पोल्ट्री फार्म कैसे शुरू करें

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पोल्ट्री फार्म कैसे शुरू करें

मुर्गी पालन (Chicken Farm) कृषि क्षेत्र से जुड़े व्यवसायों में से एक मुख्य व्यवसाय है. भारत में मुर्गी पालन (Poultry Farm) काफी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. मुर्गीपालन (chicken farm) व्यवसाय पर गौर किया जाये तो यह किसानो के लिए बेहतर विकल्प हो सकता है. इसके जरिये घर व गांव की महिलाओं को भी रोजगर के अवसर प्राप्त हो सकते है. सरकार भी पोल्ट्री फार्मिंग (hen farm) को बढ़ावा देने के उदेश्य से प्रोसेसिंग, प्रजनन, पालन और हैचिंग प्रक्रियाओं निवेश कर रही है. भारत में लहभग 60 लाख किसान और 5 करोड़ कृषि किसान पोल्ट्री व्यवसाय में काम कर रहे हैं, जिससे वे राष्ट्रीय आय में करीब 125,000 करोड़ रुपये का योगदान कर रहे हैं. अगर आप गांव में रहकर कोई बिजनेस या रोजगार तलाश रहे हैं तो पोल्ट्री फार्मिंग बिजनेस आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इस लेख में आप मुर्गी पालन में चूजों को खरीदकर मुर्गियों की मार्केटिंग के बारे में भी जानेंगे। गौरतलब है कि पोल्ट्री फार्मिंग का धंधा आज लोगों को तेजी से अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. चाहे आप किसान हों या बेरोजगार, या इंजीनियर, मुर्गी पालन का व्यवसाय आपके लिए अच्छा साबित हो सकता है। हजारों लोग इस बिजनेस से जुड़कर भारी मुनाफा कमा रहे हैं।

 

मुर्गी फार्म कैसे शुरू करें ?

भारत की आबादी 1.4 अरब के करीब पहुंच चुकी है और भारत की करीब 65% जनसंख्या मांसाहारी है. इस आंकड़े से पता लगाया जा सकता है पोल्ट्री फार्म के उत्पादनो की मांग कितनी हो सकती है. इसको देखते हुए पोल्ट्री फार्म खोल सकते है. देश प्रदेश की सरकारें भी पोल्ट्री फार्म को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन शुरू किया गया है. जिसके तहत पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए सरकार बीपीएल परिवारों को निवेश और वित्तीय सहायता भी प्रदान कर रही है

मुर्गी पालन के लाभ – Poultry Farming Benefits

  • मुर्गी पालन कमाई का एक उत्कृष्ट स्रोत है.
  • मुर्गी पालन में कम निवेश की आवश्यकता पड़ती है.
  • इससे रोजगार के अवसर में बढ़ावा
  • इसके लिए व्यापार लाइसेंस आसानी से मिल जाता हैं.
  • यह कारोबार जल्दी रिटर्न मिलने लगता है.
  • बाजार में अंडे और मांस की मांग हमेशा बनी रहती है. जिससे निरंतर कमाई होती रहती है.
  • यह जल्द ब्रेक-ईवन प्वाइंट पर पहुंच जाता है. जिसके फलस्वरूप कारोबार में कोई लाभ-हानि नहीं होती है
  • इस व्यवसाय के लिए बैंक ऋण आसानी से मिल जाता है.
  • इस व्यवसाय के लिए पानी की आवश्यकता कम होती है
  • पोल्ट्री उत्पादनो से अधिक पोषण प्रदान प्राप्त होता है.

पोल्ट्री फार्म के लिए बेहतर प्लानिंग (Planning for Poultry Farm)

किसी भी कारोबार को शुरू करने से पहले उसके लिए एक बेहतर प्लांनिंग की आवश्यकता पड़ती है, बिना प्लांनिंग के व्यवसाय किया जाये तो उसके फैले होने की संभावना अधिक होती है. अगर आप पोल्ट्री फार्म खोलना चाहते है तो उसके लिए एक अच्छी बिजनेस प्लांनिंग बनाना अत्यंत आवश्यक है.

  • पोल्ट्री फार्म (poultry farm) के लिए उपयुक्त जगह
  • इस कारोबार सम्बंधित आवश्यक उपकरण
  • विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए सटीक योजनाएं बनाना
  • आवश्यक लाइसेंस और अनुमति प्राप्त करना.

 

मुर्गी पालन के प्रकार – Types of Poultry Farming

मुर्गी पालन शुरू करने से पहले आपको यह सुनिचित करना होगा कि आप किस तरह का मुर्गी पालन संचालित करना चाहते है. क्या आप मीट के लिए या अण्डों या फिर दोनों के लिए पोल्ट्री फार्म शुरू करना चाहते है. हम आपकी जानकरी के लिए बता दे मुर्गी पालन तीन प्रकार से किया जा सकता है. जिसकी जानकारी हम आपके साथ साझा कर रहे है. जिसको पढ़ कर आप यह निर्णय ले सकते है कि प्रकार का मुर्गी फार्म खोलें.

लेयर मुर्गी पालन

लेयर मुर्गी फार्म की शुरुआत केवल अंडे उत्पादन के लिए की जाती है. इस तरह के फार्म में पलने वाली मुर्गियाँ 4 से 5 महीने की होने के बाद अंडे देना शुरू कर देती है और यह करीब 16 महीने तक अंडा देती रहती है उसके बाद इनका मीट बेच दिया जाता है

ब्रॉयलर मुर्गी पालन

इस तरह के मुर्गी फार्म में पलने वाली मुर्गियाँ का विकास अन्य मुर्गी फार्म में पलने वाली मुर्गियों की अपेछा तेजी होता है. यह 7 से 8 सप्ताह में पूरी तरह विकसित हो जाती है. इनमें मास की मात्रा अन्य के मुकाबले अधिक होती है.

देसी मुर्गी पालन

इस प्रकार का मुर्गी पालन अंडे और मांस दोनों के लिए किया जाता है.

