भारत मे गिन्नी फ़ाउल पालन – छोटे किसानों के लिए वरदान

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भारत मे गिन्नी फ़ाउल पालन – छोटे किसानों के लिए वरदान / चकोर पालन / Guinea Fowl farming in India

गिन्नी मुर्गी जिसे चकोर भी कहा जाता है,भारत मे अफ्रीका के गिनिया द्वीप से आई , अफ्रीका मे इसका पालन बहुत बड़े पैमाने पर किया जाता है। चकोर पालन भारत मे पिछले 10-15 सालों से बहुत तेजी से बढ़ा है, क्यूंकी भारत मे बढ़ते पोल्ट्री फ़ीड के दाम से परेशान होकर बहोत सारे किसानों ने पारंपरिक मुर्गी पालन को छोड़ रहे है,ऐसे मे चकोर पालन छोटे किसानों के लिए अपार संभावनाएं लेके आया है, क्यूंकी गिन्नी फ़ाउल एक जंगली मुर्गी है जिसकी रोग प्रतिरोधक छमता बहोत ही ज्यादा है जिसकी वजह से इसमे कोई बीमारी देखने को नहीं मिलती है सिर्फ इतना ही नही गिन्नी मुर्गी मे ऐसी की खूबिया है जिनके वजह से भारत मे गिन्नी मुर्गी पालन का प्रचलन बहोत तेजी से बढ़ रहा है। तो चलिए आपको गिन्नी मुर्गी पालन की प्रमुख विशेषताओ के बारे मे बताते है |

  1. गिन्नी फ़ाउल एक जंगली प्रजाति का मुर्गा/मुर्गी है, जिसकी वजह से इसकी रोग प्रतिरोधक छमता बहोत ज्यादा है जिसकी वजह से ये जल्दी बीमार नहीं पड़ता मौसम चाहे जो भी हो सर्दी गर्मी या बरसात इसे कोई बीमारी नहीं लगती |
  2. गिन्नी फ़ाउल की दूसरी सबसे बड़ी खूबी यह है की गिन्नी फ़ाउल जिस भी फार्म पर यह रहता है फार्म के आस पास ये सांप ,मेढक ,दीमक कीड़े मकोड़े आदि को बड़े ही चाव से खा जाता है,जिसकी वजह से फसलों मे लगने वाले कीड़े लकड़ियों मे लगने वाले दीमक आदि से फसल की सुरक्षा होती है और फार्म के आस पास सांप आदि भी नहीं इसके डर से नहीं आते |
  3. चकोर मुर्गी पालन या गिन्नी मुर्गी पालन की तीसरी विशेषता की बात करे तो गिन्नी मुर्गी को लो इनवेस्टमेंट बर्ड कहा जाता है क्यूंकी पूरी दुनिया मे जितने भी प्रकार के पॉल्ट्री बर्ड पाए जाते है उन सब मे से गिन्नी मुर्गी पालन मे सबसे काम खर्च होता है।
  4. गिन्नी फ़ाउल की चौथी विशेषता की बात करे तो गिन्नी मुर्गी के पोल्ट्री सेड पर आपको एक्स्ट्रा खर्च करने की जरूरत नहीं होती, इसके लिए आप किसी भी तरह का पोल्ट्री सेड बना सकते है कम से खर्च मे चाहे वो घास फूस का छप्पर हो या सीमेंट की सेड क्यूंकी इसके अंदर आपको लीटर बिछाने की भी जरूरत नहीं होती जैसा की ब्रोयलर मुर्गी पालन मे होता है |
  5. गिन्नी फाउल मुर्गी पालन की अगली विशेता ये है की एक तरफ अगर आप ब्रॉयलर या देशी मुर्गी का पालन करते है तो आपको कम से कम 20 दिनों तक उसकी ब्रूडींग आपको करनी पड़ती है जब की अगर आपको गिन्नी मुर्गी का पालन करते है तो आपको इसकी ब्रूडींग पर समय और पैसा खर्च नहीं करना पडता हैं ।
  6.  गिन्नी मुर्गी का अंडा अन्य मुर्गियों की अपेक्षा लगभग तीन गुना ज्यादा मोटी खोल वाला होता है जिसके वजह से ये सामान्य तापमान पर भी कम से कम 20 दिनों तक ये खराब नहीं होता।
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गिन्नी मुर्गी यानि की चकोर पालन छोटे किसानों के लिए क्यों फायदेमंद है?

छोटे और सीमांत किसान जिनके पास जगह की काफी कमी है और पॉल्ट्री फ़ार्मिंग करना चाहते है लेकिन ये व्यवसाय करने के लिए उनके पास पर्याप्त जगह और पूंजी नहीं है, गिन्नी मुर्गी पालन उनके लिए अपार संभावनाओ से भरा है क्यूंकी गिन्नी मुर्गी पालन के लिए एकमुस्त बहोत बड़ी रकम की जरूरत नहीं पड़ती जैसा की किसी भी रोजगार को शुरू करने के लिए चाहिए।

अगर उनके पास पॉल्ट्री शेड बनाने के लिए भी जगह नहीं है तो भी वो घास के छप्पर मे या अपने घर से ही कम से 20 -25 मुर्गियों से गिन्नी मुर्गी का पालन कर सकते है और बाद मे उन्ही मुर्गियों के अंडों से मुर्गियों की संख्या को बढ़ा भी सकते है

अब बात करते है गिन्नी मुर्गियों की कितनी प्रजातिया पाई जाती है?

