दुधारी गायों में दूध फैट तथा SNF बढ़ाने का तरीका
स्तनपान कराने वाली गायों में दूध फैट और SNF को कैसे बढ़ा सकते हैं
गाय या भैंस के दूध की कीमत उसमें पाए जाने वाले वसा (घी) की मात्रा पर निर्भर करती है। यदि वसा अधिक तो दाम चोखा और वसा कम तो दाम भी खोटा। ऐसे में पशुपालक अपने दुधारू पशु को हरे चारे और सूखे चारे का संतुलित आहार देकर दूध में वसा की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। यूं तो हर पशु के दूध में वसा की मात्रा निश्चित होती है। भैंस में 06-10% और देशी गाय के दूध में 04-05 % फैट (वसा) होता है। होलस्टन फ्रीजियन संकर नस्ल की गाय में 3.5 प्रतिशत और जर्सी गाय में 4.2 प्रतिशत फैट होता है। जाड़े के दिनों में पशु में दूध तो बढ़ जाता है, लेकिन दूध में वसा की मात्रा कुछ कम हो जाती है। इसके विपरीत गर्मियों में दूध कुछ कम हो जाता है, पर उसमें वसा बढ़ जाता है। पशु विशेषज्ञों को मानना है कि यदि पशुपालक थोड़ी से जागरूकता दिखाएं और कुछ सावधानियां बरतें तो दूध में वसा की मात्रा बढ़ायी जा सकती है। इसमें प्रमुख है पशु को दिया जाने वाला आहार। पशुपालक सोचते हैं कि हरा चारा खिलाने से दूध और उसमें वसा की मात्रा बढ़ती है, लेकिन ऐसा नहीं है। हरे चारे से दूध तो बढ़ता है, लेकिन उसमें चर्बी कम हो जाती है। इसके विपरीत यदि सूखा चारा/ भूसा खिलाया जाए तो दूध की मात्रा घट जाती है। इसलिए दुधारू जानवर को 60% हरा चारा और 40% सूखा चारा खिलाना चाहिए। इतना ही नहीं, पशु आहार में यकायक बदलाव नहीं करना चाहिए। दूध दोहन के समय भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पूरा दूध निकाल लिया जाए। बछड़ा/ पड़ा को आखिरी का दूध न पिलाएं, क्योंकि वसा की मात्रा आखिरी दूध में सर्वाधिक होती है। दूध और वसा की अच्छी मात्रा के लिए बुंदेलखंड के वातावरण में भदावरी प्रजाति की भैंस सर्वाधिक अच्छी मानी गई है। इसके अलावा सुरती प्रजाति का भी पालन किया जा सकता है।
दूध में फैट और SNF कैसे बढाएं
दूध वसा और पानी के अलावा ठोस पदार्थ वसा (एसएनएफ) नहीं होते हैं। इसका मतलब है कि दूध से पानी के पूर्ण वाष्पीकरण के बाद छोड़े गए पूरे अवशेषों में कुल ठोस पदार्थ। इसमें वसा प्रोटीन, लैक्टोज और खनिज पदार्थ शामिल हैं। आमतौर पर गाय के दूध में 8.5% एसएनएफ होता है जबकि भैंस के दूध में 9.0% एसएनएफ होता है
भारतीय डेयरी उद्योग में संकट और दुग्ध उत्पादन पर प्रभाव
दूध की उपज में वसा प्रतिशत और एसएनएफ प्रतिशत पर आधारित दूध की संरचना ने डेयरी उत्पाद की कीमतों में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। इस प्रकार भारतीय डेयरी उद्योग में हाल के संकट ने भारत सरकार को वसा और एसएनएफ चरणों के आधार पर दूध के मूल्य दरों को निर्धारित करने के लिए सख्त मानदंडों के साथ आने के लिए प्रेरित किया है।
दुग्ध उत्पादन में SNF और वसा प्रतिशत में सुधार कैसे करें