एमू की खेती 

एमु एक बहुमुखी पक्षी है जो दुनिया भर में लगभग सभी मौसमों में जीवित रहता है। उन्हें भारत में शुतुरमुर्गों के साथ पेश किया गया था। हालाँकि इसकी बहुमुखी प्रतिभा के कारण इसे बहुत अधिक महत्व मिला है। इसके पीछे एक मुख्य कारण यह है कि यह न तो मानसून पर निर्भर है और न ही अनिश्चित बाजार के रुझान पर। इमू के मांस का उपयोग भोजन तैयार करने के लिए किया जाता है जबकि इमू का तेल चिकित्सकीय महत्व का है।

बटेर की खेती

बटेर पालन पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है क्योंकि वे बहुत छोटे पक्षी हैं जो अपने अंडे और मांस के लिए बेहद लोकप्रिय हैं। अन्य कुक्कुटों की तुलना में बटेर पालने में प्रारम्भिक निवेश बहुत कम होता है। रखरखाव के लिए भी यही सच है। बटेर बढ़ने और पालने के 5 सप्ताह के भीतर विपणन के लिए तैयार हो जाते हैं। इसके अलावा उन्हें बहुत कम मंजिल की जगह की आवश्यकता होती है। वे 6-7 सप्ताह की उम्र में अंडे देना शुरू कर देती हैं और साल में लगभग 300 अंडे देती हैं। हालांकि बटेर पालने में कुछ चुनौतियां भी हैं। नर बटेर ऐसी आवाज निकालते हैं जो मानव कान के लिए हानिकारक होती है। यदि नर और मादा बटेर एक साथ पाले जाते हैं, तो यह संभावना है कि नर बटेर अन्य नर बटेरों की आँखों को चोंच मारते हैं, जिससे वे अंधे हो जाते हैं। पशुपालन विभाग से लाइसेंस प्राप्त करने के बाद वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए संरक्षित प्रजाति होने के कारण बटेर का पालन किया जा सकता है।

टर्की की खेती

क्रिसमस के दौरान तुर्की सभी खाद्य पदार्थों में सबसे लोकप्रिय है। हालांकि यह लोकप्रियता में बढ़ रहा है क्योंकि मांस बहुत दुबला और आहार के अनुकूल है। मुर्गियों और बटेरों के विपरीत टर्की को केवल मांस के लिए पाला जाता है। भारत में टर्की की खेती अभी शैशवावस्था में है। केरल और तमिलनाडु देश में टर्की के प्रमुख उत्पादक हैं। टर्की की खेती के लिए अन्य राज्यों द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं।

बत्तख पालन

अन्य पोल्ट्री पक्षियों के विपरीत बत्तखों की बढ़ती आदतों और आवासों में अंतर होता है। वे अपने मांस और अंडों के लिए पाले जाते हैं, फिर भी वे कुक्कुट प्रणाली के अंतर्गत केवल आंशिक रूप से आते हैं। वे मजबूत पक्षी हैं लेकिन उन्हें संभोग और अंडे देने के लिए अपने चारों ओर पानी की जरूरत होती है। वे खेतों में उत्पादित कृषि अपशिष्ट को खा सकते हैं। इसलिए इन्हें खेतों में उगाया जा सकता है।

पोल्ट्री फार्म की बनावट (Poultry Farm Design)

बैटरी केज पोल्ट्री फार्म

इस प्रकार के पोल्ट्री फार्म को शुरू करने के लिए 4,000 वर्ग फुट भूमि की आवश्यकता होती है तथा फार्म से सम्बंधित अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए 2,000 वर्ग फुट अतिरिक्त जमीन की आवश्यकता होती है. बैटरी केज पोल्ट्री फार्म में मुर्गियाँ स्वतंत्र रूप दौड़ने या चलने में सक्षम नहीं होती है.

फ्री-रेंज पोल्ट्री फार्म

इस प्रकार के फार्म को शुरू करने के लिए करीब 12,000 से 36,000 वर्ग फुट क्षेत्रफल जरूरत पड़ती है. इस प्रकार के फार्म में मुर्गियाँ स्वतंत्र रूप दौड़ने या चलने में सक्षम होती है.

सेमी-रेंज पोल्ट्री फार्म

इस तरह का मुर्गी पालन शुरू करने के लिए लगभग 8,000 वर्ग फुट क्षेत्रफल की आवश्यकता होती है. सेमी-रेंज पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों के लिए एक पैडॉक या छोटा पेन बनाया जाता है.

जंगली पोल्ट्री फार्म

इस प्रकार के मुर्गी पालन प्राकृतिक वातावरण किया जाता है. इसके लिए आपको करीब 44,000 वर्ग फुट भूमि की आवश्यकता होती है. इस तरह के पोल्ट्री फार्म में एक पक्षी के पास करीब 2 वर्ग फुट का कॉप स्पेस और 15-20 वर्ग फुट फ्री-रेंज स्पेस होता है.

पोल्ट्री फार्म के लिए धनराशि की व्यवस्था (Fund Arrangement for Poultry Farm)

किसी भी कारोबार को शुरू करने के लिए धनराशि का एक अहम रोल होता है इसके बिना कोई व्यवसाय नहीं किया जा सकता है. पोल्ट्री फार्म खोलने के लिए एक अच्छे फण्ड की जरुरत होती है. इसकी व्यवस्था के लिए आप कृषि लोन ले सकते हैं जोकि बहुत का ब्याज दर पर दिया जाता है. सरकारें भी मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए अलग अलग योजनाओं का संचालन कर रही है और साथ में पोल्ट्री फार्म शुरू करने पर सब्सिडी भी दे रही है.

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पोल्ट्री फार्म के लिए लोन (Loan for Poultry Farm)

एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, आईडीबीआई बैंक, फेडरल बैंक, करूर वैश्य बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और कई अन्य बैंक पोल्ट्री फार्म संचालन के लिए लोन मुहैया कराती है.

मुर्गी पालन शुरू करने के लिए कितना फंड चाहिए

पोल्ट्री फार्म की लागत
पोल्ट्री फार्म शुरू करने के लिए कितना खर्च आएगा. इसकी एक अनुमानित लागत के बारें में बताने जा रहे है.

