बकरी के बच्चो का स्वास्थ्य प्रबन्धन
डा0 विनोद कुमार वरूण
सहायक प्राध्यापक, पशु चिकित्सा नैदानिक परिसर, पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ
बकरी पालन में बच्चो के स्वास्थ्य का उचित प्रबन्धन एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है क्योकि यही बच्चे बडे होकर दुग्ध व मांस का श्रोत बनते है अतः यदि बकरी के बच्चो के स्वास्थ्य का उचित रखरखाव किया जाता है तो बकरी पालको का आर्थिक लाभ बढ़ जाता है। इसके लिए निम्नलिखित बिन्दुओ को ध्यान में रखना चाहिए :-
ऽ जन्म के तुरन्त बाद बच्चो को साफ सुथरे स्थान पर रखकर नाक व आस-पास के अंगो को तुरन्त साफ करें।
ऽ रूई या साफ सूती कपडे़ से बच्चो के शरीर पांछ देना चाहिए।
ऽ पीछे के पैरो को पकड कर बच्चो को कुछ सेकेण्ड़ के लिए हवा में उल्टा लटकाना चाहिए जिससे की उनकी सांस की नली साफ हो सकें।
ऽ मॉ को बच्चो को चाटने के लिए छोड़ देना चाहिए।
ऽ इसके तुरन्त बाद बच्चो को खीस (कोलोस्ट्रम) पिलाना चाहिए इससे बच्चो की रोगों से लडने की क्षमता में वृद्धि होती है।
ऽ बच्चो की नाल को नये ब्लेड़ से काटकर नाभि पर टिंक्चर आयोडिन लगाना चाहिए जिससे कि कोई संक्रमण ना हो सके। अन्यथा की स्थिति में नाभि पक जाती हैं और उसमें कीडे भी पड़ जाते है।
ऽ यदि बच्चे मॉ का दुध नही पी पा रहे है तो बकरी के थन को पकडकर बच्चो के मुॅह में थोड़ सा निचोड़ दे जिससे वे आसानी से दुध पी सकें।
ऽ यदि किसी कारणवस मॉ की मृत्यु हो जाती है तो बच्चो को दूसरी बकरी या गाय का दुग्ध पिलाना चाहिए।
ऽ यदि मॉ के थनो में कोई बीमारी हो जाती है या बच्चो के लिए उचित मात्रा में दुग्ध नही हो पा रहा है तो बच्चो को बोतल में निप्पल लगाकर दुग्ध पिलाना चाहिए।
ऽ जन्म के बाद 2 माह तक बच्चो को अत्यधिक ठंड व गर्मी से बचाकर रखना चाहिए।
ऽ बच्चो का सींग रोधन जन्म के 2 सप्ताह के अन्दर कर देना चाहिए।
ऽ नर बच्चो का बधियाकरण 8-12 सप्ताह में करना चाहिए जिससे की वे उत्तम गुणवत्ता का मांस उत्पादन कर सके।
ऽ बच्चो को 6-8 सप्ताह के बाद मॉ का दुग्ध छुड़ाकर दाना व चारा देना चाहिए।
ऽ अचानक में पूरा दुग्ध एकसाथ नही बंद करना चाहिए कुछ मात्रा में दाना देकर इसकी शुरूआत करनी चाहिए।
ऽ पशुचिकित्सक की सलाह लेकर बच्चो को कृमिनाशक दवापान 8 सप्ताह की उम्र से शरू कर देना चाहिए और 1 वर्ष की उम्र होने तक प्रत्येक 4-8 सप्ताह के अन्तराल पर करना चाहिए।
टीकाकरण की सारणी :-
क्र0स0 बीमारी का नाम पहली खुराक (उम्र) दूसरी खुराक
1. एन्थ्रेक्स 6 महीने –
2. गलाघोंटू 6 महीने प्रत्येक वर्ष (मानसून से पहले)
3. इंट्रोटाक्सीमियॉ 4 महीने प्रत्येक वर्ष (मानसून से पहले)
4. लंगड़ी (बी. क्यू.) 6 महीने प्रत्येक वर्ष (मानसून से पहले)
5. पी.पी. आर. 3 महीने प्रत्येक 3 वर्ष में एक बार
6. खुरपका-मुहॅपका 4 महीने वर्ष में दो बार (सितम्बर व मार्च)
7. गोट पाक्स 3 महीने प्रत्येक वर्ष (दिसम्बर)
8. सी.सी.पी.पी 3 महीने प्रत्येक वर्ष (जनवरी)
उपरोक्त बातो को ध्यान में रखकर बकरी पालन में होने वाली आर्थिक हानि से बचा जा सकता है ।
https://www.pashudhanpraharee.com/1141-2/
https://animalhusbandry.rajasthan.gov.in/Booklets/1.pdf