दुधारू पशुओं में इनफर्टिलिटी

0
209

लेखक-
*डॉ संजीव कुमार वर्मा*
*प्रधान वैज्ञानिक (पशु पोषण)*
*केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान, मेरठ छावनी*
*9933221103*

आज बात करते हैं अधिक प्रोटीन खिलाने से पशुओं में होने वाली इन्फर्टिलिटी की…

पशुओं को उनकी आवश्यकता से कम प्रोटीन खिलाने पर तो इन्फर्टिलिटी की समस्या आएगी ही मगर अधिक प्रोटीन खिलाने से भी यह समस्या आएगी।

आइये इसके पीछे के विज्ञान को समझें…

पशुओं के लिए प्रोटीन के स्रोत हैं 1. हरा चारा 2. सूखा चारा या भूसा 3. रातिब मिश्रण में उपस्थित अनाज, चोकर व खली

इन सभी में जो प्रोटीन उपस्थित होती है उसमें से अधिकतर प्रोटीन का पाचन पशु के पेट के पहले हिस्से में ही हो जाता है जिसे रूमेन कहते हैं। कुछ प्रोटीन ऐसी होती हैं जिसका पेट के पहले हिस्से रूमेन में पाचन न होकर पेट के चौथे हिस्से में पाचन होता है।

पेट का पहला हिस्सा है बहुत मजेदार। इसमें कुछ बैक्टीरिया, प्रोटोज़ोआ और कुछ फफूंदी रहती हैं जो पाचन में सहायक होते हैं। रूमेन के ये मेहमान अनन्त काल से पशुओं के पेट में रहते चले आ रहे हैं।

पशु ने जो प्रोटीन खाई उससे पेट के पहले हिस्से में टूटते टूटते अमोनिया बन जाती है और पेट के पहले हिस्से यानि रूमेन में रहने वाले कुछ खास बैक्टीरिया इस अमोनिया को खाकर जिंदा रहते हैं और माइक्रोबियल प्रोटीन बनाते हैं। मगर इस माइक्रोबियल प्रोटीन की सिंथेसिस के लिए उन बैक्टीरिया को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

अब सोचो कि पशु के भोजन में ऊर्जा है कम और प्रोटीन है ज्यादा तो क्या होगा?

READ MORE :  SUBMANDIBULAR AND SUBLINGUAL SALIVARY MUCOCELES IN DOGS

प्रोटीन ज्यादा मतलब अमोनिया का ज्यादा उत्पादन… अमोनिया का ज्यादा उत्पादन तो उसे पचाने के लिए उन बैक्टीरिया को ज्यादा ऊर्जा भी चाहिए मगर पशु के भोजन में ऊर्जा है कम। तो क्या होगा?

पेट के अंदर पैदा हुई अमोनिया खून में मिल जाएगी और अमोनिया घूमते घूमते पहुंचेगी लिवर में और शरीर के अन्य भागों में भी। लिवर कोशिश करेगा कि इस अमोनिया को यूरिया में बदल डाले मगर फिर भी कुछ अमोनिया बची रह जाएगी क्योंकि यूरिया को अमोनिया में बदलने के लिवर को जो एक्सट्रा काम करना पड़ेगा उसके लिए भी एनर्जी चाहिए और पशु के भोजन में एनर्जी पहले से ही कम है तो कुछ अमोनिया बदल जाएगी यूरिया में और कुछ वैसे ही घूमती रहेगी। और ये दोनों यूरिया और अमोनिया शरीर में घूमती रहेगी और पैदा करेगी अमोनिया और यूरिया टॉक्सिसिटी….

यह यूरिया पहले तो घूमेगी खून के साथ और शरीर को भांति भांति के नुकसान पहुंचाएगी और अगर मात्रा बहुत अधिक बढ़ गई तो फिर यह यूरिया दूध में आने लगेगी।

क्या क्या नुकसान पहुंचाएगी यह खून में घूमती अमोनिया और यूरिया?

यह प्रजनन को प्रभावित करेंगी। पशु को हीट में नहीं आने देंगी। बनने वाले अंडे पर बुरा प्रभाव डालेंगी। गर्भाशय पर विपरीत प्रभाव डालेंगी। माँ के पेट में बढ़ रहे भ्रूण की बढ़वार नहीं होने देंगी और तो और गर्भाशय की पीएच को ही बदल देंगी और गर्भ का जिंदा रहना मुश्किल कर देंगी।

तो इससे बचने का उपाय क्या है?

साधारण सा उपाय है.. पशुओं को उनकी आवश्यकता से अधिक प्रोटीन मत खिलाओ। इससे दो फायदे होंगे….
1. खान पान का खर्चा कम हो जाएगा
2. पशुओं की प्रजनन क्षमता पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा

READ MORE :  बैकयार्ड पोल्ट्री/ शूकर से मनुष्यों में फैलने वाली जूनोटिक बीमारियों से बचाव हेतु जैव सुरक्षा उपाय।।

अभी हमारे किसान भाई कर क्या रहे हैं… पशुओं को खली तो खिलाएंगे मगर अनाज नहीं खिलाएंगे। खली से प्रोटीन तो मिल गई मगर ऊर्जा पर्याप्त नहीं मिल पाई। जबकि होना यह चाहिए था कि अनाज होता 30 से 40 प्रतिशत चोकर होता 30 से 40 प्रतिशत और खली होती 17 से 30 प्रतिशत। साथ में 1 प्रतिशत नमक और 2 प्रतिशत विटामिन मिनरल मिक्सचर भी मिला होता। तब जाकर एक सन्तुलित दाना मिश्रण बनता जिसमें ऊर्जा भी भरपूर होती, प्रोटीन भी होती, विटामिन और मिनरल्स भी होते।

तो बस अब समझदार हो जाइए और खली खिलाने की शेखी बघारना बन्द करके अपने पशु के ऊपर रहम कीजिये। उसे सही मात्रा में ऊर्जा और प्रोटीन दीजिये।

और हाँ… औरतों में भी ज्यादा प्रोटीन वाली डाइट का कुछ कुछ ऐसा ही प्रभाव होता है और फिर आप लगाते हैं इन्फर्टिलिटी सेंटर के चक्कर पे चक्कर और रिजल्ट होता है निल बटा सन्नाटा।

Please follow and like us:
Follow by Email
Twitter

Visit Us
Follow Me
YOUTUBE

YOUTUBE
PINTEREST
LINKEDIN

Share
INSTAGRAM
SOCIALICON