  • छोटे स्तर के मुर्गी पालन के लिए – लगभग 50,000 रुपए से 1,50,000 रुपए.
  • मध्यम स्तर के मुर्गी पालन के लिए – लगभग 1,50,000 रुपए से 3,50,000 रुपए तक.
  • बड़े स्तर पर मुर्गी पालन के लिए – लगभग 7,00,000 रुपए से 10,00,000 रुपए.

मुर्गी पालन के लिए जरुरी लाइसेंस

पोल्ट्री फार्म शुरू करने के लिए कौन कौन से आवश्यक लाइसेंस लेने की जरुरत पड़ती है इस जानकारी निम्लिखित है.

  • स्थानीय ग्राम पंचायत, नगर पालिका और प्रदूषण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी)
  • विद्युत कनेक्शन – पोल्ट्री फार्म के आकार के आधार पर ट्रांसफार्मर की जरुरत.
  • भूजल विभाग से लाइसेंस.
  • कारोबार पंजीकरण, जैसे, स्वामित्व वाली फर्म, साझेदारी वाली फर्म या कंपनी.

मुर्गी पालन के लिए ध्यान दें प्रमुख बातें

  • शुरुआत में मुर्गी पालन को छोटे स्तर से शुरू करना चाहिए.
  • मुर्गी पालन के लिए अच्छी नस्ल ( असेल नस्ल, कड़कनाथ नस्ल, चिटागोंग नस्ल, स्वरनाथ नस्ल, वनराजा नस्ल आदि) की मुर्गियों का चयन करें .
  • उत्तम नस्ल के चूजों का चयन करें जिससे मुर्गी उत्पादों में नुकसान नहीं होगा.
  • पोल्ट्री फार्म शुरू करने से पहले मुर्गी के आवास, उपकरण, एवं चारा दाना का उचित प्रबंध करना चाहिए.
  • मुर्गियों में होने वाली बीमारियों (रानीखेत रोग. बर्ड फ्लू, फाउल पॉक्स आदि) से बचाव और ट्रीटमेंट
  • अंडा देने वाली उत्तम नस्ल की मुर्गियों का ही चुनाव करें.
  • सरकारी मुर्गी फार्म या प्रमाणित मुर्गी फार्म से उत्तम नस्ल की मुर्गियाँ खरीदें
  • मुर्गियों का आवास ऊँचे स्थान पर बनाना चाहिए ताकि जमीन पर नमी न रहे, चूंकि नमी से बीमारी फैलती है.
  • मुर्गियों के आवास का दरवाजा पूर्व या दक्षिण पूर्व होना चाहिए. जिससे तेज़ चलने वाली पिछवा हवा सीधी आवास में नहीं आएगी.
  • मुर्गियां खरीदते समय उनका उचित डॉक्टरी परिक्षण करना चाहिए.
  • एक मुर्गी फ़ार्म को दूसरे मुर्गी फ़ार्म से उचित दूरी पर बनाना चाहिए जिससे बीमारी फैलाने का खतरा काम हो जाता है.
  • मुर्गी फार्म के लिए बिजली एवं स्वच्छ पानी का उचित प्रबंध होना चाहिए.
  • अंडा एवं मुर्गा फार्म शहर के नजदीक होना चाहिए जिससे आपके उत्पादनो की खपत आसानी से हो जाएगी.

 

मुर्गी पालन के लिए चूजे कहां से लें? (Where to get chicks for poultry farming?)

अगर जगह का चयन और मुर्गी के प्रकार का चयन कर लिया है तो अब चूजों को लाने के बारे में सोचना पड़ेगा। मुर्गी पालन में बेहतर और निरोगी चूजों का चयन करना बेहद जरूरी है ताकि आपको व्यवसाय में अधिक लाभ मिल सकेगा। इस बात का ध्यान रखें कि एक भी चूजा बीमार न हो क्योंकि अगर एक भी चूजा बीमार हुआ तो अन्य को भी बीमार कर देगा, इसलिए किसी जाने-माने एक्सपर्ट की मदद से ही चूजों को लाएं। 1 चूजे की कीमत 30-35 रुपए के आसपास होती है। आप 3000 से 3500 रुपये तक 100 चूजें खरीद सकते हैं।

मुर्गियों के लिए आहार प्रबंधन (Diet Management for Chickens)

जगह का चयन करने के बाद आपको मुर्गियों के उचित रख-रखाव पर ध्यान देना होगा। शेड में आपको पानी की पर्याप्त व्यवस्था करनी होगी। 1 ब्रॉयलर मुर्गा 1 किलो दाना खाने पर 2-3 लीटर पानी पीता है। गर्मियों में पानी दोगुना हो जाता है। जितने सप्ताह का चूजा उसमें 2 गुणा करने पर जो मात्रा आएगी, वह मात्रा पानी की प्रति 100 चूजों पर खपत होगी। आपको अपने मुर्गियों और चूजों को सुखी जमीन में रखना होगा। गीली जगह में रखने पर उनके बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। शेड को कुछ ऐसा बनवाएं ताकि कम खर्च में आपको बेहतर परिणाम मिले।

व्यावसायिक मुर्गी पालन में अच्छे परिणाम के लिए चारा और चारे का कुशल का प्रबंधन बेहद जरूरी है। यहां यह ध्यान देना बेहद जरूरी हो जाता है कि जो चारा हम मुहैया करा रहे हैं उसमे सभी जरूरी पोषक तत्व यानी कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन्स भी शामिल हों। नियमित पोषक तत्वों के अलावा अलग से कुछ और बेहतर पोषक तत्व देने की जरूरत है जिससे खाना ठीक से पच सके और साथ ही उनका जल्दी से विकास हो सके।

