ठंडी के मौसम में पोल्ट्री का प्रबंधन कैसे करें ?

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ठंडी के मौसम में पोल्ट्री का प्रबंधन कैसे करें ?

सर्दियों के मौसम में वातावरण ठंडा हो जाता है जिसका पोल्ट्री के उत्पादन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। सर्दियों में जब तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से कम चला जाता है तब बहुत सारी परेशनियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए बेहतर उप्त्पादन के लिए पोल्ट्री उत्पादकों को सरदियों के मौसम में निमनांकित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

घर का उन्मुखीकरण एवं तापमान प्रबंध

  • सर्दी के मौसम मे पोल्ट्री फार्म का निर्माण पक्षियों की सुविधा को ध्यान में रखकर करना चाहिए।
  • इमारत के अंदर हवा, धूप एवं रौशनी चारों ओर से आनी चाहिए ताकि बाहरी सतहों का तापमान नियमित रहे।
  • सर्दियों में सूरज की रौशनी और धूप कम समय के लिए आती है। एक आयताकार शेड अधिक से अधिक सौर ऊर्जा को ग्रहण करता है, इसलिए शेड ऐसा बनाना चाहिए जिसमें दिन के समय अधिक से अधिक रौशनी और धूप अंदर आ सके।
  • पक्षियों को ठंडी हवा से बचाने के लिए शाम से लेकर अगली सुबह तक चटाई बैग या बोरियों को चारों तरफ टांग देना चाहिए।
  • प्रति 250 से 500 पक्षियों के लिए एक बुखारी का इस्तेमाल करें। यदि बुखारी उपलब्ध न हो तो प्रति 20 पक्षियों के लिए एक 100 वाट बिजली के बल्ब का प्रयोग करें।
  • सर्दियों में तापमान को नियमित रखने के लिए अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है। जहाँ तक हो सके, बुखारी का प्रयोग केवल रात में करें। दिन के समय धूप का प्रयोग कर पोल्ट्री फार्म को गरम रखें और ज़रूरत पड़ने पर बिजली बल्ब का प्रयोग करें।

शेड में प्रवेश करने वाली ठंडी हवा की रोकथाम के लिए बोरियों का उपयोग

सर्दियों में बुखारी का प्रयोग 

हवा का आना जाता (वेंटीलेशन)

  • सर्दी के मौसम में हवा के आने जाने का उचित प्रबंध होना चाहिए।
  • पक्षी अपनी सांस एवं मल-मूत्र के द्वारा बहुत सी नमी बाहर छोड़ते हैं जिससे अमोनिआ उत्पन्न होता है और अगर वातावरण में आमेनिया की मात्रा बढ़ जाए तो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • अगर शेड में हवा के आने जाने का उचित प्रबंध नहीं होगा तो अमोनिया का निर्माण भी अधिक होगा जो पक्षियों में श्वास तथा पाचन संबंधी परेशनियों को बढ़ाएगा। इससे उन्हें बचाने के लिए शेड में अंदर ताज़ा हवा के आने जाने का उचित प्रबंध होना चाहिए।
  • इसके लिए रपट खिड़कियों का प्रयोग उचित होता है जिन्हें दिन मे खोल दिया जाना चाहिए और रात में बंदकर देना चाहिए।
  • अशुद्ध वायु को बाहर निकालने के लिए निकास प्रशंसकीय पंखों (एग्जॉस्ट पंखों) का प्रयोग किया जाना चाहिए।
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लिट्टर प्रबंध