कच्चे माल की उच्च कीमत और वैज्ञानिक खेती के ज्ञान की कमी के कारण, दूध के उत्पादन की लागत दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। दूध में फैट और सॉलिड्स नॉट फैट (एसएनएफ) का स्तर बढ़ने से दूध की बिक्री बढ़ेगी और इस तरह डेयरी फार्मिंग में अधिकतम लाभ होगा। डेयरी गायों और भैंसों में उचित आहार प्रबंधन एक महत्वपूर्ण कारक है जो अधिकतम वसा और एसएनएफ सामग्री के साथ बेहतर दूध उत्पादन प्राप्त करेगा। पोषक तत्वों की आवश्यकता और संतुलित पोषण पर ज्ञान से पशुओं की उत्पादकता में सुधार होगा।
दूध की उपज और संरचना के प्रबंधन में मवेशी की खुराक की भूमिका
दूध रचना के सभी कारक तालमेल में काम करते हैं। विनायक अवयव इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपने व्यापक आरएंडडी के साथ एसएनएफ मिल्क बूस्टर कैटल फीड सप्लिमेंट पेश किया है – “किफ रयूमंट” एक क्रांतिकारी उत्पाद है जो मवेशियों के लिए उचित फ़ीड प्रबंधन के पूरक के लिए एक आदर्श समाधान है जो मवेशियों के लिए प्रतिरक्षा में सुधार, पोषण और खनिज प्रदान करते हैं, वसा और खनिज बढ़ाते हैं। दूध उपज में एसएनएफ प्रतिशत।
दूध में फैट और SNF मात्रा होती है वो आहार के साथ साथ पशु के जीन और नस्ल पर निर्भर करता है। अगर आप वही आहार दो अलग नस्ल के पशु को देंगे फिर भी उनकी जो फैट की मात्रा है उसमे बहुत ही ज्यादा फरक रहता है। अगर आपको दूध फैट के आधार में बेचना है तोह पशु खरीदते समय उसका फैट की मात्रा जाँच करवा लें। ऐसे में पशुपालक अपने दुधारू पशु को हरे चारे और सूखे चारे का संतुलित आहार देकर दूध में वसा की मात्रा को बढ़ा सकते हैं।
किसान भाई नीचे दिए फार्मूले से फ़ायदा उठा सकते हैं। यह रोशन पशुओं को देना होता है जो दूध देते हैं।
- A) एक सो ग्राम टाटा का नमक
- B) दो सो ग्राम सरसों का तेल
- C) एक सो ग्राम गुड
- D) सो ग्राम कैल्शियम
इन चारों चीजों को मिलाकर दुधारू पशुओं को दें इस से अंदर की कमज़ोरी कम होगी और पशु जितना जियादा हो सके दूध देगा
अपनाएं ये फार्मूला
- दूध उत्पादन और लेवटी बढ़ने के साथ साथ इससे आपके पशु के दूध का फैट भी बढ़ेगा। इसके लिए सबसे पहले आपको मक्के को पिसवा के बिलकुल आटे की तरह बना लेना है, ध्यान रहे कि ये बिलकुल बारीक पिसा हो। उसके बाद इसे छान के इसमें पानी डालें और बिलकुल आटे की तरह हिलाएं और अच्छे से इसका चुरा बना लें। अब इसमें आपको आटा डालना है और इसे अच्छी तरह से मिला लेना है। इसके बाद इसमें पानी डाल के आटे की तरह गूंध लें। बाद में इसमें अजवाइन डाल दें।
- अब इसे गोल गोल पेड़े जैसे गोले बना लें। अब आपको इसे रोटी की तरह बेल लेना है और तवे के ऊपर बिलकुल अच्छी तरह से रोटी की तरह सेक लेना है। अब एक बर्तन में सरसों का तेल लेना है और इसमें थोड़ा नमक डाल दें और अच्छी तरह से मिला लें। अब इस तेल को उस रोटी के ऊपर दोनों तरफ अच्छी तरह से लगा दें।
- अब इस रोटी को अपने पशु को खिला दें। इसी तरह की 3-4 रोटियां सुबह और तीन चार रोटियां शामको खिलाने से आपके पशु का दूध भी बढ़ेगा, दूध में फैट की मात्रा भी बढ़ेगी और साथ ही आपके पशु के अडर यानि लेवटी के आकार में भी बढ़ोतरी होगी।
डॉ जितेंद्र सिंह ,पशु चिकित्सा अधिकारी ,कानपुर देहात ,उत्तर प्रदेश