अगर आप चूजों में ज्यादा विकास देखना चाहते हैं तो आप उन्हें अलसी और मक्का भी दे सकते हैं ये दोनों ही उनके विकास में काफी सहायक होते हैं। अगर ठीक से खाना दिया जाए तो एक चूजे को 1 किलो वजन करने में लगभग 40-45 दिन लग सकते हैं। वजन बहुत की जरूरी होता है इसलिए खाने का विशेष ध्यान रखें।

पॉल्ट्री फीड/चारे के प्रकार (Types of Poultry Feed)

चूजे की उम्र  चारे की किस्म
0-10 दिन प्री स्टार्टर
11-21 दिन स्टार्टर
22 दिन से ऊपर फिनिशर

 

मुर्गी पालन के कुछ उपकरण खरीदें

मुर्गी पालन उपकरण मुर्गी पालन को बहुत आसान बनाते हैं।

यह आपको अपने पक्षियों को ठीक से मैनेज करने में भी मदद करता है ताकि वे स्वस्थ भोजन कर सकें, स्वस्थ पी सकें और

स्वस्थ वातावरण में रहें।

अपने पोल्ट्री बिज़नेस को चलाने के लिए आपको जिन उपकरणों की आवश्यकता होती है, वे कई हैं और वे सभी महत्वपूर्ण हैं।

मुर्गी पालन के कुछ आवश्यक उपकरण हैं;

  1. फीडर:यह एक उपकरण है जिसका उपयोग आप पक्षियों को फ़ीड की आपूर्ति के लिए करते हैं
  2. वाटरर्स:आप इस उपकरण का उपयोग पक्षियों को पानी की आपूर्ति के लिए करते हैं
  3. घोंसले:यह एक अच्छी तरह से तैयार जगह है जहां मुर्गियां अंडे देती हैं।
  4. वेंटिलेशन सिस्टम:गंध वेंट, छिद्रित दीवारें आदि इस उद्देश्य की पूर्ति कर सकते हैं
  5. पिंजरे:ये वे बक्से हैं जिन्हें आप विशेष रूप से पक्षियों को रखने के लिए प्रदान करते हैं
  6. कॉप:पिंजरों की तरह, चिकन कॉप पक्षियों के लिए आवास प्रदान करता है।
  7. इन्क्यूबेटर:अंडे सेने के लिए अंडे को गर्म रखने के लिए एक उपकरण।
  8. पर्चेस:ये वे लट्ठे हैं जिन्हें आप पक्षियों के आराम करने के लिए चिकन हाउस के फर्श से थोड़ा ऊपर रखते हैं।
  9. ब्रूडर या हीटर:यह उपकरण युवा चूजों को पालने के लिए गर्मी प्रदान करता है।
  10. अपशिष्ट निपटान प्रणाली:यह आपके पोल्ट्री फार्म में पैदा होने वाले कचरे के उचित निपटान में मदद करता है।
  11. लाइटिंग इंस्ट्रूमेंट्स:इससे पोल्ट्री हाउस में रोशनी आती है
  12. अंडे की ट्रे:मुर्गी के अंडे को संभालने के लिए।

 

मुर्गी पालन के लिए जगह का चुनाव करना –

मुर्गी पालन के लिए सही जगह का चुनाव करना आवश्यक हैं । जगह समतल हो और कुछ ऊंचाई पर हो, जिससे की बारिश का पानी फार्म में न जा सके.
मुर्गी पालन की जगह आवासीय क्षेत्र व मुख्य सड़क से दूर होनी चाहिए । मुख्य सड़क से बहुत अधिक दूर भी न हो जिससे की आने जाने मे परेशानी ना हो । बिजली व पानी की उचित सुविधा उपलब्ध होना चाहिए । मुर्गियों के शेड व बर्तनों की साफ सफाई नियमित रूप से करते रहें । चूज़े, दवाई, वैक्सीन, एवं ब्रायलर दाना आसानी से उपलब्ध हों । फार्म की लंबाई पूरब से पश्चिम की ओर होना चाहिए । एक शेड में केवल एक ही ब्रीड के चूजे रखने चाहिए.

ब्रायलर पोल्ट्री फार्म के लिए शेड का निर्माण: House Design for Broiler Poultry Farm –

शेड हमेशा पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और शेड के जाली वाला साइड उत्तर-दक्षिण में होना चाहिए । जिससे की हवा सही रूप से शेड के अन्दर से बह सके और धुप अन्दर ज्यादा ना लगे । शेड की चौड़ाई 30-35 फुट और लम्बाई ज़रुरत के अनुसार आप रख सकते हैं । ब्रायलर पोल्ट्री फार्म शेड का फर्श पक्का होना चाहिए । पोल्ट्री फार्म शेड की साइड की ऊँचाई फर्श से 8-10 फूट होना चाहिए और बीच (Center) की ऊँचाई फर्श से 14-15 फूट होना चाहिए । शेड के अन्दर मुर्गी दाना व पानी के बर्तन, पानी की टंकी और बिजली के बल्ब की उचित व्यवस्था होनी चाहिए । आप चाहे तो लबे शेड की बराबर भाग मे बाट (Partition) सकते हैं ।

ब्रायलर चूज़े के लिए दाना और पानी के बर्तनों की जानकारी –

प्रत्येक 100 चूज़ों के लिए कम से कम 3 पानी और 3 दाने के बर्तन होना बहुत ही आवश्यक है । दाने और पानी के बर्तन आप मैन्युअल या आटोमेटिक किसी भी प्रकार का इस्तेमाल कर सकते हैं । मैन्युअल बर्तन साफ़ करने में आसान होते हैं लेकिन पानी देने में थोडा कठिनाई होती है,पर आटोमेटिक वाले बर्तनों में पाइप सिस्टम होता है जिससे टंकी का पानी सीधे पानी के बर्तन में भर जाता है ।

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बुरादा या लिटर – Litter Management

लिटर (Litter) क्या होता हैं – ब्रायलर पोल्ट्री फार्म में जो फर्श पर बिछावन की जाती हैं उसे हम लिटर कहते हैं । बुरादा या लिटर के लिए आप लकड़ी का पाउडर, मूंगफली का छिल्का या धान का छिल्का का उपयोग कर सकते हैं । चूज़े आने से पहले लिटर की 3-4 इंच मोटी परत फर्श पर बिछाना आवश्यक है । लिटर पूरा नया होना चाहिए एवं उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो ।

