ऊपर अखबार या पेपर की दो परतें बिछाएं।
- चूजे आने के 24 घंटे पहले दोनों ओर के पर्दो को गिराकर शेड को पूरी तरह से बंद कर दें और शेड के अन्दर बल्ब या ब्रुडर को चालू कर दें जिससे की चूजों कों आते ही सही तापमान (75˚F) मिले।
- चूजों को जितना जल्दी हो सके चिक्स बॉक्स से निकालें ज्यादा देर होने पर चूजों को निर्जलीकरण भी हो सकता है और चूजे मर भी सकते हैं। इसलिय चूजों को छोड़ने के बाद कुछ देर तक उन्हें पानी पीने के लिए दें।
- साथ ही उसी समय पानी के बर्तनों में पानी भर के ब्रूडर के पास रखें। पानी में इलेक्ट्रोलाइट पाउडर या ग्लूकोज मिला कर दें। पहले दिन पानी के अलावा 5 मि. ली. विटामिन ए., डी.-3 एवं बी.-12 तथा 20 मि.ली. बी काम्प्लेक्स प्रति 100 चूजों के हिसाब से दें। इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज दूसरे दिन से ना दें। बाकी दवा सात दिनों तक दें। वैसे बी-काम्प्लेक्स या कैल्सियम युक्त दवा 10 मि.ली. प्रति 100 मुर्गियों के हिसाब से हमेशा दे सकते हैं।
- जब चूजे पानी पी लें तो उसके 5-6 घंटे बाद अखबार पर सूजी, महीन मकई का दर्रा छीट दें, चूजे इसे खाना शुरु कर देंगे। इस दर्रे को 12 घंटे तक खाने के लिए देना चाहिए।
- तीसरे दिन से फीडर में प्री-स्टार्टर दाना दें। दाना फीडर में देने के साथ – साथ अखबार पर भी छीटें। प्री-स्टार्टर दाना 7 दिनों तक दें। चैथे या पाँचवें दिन से दाना केवल फीडर में ही दें। अखबार पर न छीटें।
- छोटे व कमजोर चूजों को अच्छे चूजों से अलग रखें और उनका दाना पानी भी अलग से उनकों दें। ऐसा इसलिए क्योँकि कमजोर चूजे जब अन्य चूजों के साथ खाना खाते हैं या पानी पीते हैं तो तंदरुस्त चूजे कमजोर को कुचल देते हैं और वो मर जाते हैं। पर अगर आपको कुछ चूजों में किसी प्रकार की बीमारी का पता चलता है तो उन्हें उसी समय दुसरे स्वस्थ चूजों से तुरंत दूर रखें।
- चूजों के सही रुप से विकास के लिए उचित दवाइयाँ और टीकाकरण करना बहुत ही आवश्यक है।
- शेड के अन्दर बुरादे या लिटर से अमोनिया उत्पन्न होने से रोकने के लिए हर हफ्ते एक-दो बार लिटर में 1 किलोग्राम प्रति 20 वर्गफूट चुना छिड़क कर बुरादा/लिटर को खोद कर उलट-पुलट करें। इससे लिटर सुखा रहता है और अमोनिया उत्पन्न नहीं हो पाता।
- शुरु के दिनों में विछाली (लीटर) को रोजना साफ करें। पानी बरतन रखने की जगह हमेशा बदलते रहें।
- पानी को साफ रखने के लिए प्रति 1000 लिटर पानी में 6 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर और 1 ग्राम पोटैशियम परमैंगनेट मिलाएं।
- टीकाकरण के 3 दिन पहले और 3 दिन बाद किसी भी प्रकार के एंटीबायोटिक का उपयोग ना करें इससे वैक्सीन की शक्ति नस्ट हो जाती है। साथ ही 1 दिन पहले और 1 दिन बाद पानी में किसी भी प्रकार का सेनिटाइजर या ब्लीचिंग पाउडर ना मिलाएं। टीकाकरण के पहले व् बाद अन्तिस्त्रेस (Antistress), विटामिन जैसे बी-काम्प्लेक्स, ल्य्सिन (lysine) विटामिन को दें।
- चूजों में किसी भी प्रकार की स्वस्थ सम्बन्धी असुविधा होने पर तुरंत अपने नजदीकी विशेषज्ञ से सलाह लें।
ब्रूडिंगः-
फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता हैं। कुक्कुट के जीवन का प्रथम 4 सप्ताह का समय ब्रूडिंग काल कहलाता है। चूजों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रुडिंग सबसे ज्यादा आवश्यक है। ब्रूडिंग काल के दौरान चूजों का लालन-पालन दो तरीको से किया जा सकता है, प्राकृतिक एवं कृत्रिम तरीका। प्राकृतिक तरीके में देशी मुर्गियों द्वारा या भारी शरीर वाले विदेशी कुड़क होने वाली मुर्गियों के द्वारा चूजो का लालन-पालन कराया जाता है। कृत्रिम तरीको में चूजो का लालन-पालन बिना मुर्गियों के करवाया जाता है। इस ढंग से कृ़ित्रम प्रकार से चूजो के लालन -पालन के लिए आवश्यक परिस्तीथियाँ पैदा की जाती है तथा इस काल में चूजों को जहाँ रखा जाता है उस भवन को ब्रूडर हाउस कहते हैं। इसमें चूजो को चार सप्ताह तक रखा जाता हैं।
छोटे चूजों को लगभग पूरे वर्ष गर्मी की जरुरत होती है विशेषकर सर्दियों में तो उन्हें अतिरिक्त गर्मी की जरुरत पड़ती है। तापमान बिजली के माध्यम (हिटर, बल्ब या इंफ्रारेड लैंप आदि) से दिया जाता है। इस तापमान के लिए प्रति बच्चा 3 वाट बिजली की जरुरत होती है, जिसके लिए 100 वाॅट के बल्ब जलाएँ या हिटर लगाएँ। आमतौर पर 16 से 20 चूजों के लिए एक वर्ग मीटर ब्रूडर स्पेस की जरुरत होती है।
सही गर्मी का पता लगाने के लिए थर्मामीटर का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो कि लिटर से 2 इंच ऊपर ब्रूडर की टांग में लगाया जा सकता हैं। पर यह इतना सुविधाजनक नहीं हैं।
- बहुत कम तापमान होने पर चूजे ब्रूडर हाउस में ताप के निकट केंदिªत होकर एकत्र हो सकते हैं।
- अत्याधिक ताप मात्रा होने पर चूजें गर्मी से बचाव हेतू ब्रुडर के किनारे झुण्ड में एकत्रित हो जाते हैं।
- समान तापमात्रा होने पर चूजे ब्रुडर हाउस में चारों ओर फैले हुए रहते हैं। अतः चूजों के पालने में तापमान पर विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।
ब्रूडिंग कई प्रकार से किया जाता है-
बिजली के बल्ब से या गैस ब्रूडर से: बिजली के बल्ब द्वारा ब्रूडिंगः-इस प्रकार के ब्रूडिंग के लिए आपको नियमित रुप से बिजली की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में प्रति चूजे को 1 वाट की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों के महीने में प्रति चूजे को 2 वाट की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में 4-5 दिन ब्रूडिंग किया जाता है और सर्दियों के महीने में ब्रूडिंग 12-15 दिन तक करना आवश्यक होता है। चूजों के पहले हफ्ते में ब्रूडर को लिटर से 6 इंच ऊपर रखें और दुसरे हफ्ते 10 से 12 इंच ऊपर।
गैस ब्रूडर द्वारा ब्रूडिंगः-जरुरत और क्षमता के अनुसार बाजार में गैस ब्रूडर उपलब्ध हैं जैसे की 1000-2000 क्षमता वाले ब्रूडर। गैस ब्रूडर ब्रूडिंग का सबसे अच्छा तरिका है इससे शेड को अन्दर का तापमान एक समान रहता है।
छोटे चूजों का लगभग पूरे वर्ष गर्मी की जरुरत होती है विशेषकर सर्दियों में तो उन्हें अतिरिक्त गर्मी की जरुरत होती है। उम्र के हिसाब से तापमान की जरुरत निम्न प्रकार होती है।
उम्र (सप्ताह) | मानक तापक्रम (डिग्री फारेनहाइट में) |
प्रथम | 95 |
द्वितीय | 90 |
तृतीय | 85 |
चतुर्थ | 80 |
पंचम | 75 |
षष्ठम | 70 |
दाने और पानी के बर्तनों की जानकारीः-
- प्रत्येक 100 चूजों के लिए कम से कम 3 पानी और 3 दाने के बर्तन होना बहुत ही आवश्यक है।