  • चूज़ो को शेड के अंदर रखने से पहले फर्श की उपरी सतह को लिट्टर या भूसे के बिस्तर या बिछावन से ढक देना चाहिए। यह पक्षियों को आराम देता है। एक गणवत्ता वाला लिट्टर एक अच्छे विसंवाहक का काम करता है। यह वातावरण के तापमान को संतुलित रखता है और नमी को सोख कर वातावरण को सूखा बनाता है।
  • सर्दियों में लिट्टर की मोटाई 3 से 6 इंच तक रखें ताकि यह पक्षियों के शरीर से निकलने वाली गर्मी को बचाकर रखे तथा नमी सोख ले।
  • एक अच्छा लिट्टर पक्षियों को धरती की ठंड से बचाकर रखता है और उनके लिए सुरक्षा कवच का काम करता है।
  • लिट्टर पक्षियों के मल को पतला कर देता है जिससे पक्षी और मल का संपर्क नहीं हो पाता।
  • कोशिश करें की सर्दियों में पक्षियों के अतिरिक्त बिछावन उपलब्ध रहे क्योंकि सर्दियों में बिछावन देरी से सूखता है और गीला होने की स्तिथि में इसे तुरंत बदल देना चाहिए।
  • बिछावन के लिए लकड़ी की छीलन, चूरा, पतवार, कटा हुआ गन्ना, पुआल, भूसा और अन्य सूखी, शोषक, कम लागत वाली जैविक सामग्री का उपयोग किया जा सकता है।
  • लिट्टर को अत्यधिक सर्दी के मौसम में कभी न बदलें। अगर लिट्टर प्रबंध उचित होगा तो पक्षियों का तापमान भी उचित रहेगा।

डीप लिट्टर सिस्टम में पोल्ट्री उत्पादन

फीड प्रबंध

  • पोल्ट्री में फीड का प्रयोग दो उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाता हेै – शरीर के तापमान को संतुलित रखने के लिए ऊर्जा स्त्रोत के रूप में और सामान्य शारीरिक प्रक्रियाओं, मज़बूत हड्डियों, मास उत्पादन एवं पंखो के लिए निर्माण सामग्री के रूप में।
  • मौसम के बदलाव के साथ साथ फीड में भी सामान्य बदलाव करना चाहिए।
  • निम्न तापमान में अधिक ऊर्जा की ज़रूरत होती है जोकि अधिक फीड तथा आक्सीजन सेवन से पूरी होती है।
  • तापमान अधिक ठंडा होने पर पक्षी अपने शरीर की गर्मी को संतुलित रखने के लिए अधिक फीड का सेवन करते हैं इसलिए तापमान गिरने पर पक्षियों को भरपेट फीड दें।
  • फीडर में फीड की उपलब्धता दिन के साथ साथ रात में भी बनाये रखें
  • जब पक्षी अधिक फीड खाते हैं तो ऊर्जा के साथ साथ अन्य पोषक तत्व जिनकी आवश्यकता नहीं होती वह भी अंदर जाते हैं लेकिन उनका कोइ उपयोग नहीं होता। कोशिश करें के सर्दियों के मौसम में अधिक ऊर्जा प्रदान करने वाले पदार्थ जैसे आयल केक (खल), चरबी, शीरा, आदि को फीड में मिलाकर देना चाहिए, ताकि पक्षियों में शारीरिक तापमान का संतुलन बना रहें।
  • गर्मियों की अपेक्षा सर्दियों में फीडरों की संख्या बढ़ा देनी चाहिए और इस बात का आवश्यक ध्यान रखना चाहिए की पक्षी भरपेट फीड एवं दाने का सेवन करें।
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जल प्रबंध

  • सर्दियों के मौसम में पक्षी कम मात्रा में पानी का सेवन करते हैं। इसलिए पानी की मात्रा को शरीर में संतुलित रखने के लिए लगातार पानी देते रहना चाहिए।
  • अगर पानी अधिक ठंडा हो तो उसमें कुछ मात्रा में गरम पानी मिला देना चाहिए।
  • पीने का पानी साफ और ताज़ा होना चाहिए।
  • जिन इलाकों में बर्फ गिरती है और तापमान शून्य से नीचे हो जाता है और पाईपों में पानी जम जाता है वहाँ पइिपों की जाँच करते रहना चाहिए क्योंकि इन पाईपों के द्वारा ही दवा-टीका पक्षियों के दिया जाता है।
  • पानी द्वारा दवा एवं टीका देने से पूर्व कुछ समय के लिए पानी की सपलाई बंद कर देनी चाहिए
  • दवा और टीके में पानी की मात्रा कम होनी चाहिए ताकि पक्षियों को उचित मात्रा में दवा-टीका प्राप्त हो सके।
  • प्रति 100 पक्षियों के लिए के लिए 25 लीटर पानी का उपयोग करें।