ब्रायलर मुर्गी पालन में ब्रूडिंग – Brooding in Broiler Poultry Farm

  1. ब्रूडिंग (Brooding) :
    ब्रूडिंग क्या होता हैं? What is Brooding in Broiler Poultry Farm?
    जिस प्रकार मुर्गी अपने चूजों को अपने पंखों के नीचे रखकर गर्मी देती हैं उसी प्रकार हम कृत्रिम रूप से चूजों को तापमान देते हैं उसे ब्रूडिंग कहते हैं.
    चूज़ों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रूडिंग सबसे ज्यादा आवश्यक है, ब्रायलर फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता है. अगर ब्रूडिंग में गलती हुई तो आपके चूज़े 7-8 दिन में कमज़ोर हो कर मर जायेंगे, या आपके सही दाना के इस्तेमाल करने पर भी उनका विकास सही तरीके से नहीं हो पायेगा।

ब्रूडिंग के प्रकार –

– बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग
– गैस ब्रूडर से ब्रूडिंग
– अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग

बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग –

इस प्रकार के ब्रूडिंग के लिए आपको नियमित रूप से बिजली की आवश्यकता होती है । गर्मी के महीने में प्रति चूज़े को 1 वाट की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों के महीने में प्रति चूज़े को 2 वाट की आवश्यकता होती है । गर्मी के महीने में 4-5 दिन ब्रूडिंग किया जाता है और सर्दियों के महीने में ब्रूडिंग 12-15 दिन तक करना आवश्यक होता है । चूजों के पहले हफ्ते में ब्रूडर को लिटर से 6 इंच ऊपर रखें और दूसरे हफ्ते 10-12 इंच ऊपर.

गैस ब्रूडर से ब्रूडिंग –

जरूरत और क्षमता के अनुसार बाज़ार में गैस ब्रूडर उपलब्ध हैं, उदाहरण के लिए 1000 और 2000 क्षमता वाले ।गैस ब्रूडर ब्रूडिंग का सबसे अच्छा तरिका है इससे शेड केा अन्दर का तापमान एक समान रहता है.

अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग-

ये खासकर उन क्षेत्रों के लिए होता हैं जहाँ बिजली उपलब्ध ना हो या बिजली की बहुत ज्यादा कटौती वाले जगहों पर इसमें ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इससे शेड में धुआं भी भर सकता है या आग भी लग सकती है।

ब्रायलर मुर्गी दाना की जानकारी: Feeding Information for Broiler Poultry Farm

ब्रायलर फार्मिंग में 3 प्रकार के दाना की आवश्यकता होती है, यह दाना ब्रायलर चूजों के उम्र और वज़न के अनुसार दिया जाता है.
– प्री स्टार्टर :0-10 दिन तक के चूजों के लिए
– स्टार्टर :11-20 दिन के ब्रायलर चूजों के लिए
– फिनिशर :21 दिन से मुर्गे के बिकने तक
मुर्गी पालन में सबसे ज्यादा खर्च उनके दाने पर होता है, दाने में प्रोटीन और इसकी गुणवत्ता का भी ध्यान रखना जरूरी है . मुर्गियों को उचित मात्रा में प्रोटीन ,मिनरल्स और विटामिन्स मिले इसके लिए मुर्गियों को नियमित रूप से अमीनो पॉवर (Amino Power) दें. इससे ना केवल मुर्गों का वजन तेजी से बढ़ेगा बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ेगी और बीमारी का कम डर रहेगा.
इसके अलावा आप चूजों को मक्का, सूरजमुखी, तिल, मूंगफली, जौ और गेूंह आदि को भी दे सकते हो.

ब्रायलर मुर्गी के पीने का पानी की जानकारी –

ब्रायलर मुर्गा 1 किलो दाना खाने पर 2-3 लीटर पानी पीता है,गर्मियों में पानी का पीना दोगुना हो जाता है. जितने सप्ताह का चूजा उसमें 2 का गुणा करने पर जो मात्र आएगी, वह मात्र पानी की प्रति 100 चूजों पर खपत होगी, जैसे-
पहला सप्ताह = 1 X 2 = 2 लीटर पानी/100 चूजा
दूसरा सप्ताह = 2 X 2 = 4 लीटर पानी /100 चूजा

ब्रायलर मुर्गीपालन के लिए जगह की कैल्क्युलेशन: Space Calculation for Broiler Poultry Farm

– पहला सप्ताह – 1 वर्गफुट/3 चूज़े
– दूसरा सप्ताह – 1 वर्गफुट/2 चूज़े
– तीसरा सप्ताह से 1 किलो होने तक – 1 वर्गफुट/1 चूज़ा
– 1 से 1.5 किलोग्राम तक – 1.25 वर्गफुट/1 चूज़ा
– 1.5 किलोग्राम से बिकने तक 1.5 वर्गफुट/1 चूज़ा
सही प्रकार से चूजों को जगह मिलने पर चुज़ो को विकास अच्छा होता है और कई प्रकार की बिमारियों से भी उनका बचाव होता है.

ब्रायलर मुर्गी पालन के लिए लाइट या रोशनी का प्रबंध-

वैसे तो Broiler Poultry Farm में 24 घंटे लाइट देने की सिफारिश की जाती हैं, लेकिन चूजों को 23 घंटे ही लाइट देना चाहिए और 1 घंटा लाइट बंद रखना चाहिए. ताकि अंधेरे मे चूजे डरे नहीं और कभी अचानक बिजली कटौति होने पर अंधेरे के लिए तैयार रहे. पहले 2 सप्ताह तक रोशनी कम नहीं होनी चाहिए क्योंकि इससे चूजे तनाव मुक्त रहते हैं और दाना पानी भी अच्छे से खाते हैं.