- दाने और पानी के बर्तन आप मैन्युअल या आटोमेटिक किसी भी प्रकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। मैन्युअल बर्तन साफ करने में आसान होते हैं लेकिन पानी देने में थोड़ा कठिनाई होती है पर ओटेमेटिक वाले बर्तनों में पाइप सिस्टम होता है जिससे टंकी का पानी सीधे पानी के बर्तन में भर जाता है।
अवस्था(दिन) | दाना उपभोग प्रति मुर्गी प्रति दिन(ग्राम) | |
अण्डे देने वाली मुर्गी (ग्राम) | ब्रायलर (ग्राम) | |
0-15 | 15 | 15 |
15-30 | 30 | 20 |
30-45 | 40 | 60 |
45-60 | 60 | 80 |
60-90 | 70 | |
90-120 | 80 | |
120-160 | 90 | |
160-190 | 100-120 |
बुरादा या लिटरः-
- बुरादा या लिटर के लिए आप लकड़ी का पाउडर, मूंगफली का छिल्का या धान का छिल्का का उपयोग कर सकते हैं।
- चूजे आने से पहले लिटर की 3-4 इंच मोटी परत फर्श पर बिछाना आवश्यक है। लिटर पूरा नया होना चाहिए एवं उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो।
जगह की आवश्यकता
प्रकार | उम्र(हफ्ते में) | डीप लिटिर (फीट2) | पिंजरा (फीट2) |
अंडे देने वाली मुर्गी | 0-8 | 0.60 | 0.30 |
9-18 | 1.25 | 0.50 | |
˃18 | 1.50 | 0.65 | |
मंास वाली मुर्गी | 0-3 | 0.50 | |
4-6 | 1.00 |
लाइट या रोशनी का प्रबंधः-
- चूजों को 23 घंटे लाइट देना चाहिए और एक घंटे के लिए लाइट बंद करना चाहिए, ताकि चूजे अंधेरा होने पर भी ना डरें। पहले 2 सप्ताह रोशनी में कमी नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे चूजे स्ट्रेस फ्री रहते हैं और दाना पानी अच्छे से खाते हैं। शेड के रौशनी को धीरे-धीरे कम करते जाना चाहिए। 24 सप्ताह के उम्र से 16 घंटा रौशनी और 8 घंटे अंधकार देना चाहिए।
बायोसिक्युरिटीः-
- चूजों के दाना का साफ सूखे स्थान पर रखें क्योंकि यह खुला और पुराना हो जाने पर दाने में फफून लग जाते हैं जो चूजों के स्वास्थ के लिए खराब होता हैं।
- बाहर के व्यक्तियों को फार्म तथा शेड के पास न जाने दें इससे फार्म मे बाहर से इन्फेक्शन आने का खतरा बढ़ता है।
- शेड के बाहर तथा अन्दर महीने में 3-4 बार चुने का छिड़काव करें।
- मुर्गी डीलर के गाड़ी को शेड से दूर रोकें। पास ले जाने पर दुसरे फार्म के इन्फेक्शन से फार्म में इन्फेक्शन आने का खतरा होता है।
- कुत्ते, बिल्ली , चूहे और बाहरी पक्षियों को फार्म के भीतर ना जाने दें।
- फार्म के शेड के अन्दर घुसने से पहले अपने रबर के जूतों को पहनें और पहन कर 3 प्रतिशत फोर्मलिन मे डूबा कर अन्दर घूसें।
- एक शेड से दुसरे शेड में जाने से पहले अपने रबर के जूतों को दोबारा 3 प्रतिशत फोर्मलिन में डुबायें या प्रति शेड के लिए अलग-अलग जूतों का इस्तेमाल करें तथा हांथों को साबून से अच्छे से धोएं।
- एक ही शेड में उसके क्षमता के अनुसार ही चूजे रखें। इससे बीमारियाँ बढ़ती हैं और साफ सफाई में मुश्किल होती है।
- चूजों के बिेक्री के बाद शेड के लिटर को शेड के पास ना फेकें उन्हें कहीं दूर बड़े गढ़े खुदवा कर गड़ा दें।
- मुर्गी पालन करने वालों के लिए आवश्यक है कि तापमान की तेजी एवं सर्दियों की ठंड से मुर्गियों को बचाया जाए, क्योंकि मौसमी उतारचढ़ाव से इनकी मृत्यु दर बढ़ सकती है। मुर्गियों में अधिक मृत्यु दर होने से मुर्गीपालकों को भारी वित्तीय हानि उठानी पड़ सकती है। गर्मी एवं सर्दियों के मौसम में थोड़ी सावधानी से मुर्गियों को तेज गर्मी एवं सर्दियों के प्रकोप से बचाया जा सकता है।
