गौमाता
डॉ कुमार वर्मा
बृज की जिन कच्ची गलियों में
राधा कृष्ण मिला करते थे
आज उन्हीं पक्की सड़कों पे
गाय पूछतीं कृष्ण कहाँ हो?
यहाँ कृष्ण हैं वहाँ कृष्ण हैं
हर कण हर माटी में हैं
सभी शहर में सभी गांव में
सभी गली चौपाटी में हैं
मधुर बाँसुरी कान गूंजती
व्याकुल हैं सब सारी गायें
कहाँ गए सब ग्वाल ढूंढ़ती
कहाँ मिलें हम कैसे पायें?
मथुरा से काशी नगरी तक
उज्जैनी से गाँव शहर तक
हर चौराहे खेत बाग सब
घूम घूम हैं खोजा करती
कृष्णवियोगी खुली सड़क पे
उन्हें याद कर रंभाती हूँ
और गाड़ियों के शोरों में
हॉर्न बाँसुरी भ्रम पाती हूँ
मर जाने की भुला के चिंता
तनविस्मृत तल्लीन मग्न हो
बीच सड़क जाने अनजाने
बिन कारण मारी जाती हूँ
दूध दही को अमृत कहते
और इसी गाय से पाते हो
और हमें गौमाता कह कर
हम को सड़क दिखाते हो
खुद दिल में श्रीकृष्ण बसा के
घर घर मंदिर बनवाते हो
किन्तु हमें घर बाहर कर के
क्यों हम से खोज कराते हो?
गीता सा उपदेश कृष्ण का
अर्जुन बन कर अमल करो
घर की शोभा है पशुओं से
गलत प्रथा को विफल करो।