अब आपने मुर्गियां खरीद ली, खाने भी देने लगे लेकिन ठहरिए…

क्या आप जानते हैं मुर्गियों में कौन सी बीमारियां होती हैं? उनके लक्षण क्या हैं, बीमारियों की रोकथाम कैसे की जा सकती है। टीकाकरण का तरीका क्या है? ये भी जानना जरूरी है।

मुर्गियों में होने वाली बीमारियां –

मुर्गियों मे कई तरह की बीमारियाँ पाई जाती हैं, जैसे-
– रानीखेत (Newcastle Disease)
– पुलोराम (Pullorum Disease)
– मेरेक्स (Marek’s Disease)
– हैजा (Fowl Cholera)
– टाइफॉइड (Fowl Typhoid)
– परजीविकृमि (Parasitic Disease) इत्यादि

मुर्गियों में होने वाली कुछ प्रमुख बीमारियां, बचाव और ट्रीटमेंट (Some major diseases, prevention and treatment of chickens)

रानीखेत रोग

ये मुर्गियों में होने वाली सबसे खतरनाक बीमारियों में से एक है।  इसे न्यू कैसल के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संक्रामक रोग है, जो मुर्गी पालन के लिए अत्यधिक घातक है, इसमें मुर्गियों को सांस लेने में परेशानी होती है और उनकी मौत हो जाती है। संक्रमित होने पर मुर्गियां अंडा देना भी बंद कर देती हैं। पैरामाइक्सो वायरस की वजह से ये बीमारी होती है।

लक्षण: 

मुर्गियों में तेज़ बुखार होता है, सांस लेने में दिक्कत होती है। अंडों के उत्पादन में कमी आती है।

ट्रीटमेंट: 

इस बीमारी का अब तक कोई ठोस इलाज नहीं है। हालांकि, टीकाकरण के ज़रिए इससे बचाव संभव है। R2B और एन।डी।किल्ड जैसे वैक्सीन इनमें अहम हैं। जानकारों के मुताबिक 7 दिन, 28 दिन और 10 हफ्ते में मुर्गियों का टीकाकरण किया जाना सही होता है।

बर्ड फ्लू:

यह मुर्गियों और दूसरे पक्षियों में होने वाली एक घातक बीमारी है। ये बीमारी इन्फ्लूएंजा-ए वायरस की वजह से होती है। यदि एक मुर्गी को ये संक्रमण हो जाए, तो दूसरी मुर्गियां भी बीमार पड़ने लगती हैं। संक्रमित मुर्गी की नाक व आंखों से निकलने वाले स्राव, लार और बीट में ये वायरस पाया जाता है। 3 से 5 दिनों के भीतर इसके लक्षण दिखने लगते हैं। लक्षण:मुर्गी के सिर और गर्दन में सूजन आ जाती है। अंडे देने की क्षमता कम हो जाती है। मुर्गियां खाना-पीना बंद कर देती हैं। तेज़ी से मरने भी लगती हैं।

ट्रीटमेंट:

बर्ड फ्लू का कोई परमानेंट ट्रीटमेंट नहीं है।  इस बीमारी से बचाव ही एकमात्र उपाय है।

फाउल पॉक्स: 

इस बीमारी में मुर्गियों में छोटी-छोटी फुंसियां हो जाती हैं। आंख की पुतलियों और सिर की त्वचा पर इन्हें आसानी से देखा जा सकता है। ये भी एक वायरस जनित रोग है, जिसका संक्रमण तेज़ी से फैलता है।

लक्षण: 

आंखों से पानी बहने लगता है। सांस लेने में परेशानी होती है, मुर्गियां खाना-पीना कम कर देती हैं। अंडे देने की क्षमता में कमी आती है। मुंह में छाले पड़ जाते हैं। संक्रमण बढ़ने पर मुर्गियों की मौत भी हो जाती है।

ट्रीटमेंट:

देखा जाए तो बचाव ही इसका सबसे बेहतर इलाज है। हालांकि, लेयर मुर्गियों में 6 से 8 हफ्तों में वैक्सीनेशन कर इससे बचा जा सकता है।

मुर्गियों की मार्केटिंग (marketing of chickens)

पोल्ट्री फार्मिंग का अंतिम चरण उसकी मार्केटिंग होती है। अगर आप अंडे बेचते हैं तो आपको 4 से 6 रुपये बाजार के हिसाब से मिल सकते हैं। वहीं अगर आप मुर्गी को बेचते हैं तो इसके वजन के हिसाब से आपको पैसे मिल जाते हैं। जैसे 1 किलो ब्रॉयलर मुर्गा की कीमत 170-180 तक होती है मार्केट के हिसाब से कभी कुछ कम तो कभी ज्यादा हो सकता है। इस तरह से अगर अनुमान लगाए तो 100 मुर्गों को बेचने पर आपको 17000-20000 तक का मुनाफा मिल सकता है। वहीं अंडा की अगर बात करें तो 4 महीने बाद चूजा अंडे देने लायक हो जाता है। इस तरह 10000 चूजों के साथ लेयर बर्ड फार्म शुरू करने पर आपको रोजाना 150000 रुपयों का मुनाफा हो सकता है।

 

टीकाकरण –

मुर्गियों मे बीमारी से हर साल मुर्गीपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता हैं, बीमारियों से बचाव के लिए समय समय पर टीकाकरण करना बहुत जरूरी हैं.
कुछ टीकाकरण जो हैच के पहले दिन से से 28वे दिन तक लगाए जाते हैं-

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उम्र टीका
पहला दिन मेरेक्स (Marek’s)
5 वे -7 वे दिन आर.डी.वी.-एफ 1 (RDV F1)
14 वे दिन आई.डी.बी का टीका ( IBD Vaccine)
21 वे दिन आर.डी.वी. ला सोटा ( RDV La Sota)
28 वे दिन आई.डी.बी बूस्टर ( IBD booster dose)

नर व मादा मुर्गियों का पृथक्करण –

नर व मादा ब्रॉयलर मुर्गियों की वृद्धि दर अलग अलग होती हैं, नर मुर्गीय मादा के मुकाबले अधिक तेजी से विकसित होती हैं. उन्हे मादा के मुकाबले अधिक फर्श पर जगह व दाना पानी भी अधिक लगता हैं. नर ब्रॉयलर मुर्गियों को अधिक प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट की जरूरत होती हैं,इसलिए नर व मादा मुर्गियों को पहले दिन से ही अलग अलग पालना चाहिए. उन्हे उनकी दैनिक आवश्यकता के अनुसार अलग-अलग आहार भी दिए जाने चाहिए.