सर्दियों के मौसम में चूजों का प्रबंधनः-
- सर्दियों के महीने में चूजों की डिलीवरी सुबह के समय कराएँ, शाम या रात को बिलकुल नहीं क्योंकि शाम के समय ठण्ड बढ़ती चली जाती है।
- शेड के परदे चूजों के आने के 24 घंटे पहले से ही ढक कर रखें।
- चूजों के आने के कम से कम 2-4 घंटे पहले ब्रूडर व्छ किया हुआ होना चाहिए।
- पानी पहले से ही ब्रूडर के नीचे रखें इससे पानी भी थोड़ा गर्म हो जायेगा।
- अगर ठण्ड ज्यादा हो तो ब्रूडर को कुछ समय के हवा निरोधी भी आप बना सकते हैं,किसी भी पोलिथीन से छोटे गोल शेड का ढक कर।
गर्मियों के महीने में चूजों का प्रबंधनः-
- चूजों के फार्म पर पहुँचते ही इलेक्ट्रोलाइट पाउडर वाला पानी पिलायें। चूजों को 5-6घंटे तक यही पानी पीने को दें।
- पानी के बर्तन उचित संख्या में लगायें 100 चूजों के लिए 3-4 बर्तन।
- 6-8 घंटे तक मात्र मक्के का दलिया दें।
- दिन के समय ब्रूडिंग ना करें।
- बुरादे मे मोटाई 5-2इंच रखें।
- शेड में टमदजपसंजपवद सही होना चाहिए। पर्दो को दिन-रात दोनों समय खुला रखें।
- संभव हो सके तो छत पर स्प्रिंकलर लगायें या भूसा के नाड़े छत पर बिछाएं।
- गर्मि से उत्पन्न होने वाले स्ट्रेस को कम करने के लिए विटामिन ब् पानी में दें।
- मुर्गियों को 1-1.5 किलो होते ही बिेक्री शुरु कर दें।
- 750 ग्र्राम से ऊपर वाले मुर्गियों को सुबह 10बजे से शाम के 5 बजे तक दाना न दें या फीडर को ऊपर उठा दें।
- वयस्क मुर्गियों को गर्मी में अधिक परेशानी होती है। गर्मी बढ़ने पर चूजों को बाड़े में ही रखें और खिड़की को पर्दे से आघा ढक दें, जिससे सीधी धूप से बचाव हो सके और हवा का संचरण भी बना रहे।
- अंडे देने वाली मुर्गियों में तापमान सहने की क्षमता मांस के लिए पाली (लेयर) की तुलना में अधिक होती है। (ब्रायलर) जाने वाली मुर्गियों तापमान ऊपर जाने की स्थिति में मुर्गियों के पानी में एलेक्ट्रल एनर्जी मिला दें।
- मुर्गियों के शेड में जरुरत से अधिक मुर्गियां रखना हानिकारक होता है। मुर्गियों के शेड में अधिक भीड़ होने से गर्मी बढ़ेगी और मुर्गियों में हीट स्टाªेक का अंदेशा बढ़ेगा।
- गर्मियों में पानी के बर्तनों की संख्या बढ़ा दें, क्योंकि गर्मी के मौसम में मुर्गियां पानी के बर्तन के चारों ओर बैठ जाती है जिससे दूसरी मुर्गियों को पानी नही मिल पाती है। पानी के बर्तनों की संख्या बढ़ाने के साथ ही यह भी ध्यान रखें कि धातु के बर्तन में पानी जल्दी गर्म हो जाता है और आमतौर पर मुर्गियां गर्म पानी नहीं पीती हैं। इसलिए अगर धातु के बर्तन में पानी रखा है, तो थोड़ी-थोड़ी देर मे उसमें ताजा पानी भरते रहें। अगर हो सके तो मिट्टी के बर्तन में पानी रखें।
- इसके अलावा, मुर्गी के शेड की छत गर्मी कम करने के लिए छत पर पुआल या घास आदि डाल दें और छत पर सफेदी करा दें। सफेद रंग ऊष्मा को कम सोखता है, जिससे छत ठंडी रहती है। आधुनिक मुर्गी फार्म में गर्मी से बचाव के लिए स्प्रिंकलर या फाॅगर प्रणाली भी लगी होती है, जिससे पानी की फुहारें निकलती रहती हैं। स्प्रिंकलर के साथ पंखे भी जरुर लगे होने चाहिए और कमरे की खिड़की भी खुली होनी चाहिए, जिससे कमरा हवादार और ठंडा रहेगा।