स्वास्थ प्रबंध

  • सामान्यता अधिक सर्दियों में घरेलू पक्षी समाप्त होने लगते हैं लेकिन उचित देखभाल की जाए तो वह सुरक्षित रहते हैं और उनमें उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है।
  • चूहे और चुहिया सबसे बड़ी मुसीबत होते है। यह जन्तु केवल बीमारियाँ ही नहीं फैलाते साथ-साथ दूषित मल भी छोड़ते हैं जो पक्षियों में फीड के द्वारा उनके अंदर जाता है। फीड को इससे बचाने के लिए धातु से बने डिब्बे में रखना चाहिए।
  • फीड को खुले बैग में रखने से छोटे-छोटे कीट उत्पन्न हो जाते है। इसलिए लकड़ी और प्लास्टिक के बैगों का प्रयोग करना चाहिए जो थोड़े समय के लिए इन छोटे-छोटे कीटों को फीड से दूर रखते है।
  • हालांकि सर्दियों में संक्रमण कम होता है परन्तु कुछ रोग जैसे की रानीखेत बीमारी, कॉलीबैसिलोसिस, गम्बोरो रोग, चूजों में ब्रूडर न्यूमोनिया, सीआरडी, कॉक्सीडीओसिस, इत्यादि पाए जाते हैं।
  • समय पर वैक्सीनेशन करने से तथा उचित प्रबंधन से इन रोगों से पक्षियों को बचाया जा सकता है।
  • पक्षियों को स्वस्थ रखने के लिए समय पर पानी में उचित मात्रा मे विटामिन-इलैक्ट्रोलाईट मिलाकर देना चाहिए।
  • भिन्न-भिन्न प्रकार के पक्षियों को उनकी जरूरत के अनुसार ही उचित मात्रा में फीड देनी चाहिए।
  • पक्षियों में उत्पन्न होने वाली अनियमित्ताओं और विसंगतियों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
  • पक्षियों को करीब से सुनना अनिवार्य है। अगर सासें में भारीपान या घरघराहट हो तो यह बीमारी का संकेत हो सकता है
  • बीमार पक्षियों को अलग रखें तथा ब्रोड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिकस जैसे कि टैरामायसिन, एनरोफलोक्सेसिन, आदि का प्रयोग पशु चिकित्सक की सलाह के बाद करें।
  • सब विसंमतियों का वर्णन एक रिकार्ड बुक में करना अनिवार्य है। जितना ही हम अपनी रिकार्ड बुक को सही रखेंगे उतना ही हम आने वाली समस्याओं से दूर रह सकते है।
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रानीखेत बिमारी से पीड़ित पक्षी गर्दन में टेड़ापन

क्या चरम सर्दी में चूज़ों को फार्म में पाल सकते हैं?

जी हाँ। प्रबल प्रबंधन से चूज़ों को फ़ार्म में लाकर पाला है। तापमान तथा स्वास्थ प्रबंधन पर बल दें। चूज़ों के लिए अच्छा ब्रूडर घर तैयार करें। चूज़ों को लाने से पहले ब्रूडर का तापमान बल्ब तथा बुखारी के माध्यम से 40 डिग्री सेल्सियस पर रखें। एक दिन पहले फीडर और ड्रिंकर भी ब्रूडर में रख दें। चूज़ों के आने पर एक दिन के लिए पानी में ग्लूकोज़ मिलाकर दें तथा उसमें एंटीबायोटिक दवा का उपयोग करें। दवा का उपयोग केवल 3 से 5 दिनों तक करें। ब्रूडर में अख़बार बिछाकर अध टूटे मक्की के दाने फैला दें। दूसरे दिन से प्री-स्टार्टर फीड देना शुरू करें। उपयुक्त तापमान सुनिश्चित कर चूज़ों को ठंड से बचाएँ।

सर्दियों में ब्रूडर घर की रूप रेखा

डॉ जितेंद्र सिंह ,पशु चिकित्सा अधिकारी, कानपुर देहात ,उत्तर प्रदेश

 

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