गर्मी में ब्रायलर मुर्गीपालन-

गर्मियों के समय में ब्रायलर मुर्गीपालन करने वाले लोगों को चाहिए कि वे मुर्गियों को तेज तापमान और अधिक गर्मी से बचाय जाए. मौसम में बदलाव की वजह से मुर्गियों की मौत तक हो सकती है, इस वह से मुर्गी पालन करने वालों को अधिक हानि हो सकती है । इसलिए मुर्गियों की छत का गर्मी से बचाने के लिए छत पर घास व पुआल आदि को डाल सकते हैं, या छत पर सफेदी करवा सकते हैं. सफेद रंग की सफेदी से छत ठंडी रहती है, साथ ही आप मुर्गियों के डेरे पर पंखा आदि को भी लगा सकते हैं। गर्मियों में चूजों के लिए पानी के बर्तनों की संख्या को बढ़ा दें, क्योंकि गर्मियों में पानी न मिलने से हीट स्ट्रोक लगने से मुर्गियों की मौत हो जाती है। जब तेज गर्मी होती है तब शेड की खिड़कियों पर टाट को गीला करके लटका दें, लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखें कि टाट खिड़कियों से न चिपके ।

पोल्ट्री फार्म शेड खर्च –

1000 ब्रायलर मुर्गियों के पोल्ट्री फार्म शेड निर्माण का खर्च निम्न हैं-

पूंजी लागत मात्रा / दर राशि (रुपयों में )
भूमि विकास (Land Development) 0.5 एकड़ ₹ 10,000
फेंसिंग 0.5 एकड़ ₹ 10,000
ब्रूडर के साथ पूरे हाउस (घर) का निर्माण
1000 मुर्गियों के लिए @1 वर्ग फ़ीट/मुर्गी
@₹ 250/वर्ग फ़ीट ₹2,50,000
पनडुब्बी पंप के साथ ट्यूबवेल ₹ 90,000
शेड तक की पाइप लाइन ₹ 25,000
ओवरहेड टैंक ₹ 20,000
1000 मुर्गियों के लिए उपकरण ₹ 20/मुर्गी ₹ 20,000
बिजली (Electricity) और इलेक्ट्रिक उपकरण ₹ 25,000
फ़ीड स्टोर (चारा भंडारण कक्ष) 100 वर्ग फ़ीट
@ ₹ 300/वर्ग फ़ीट
₹ 30,000
कुल पूंजी लागत ₹4,80,000

 

कार्यशील पूंजी मात्रा / दर राशि (रुपयों में )
चूजों की कीमत (5150 चूजे) ₹35/चूज़ा ₹36,750
कंसन्ट्रेट फीड
3.2 किलो/मुर्गी
₹28/किलो ₹89,600
दैनिक मजदूरी 45 दिनों के लिए 200/दिन ₹ 9,000
अन्य खर्च जैसे पशुचिकित्सा ₹ 20,750
कुल कार्यशील लागत ₹1,56,100

1000 मुर्गियों के लिए पूंजी लागत और कार्यशील लागत मिलाकर 6,36,100 रुपये का अनुमानित खर्च आएगा.