- मुर्गीपालक शेड की खिड़कियों पर तेज के समय टाट को गीला करके लटका देते हैं। उनका कहना है कि यह गर्मी रोकने के लिए अच्छा उपाय है, लेकिन इसमें ध्यान रखें कि टाट खिड़की की जाली से पूरी तरह चिपकी न हो, टाट और खिड़की की जाली में करीब एक से डेढ़ फीट की दूरी हो। इससे हवा का संचरण भी बना रहेगा और गीले टाट से हवा ठंडी भी रहेगी।
- इसके अलावा, मुर्गियों को दिए जाने वाले दाने को गीला कर सकते हैं। गीला दाना ठंडा होगा जिसका मुर्गियों ज्यादा सेवन करेगी। परंतु ध्यान रखें कि गीला किया दाना शाम तक खत्म हो जाए वर्णा उसमें बदबू आ सकती है। दाने की बोरी को कभी भी गीला न करें।
- मुर्गी में गर्मी लगने के लक्षण दिखाई दें, तो उसे एलेक्ट्रल एनर्जी पानी में मिलाकर पिलायें। यह प्रक्रिया तुंरत की जानी आवश्यक है। देर होने पर मुर्गी मर सकती है।
- व्अमतबतवूकपदह ना करें, हो सके तो शेड के क्षमता से 20 प्रतिशत कम मुर्गियां रखें।
बारिश के महीने मे चूजों का प्रबंधनः-
- चूजों के फार्म पर पहुँचते ही इलेक्टाªेलाइट पाउडर$पोटेशियम परमैंगनेट वाला पानी पिलायें। चूजों को 5-6 घंटे तक यही पानी पीने को दें उसके बाद 6-8 घंटे मक्के का दलिया और उसके बाद प्री स्टार्टर दें।
- मौसम के अनुसार ब्रूडर का उचित तापमान रखें।
- शेड में टमदजपसंजपवद सही होना चाहिए। पर्दो को दिन-रात दोनों समय खुला रखें अगर बारिश ज्यादा हो तो ढक दें।
- शेड के अन्दर पानी जमा होने ना दें।
- बुरादे की मोटाई 2-3 इंच रखें।
- बारिश के महीने में शेड के अन्दर आना-जाना कम करें।
बीमारी से बचावः-
- बीमार मुर्गी को हटाना।
- रानीखेत और चेचक का टीका समय पर दिलवा देना चाहिए।
- मुर्गियों को माह में एक बार कीटनाशक दवा पिलानी चाहिए जिससे आन्तरिक कृमि का प्रकोप न हो सके।
- मुर्गी के घर को प्रतिदिन साफ रखें एवं खाने एवं पीने का बर्तन साफ रखें।
- घर के अन्दर दो-तीन माह में एक बार कीटनाशक दवा का छिड़काव करना अथवा कीटनाशक चूर्ण पंखों में लगाना, ताकि ढील इत्यादि का प्रकोप न हों।
- मरी हुई मुर्गी को तुरन्त हटाना तथा प्रक्षेत्र से दूर जाकर जमीन मे गाढ़ना या जला देना चाहिए।
- जगंली जानवर, बिल्ली, चूहा, साॅप, कुत्ता इत्यादि हिंसक पशुओं एवं पक्षियों से बचाव रखना चाहिए।
- बाहर के आदमी को मुर्गी के घर में बिना पैर को साफ किए हुए प्रवेश नहीं करने देना चाहिए। इसके लिए मुर्गी घर के भीतर जाने के रास्ते में एक ढाई फीट लम्बा, एक फीट चौड़ा तथा 2-3 इंच गहरा एक हौज होना चाहिए, जिसमें फिनाइल मिला पानी हों। घर के अन्दर प्रवेश करने के पहले इसी हौज में पैर या जूता को साफ कर देना चाहिएं।
टीकाकरण अनुसूचीः-
उम्र | टीका | माध्यम |
पहला दिन | मरेक्स | 0.2 मी. ली. चमड़े में |
5 वां दिन | रानीखेत/लसोता/एफ.स्ट्रेन | एक बुन्द आँख में |
14 वां दिन | गम्बोरो | एक बुन्द पीने के पानी में |
28 वां दिन | लसोता/ रानीखेत/एफ.स्ट्रेन | एक बुन्द आँख में |
42 वां दिन | पॉक्स | 0.2 मी. ली. मांस में |
93 वां दिन | आर2. बी./ आर. डी. | 0.50 मी. ली. चमड़े में |
इलाज:
रोकथाम | उम्र | दवा |
अन्तिस्ट्रेरस | पहला दिन | इलेक्ट्रोलाइट पानी में |
चूजों को मरने से रोकने के लिए | 1-5 वे दिन | अन्तिस्ट्रेरस पानी में |
अतः वैज्ञानिक पöति से पालने पर व्यावसायिक स्तर पर इसमें काफी फायदा है साथ ही साथ मजदूरी में भी बचत है।