गिन्नी मुर्गी की मुख्य रूप से तीन प्रजातीय पाई जाती है –

1-कादंबरी    2-चितम्बरी     3-स्वेताम्बरी

गिन्नी फाउल का पालन अंडे और मीट दोनों के लिए किया जाता है, इसके माँस मे बहुत ज्यादा मात्रा मे प्रोटीन पाया जाता है और इसमे वसा और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत ही कम पाई जाती है, जिसके वजह से स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों को इसका मांस बहोत भाता है।

गिन्नी मुर्गी एक साल मे 90 से 110 अंडे तक देती है इसके अंडे देने का समय अप्रैल महीने के पहले सप्ताह से लेकर अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक होता है | गिनी फाउल एक अंडे का वजन 38 ग्राम से लेकर 40 ग्राम तक होता है और इसकी मुर्गी लगभग सात महीने के बाद अंडे देना सुरू कर देती है।

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गिन्नी मुर्गे के वजन की बात करे तो 120 दिनों के बाद गिन्नी मुर्गे का वजन लगभग 1000 ग्राम से लेकर 1200 ग्राम तक होता है यह इस पर भी निर्भर करता है की आप गिन्नी मुर्गे का भोजन प्रबंधन कैसे कर रहे है।

कैसे शुरू करे गिन्नी मुर्गी पालन?

जिन किसान भाइयों को कम लागत मे गिन्नी मुर्गी पालन करना है जिसमे की वो सफल हो तो उनको केन्द्रिय पक्षी अनुसंधान बरेली मे सर्वप्रथम इसकी ट्रेनिंग लेनी चाहिए, उसके बाद ही उनको गिन्नी मुर्गी पालन का कार्य शुरू करना चाहिए,जिससे की उनको निश्चित सफलता मिले और वही पर उनको गिन्नी मुर्गे के चूजे भी कम दाम मे उपलब्ध हो जाएंगे |

 

गिनी फाउल पक्षी को कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाला पक्षी माना जाता है, क्योंकि इसके पालन और देखरेख में काफी कम खर्च आता है।हमारे देश में अंडे और मांस का व्यापार दिनोंदिन काफी बढ़ रहा है। ऐसे में किसान मुर्गे और बकरे का पालन करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। हालांकि ऐसे कई और भी प्रजातियां हैं जो किसानों को इससे भी अधिक मुनाफा देती हैं- उनमें गिनी फाउल पालन (guinea fowl farming) एक है। इसे गांवों में आम भाषा में चकोर मुर्गी पालन भी कहते हैं। गिनी फाउल (guinea fowl) एक विदेशी पक्षी है। यह मूल रूप से अफ्रीका गिनिया द्वीप की रहने वाली पक्षी है, इसीलिए इसे गिनी फाउल कहा जाता है।

गिनी फाउल पक्षी को कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाला पक्षी माना जाता है, क्योंकि इसके पालन और देखरेख में काफी कम खर्च आता है। छोटे किसान भी इसका पालन करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके लिए अलग से बड़ा बनाने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। वहीं इसके खान-पान में भी कुछ खास खर्च नहीं आता है।

गिनी फाउल पालन की विशेषताएं 

  • गिनी फाउल के पालन में सामान्य मुर्गी से 60 से 70 प्रतिशत कम खर्च आता है।
  • गिनी फाउल पक्षी को धूप, सर्दी और बारिश का कोई असर नहीं पड़ता है।
  • यह पक्षी बहुत ही कम बीमार पड़ती है।
  • इसके अंडे 15 से 20 दिन में भी खराब नहीं होते।
  • गिनी फाउल अप्रैल से अक्टूबर तक अंडे देती है।
  • गिनी फाउल 90 से 100 अंडे तक देती है।
  • इसलिए इनके खाने का खर्च भी कम आता है।
  • इसके अंडे सामान्य मुर्गी से दो से ढाई गुना ज्यादा मोटे होते हैं।
  • यही कारण है कि ये आसानी से टूटते नहीं हैं।
  • बाजार में गिनी फाउल पक्षी के अंडे 17 से 20 रुपए तक बिक जाते हैं।
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गिनी फाउल पालन कैसे करें

अगर आपको मुर्गी पालन का अनुभव है तो आप इसे बड़े स्तर पर भी पालन कर सकते हैं अन्यथा 50 से 100 चूजों से ही गिनी फाउल पालन (fowl farming) की शुरुआत करें।

गिनी फाउल पालन में लागत और कमाई

गिनी फाउल पालन (guinea fowl farming) अन्य पक्षियों की तुलना में लागत कम और मुनाफा ज्यादा होती है। आपको बता दें, बिहार के कई ऐसे किसान हैं जो गिनी फाउल पालन से प्रतिवर्ष 8 से 10 लाख रुपए कमा रहे हैं। यदि आप 1000 गिनी का पालन करते हैं तो इसमें 5 से 10 हजार रुपए का खर्च आता है। जिन किसान के पास जमीन कम है तो गिनी फाउल पालन (guinea fowl farming) करके अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। इन पक्षियों को आप बैकयार्ड, आंगन या खेतों में भी चराकर पाल सकते हैं।

Compiled  & Shared by- Team, LITD (Livestock Institute of Training & Development)

Image-Courtesy-Google

Reference-On Request.

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