ब्रायलर मुर्गीपालन में ध्यान देने योग्य ज़रूरी बातें –

ब्रायलर के चूजे की खरीददारी में ध्यान दें कि जो चूजे आप खरीद रहे हैं उनका वजन 6 सप्ताह में 3 किलो दाना खाने के बाद कम से कम 1.5 किलो हो जाये तथा मृत्यु दर 3 प्रतिशत से अधिक नहीं हो। अच्छे चूजे की खरीद के लिए राँची पशुचिकित्सा महाविद्यालय के कुक्कुट विशेषज्ञ या राज्य के संयुक्त निदेशक, कुक्कुट से सम्पर्क कर लें। उनसे आपको इस बात की जानकारी मिल जायेगी कि किस हैचरी का चूजा खरीदना अच्छा होगा। चूजा के आते ही उसे बक्सा समेत कमरे के अंदर ले जायें, जहाँ ब्रूडर रखा हो। फिर बक्से का ढक्कन खल दें। अब एक-एक करके सारे चूजों को इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज मिला पानी पिलाकर ब्रूडर के नीचे छोड़ते जायें। बक्से में अगर बीमार चूजा हो तो उसे हटा दें। चूजों के जीवन के लिए पहला तथा दूसरा सप्ताह संकटमय होता है। इसलिए इन दिनों में अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। अच्छी देखभाल से मृत्यु संख्या कम की जा सकती है। पहले सप्ताह में ब्रूडर में तापमान 90 एफ होना चाहिए। प्रत्येक सप्ताह 5 एफ कम करते जायें तथा 70 एफ से नीचे ले जाना चाहिए। यदि चूजे ब्रूडर के नीचे बल्ब के नजदीक एक साथ जमा हो जायें तो समझना चाहिए कि ब्रूडर में तापमान कम है। तापमान बढ़ाने के लिए अतिरिक्त बल्ब का इंतजाम करें या जो बल्ब ब्रूडर में लगा है, उसको थोड़ा नीचे करके देखें। यदि चूजे बल्ब से काफी दूर किनारे में जाकर जमा हों तो समझना चाहिए कि ब्रूडर में तापमान ज्यादा है। ऐसी स्थिति में तापमान कम करें। इसके लिए बल्ब को ऊपर खींचे या बल्ब की संख्या या पावर को कम करें। उपयुक्त गर्मी मिलने पर चूजे ब्रूडर के चारों तरफ फ़ैल जायेंगे। वास्तव में चूजों के चाल-चलन पर नजर रखें, समझकर तापमान नियंत्रित करें।
– पहले दिन जो पानी पीने के लिए चूजों को दें, उसमें इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज मिलायें। इसके अलावा 5 मिली. विटामिन ए., डी. 3 एवं बी. 12 तथा 20 मिली. बी. काम्प्लेक्स प्रति 100 चूजों के हिसाब से दें।
– इलेक्ट्रल पाउडर या ग्लूकोज दूसरे दिन से बंद कर दें। बाकी दवा सात दिनों तक दें। वैसे बी-कम्प्लेक्स या कैल्शियम युक्त दवा 10 मिली. प्रति 100 मुर्गियों के हिसाब से हमेशा डे सकते है। जब चूजे पानी पी लें तो उसके 5-6 घंटे बाद अख़बार पर मकई का दर्रा छीट दें, चूजे इसे खाना शुरू कर देंगे। इस दर्रे को 12 घंटे तक खाने के लिए देना चाहिए।
– तीसरे दिन से फीडर में प्री-स्टार्टर दाना दें। दाना फीडर में देने के साथ-साथ अखबार पर भी छीटें। प्री-स्टार्टर दाना 7 दिनों तक दें।
– चौथे या पांचवें दिन से दाना केवल फीडर में ही दें। अखबार पर न छीटें।
– आठवें रोज से 28 दिन तक ब्रायलर को स्टार्टर दाना दें। 29 से 42 दिन या बेचने तक फिनिशर दाना खिलायें।
– दूसरे दिन से पाँच दिनों के लिए कोई एन्टी बायोटिक्स दवा पशुचिकित्सक से पूछकर आधा ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर दें, ताकि चूजों को बीमारियों से बचाया जा सकें।
– शुरू के दिनों में बिछाली (लीटर) को रोजाना साफ करें। बिछाली रख दें। पानी बर्तन रखने की जगह हमेशा बदलते रहें।
– पांचवें या छठे दिन चूजे को रानीखेत का टीका एफ-आँख तथा नाक में एक-एक बूंद दें।
– 14वें या 15वें दिन गम्बोरी का टीका आई.वी.डी. आँख तथा नाक में एक-एक बूंद दें।
– मरे हुए चूजे को कमरे से तुरंत बाहर निकाल दें। नजदीक के अस्पताल या पशुचिकित्सा महाविद्यालय या अपने पशुचिकित्सक से पोस्टमार्टम करा लें। पोस्टमार्टम कराने से यह मालूम हो जायेगा कि चूजे की मौत किस बीमारी या कारण से हुई है।
– मुर्गी घर के दरवाजे पर एक बर्तन या नलाद में फिनाइल का पानी रखें। मुर्गी घर में जाते या आते समय पैर धो लें। यह पानी रोज बदल दें।

पोल्ट्री फार्म सब्सिडी

सरकार मुर्गी पालन के लिए 25% तक सब्सिडी दी जाती है तथा एससी/एसटी श्रेणी के लोगों के लिए सरकार द्वारा 35% तक सब्सिडी दी जाती है. कोई भी व्यक्ति पोल्ट्री फार्म के लिए अप्लाई कर सकता है.

पोल्ट्री फार्म के लिए बाजार

मुर्गी पालन शुरू करने के बाद एक बाजार की जरुरत पड़ती है. अपने व्यवसाय का ऑनलाइन व सोशल मिडिया के जरिये प्रचार करना चाहिए जिससे लोगो को आपके कारोबार के बारें में पता चलेगा. एक बार आपका व्यवसाय लोगो की नजर में आ जायेगा तो आपके ग्राहक खुद बनने लगेंगे.

पोल्ट्री फार्म ट्रेनिंग (Poultry Farm Training)

किसी भी व्यवसाय को खोलने के लिए उस कारोबार सम्बंधित ट्रेनिंग लेना जरुरी है. अगर आप पोल्ट्री फार्मिंग प्रशिक्षण लेना चाहते है तो हमने आपके लिए कुछ पोल्ट्री फार्मिंग प्रशिक्षण केंद्र की जानकारी दी है.

डॉ. बी.वी. राव कुक्कुट प्रबंधन और प्रौद्योगिकी संस्थान

पद : उरुली कसंझान-412 202,
जिला: पुणे,
महाराष्ट्र
फोन: +91-20-26926320-21
फैक्स: +91-20-26926508, 24332287, 24337760
ई-मेल: ipmtpune@vsnl.net

सेंट्रल एवियन रिसर्च इंस्टीट्यूट (CARI)

कैरी, इज्जतनगर
उत्तर प्रदेश
पिन: 243 122
फोन: ९१-५८१-२३०१२६१ (ओ); ९१-५८१-२३०१२२०; २३०१३२०
फैक्स: 91-581-2301321
हमें ई-मेल करें: cari_director@rediffmail
वेबसाइट: http://www.icar.org।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय

मैदान गढ़ी,
नई दिल्ली-110068
फोन: 29533869-870; २९५३५७१४
फैक्स: 29536588
वेबसाइट: http://www.ignou.ac.in/

नेशनल स्कूल ऑफ ओपन स्कूलिंग

बी-31बी,
कैलाश कॉलोनी, नई दिल्ली
फोन: 29231181-85, 29241458
वेबसाइट: http://www.nios.ac.in/

कड़कनाथ कुक्कुट पालन संस्थान बिहार

पता: मलाही पकड़ी रोड, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी, पूर्वी इंदिरा नगर, कंकड़बाग, पटना, बिहार 800020

केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन

इंडस्ट्रियल एरिया फेज I, चंडीगढ़, 160002

असम लाइव स्टॉक एंड पोल्ट्री कॉर्पोरेशन लिमिटेड

ग्रामीण विकास कार्यालय की पंजाबी रोड साइड स्ट्रीट पंजाबी, खानापारा, गुवाहाटी, असम 781037

 

देसी मुर्गी पालन

 

कलन: टीम लाइवस्टोक इंस्टिट्यूट ट्रेनिंग एंड डेवलपमेंट( एल आई टी डी)

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